Big bang Theory and Humans in Hindi
प्राचीन काल से चली आ रही 'क्षिति जल पावक गगन समीरा पंच रचित अति अधम शरीरा' की मान्यता अब ध्वस्त हो चुकी है। विज्ञान ने यह प्रमाणित कर दिया है कि मानव शरीर पांच नहीं छ: मूल तत्वों से मिलकर बना है। वे मूल तत्व कौन से हैं और उनकी वजह क्या है और उनकी हमारे शरीर में उपस्थिति की वजह क्या है, पढिए प्रतिभाशाली युवा लेखक प्रदीप की कलम से-
मानव जीवन : तारों की देन
-प्रदीप
जी, हाँ हमारे जीवन के लिए आवश्यक सभी तत्वों का निर्माण व पृथ्वी पर उनका वितरण तारों के माध्यम से ही हुआ है। आपका सवाल होगा कि कैसे? मगर इस प्रश्न का उत्तर जानने से पहले यह जानना आवश्यक होगा कि मानव शरीर किन तत्वों से निर्मित है। यदि आप यह जवाब देने को इक्छुक हों कि यह पंच-तत्वों पृथ्वी, गगन, वायु, अग्नि और जल से निर्मित है तो आप आधुनिक विज्ञान के अनुसार गलत हैं। मगर क्यों? आखिर इन पांच तत्वों से ही तो ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई है न! और तो और ये जीव-जंतु, पेड़-पौधे और हम मनुष्य भी इन पंच-तत्वों के ही संयोग से पैदा हुए हैं। दरअसल इन पंच-तत्वों को प्राचीन काल से ही मूलतत्वों की संज्ञा दी जाती रही है, अर्थात् इन पांच पदार्थों का और कोई रूपांतर नहीं हो सकता। मगर प्राचीन काल से प्रचलित यह पंच-तत्व सिद्धांत आधुनिक विज्ञान के समक्ष टिक नहीं सका।उन्नीसवी शताब्दी के वैज्ञानिक जॉन डाल्टन ने बताया कि पृथ्वी, गगन, वायु आदि मूल तत्व नहीं हैं। इनमें से प्रत्येक पदार्थ का विश्लेषण किया जा सकता है और विश्लेषण करने पर सभी पदार्थों में एक से अधिक पदार्थ स्पष्ट दिखाई देते हैं। जैसे वायु ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, कार्बन-डाई ऑक्साइड आदि से तथा जल हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से निर्मित है। इसलिए ये पंच-तत्व भी शुद्ध तत्व नहीं है और ये भी अन्य तत्वों से मिलकर बने हैं, तो ऐसे कौन से प्रमुख तत्व हैं जिनसे मानव शरीर निर्मित हुआ है?
मानव शरीर किन तत्वों से मिलकर बना है ?
मानव शरीर का लगभग 99% भाग मुख्यतः छह तत्वो से बना है: ऑक्सीजन, कार्बन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, कैल्सीयम और फास्फोरस। लगभग 0.85% भाग अन्य पांच तत्वों से बना है : पोटेशियम, सल्फर, सोडीयम, क्लोरीन तथा मैग्नेशियम है। इसके अतिरिक्त एक दर्जन ऐसे तत्व हैं, जो जीवन के लिये आवश्यक माने जाते हैं, जिसमे बोरान, क्रोमीयम, कोबाल्ट, कॉपर, फ़्लोरीन आदि सम्मिलित हैं। ये तो हुए हमारे शरीर/जीवन के निर्माण में योगदान देने वाले तत्व, अब हम इस प्रश्न पर आते हैं कि किस प्रकार से मानव जीवन के निर्माण हेतु आवश्यक तत्वों को तारों ने किस प्रकार मुहैया कराया, उसके लिए हम 13.8 अरब वर्ष पहले शुरू हुए ब्रह्मांड के जन्म की यात्रा पर चलते हैं।
[post_ads]
ज्यादातर वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं कि आज से तकरीबन 13.8 अरब वर्ष पहले हमारे ब्रह्मांड की उत्पत्ति बिग बैंग से हुई। यूँ कहें तो सबकुछ की शुरुवात बिग बैंग से ही हुई थी। बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार लगभग बारह से चौदह अरब वर्ष पूर्व संपूर्ण ब्रह्मांड एक परमाण्विक इकाई सिंगुलरैटी के रूप में था। तब समय और अंतरिक्ष जैसी कोई वस्तु अस्तित्व में नहीं थी। बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार लगभग 13.8 अरब वर्ष पूर्व इस महाविस्फोट के कारण अत्यधिक ऊर्जा का उत्सजर्न हुआ। यह ऊर्जा इतनी अधिक थी कि जिसके प्रभाव से आज तक ब्रह्मांड फैलता ही जा रहा है। विस्फोट के बाद ब्रह्मांड धीरे-धीरे ठंडा होने लगा। जैसे-जैसे यह ठंडा होने लगा वैसे-वैसे ही गुरुत्वाकर्षण बल अपना प्रभाव दिखाने लगा। इसके प्रभाव से नीहारिकाएं बनने लगीं जो मुख्यतः हाइड्रोजन और अंतरतारकीय धूलों के बड़े बादल थे। ये बादल बिग बैंग के दौरान पैदा हुए हल्के तत्वों हाइड्रोजन, हीलियम बने थे। यही बादल समय बीतने के साथ तारों की जन्मस्थली बन जाते हैं, और इनमे मौजूद हाइड्रोजन, हीलियम और कुछ अन्य तत्व तारों के निर्माण के लिए कच्चा पदार्थ होते हैं।
वर्तमान में सभी वैज्ञानिक इस सिद्धांत से सहमत हैं कि धूल और गैसों के बादलोँ से ही तारों का जन्म होता है। कल्पना कीजिए कि गैस और धूलों से भरे हुए बादल के घनत्व में वृद्धि हो जाती है। उस समय बादल अपने ही गुरुत्वाकर्षण बल के कारण सिकुड़ने लगता है। जैसे-जैसे बादल में सिकुड़न होने लगती है, वैसे-वैसे उसके केन्द्रभाग का तापमान तथा दाब भी बढ़ जाता है। आखिर में तापमान और दाब इतना अधिक हो जाता है कि हाइड्रोजन के नाभिक आपस में टकराने लगते हैं और हीलियम के नाभिक का निर्माण करते हैं। तब तापनाभिकीय अभिक्रिया (संलयन) प्रारम्भ हो जाता है। इस प्रक्रम में प्रकाश तथा गर्मी के रूप में ऊर्जा उत्पन्न होती है। इस प्रकार वह बादल ताप और प्रकाश से चमकता हुआ तारा बन जाता है।
डेनमार्क के प्रसिद्ध वैज्ञानिक एजनार हर्टजस्प्रुंग Ejnar Hertzsprung और अमेरिकी वैज्ञानिक हेनरी नारेस रसेल Henry Norris Russell ने तारों के रंग तथा तापमान में महत्वपूर्ण संबंध दर्शाया। दोनों वैज्ञानिकों ने तारों के रंग तथा तापमान के आधार पर एक आरेख (ग्राफ) तैयार किया, जिसे हर्टजस्प्रुंग-रसेल आरेख Hertzsprung–Russell diagram के नाम से जाना जाता है। हर्टजस्प्रुंग-रसेल आरेख की मुख्य अनुक्रम पट्टी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिकतर तारे इसी पट्टी में पायें जाते हैं। इसका कारण यह है कि तारे अपने जीवन के 90 प्रतिशत भाग को इसी अवस्था में व्यतीत करते हैं। इस अवस्था में हाइड्रोजन का हीलियम में परिवर्तन काफी लम्बे समय तक चलता है। इसके कारण तारों के केन्द्रभाग में हीलियम की मात्रा में वृद्धि होती रहती है। अंत में तारों का 'क्रोड' हीलियम में परिवर्तित हो जाता है।
जब हीलियम क्रोड में परिवर्तित हो जाता है तो उसके उपरांत उनकी तापनाभिकीय अभिक्रियायें इतनी अधिक तेजी से होने लगती हैं कि तारे मुख्य अनुक्रम से अलग हो जाते हैं। मुख्य अनुक्रम से अलग होने के बाद तारे के केन्द्र भाग में सिकुडन शुरू हो जाता है, सिकुड़न के कारण ऊर्जा उत्पन्न होती है, जिसके कारण तारा फैलने लगता है। फैलने के बाद वह एक दानव तारा बन जाता है।
दानवी अवस्था में पहुँचने के बाद तारे के अंदर हीलियम की ऊर्जा उत्पन्न होती है। और एक विशेष प्रक्रिया के तहत हीलियम भारी तत्वों में बदलने लगता है। अंतत: यदि तारा सूर्य से पांच-छह गुना ही अधिक बड़ा हों तो उसमे छोटे-छोटे विस्फोट होकर उससे तप्त गैस बाहर निकल पड़ती है। उसके उपरांत तारा श्वेत वामन के रूप में अपने जीवन का अंतिम समय व्यतीत करता हैं। प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक डॉ. सुब्रमणियम चन्द्रशेखर Dr. Subrahmanyan Chandrasekhar ने यह सिद्ध किया कि श्वेत वामन तारों का द्रव्यमान सूर्य से 44 प्रतिशत से अधिक नही हो सकता। इस द्रव्यमान-सीमा को चन्द्रशेखर-सीमा Chandrasekhar limit के नाम से जाना जाता है।
जो तारे सूर्य Sun से पांच-छह गुना अधिक विशाल होते हैं अन्तत: उनमें एक भंयकर विस्फोट होता है। विस्फोटी तारे के बाहर का समस्त आवरण (कवच) उड़ जाता है और और उसकी समस्त द्रव्य-राशी अंतरिक्ष में फ़ैल जाती है। मगर उसका बेतहाशा गर्म क्रोड सुरक्षित रहता है। इस अद्भुत् घटना को सुपरनोवा कहते हैं। यदि उस तारे में अत्यधिक तेजी से सिकुड़न होने लगता है तो तो वह न्यूट्रॉन तारे का रूप धारण कर लेता है। बशर्ते उस तारे का द्रव्यमान हमारे सूर्य से दुगनी से अधिक न हो। कुछ विशेष परिस्थितियों में तारे इतना अधिक संकुचित हो जाते हैं कि इनमे से प्रकाश की किरणें भी बाहर नही निकल पाती है। इन्हें ब्लैक होल Black Hole कहते हैं।
सुपरनोवा विस्फोट के कारण तारे की जो द्रव्यराशी बाह्य अन्तरिक्ष में छितरा जाती है। वे द्र्व्यराशी किसी दिन नया ग्रह बनाने में भी मददगार हो सकते हैं। तारों के इन्हीं अवशेषों में ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन, लोहा, निकिल, सिलिकॉन आदि अन्य सभी तत्व पायें जाते हैं। हमारा जीवन अतीत में हुए सुपरनोवा विस्फोट की ही देन है, इसमें आपको कोई संदेह है, क्या? एक महान वैज्ञानिक और विज्ञान संचारक कार्ल सैगन Carl Sagan ने कहा है: “हमारे डीएनए में नाइट्रोजन, हमारे दाँतों में कैल्शियम, हमारे खून में लोहा, हमारी एपल-पाई (एक किस्म की मिठाई) में कार्बन (ये सब) तारों के अन्दर बने थे। हम स्टारस्टफ (तारा-पदार्थ) से बने हैं।”
अभी भी आपको संदेह है? चलिए वर्तमान में कार्यरत एक अन्य खगोल भौतिकविद नील डिग्रेस टायसन Neil deGrasse Tyson को उद्धृत करता हूँ : ‘‘यह ज्ञान कि पृथ्वी पर जीवन परमाणुओं से निर्मित है, मानव शरीर जिन परमाणुओं से बना है उन परमाणुओं का मूल उस भट्टी तक पहुंचता है, जिसके केंद्र मे हल्के तत्वों के द्वारा अत्याधिक तापमान और भीषण दबाव मे भारी तत्वों का निर्माण हुआ है। वे तारे जिनमे अत्याधिक द्रव्यमान था, अपने जीवन के अगले चरण मे अस्थिर हो गये थे, उनका संकुचन हुआ और उसमे विस्फोट हुआ, जिससे उनके द्वारा निर्मित भारी तत्व सारे ब्रह्मांड मे फ़ैल गये, इन भारी तत्वो मे कार्बन, नाइट्रोजन, आक्सीजन और जीवन के लिए आवश्यक सभी मूलभूत तत्वों का समावेश है। इन सभी तत्वो के द्वारा नये गैस के बादलों का निर्माण हुआ, जोकि सपिण्डीत हुये, संकुचित हुये और इन बादलो ने सौर मंडलो की नयी पीढी को जन्म दिया, जिसमे ग्रह तारों की परिक्रमा करते थे। इन ग्रहों मे अब जीवन के लिये आवश्यक मूलभूत तत्व उपलब्ध थे। इसलिए जब मै रात में आकाश को देखता हूँ और जानता हूं कि हाँ, हम इस ब्रह्माण्ड के ही भाग है, हम इसी ब्रह्माण्ड मे है। लेकिन शायद इन दोनो तथ्यों से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि ब्रह्माण्ड हमारे अंदर है। जब मैं इस तथ्य को लोगों से साझा करता हूं तो वे अपने आपको लघु समझते हैं क्योंकि वे लघु हैं और ब्रह्माण्ड विशाल है। लेकिन मैं अपने आपको विशाल मानता हूँ क्योंकि मेरे परमाणु उन्हीं तारों से आये हैं।’’
- लेखक परिचय -

keywords: bigbang theory in hindi, बिग बैंग थ्योरी यूनिवर्स, बिग बैंग थ्योरी किसने दी, बिग बैंग थ्योरी ऑफ यूनिवर्स, बिग बैंग से पहले क्या था, बिग बैंग थ्योरी किस सिद्धांत पर आधारित है, बिग बैंग थ्योरी वाई, बिग बैंग थ्योरी किसने दिया, ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति कैसे हुई, ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति का सिद्धांत, ब्रह्माण्ड की रचना, ब्रह्मांड कैसे बना, ब्रह्मांड क्या है, सृष्टि की रचना कब हुई, सृष्टि के रचयिता कौन है, महाविस्फोट का सिद्धांत
Bahut kub jaankari punch se sixth tatv
जवाब देंहटाएंनवीनतम बढ़िया जानकारी।
जवाब देंहटाएंye to sab jante h isme nya kya h...?
जवाब देंहटाएं