Information About Mango Tree in Hindi.
रसीले आम कुछ लोगों को इतने पसंद होते हैं कि अगर वे आम की फोटो ही देख लें, तो उनके मुंह में पानी आ जाता है। दोस्तों, आम का सिर्फ स्वाद ही सुंदर नहीं होता, आम के फायदे Mango Benefits in Hindi भी होते हैं। इसीलिए आज हम आपके के लिए आम के पेड़ की जानकारी लेकर आए हैं। इसमें आप आम के प्रकार ही नहीं आम के गुण, Mango ke Fayde के बारे में भी विस्तार से पढ़ेंगे। लीजिए पढ़िए चर्चित विज्ञान लेखक श्री देवेंद्र मेवाड़ी का यह रोचक लेख।
किस्म-किस्म के आम
-देवेंद्र मेवाड़ी
Different Types of Mangoes |
कहते हैं, हमारे देश में कम से कम 4,000 से 6,000 वर्ष पहले से आम की खेती की जा रही है। रामायण और महाभारत में आम के उपवनों का वर्णन किया गया है। 327 ईस्वी पूर्व में सिकंदर (Alexander) भारत पर आक्रमण करने आया। उसके सैनिकों ने सिंधु घाटी में पहली बार आम के पेड़ देखे। प्रसिद्ध चीनी बौद्ध यात्री ह्वेनसांग (Hwansang) ने भी भारत में आम के पेड़ देखे थे। एक और विदेशी यात्री इब्न-बतूता (Ibn battuta) ने तो यह भी लिखा कि यहां के लोग कच्चे आम का अचार बनाते हैं। पके हुए फल चूस कर या काट कर खाते हैं।
आम अपने निराले स्वाद के कारण दुनिया भर में फैल गया है। लेकिन आज भी दुनिया में इसकी सबसे अधिक खेती हमारे देश में ही की जाती है। इसकी एक से बढ़ कर एक किस्में हैं। और, वे एक-दो नहीं हजारों हैं। कुछ प्रमुख किस्मों के नाम हैं- दशहरी, चैसा, लंगड़ा, सफेदा, बंबइया, बंगलौरा, गुलाब खास, जर्दालू, फजली, समर बहिश्त चैसा, नीलम, सुवर्ण रेखा, बंगनपल्ली, पैरी, मलगोवा, मल्लिका, अल्फांसो, आम्रपाली.....
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किस्म-किस्म के आमों के किस्से भी बहुत मजेदार हैं। ‘लंगड़ा’ (langra mango) को ही ले लो। भला, लंगड़ा किसलिए? इसलिए कि इस किस्म के आम का पहला पेड़ बनारस में एक लंगड़े फकीर बाबा के घर के पिछवाड़े में उगा था! वहीं से चारों ओर फैला। और, स्वादिष्ट दशहरी (dasheri mango) ? यह लखनऊ के पास मलीहाबाद के दशहरी गांव में पैदा हुआ।
Haji Kalimullah Khan |
दोस्तो, फल-फूलों में कलम लगाने की कला सदियों पुरानी है। इस कला ने किस्म-किस्म के आम पैदा करने में आदमी की बड़ी मदद की है। मुगल बादशाहों के जमाने में आम की खूब कलमें बांधी गईं। लेकिन, आज कलम बांधने की कला में कमाल कर रहे हैं मलीहाबाद के हाजी कलीम उल्ला खान (Haji Kalimullah Khan)। सत्तर वर्ष के हाजी साहब को इस हुनर के लिए इस साल पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। दोस्तो, तुम्हें यह जान कर आश्चर्य होगा कि वे कलम लगा कर आम के एक ही पेड़ में 300 किस्मों के आम पैदा कर चुके हैं! और, वे चाहते हैं कि अपने जीवन में वे एक पेड़ से ढाई हजार किस्मों के आम पैदा कर दिखाएं।
जानते हो, आम कितने वर्ष तक जी सकता है? पचास-पचपन वर्ष पहले चंडीगढ़ के बुड़ैल गांव में आम का एक विशाल पेड़ था। उसकी उम्र 100 वर्ष से भी अधिक थी। उसका तना 9.75 मीटर मोटा था और पेड़ 2,258 मीटर क्षेत्र में फैला हुआ था। एक साल में उससे करीब सोलह-सत्रह टन फल मिलते थे। अच्छा, एक बात सुनो दोस्तो। इस पेड़ का पता प्रसिद्ध वैज्ञानिक और लेखक डा. एम.एस.रंधावा ने लगाया था। तुम भी देखना, कहीं तुम्हारे आसपास भी आम का ऐसा कोई विशाल बुजुर्ग पेड़ तो नहीं है? अगर है, तो हमें भी बताना। फिलीपींस में भी आम का एक ऐसा ही 100 वड्र्ढ से अधिक उम्र का पेड़ था जो हर साल दस से पंद्रह हजार फल देता था। एक साल तो उसमें 35,000 फल लगे। वह पेड़ 1,350 वर्ग मीटर में फैला हुआ था।
आप पढ़ रहे हैं- आम के प्रकार और आम के गुण, Mango Benefits in Hindi
विदेशी लोग यह देख कर हैरान रह जाते हैं कि किस्म-किस्म के खट्टे-मीठे आमों का स्वाद हम किस-किस रूप में चखते हैं। पके हुए देशी आम को मजे से चूस लेते हैं और कलमी आम को सफाई से काट कर सलीके से खाते हैं। आम के तरह-तरह के व्यंजन बनते हैं। कच्चे आम की चटनी और आम का अचार (पढ़ें- आम का अचार बनाने की विधि ) बना लेते हैं। लू की लपटों से बचने के लिए आम का पना बना लेते हैं तो पके फलों को दूध में घोट कर मैंगो शेक तैयार करते हैं। आम के रस और गूदे के अमावट यानी आम-पापड़, अंबापोली और आम-पट्टी बना लेते हैं। आम का स्क्वैश, जैम, जेली और मुरब्बा भी बनाया जाता है। आम में विटामिन ‘ए’, विटामिन ‘सी’ और कई खनिज होते हैं।
दोस्तो, आम का सीजन आ गया है। बाजार में किस्म-किस्म के आम आने लगे हैं। चलो, इस बार जम कर इनका स्वाद चखें।
अगर आपको आम के प्रकार, आम के गुण और Mango ke Fayde बताने वाला यह लेख पसंद आया हो, तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। और हां, अब भी आपसे कोई आपसे Mango Benefits in Hindi, आम के पेड़ की जानकारी या रसीले आम के बारे में पूछे तो हमारा पता जरूर बताएं।
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देवेंद्र मेवाड़ी हिन्दी के चर्चित विज्ञान कथाकार एवं विज्ञान संचारक हैं। आपकी विज्ञान कथा विषयक 'मेरी प्रिय विज्ञान कथाएं', 'भविष्य' और 'कोख' पुस्तकें प्रकाशित हैं। लोकप्रिय विज्ञान लेखन के क्षेत्र में आपकी लगभग 2 दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हैं, जिनमें 'मेरी यादों का पहाड़' तथा 'मेरी विज्ञान डायरी' (दो भाग) हाल ही में काफी चर्चित रही हैं। विज्ञान लेखन के क्षेत्र में अतुलनीय कार्यों हेतु आपको प्रतिष्ठित आत्माराम पुरस्कार एवं एन.सी.एस.टी.सी. पुरस्कार सहित एक दर्जन से अधिक पुरस्कार/सम्मान प्राप्त हाे चुके हैं। आपसे निम्न ईमेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है:
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जवाब देंहटाएंदसहरी आम ही पंसद है बस ..जानकारी के लिए शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया इस जानकारी के लिये.
जवाब देंहटाएंरामराम.
मेवाडी जी, आम के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान कर दी आपने। पढकर ही आम खाने जैसा आनन्द मिल गया। शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंदशहरी तो अब कुछ ही दिन का मेहमान है. क्योंकि नए परिसीमन में उसकी पूरी बेल्ट लखनऊ शहर के दायेरे में आ रही है. इसलिए तैयार रहिये आम के बागों की जगह कंक्रीट के जंगल के लिए. हाँ कोई अच्छी सरकार इस बारे में कुछ सोच ले तो बात दूसरी है.
जवाब देंहटाएंअब तो आम के बारे में पढ़कर ही पेट भरना पड़ेगा:)
जवाब देंहटाएंएक ओर तो प्राकृतिक ढ़ंग से पके ताजे आम मिलते नहीं हैं और जो मिलते हैं वे महंगे इतने कि क्या कहें।
बढिया पोस्ट रसराज के बारे में .इस बार तो आम की फसल मौसम के चलते चौपट हो गयी है ,ऊपर से आपके पोस्ट ने आम न होनें के कष्ट को और बढा दिया .
जवाब देंहटाएंअच्छा लेख ,मुझे फलों में आम सबसे पसंद है -कभी डिसाईड नहीं कर पाया कि दशहरी सबसे बढियां है या चौसा !
जवाब देंहटाएंहापुस जिसे अलफांसों भी कहते हैं मुझे इनके आगे फीका लगता है !
गालिब को आम बहुत पसंद था ! मुझे भी !
आम-हाय!!!
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा जानकारी दी. आम मिल जाये तो क्या बात है.
बड़ी सुन्दर जानकारी. केरल में एक प्रकार का आम होता है.नाम है मुव्वंदन . खूबी यह है की पेड़ पर आप को आम हर अवस्था में मिलेगा. बौर से लेकर पके आम तक.
जवाब देंहटाएंWaah padh kar hi maza aa gaya.
जवाब देंहटाएंउस आम का जिक्र तो किया ही नहीं
जवाब देंहटाएंजो डायबिटीज में खाया जाता है
ऐसी जानकारीपूर्ण पोस्ट का भी
बेसब्री से इंतजार रहेगा
किस्म-किस्म के आमों के किस्से भी बहुत मजेदार हैं। ‘लंगड़ा’ को ही ले लो। भला, लंगड़ा किसलिए? इसलिए कि इस किस्म के आम का पहला पेड़ बनारस में एक लंगड़े फकीर बाबा के घर के पिछवाड़े में उगा था! वहीं से चारों ओर फैला। और, स्वादिष्ट दशहरी? यह लखनऊ के पास मलीहाबाद के दशहरी गांव में पैदा हुआ..
जवाब देंहटाएंतरह तरह के आमो की जानकारी के साथ आम किस कारण से प्रसिध्ध है यह जानकारी भी बड़ी उम्दा और अच्छी लगी.
सामयिक पोस्ट। वैसे इस साल आम कुछ कम ही आये हैं। या यह मेरा अपना सोच है।
जवाब देंहटाएंआम के सीजन में मेरा वजन अनिवार्य रुप से बढ़ जाता है। बाकी भोजन पर सभी बन्दिशें मन्जूर कर सकता हूँ लेकिन आम पर रोक लगा पाना असम्भव है। इसके प्रति कमजोर हो जाता हूँ।
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट पढ़कर उत्साह दूना हो गया। शुक्रिया।
itne tarah ke aam ke baare mai jan ke to muh mai paani aa raha hai...
जवाब देंहटाएंआम के बारे में जानकारी पसंद आई आम तो वैसे ही बहुत पसंद है :-)
जवाब देंहटाएंसमझ नहीं पा रहा कि आम के स्वाद की प्रशंसा करूं या इस पोस्ट की :)
जवाब देंहटाएंअमचूर तो छूट ही गया।
जवाब देंहटाएं'आम' की 'खास' जानकारी मिली इस लेख से.
जवाब देंहटाएंहमें तो दशहरी ही पसंद है। और आज उसका किस्सा भी सुन लिया और काजी का कमाल भी पढ लिया। एक बेहतरीन पोस्ट।
जवाब देंहटाएंबढिया पोस्ट......लेकिन आपने ये नहीं बताया कि ऊपर दिए गए चित्र में आम की जो किस्में दिखाई दे रहीं हैं,क्या वो सभी किस्में यहां उपलब्ध हैं या नहीं ? आमतौर पर बाजार में तो वही गिनी चुनी 2-4 किस्में ही दिखलाई पडती हैं.
जवाब देंहटाएंbahut badhiya jankari aamon ke bare me. Aap Hapus yani alfanso ko bhool gaye.aur Badam.Waise aapne kaee nam aise ginaye jo hume nahee maloom the. chaisa kahate hain ya chausa?
जवाब देंहटाएंVery interesting.
जवाब देंहटाएंआम का क्या खास जिक्र किया है आपने....वाह...बहुत जानकारी से भरपूर पोस्ट....शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंनीरज
Very nice Introduction about the Mango; Thank you very much .
जवाब देंहटाएंहमारे बगीचे में लंगडा, जर्दालू,और आम्रपाली है जिसका स्वाद लजबाब है। मैंने चौसा भी खाया है । उसका भी स्वाद लाजबाब है।
जवाब देंहटाएंGood information.
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