Ramanujan Biography in Hindi
श्रीनिवास रामानुजन की जीवनी
Srinivasa Ramanujan Biography in Hindi
आज हम आपके लिए श्रीनिवास रामानुजन की जीवनी Srinivasa Ramanujan Biography in Hindi लाए हैं। कहावत है कि प्रतिभा किसी उम्र की मोहताज नहीं होती। इस बात को प्रमाणित किया 22 दिसम्बर, 1887 को मद्रास से 400 किमी0 दूर इरोड नामक एक छोटे से कस्बे में जन्में एक महान गणितज्ञ (Great Mathematicians of India) ने। यह गणितज्ञ सिर्फ 33 वर्ष की अवस्था तक जीवित रहा, लेकिन इस छोटी सी उम्र में भी उसने गणित के क्षेत्र में ऐसी महत्वपूर्ण स्थापनाएँ दी, जिनसे सारा विश्व चमत्कृत हो उठा। उस महान गणितज्ञ का नाम है श्रीनिवास रामानुजन आयंगर।
रामानुजन का जन्म एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनके पिता आजीविका के लिए मंदिर में वेद-पाठ किया करते थे। इसके साथ ही साथ वे एक दुकानदर का बही-खाता लिखने का भी कार्य करते थे।
श्रीनिवास रामानुजन की शिक्षा दीक्षा
Srinivasa Ramanujan Education
रामानुजन की प्रारम्भिक शिक्षा 05 वर्ष की आयु में तमिल माध्यम से प्रारम्भ हुई। वे बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। यही कारण था कि उन्होंने हाई स्कूल की परीक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया। उस समय उनकी आयु 10 वर्ष थी। उनकी इस प्रतिभा के कारण उन्हें स्कूल की तरफ से छात्रवृत्ति प्राप्त हुई। किन्तु गणित में अत्यधित रूचि लेने के कारण वे इण्टर प्रथम वर्ष की परीक्षा में फेल हो गये, जिससे उनकी छात्रवृत्ति बंद हो गयी और वे आगे नहीं पढ़ सके।
रामानुजन के मन में बचपन से ही गणित के प्रति बेहद रूझान था। वे गणित की पहेलियाँ सुना कर अपने साथियों का मनोरंजन किया करते थे। उनकी प्रतिभा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब वे सातवीं में थे, तो अपने पड़ोस के बी.ए. के लड़के को गणित पढ़ाया करते थे। पढा़ई छूटने के बाद रामानुजन घर पर रहकर गणित के सम्बंध में शोधकार्य करने लगे। यह देखकर उनके पिता बेहद निराश हो गये। इसलिए उन्होंने 1909 में जानकी देवी के साथ रामानुजन का विवाह करा दिया।
विवाह के बाद रामानुजन के सामने घर चलाने की समस्या आ खड़ी हुई। ऐसे समय में नेल्लूर के कलक्टर दीवान बहादुर आर. रामचंद्र राव ने उनकी भरपूर मदद की। उनकी मदद से रामानुजन को मद्रास पोर्ट ट्रस्ट के आफिस में 30 रूपये मासिक की नौकरी प्राप्त हो गयी और उनका जीवन आराम से कटने लगा।
23 वर्ष की अवस्था में रामानुजन का एक लेख एक गणित की पत्रिका में प्रकाशित हुआ। उसे पढ़कर मद्रास इंजीरियरिंग कॉलेज के प्राध्यापक ग्रिफीथ महाशय ने उन्हें कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जी.एच. हार्डी को पत्र लिखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने साथ ही अपनी कुछ प्रमेय भी प्रो0 हार्डी को भेजने की सलाह दी।
प्रो0 हार्डी उस समय के जाने-माने गणितज्ञ थे। रामानुजन की प्रमेय देखकर उन्होंने उनकी प्रतिभा को फौरन पहचान लिया। उन्हें विश्वास हो गया कि यदि इस लड़के को गणित की कुछ मूलभूत जानकारी मिल जाए, तो यह गणित के क्षेत्र में हलचल मचा सकता है। प्रो0 हार्डी ने न सिर्फ रामानुजन का उत्साहवर्द्धन किया वरन अपने व्यक्तिगत प्रयासों से लंदन भी बुला भेजा।
डॉ0 हार्डी के अथक प्रयासों की बदौलत 17 मार्च 1914 को रामानुजन इंग्लैण्ड के लिए रवाना हुए। वहाँ पर उन्होंने प्रो. हार्डी एवँ प्रो. लिटिलवुड के निर्देशन में ट्रिनिटी कॉलेज में दाखिला लिया तथा अपना अध्ययन कार्य प्रारम्भ किया।
रामानुजन का गणितीय योगदान
Srinivasa Ramanujan Contribution to Mathematics
रामानुजन का जन्म एक कट्टर धार्मिक परिवार में हुआ था। वह नियम के पक्के व्यक्ति थे। वे इंग्लैण्ड जैसे अत्यंत ठण्डे देश में भी नियम से प्रातःकाल उठकर स्नान करते थे। वे शुद्ध शाकाहारी भोजन करते थे और लहसुन प्याज ही नहीं टमाटर तक से परहेज करते थे। खान-पान की इस आदत के कारण उन्हें अपना खाना स्वयँ ही बनाना पड़ता था। इसका दुष्प्रभाव यह होता था कि न चाहते हुए भी उनका बहुत सा समय इन सब कामों में निकल जाता था।
रामानुजन ने इंग्लैण्ड में रहकर बहुत थोड़े ही समय में अपनी धाक जमा दी। उन्होंने प्रो0 हार्डी के निर्देशन में अध्ययन करते हुए गणित सम्बंधी अनेक स्थापनाएँ दीं, जो 1914 से 1916 के मध्य विभिन्न शोधपत्रों में प्रकाशित हुईं। उनके इन शोधकार्यों से सारे संसार में हलचल मच गयी। उनकी योग्यता को दृष्टिगत रखते हुए 28 फरवरी 1918 को रॉयल सोसायटी ने उन्हें अपना सदस्य बना कर सम्मानित किया। इस घटना के कुछ ही समय बाद ट्रिनिटी कॉलेज ने भी उन्हें अपना फैलो चुनकर सम्मानित किया।
एक तो रामानुजन का दुबला-पतला शरीर, दूसरे लंदन का बेहद ठण्डा मौसम, उस पर खानपान की उचित व्यवस्था का अभाव। ऐसे में रामानुजन को क्षय रोग ने घेर लिया। उस समय तक क्षय रोग का कारगर इलाज उपलब्ध नहीं था। सिर्फ आराम और समुचित डॉक्टरी देखरेख ही उन्हें बचा सकती थी। लेकिन रामानुजन की गणित की दीवानगी ने उन्हें चैन से नहीं बैठने दिया। इससे उनकी तबियत बिगड़ती गयी और अतः 27 फरवरी 1919 को उन्हें भारत लौटना पड़ा।
अब तक रामानुजन का स्वास्थ्य बहुत बिगड़ चुका था। डॉक्टरों ने उन्हें पूर्ण आराम की सलाह दी। लेकिन रामानुजन भला गणित को छोड़ कर कैसे रह पाते? नतीजतन उनकी बीमारी बढ़ती चली गयी और 26 अप्रैल 1920 को कावेरी नदी के तट पर स्थित कोडुमंडी गाँव में 33 वर्ष की अल्पायु में उनका निधन हो गया।
रामानुजन सन 1903 से 1914 के बीच, कैम्ब्रिज जाने से पहले, गणित की 3,542 प्रमेय लिख चुके थे। उनकी इन तमाम नोटबुकों को बाद में ‘टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च बाम्बे’ (मुम्बई) ने प्रकाशित किया। इन नोट्स पर इलिनॉय विश्वविद्यालय के गणितज्ञ प्रो0 ब्रूस सी. बर्नाड्ट ने 20 वर्षों तक शोध किया और अपने शोध पत्र को पाँच खण्डों में प्रकाशित कराया।
रामानुजन एक विलक्षण गणितज्ञ थे। वे रोग के दौरान भी अपनी शय्या पर लेटे-लेटे गणितीय परिकल्पनाएँ हल किया करते थे। एक बार जब वे अस्पताल में भर्ती थे तो प्रो. हार्डी उन्हें देखने आए। हार्डी जिस टैक्सी में आए थे उसका नं. था 1729 (7 X 13 X 19)। प्रो0 हार्डी को यह संख्या अशुभ लगी। यह सुनकर रामानुजन बोले- यह वह सबसे छोटी संख्या है, जिसे हम दो घन संख्याओं के जोड़ से दो प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं-
रामानुजन की गणितीय प्रतिभा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके निधन के लगभग 90 वर्ष व्यतीत होने जाने के बाद भी उनकी बहुत सी प्रमेय अनसुलझी बनी हुई हैं। उनकी इस विलक्षण प्रतिभा के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए भारत सरकार ने उनकी 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में वर्ष 2012 को ‘राष्ट्रीय गणित वर्ष’ के रूप में मनाने का निष्चय किया है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक वर्ष उनका जन्म दिवस (22 दिसम्बर) ‘राष्ट्रीय गणित दिवस’ के रूप में भी मनाया जाएगा। (बालवाणी: जुलाई-अगस्त, 2012 के अंक में प्रकाशित)
दोस्तो, हमें उम्मीद है कि श्रीनिवास रामानुजन की जीवनी Srinivasa Ramanujan Biography in Hindi आपको जरूर पसंद आई होगी। अगर आपको हमारा यह लेख पसंद आए, तो इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें।
keywords: Srinivasa Ramanujan Biography in Hindi, srinivasa ramanujan contribution to mathematics, indian mathematician, ramanujan number, about srinivasa ramanujan, great mathematicians of india, srinivasa ramanujan history, srinivasa ramanujan biography, srinivasa ramanujan education
nice article.
जवाब देंहटाएंरामानुजन की जीवनी का विस्तृत लेखा जोखा यहीं पढ़ पाया. आभार.
जवाब देंहटाएंरामानुजन जी के जीवन संबंधी महत्वपूर्ण घटनाएं पता चलीं । देर से ही सही भारत सरकार को िन्हे सम्मानित करने की तो सूझी ।
जवाब देंहटाएंडॉ भाई जाकिर रजनीश, बेहद अच्छा आलेख आपने पढवा. गुदड में लाल कहाँ छिपतें हैं. प्रतिभा किसके रोके रुकी है स्वयं पल्लवित होती विकसती है. संगीत कार विष्णु दिगंबर पलुस्कर भी ऐसे ही युवा वस्था में ही चले गए. उनका संगीत आलोकित करेगा आइन्दा आने वाली नस्लों को भी. ऐसी ही प्रतिभा के धनी रहे रामानुजन.
जवाब देंहटाएंरामानुजन् भारतीय ज्ञान जगत के चंद सितारों में से एक हैं। उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। बेहतरीन आलेख।
जवाब देंहटाएंबहुत ही रोचक ढंग से आपने महान गणितज्ञ रामानुजन जी के बारे में बताया है। अच्छी पोस्ट।
जवाब देंहटाएंगणितज्ञों की वह परम्परा अब बहुत समृद्ध हो गई है। हमारे देश के अधिकतर राजनेता रामानुजन से बड़े गणितज्ञ हैं!
जवाब देंहटाएंबढ़िया वेबसाईट बनाया है आपने....बधाई
जवाब देंहटाएंmain bahut khush hun ke main ramanujam ji ki jivani par sakta hun dhaniyawad
जवाब देंहटाएं