सिर चढकर बोल रहा विज्ञान कथा का जादू !

SHARE:

दिनांक 26 फरवरी, 2013 को उत्‍तर प्रदेश हिन्‍दी संस्‍थान , लखनऊ द्वारा आयोजित 'समकालीन बाल साहित्‍य' संगोष्‍ठी में जाकिर अली रजन...

दिनांक 26 फरवरी, 2013 को उत्‍तर प्रदेश हिन्‍दी संस्‍थान, लखनऊ द्वारा आयोजित 'समकालीन बाल साहित्‍य' संगोष्‍ठी में जाकिर अली रजनीश द्वारा समकालीन बाल विज्ञान कथाओं पर दिये गये वक्तव्‍य (समाचार यहां उपलब्‍ध) को मीडिया ने काफी सराहा है। उक्‍त अवसर पर दिये गया भाषण यहां पर लिखित रूप में उपलब्‍ध है।
बाल विज्ञान कथाओं पर चर्चा, फोटो: श्री टाइम्‍स, लखनऊ

समकालीन बाल विज्ञान कथाएं: एक अवलोकन 

डॉ0 ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ 

हमारे देश में घाघ और भड्डरी जैसे जनकवि हुए हैं, जिन्होंने अपने अध्ययन एवं पर्यवेक्षण के आधार पर खेती एवं मौसम से सम्बंधित तर्कपूर्ण ज्ञान को कहावतों के रूप में सहेजा है। इसका फायदा किसान और आम आदमी उठाते रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद हमारे चारों ओर अतार्किक एवं अवैज्ञानिक धारणाओं का कुहासा सा दिखाई पड़ता है। इसका दुष्परिणाम यह होता है कि एक ओर जहाँ आम आदमी उनके वशीभूत होकर अपना अनर्थ करवाता रहता है, वहीं समर्पित साहित्यकार भी अनजाने में ‘मंत्र’ (प्रेमचंद) जैसी कहानियों और ‘एक बूँद’ (अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’) जैसी कविताओं के द्वारा परोक्ष रूप में उसका प्रचार/प्रसार करते नजर आते हैं। भले ही आज के समय में यह एक प्रामाणिक जानकारी है कि न तो किसी मंत्र के द्वारा किसी जहरीले साँप का विष उतारा जा सकता है और न ही मोती बनने की प्रक्रिया का स्वाति नक्षत्र की पहली बूँद से कोई सम्बंध होता है, बावजूद इसके ये और ऐसी तमाम रचनाएँ बच्चों को पढ़ाई जा रही हैं, बिना इस बात की चिन्ता किए कि इसके दुष्प्रभाव कितने भयावह हो सकते हैं। 

हालाँकि साहित्यकार का दायित्व यह भी होता है कि वह अपनी रचनाओं के द्वारा ‘सत्य’ को सामने लाए और समाज में फैले ढ़ोंग व पाखण्ड का विनाश करे। किन्तु इसके उलट हमारे यहाँ साहित्यकार भी अक्सर अतार्किक और अंधविश्वास सम्बंधी धारणाओं के विखण्डन के स्थान पर उसे पुष्पित-पल्लवित करते हुए नजर आते हैं। यही कारण है कि सहित्यिक ग्रन्थों में हीरा चाटकर मरने, चंदन के वृक्षों में सांपों के लिपटने जैसे मिथ्या प्रसंग और ज्योतिषियों द्वारा प्रामाणिक भविष्यवाणी करने जैसी भ्रामक घटनाएँ खूब देखने को मिलती हैं। 

समाज में व्याप्त इन अंधविश्वासों के विरूद्ध जागरूकता लाने के लिए विज्ञान कथाएँ एक सशक्त माध्यम हैं। विज्ञान कथाओं के लेखन की शुरूआत यूँ तो पश्चिम में हुई, लेकिन अन्य साहित्यिक प्रवृत्तियों की ही भाँति आज भी यह भारत में खूब प्रचलित है और लगभग समस्त भारतीय भाषाओं में बड़े पैमाने पर लिखी जा रही है। 

विज्ञान कथा की परम्पराः
विश्‍व की पहली विज्ञान कथा लिखने का श्रेय अंग्रेजी के महान कवि पी0बी0 शैली की पत्नी मेरी शैली (Mary Shelley) को जाता है, जिनका उपन्यास ‘फ्रेंकेंस्टीन’ (Frankenstein) 1818 में प्रकाशित हुआ। मेरी शैली के बाद अगर किसी ने विज्ञान कथा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है, तो वे थे फ्रेन्च लेखक जूल्स वर्न (Jules Verne)। उनका पहला उपन्यास ‘फाइव वीक्स इन ए बैलून’ (Five weeks in a balloon) 1863 में प्रकाशित हुआ। उसके बाद उन्होंने ‘ए जर्नी टू द सेन्टर ऑफ अर्थ’ (A journey to the center of the earth), ‘फ्रॉम द अर्थ टू द मून’ (From the earth to the moon), ‘एराउंड द वर्ड इन 80 डेज’ (Around the world in 80 days), आदि 5 दर्जन से अधिक वैज्ञानिक उपन्यासों की रचना की, जिनकी साहित्यिक जगत में धूम रही। 

जूल्स वर्न ने जहाँ अपने वैज्ञानिक उपन्यासों के द्वारा साहित्यिक जगत में हलचल मचाई, वहीं उनके परवर्ती रचनाकार एच0जी0 वेल्स (H G Wells) ने अपने वैज्ञानिक उपन्यासों के द्वारा विज्ञान कथा को एक साहित्यिक विधा के रूप में स्पष्ट पहचान दिलाई। उनका सबसे पहला उपन्यास ‘द टाइम मशीन’ (The time machine) 1895 में प्रकाशित हुआ। उन्होंने उसके अतिरिक्त ‘द इनविजिबल मैन’, (The invisible man) ‘द वार ऑफ द वर्ल्डस’ (The war of the worlds) और ‘द फर्स्ट मैन इन द मून’ (The first man in the moon) आदि चर्चित उपन्यास लिखे, जो सारे विश्व में सराहे गये। जूल्स वर्न और एच0जी0 वेल्स की रचनाओं ने न सिर्फ लोकप्रियता के नए आयाम स्थापित किये, वरन सम्पूर्ण विश्व में विज्ञान कथाओं की अलख भी जगाई। जाहिर सी बात है कि इसका असर हिन्दी लेखकों पर भी पड़ना ही था। 

हिन्दी में पहली विज्ञान कथा लिखने वालों में अम्बिका दत्त व्यास का नाम आता है, जिन्होंने जूल्स वर्न के लोकप्रिय उपन्यास ‘ए जर्नी टू द सेन्टर ऑफ अर्थ’ से प्रेरित होकर ‘आश्चर्य वृत्तांत’ नामक उपन्यास लिखा। इसके काफी समय बाद जून 1900 में ‘सरस्वती’ में केशव प्रसाद सिंह की विज्ञान कथा ‘चंद्रलोक की यात्रा’ प्रकाशित हुई। लेकिन इस पर भी जूल्स वर्न के उपन्यास ‘फ्रॉम द अर्थ टू द मून’ की छाया स्पष्ट रूप से दखी जा सकती है। इसलिए इन दोनों रचनाओं को हिन्दी की पहली मौलिक विज्ञान कथा का दर्जा नहीं दिया जा सकता। ऐसे में इस पद की हकदार बनती है सत्यदेव परिव्राजक की कहानी ‘आश्चर्यजनक घण्टी’, जोकि सन 1908 में ‘सरस्वती’ में प्रकाशित हुई थी। यह कहानी ध्वनि अनुनाद पर आधारित है और विज्ञान कथा के समस्त मानदण्डों पर खरी उतरती है। 

सत्यदेव परिव्राजक के बाद इस दिशा में पहली बार अगर किसी ने गम्भीर कार्य किया, तो वह नाम है दुर्गा प्रसाद खत्री। देवकी नंदन खत्री के सुपुत्र दुर्गा प्रसाद खत्री ने ‘सुवर्ण रेखा’, ‘स्वर्गपुरी’, ‘सागर सम्राट’ और ‘साकेत’ जैसे वैज्ञानिक उपन्यास लिखे हैं। उनके पष्चात इस परम्परा को आगे बढ़ाने वालों में राहुल सांकृत्यायन, डॉ0 ब्रहमोहन गुप्त, यमुना दत्त वैष्णव ‘अशोक’, डॉ0 सम्पूर्णानंद, डॉ0 नवल बिहारी मिश्र आदि के नाम प्रमुख हैं। इस क्रम में बाद में डॉ0 ओमप्रकाश शर्मा, आचार्य चतुरसेन शास्त्री, सत्य प्रभाकर, रमेश वर्मा, रमेश दत्त शर्मा, कैलाश शाह, माया प्रसाद त्रिपाठी, राजेश्वर गंगवार, प्रेमानंद चंदोला के नाम भी जुड़े, जिन्होंने विज्ञान कथा को आम पाठकों तक पहुंचाया और उसकी ओर साहित्यकारों को ध्यान आकृष्ट कराया। 

हिन्दी विज्ञान कथाओं को आगे बढ़ाने में ‘सरस्वती’, ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’, ‘धर्मयुग’, ‘विज्ञान’, ‘विज्ञान प्रगति’, ‘विज्ञान कथा’ (त्रै0) के साथ-साथ ‘पराग‘ और ‘सुमन सौरभ‘ जैसी पत्रिकाओं का विषेष योगदान रहा है। इसके साथ ही ‘आविष्कार‘, ‘इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए‘, ‘नंदन‘, ‘बाल भारती‘ ‘बाल वाटिका‘, ‘देवपुत्र‘, ‘बालवाणी‘ आदि पत्रिकाओं में भी समय-समय पर विज्ञान कथाएँ प्रकाषित होती रही हैं। 

विज्ञान कथा क्या है? 
विज्ञान कथा के लिए अंग्रेजी साहित्य में मुख्य रूप से दो नाम उपयोग में लाए जाते हैं: ‘साइंस फिक्शन’ और ‘साइंस फैंटेसी’। ‘फिक्शन‘ एक लैटिन शब्द है, जिसका अर्थ है आविष्कार करना। जबकि ‘फैंटेसी’ यूनानी शब्द है, जिसका अर्थ कल्पना करने से लगाया जाता है। यही कारण है कि विज्ञान कथा के रूप में अंग्रेजी साहित्य में मुख्य रूप से दो तरह की विज्ञान कथाएँ देखने को मिलती हैं। साइंस फिक्शन के अन्तर्गत वे रचनाएँ आती हैं, जो विज्ञान के मान्य नियमों से बंधी होती हैं और उनके आसपास रची जाती हैं। जबकि साइंस फैंटेसी में ऐसी कोई सीमा देखने को नहीं मिलती। उसमें रचनाकार विज्ञान के नियमों से इतर भी कल्पना की उड़ान भरते पाए जाते हैं। हिन्दी में इन दोनों प्रकार की रचनाओं के लिए आमतौर से ‘विज्ञान कथा’ शब्द का ही प्रयोग किया जाता है। यद्यपि कुछ लोग बंग्ला साहित्य के प्रभाव के कारण इसे ‘विज्ञान गल्प’ अथवा विज्ञान की प्रधानता के कारण ‘वैज्ञानिक कहानी’ भी कहते पाए जाते हैं, पर यह आमतौर से ‘विज्ञान कथा’ के रूप में ही जानी जाती है। 

इस तरह हम कह सकते है कि जो कथा विज्ञान को केन्द्र में रखकर बुनी जाए, वह ‘विज्ञान कथा‘ कहलाती है। यदि इस परिभाषा को थोड़ा और विस्तार दिया जाए, तो हम कह सकते हैं कि जो कथा वैज्ञानिक सिद्धाँतों, प्रकियाओं के फलस्वरूप उपजी हो, जिस रचना में विज्ञान संभाव्य कहानी को केन्द्र में रखा गया हो अथवा जो कथा विज्ञान को केन्द्र में रखकर कल्पना की बेलौस उड़ान भरती हो, वह विज्ञान कथा कहलाने की अधिकारी है। लेकिन इस उड़ान के लिए भी यह जरूरी है कि उसमें विज्ञान के ज्ञात नियमों का ध्यान रखा जाए और यदि लेखक वर्तमान ज्ञात नियमों से इतर भी कोई परिकल्पना प्रस्तुत कर रहा है, तो भी उसके पास उसका पर्याप्त वैज्ञानिक/तार्किक आधार होना चाहिए। 

जहाँ तक हिन्दी की विज्ञान कथाओं की बात है, तो इनका अध्ययन करने पर पता चलता है कि यहां पर अभी तक विज्ञान कथाओं को लेकर बहुत ज्यादा भ्रम की स्थिति है। विज्ञान कथा लेखकों की एक बड़ी जमात ऐसी है, जो विज्ञान के उपकरणों, वैज्ञानिक यानों अथवा दूसरे ग्रह से आए प्राणियों को लेकर रची गयी कहानियों को ही विज्ञान कथा समझती है। इसके साथ ही साथ हिन्दी में कुछ ऐसे भी रचनाकार हैं जो ‘कोयले की कहानी’, ‘कम्प्यूटर का विकास’ अथवा ‘पर्यावरण की समस्या‘ जैसे विषयों पर बातचीत की शैली में लिखे गये जानकारीपरक लेखों को भी विज्ञान कथा कहने लगते हैं। जाहिर सी बात है कि ऐसा अज्ञानतावश ही होता है। इसके लिए जहाँ रचनाकर अध्ययन से दूर रहने के दोषी हैं, वहीं विज्ञान कथाओं से सम्बंधित आलोचनात्मक साहित्य का उपस्थित न होना भी इसकी एक प्रमुख वजह है। 

विज्ञान कथाओं की चुनौतियाँ:
पता नहीं यह जानकारी का अभाव है, न जानने की रुचि या फिर स्वयं को ही सर्वज्ञानी समझ लेने की मानसिकता कि 100 सालों से अधिक का समय व्यतीत हो जाने के बावजूद हिन्दी की बाल विज्ञान कथाओं के समक्ष अभी भी ढ़ेर सारी चुनौतियां दिखाई पड़ती हैं। ये चुनौतियाँ निम्न प्रकार की हैं 

1. तार्किकता की चुनौतीः 
विज्ञान कथाकार से यह अपेक्षा की जाती है कि उसे वर्तमान तक ज्ञात/मान्य वैज्ञानिक सिद्धान्तों का सम्यक ज्ञान होगा और वह अपनी रचनाओं में उनका उल्लंघन नहीं होने देगा। यदि वह अपनी किसी रचना में वर्तमान में ज्ञात/स्थापित नियम को तोड़ता भी है, तो इसके कारण और नये नियम के समर्थन में यथावष्यक दलील इसके साथ प्रस्तुत करनी चाहिए। किन्तु दुर्भाग्यवष हिन्दी में लिखी जा रही विज्ञान कथाओं में न सिर्फ इस नियम का खूब उल्लंघन होता है, वरन जानकारी के अभाव में बेहद अवैज्ञानिक बातें भी खूब देखने को मिलती हैं। 

विषय की वैज्ञानिकता के साथ-साथ विज्ञान कथाओं के वातावरण के चित्रण में भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण का होना निताँत आवष्यक होता है। किन्तु देखा यह गया है कि रचनाकार इसके प्रति भी पूरी तरह से सजग नहीं रहते और अक्सर अपनी रचनाओं में ऐसी घटनाओं का विवरण कर देते हैं, जो रचना को ‘विज्ञान कथा‘ के स्थान पर ‘परी कथा‘ जैसा प्रदर्षित करने लगते हैं। इसलिए रचनाकारों को विज्ञान कथा लिखते समय बेहद जागरूक रहने व अध्ययनषील होने की आवष्यकता होती है। इसके अभाव में रची गयी विज्ञान कथाएं न सिर्फ लेखक की समझ और गम्भीरता पर सवाल खड़े करती हैं, वरन समूची विधा को भी प्रष्न चिन्ह के घेरे में लाने की भूमिका निभाती हैं। 

2. विषय की मौलिकताः 
अगर हम हिन्दी में लिखी जा रही बाल विज्ञान कथाओं का अध्ययन करें, तो हमें लगभग 90 प्रतिषत विज्ञान कथाएं अंतरिक्ष केन्द्रित नजर आती हैं। ऐसी कहानियों में किसी नये गृह की खोज, एलियंस से मुठभेड़ ही मुख्य विषय होता है। इन्हें देखने के बाद यह लगने लगता है कि जैसे विज्ञान कथा का तात्पर्य सिर्फ और सिर्फ अंतरिक्ष कथाएं हैं। ऐसे रचनाकारों को या तो हमारे चारों ओर बिखरा हुआ ‘विज्ञान‘ नजर नहीं आता या फिर वे अंतरिक्ष के आधार पर कहानी बुनने की सरलता के कारण इस भेड़चाल में शामिल हो जाते हैं। 

हैरानी का विषय यह भी है कि ऐसे रचनाकार अंतरिक्ष में जीवन सम्बंधी वर्तमान तक होने वाली खोजों का भी ध्यान नहीं रखते। यही कारण है कि कोई मंगल ग्रह पर अति विकसित सभ्यता दिखाकर, तो कोई ब्रहस्पति पर जीवन का खाका खींचकर स्वयं को उपहास का पात्र बना देता है। 

जाहिर सी बात है कि विज्ञान कथा के नाम पर इस तरह की ऊल-जलूल कल्पनाएँ पढकर निराश होना स्वाभाविक है। ऐसी कहानियॉँ न सिर्फ वैज्ञानिक और साहित्यिक दृष्टि से निराश करती हैं, वरन विज्ञान कथाओं की स्तरीयता पर प्रष्नचिन्ह लगाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस सम्बंध में विज्ञान कथा लेखक शुकदेव प्रसाद का यह कथन बरबस ही ध्यान खींचता है- ‘

‘जीवन की खोज में आज से प्रायः तीन दषकों पूर्व निकला नासा का यान ‘वायेजर-1‘ विगत 6 नवम्बर 2003 को अपने सौरमण्डल की परिधि से बाहर निकल गया है। ...लेकिन अपने पूरे 26 वर्षीय अभियान में सौरमण्डल के किसी कोने से भी जीवन के स्पंदनों की धड़कन उसे नहीं सुनाई पड़ी। इसी प्रकार आज से साढ़े तीन दशकों पूर्व नासा की ही ओर से प्रेषित अन्तरिक्ष यान ‘पायनियर-10‘ सौरमण्डल से आगे निकल कर अंतरिक्ष की अतल गहराईयों में विलीन हो गया है। ...लेकिन प्रथ्वेतर जीवन संधान के क्रम में आदमी के हाथ कुछ नहीं लगा। ...ये सारे नवीनतम तथ्य इस संचार युग में किसी से छिपे नहीं रहे। अतः अब इन मृत प्रसंगों का दुहराव अतिरंजना है।‘‘ (विज्ञान प्रगति, सितम्बर 2008, पृष्ठ-16) 

उक्त उद्धरण से स्पष्ट है कि पृथ्वेतर जीवन एक बासी कल्पना है। अतः विज्ञान कथाओं में इस प्रकार के प्रसंगों का उपयोग सोच-समझ कर एवँ तार्किकता के साथ किये जाने की आवष्यकता है। 

3. सम्पादकीय सावधानियाँ: 
यह प्रसन्नता का विषय है कि निजी ही नहीं सरकारी प्रकाशन संस्थानों ने भी विज्ञान कथाओं में विशेष रुचि दिखाई है। लेकिन इसी के साथ यह भी देखने में आता है कि भेड़चाल में ऐसे संग्रह भी प्रकाशित हो जाते हैं, जिनमें विज्ञान कथाओं के नाम पर लेखों को संग्रहीत कर दिया जाता है। इसके साथ ही साथ वर्तमान तक ज्ञात विज्ञान के नियमों की धज्जियाँ उड़ाने वाले विज्ञान कथा संग्रह भी खूब देखने को मिलते हैं। इसलिए इस स्तर पर सतर्क सम्पादन की आवश्‍यकता महसूस होती है। यदि प्रकाशन संस्थान ऐसी पुस्तकों के प्रकाशन से पूर्व किसी प्रतिष्ठित विज्ञान कथाकार से उसकी समीक्षा करा लें, तो इस प्रकार की उपहासात्मक स्थिति से बचा जा सकता है। 

उम्मीद की किरणः 
बाल विज्ञान कथाओं में ऐसा नहीं है कि सब कुछ हताश और निराश करने वाला ही है। इसमें बहुत कुछ ऐसा भी है, जो अच्छा और अनुकरणीय है। न सिर्फ समर्पित विज्ञान कथाकारों बल्कि अन्य रचनाकारों ने हिन्दी विज्ञान कथा साहित्य को कुछेक बहुत अच्छी विज्ञान कथाओं का तोहफा प्रदान किया है। ऐसी ही कुछ लाजवाब करने वाली कहानियाँ हैं- प्रोफेसर भोंदू (दुर्गा प्रसाद खत्री), हिमीभूत (शुकदेव प्रसाद), दूसरी दुनिया दूर है (जनमित्र), पीली धरती (साबिर हुसैन), छुटकारा (राजीव सक्सेना), मानव आकृति के साथ (आइवर यूशिएल), समय के पार (जाकिर अली रजनीश), वेगा का मानव (अजीत कुमार बनर्जी), नीली पहाड़ी के पीछे (विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी), बड़बड़िया (डॉ0 अरविंद मिश्र), लाइव टेलीकास्ट (संजीव जायसवाल संजय), असली खेल (जीषान हैदर जैदी), बेलगाम घोड़ा (पंकज चतुर्वेदी), युगान्तर (बुशरा अलवेरा), वह सोचने लगा (सुबोध महंती) आदि। 

विज्ञान कथाओं की दिन-प्रतिदिन बढ़ती लोकप्रियता के कारण इस क्षेत्र में नित नए लेखकों का पदार्पण देखने को मिल रहा है। यही कारण है हाल के वर्षों में विज्ञान कथाओं के व्यक्तिगत संग्रह प्रकाषन में काफी तेजी आई हैं। इसके साथ ही जाकिर अली ‘रजनीश‘ द्वारा सम्पादित पुस्तक ‘प्रतिनिधि बाल विज्ञान कथाएँ‘ तथा शुकदेव प्रसाद द्वारा सम्पादित ‘बाल विज्ञान कथाएँ‘ चर्चा का विषय रही हैं। 

वर्तमान में विज्ञान कथा के क्षेत्र में कार्य करने वाले रचनाकारों की एक लम्बी सूची है, जो न सिर्फ बच्चों के लिए वरन बड़ों के लिए उत्कृष्ट विज्ञान कथाओं का सृजन कर रहे हैं। इन रचनाकारों में हरिकृष्ण देवसरे (डा0 बोमा की डायरी, एक और भूत, दूसरे ग्रहों के गुप्तचर), सुशील कपूर (मंगल की सैर, शुक्र की खोज), ओम प्रकाष (चॉँद से आगे, सोने का गोला), कैलाश शाह, मोहन सुंदर राजन (अंतरिक्ष का वरदान, अंतरिक्ष यान के कारनामे), साबिर हुसैन (पीली धरती, वेनिक ग्रह की सैर, नुपुर नक्षत्र), अरूण रावत सूर्यसारथी, जाकिर अली ‘रजनीश‘ (चमत्कार, समय के पार, विज्ञान की कथाएँ, प्रतिनिधि बाल विज्ञान कथाएँ), राजीव सक्सेना (अंतरिक्ष के चोर, धरती के कैदी, अंतरिक्ष का संदेश), विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी (अंतरिक्ष के लुटेरे) शुकदेव प्रसाद (बाल विज्ञान कथाएँ), डॉ0 अरविंद मिश्र (राहुल की मंगल यात्रा), देवेन्द्र मेवाड़ी, राजीव रंजन उपाध्याय, विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी (अंतरिक्ष के लुटेरे), कल्पना कुलश्रेष्ठ, अमित कुमार, इरफान ह्यूमन आदि के नाम मुख्य रूप से लिये जा सकते हैं। 

इनके अतिरिक्त भी ऐसे बहुत से रचनाकार हैं, जिन्होंने छिटपुट रूप में ही सही पर बाल विज्ञान कथाओं की धारा को आगे बढाने में मदद दी है। ऐसे रचनाकारों में विभा देवसरे (शनिलोक की यात्रा), योगेश गुप्त (रेडियो का सपना), सत्येन्द्र शरत (प्रोफेसर सारंग), कैलाश कल्पित (वैज्ञानिक गोरिल्ला), सुरजीत (अंतरिक्ष से आने वाला), विनोद अग्रवाल (शुक्र ग्रह के मेहमान), सुरेश आमेटा (उड़नतश्‍तरी का रहस्य), विजय कुमार बिस्सा (अंतरिक्ष की सैर), बिलास बिहारी (8 हजार वर्ष का बालक), हरीश गोयल (शुक्र ग्रह की राजकुमारी), इरा सक्सेना (कम्प्यूटर के जाल में), संजीव जायसवाल ‘संजय‘ (मानव फैक्स मशीन), जीशान हैदर जैदी, नीलम राकेश (यह कैसा चक्कर), कल्पना कुलश्रेष्ठ, रमाशंकर (अंतरिक्ष का स्वप्निल लोक), रमेश सोमवंशी, पृथ्वीनाथ पाण्डेय (अनोखे ग्रह के विचित्र प्राणी), नाहिद फरजाना, अमित कुमार, मो0 साजिद खान आदि के नाम मुख्य रूप से लिये जा सकते हैं। 
केनविज टाइम्‍स, लखनऊ, दिनांक: 27 फरवरी, 2013
(यह वक्‍तव्‍य दिनांक 26 फरवरी, 2013 को उत्‍तर प्रदेश हिन्‍दी संस्‍थान, लखनऊ द्वारा आयोजित 'समकालीन बाल साहित्‍य' संगोष्‍ठी में दिया गया। संगोष्‍ठी सम्‍बंधी समाचार पढ़ने के लिए कृपया यहां पर क्लिक करें।) 
-------------------------------------------------

विज्ञान कथाओं पर कुछ अन्य महत्वपूर्ण आलेख:

क्‍या है विज्ञान कथा? -डॉ. अरविंद मिश्र (What is Science Fiction?)
विज्ञान कथा के 100 साल -डॉ. जाकिर अली रजनीश
विज्ञान से जुड़ा है विज्ञान कथा का भविष्य -विष्णु प्रसाद चतुर्वेदी
विज्ञान कथाओं का अनुवाद : समस्याएँ एवं  निवारण -बुशरा अलवेरा
विज्ञान कथाएं : क्‍या सोचते हैं विज्ञान कथाकार ? (अनिल मेनन, डॉ. सुबोध महंती, डॉ. राजीव रंजन उपाध्याय, डॉ. अरविंद मिश्र, देवेन्द्र मेवाड़ी, डॉ. विनीता सिंघल, शुकदेव प्रसाद, सी.एम. नौटियाल एवं मनीष मोहन गोरे के विचार)
keywords: science fiction in hindi, science fiction short stories in hindi, children's science fiction in hindi, science fiction article in hindi, science fiction review in hindi, hindi science fiction article, hindi science fiction review, children's science fiction article in hindi, science fiction by indian authors, indian science fiction and fantasy in hindi, indian science fiction authors in hindi, science fiction by indian authors

COMMENTS

BLOGGER: 7
वैज्ञानिक चेतना को समर्पित इस यज्ञ में आपकी आहुति (टिप्पणी) के लिए अग्रिम धन्यवाद। आशा है आपका यह स्नेहभाव सदैव बना रहेगा।

नाम

अंतरिक्ष युद्ध,1,अंतर्राष्‍ट्रीय ब्‍लॉगर सम्‍मेलन,1,अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन-2012,1,अतिथि लेखक,2,अन्‍तर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन,1,आजीवन सदस्यता विजेता,1,आटिज्‍म,1,आदिम जनजाति,1,इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी,1,इग्‍नू,1,इच्छा मृत्यु,1,इलेक्ट्रानिकी आपके लिए,1,इलैक्ट्रिक करेंट,1,ईको फ्रैंडली पटाखे,1,एंटी वेनम,2,एक्सोलोटल लार्वा,1,एड्स अनुदान,1,एड्स का खेल,1,एन सी एस टी सी,1,कवक,1,किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज,1,कृत्रिम मांस,1,कृत्रिम वर्षा,1,कैलाश वाजपेयी,1,कोबरा,1,कौमार्य की चाहत,1,क्‍लाउड सीडिंग,1,क्षेत्रीय भाषाओं में विज्ञान कथा लेखन,9,खगोल विज्ञान,2,खाद्य पदार्थों की तासीर,1,खाप पंचायत,1,गुफा मानव,1,ग्रीन हाउस गैस,1,चित्र पहेली,201,चीतल,1,चोलानाईकल,1,जन भागीदारी,4,जनसंख्‍या और खाद्यान्‍न समस्‍या,1,जहाँ डॉक्टर न हो,1,जितेन्‍द्र चौधरी जीतू,1,जी0 एम0 फ़सलें,1,जीवन की खोज,1,जेनेटिक फसलों के दुष्‍प्रभाव,1,जॉय एडम्सन,1,ज्योतिर्विज्ञान,1,ज्योतिष,1,ज्योतिष और विज्ञान,1,ठण्‍ड का आनंद,1,डॉ0 मनोज पटैरिया,1,तस्‍लीम विज्ञान गौरव सम्‍मान,1,द लिविंग फ्लेम,1,दकियानूसी सोच,1,दि इंटरप्रिटेशन ऑफ ड्रीम्स,1,दिल और दिमाग,1,दिव्य शक्ति,1,दुआ-तावीज,2,दैनिक जागरण,1,धुम्रपान निषेध,1,नई पहल,1,नारायण बारेठ,1,नारीवाद,3,निस्‍केयर,1,पटाखों से जलने पर क्‍या करें,1,पर्यावरण और हम,8,पीपुल्‍स समाचार,1,पुनर्जन्म,1,पृथ्‍वी दिवस,1,प्‍यार और मस्तिष्‍क,1,प्रकृति और हम,12,प्रदूषण,1,प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड,1,प्‍लांट हेल्‍थ क्‍लीनिक,1,प्लाज्मा,1,प्लेटलेटस,1,बचपन,1,बलात्‍कार और समाज,1,बाल साहित्‍य में नवलेखन,2,बाल सुरक्षा,1,बी0 प्रेमानन्‍द,4,बीबीसी,1,बैक्‍टीरिया,1,बॉडी स्कैनर,1,ब्रह्माण्‍ड में जीवन,1,ब्लॉग चर्चा,4,ब्‍लॉग्‍स इन मीडिया,1,भारत के महान वैज्ञानिक हरगोविंद खुराना,1,भारत डोगरा,1,भारत सरकार छात्रवृत्ति योजना,1,मंत्रों की अलौकिक शक्ति,1,मनु स्मृति,1,मनोज कुमार पाण्‍डेय,1,मलेरिया की औषधि,1,महाभारत,1,महामहिम राज्‍यपाल जी श्री राम नरेश यादव,1,महाविस्फोट,1,मानवजनित प्रदूषण,1,मिलावटी खून,1,मेरा पन्‍ना,1,युग दधीचि,1,यौन उत्पीड़न,1,यौन शिक्षा,1,यौन शोषण,1,रंगों की फुहार,1,रक्त,1,राष्ट्रीय पक्षी मोर,1,रूहानी ताकत,1,रेड-व्हाइट ब्लड सेल्स,1,लाइट हाउस,1,लोकार्पण समारोह,1,विज्ञान कथा,1,विज्ञान दिवस,2,विज्ञान संचार,1,विश्व एड्स दिवस,1,विषाणु,1,वैज्ञानिक मनोवृत्ति,1,शाकाहार/मांसाहार,1,शिवम मिश्र,1,संदीप,1,सगोत्र विवाह के फायदे,1,सत्य साईं बाबा,1,समगोत्री विवाह,1,समाचार पत्रों में ब्‍लॉगर सम्‍मेलन,1,समाज और हम,14,समुद्र मंथन,1,सर्प दंश,2,सर्प संसार,1,सर्वबाधा निवारण यंत्र,1,सर्वाधिक प्रदूशित शहर,1,सल्फाइड,1,सांप,1,सांप झाड़ने का मंत्र,1,साइंस ब्‍लॉगिंग कार्यशाला,10,साइक्लिंग का महत्‍व,1,सामाजिक चेतना,1,सुरक्षित दीपावली,1,सूत्रकृमि,1,सूर्य ग्रहण,1,स्‍कूल,1,स्टार वार,1,स्टीरॉयड,1,स्‍वाइन फ्लू,2,स्वास्थ्य चेतना,15,हठयोग,1,होलिका दहन,1,‍होली की मस्‍ती,1,Abhishap,4,abraham t kovoor,7,Agriculture,8,AISECT,11,Ank Vidhya,1,antibiotics,1,antivenom,3,apj,1,arshia science fiction,2,AS,26,ASDR,8,B. Premanand,5,Bal Kahani Lekhan Karyashala,1,Balsahitya men Navlekhan,2,Bharat Dogra,1,Bhoot Pret,7,Blogging,1,Bobs Award 2013,2,Books,57,Born Free,1,Bushra Alvera,1,Butterfly Fish,1,Chaetodon Auriga,1,Challenges,9,Chamatkar,1,Child Crisis,4,Children Science Fiction,2,CJ,1,Covid-19,7,current,1,D S Research Centre,1,DDM,5,dinesh-mishra,2,DM,6,Dr. Prashant Arya,1,dream analysis,1,Duwa taveez,1,Duwa-taveez,1,Earth,43,Earth Day,1,eco friendly crackers,1,Education,3,Electric Curent,1,electricfish,1,Elsa,1,Environment,32,Featured,5,flehmen response,1,Gansh Utsav,1,Government Scholarships,1,Great Indian Scientist Hargobind Khorana,1,Green House effect,1,Guest Article,5,Hast Rekha,1,Hathyog,1,Health,69,Health and Food,6,Health and Medicine,1,Healthy Foods,2,Hindi Vibhag,1,human,1,Human behavior,1,humancurrent,1,IBC,5,Indira Gandhi Rajbhasha Puraskar,1,International Bloggers Conference,5,Invention,9,Irfan Hyuman,1,ISRO,5,jacobson organ,1,Jadu Tona,3,Joy Adamson,1,julian assange,1,jyotirvigyan,1,Jyotish,11,Kaal Sarp Dosha Mantra,1,Kaal Sarp Yog Remady,1,KNP,2,Kranti Trivedi Smrati Diwas,1,lady wonder horse,1,Lal Kitab,1,Legends,12,life,2,Love at first site,1,Lucknow University,1,Magic Tricks,9,Magic Tricks in Hindi,9,magic-tricks,8,malaria mosquito,1,malaria prevention,1,man and electric,1,Manjit Singh Boparai,1,mansik bhram,1,media coverage,1,Meditation,1,Mental disease,1,MK,3,MMG,6,Moon,1,MS,3,mystery,1,Myth and Science,2,Nai Pahel,8,National Book Trust,3,Natural therapy,2,NCSTC,2,New Technology,10,NKG,74,Nobel Prize,7,Nuclear Energy,1,Nuclear Reactor,1,OPK,2,Opportunity,9,Otizm,1,paradise fish,1,personality development,1,PK,20,Plant health clinic,1,Power of Tantra-mantra,1,psychology of domestic violence,1,Punarjanm,1,Putra Prapti Mantra,1,Rajiv Gandhi Rashtriya Gyan Vigyan Puraskar,1,Report,9,Researches,2,RR,2,SBWG,3,SBWR,5,SBWS,3,Science and Technology,5,science blogging workshop,22,Science Blogs,1,Science Books,56,Science communication,22,Science Communication Through Blog Writing,7,Science Congress,1,Science Fiction,13,Science Fiction Articles,5,Science Fiction Books,5,Science Fiction Conference,8,Science Fiction Writing in Regional Languages,11,Science Times News and Views,2,science-books,1,science-puzzle,44,Scientific Awareness,5,Scientist,38,SCS,7,SD,4,secrets of octopus paul,1,sexual harassment,1,shirish-khare,4,SKS,11,SN,1,Social Challenge,1,Solar Eclipse,1,Steroid,1,Succesfull Treatment of Cancer,1,superpowers,1,Superstitions,51,Tantra-mantra,19,Tarak Bharti Prakashan,1,The interpretation of dreams,2,Tips,1,Tona Totka,3,tsaliim,9,Universe,27,Vigyan Prasar,33,Vishnu Prashad Chaturvedi,1,VPC,4,VS,6,Washikaran Mantra,1,Where There is No Doctor,1,wikileaks,1,Wildlife,12,Zakir Ali Rajnish Science Fiction,4,
ltr
item
Scientific World: सिर चढकर बोल रहा विज्ञान कथा का जादू !
सिर चढकर बोल रहा विज्ञान कथा का जादू !
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhVJWBULJHcRJq_aiUxSoAzN2gclqH9nWi3-Ru2XzG1IKnNVsTvCe7Y_TSVbKnSQ2ObR2gAS5D2avWrLz_YOF5ElQrwb199aByvvXdpG0ponBF009Wamyjpmdu8i_Ecvcle8odCMbCENZJZ/s320/_Shree+Times.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhVJWBULJHcRJq_aiUxSoAzN2gclqH9nWi3-Ru2XzG1IKnNVsTvCe7Y_TSVbKnSQ2ObR2gAS5D2avWrLz_YOF5ElQrwb199aByvvXdpG0ponBF009Wamyjpmdu8i_Ecvcle8odCMbCENZJZ/s72-c/_Shree+Times.jpg
Scientific World
https://www.scientificworld.in/2013/02/hindi-children-science-fiction.html
https://www.scientificworld.in/
https://www.scientificworld.in/
https://www.scientificworld.in/2013/02/hindi-children-science-fiction.html
true
3850451451784414859
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy