भारत में जिन मशीनों ने लोगों की जिंदगी को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है, उनमें मोबाइल सर्वोपरि है। लोगों की गहरी रूचि को देखते हुए आज वि...
भारत में जिन मशीनों ने लोगों की जिंदगी को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है, उनमें मोबाइल सर्वोपरि है। लोगों की गहरी रूचि को देखते हुए आज विभिन्न कम्पनियाँ प्रतिदिन नई-नई सुविधाओं और डिजाइन के मोबाईल लांच कर रही हैं। ये मोबाइल देखने में ही खूबसूरत नहीं होते, वजन में भी बेहद हल्के हाते हैं। पर यदि कोई आपसे यह कहे कि विश्व के पहले मोबाईल का वजन 35 किलो था, तो शायद आप चौंक से जाएं।
दुनिया में सबसे पहले मोबाईल प्रकार के टेलीफोन का परीक्षण का श्रेय स्वीडन पुलिस को जाता है। स्वीडन पुलिस ने यह परीक्षण 1946 में किया था। इसके लिए उन्होंने पुलिस की गाड़ी में एक विशेष उपकरण स्थापित किया था। इस मशीन द्वारा निकटतम टेलीफोन एक्सचेंज को फोन किया जा सकता था। इस मशीन को ही सर्वप्रथम ‘मोबाइल टेलीफोन सिस्टम’ कहकर सम्बोधित किया गया था, जिसका वजन लगभग 35 किलो था।
मोबाइल आज सम्पूर्ण विश्व का सर्वाधिक लोकप्रिय संचार माध्यम है। मोबाइल के अलावा वायरलेस, टेलीग्राफ, इंटरनेट एवं वीडियो कॉंन्फ्रेंसिंग भी आज के अन्य प्रचलित संचार के माध्यम हैं, जो एक व्यक्ति द्वारा विश्व के किसी भी कोने में रहकर दूसरे व्यक्ति से सम्पर्क बनाने के काम आते हैं। इन उपकरणों को दूरसंचार के उपकरण भी कहते हैं। चर्चित विज्ञान संचारक संतोष शुक्ला ने अपनी सद्य प्रकाशित पुस्तक ‘दूरसंचार’ में इन उपकरणों के इतिहास, कार्यविधि एवं उनकी विशेषताओं का विस्तार से वर्णन किया है।
संतोष शुक्ला पिछले दो दशकों से अधिक से विज्ञान लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हैं और समय-समय पर उनके विविध वैज्ञानिक विषयों पर लेख प्रकाशित होते रहते हैं। श्री शुक्ला वर्तमान में राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र में प्रधान प्रणाली विश्लेषक के पद पर कार्यरत हैं। अब तक उनकी ‘पर्सनल कम्प्यूटर’, ‘प्रणाली विश्लेषण’, ‘ऑपरेटिंग सिस्टम’, ‘सॉफ्टवेयर गुणवत्ता प्रबंधन’, ‘साइबर क्राइम’ तथा ‘पर्यावरण एक परिचय’ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
यह पुस्तक आईसेक्ट, भोपाल द्वारा मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद की ‘अनुसृजन परियोजना’ के अन्तर्गत निर्मित है, जिसमें कुल 10 अध्याय हैं:- 1-संचार एवं दूर संचार, 2-डाक सेवा, 3-टेलीग्राफ, 4-टेलीफोन, 5-वायरलेस, 6-उपग्रह संचार, 7-मोबाइल फोन, 8-इंटरनेट, 9-ई-मेल, 10-वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग।
‘अनुसृजन परियोजना’ के अन्तर्गत आईसेक्ट द्वारा कुल 13 पुस्तकें (भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम, प्राचीन भारत में वैज्ञानिक चिंतन, इलेक्ट्रानिक आधारित सामरिक सुरक्षा तकनीक, घर-घर में विज्ञान, भौतिकी की विकास यात्रा, नैनोटैक्नोलॉजी, जल संरक्षण, दूरसंचार, खनिज और मानव, वैकल्पिक ऊर्जा के स्त्रोत, खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण: दशा एवं दिशा तथा जैव विविधता संरक्षण) प्रकाशित हुई हैं।
पुस्तक पठनीय एवं संग्रहणीय है तथा विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।
पुस्तक: दूरसंचार
लेखक: संतोष शुक्ला
श्रृंखला संपादक: संतोष चौबे
प्रकाशक: आईसेक्ट, स्कोप कैम्पस, एन0एच0-12, होशंगाबाद रोड, भोपाल-26, फोन-0755-2499657, 3293214, ईमेल-aisect_bpl@sancharnet.in
मूल्य: 80 रूपये
jaankaareepurn sundar lekd...aabhaar.
जवाब देंहटाएंशुक्र है जी, मैं तो शीर्षक देख कर चौंक ही गया था।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएं---------
कल 29/07/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
३५ किलो के मोबाईल की जानकारी अद्भुत रही. संतोष शुक्ल जी द्वारा प्रकाशित पुस्तकों की जानकारी के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी.
जवाब देंहटाएंनायाब जानकारी दी है आपने।
जवाब देंहटाएं30 टन वाला कम्प्यूटर हो सकता है तो 35 किलो का मोबाइल भी। क्यों?
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी.
जवाब देंहटाएंसर्वप्रथम इस पुस्तक के बारे मे जानकारी के लिये जाकिर जी धन्यवाद। लेकिन इस पुस्तक को प्राप्ति का उपाय भी बताये ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढि़या ...।
जवाब देंहटाएंबढ़िया खबर दी है ....
जवाब देंहटाएंवाह अद्भुत जानकारी.
जवाब देंहटाएंनयी जानकारी मिली
जवाब देंहटाएंविश्वास नही होगा आज किसी को 35 किलो का मोबाइल पर ठीक वैसे ही जैसे आज के लैपटॉप का प्रपितामह पूरे कमरा भर का कंप्यूटर हुआ करता था ।
जवाब देंहटाएंसुंदर, जानकारी से भरा आलेख ।
कभी संदर्भ लेने के काम आएगा।
जवाब देंहटाएंjaankaareepurn sundar
जवाब देंहटाएंआइन्दा जन्म के समय बच्चे की दोनों बंद मुठ्ठी में एक -एक मोबाइल होगा .लघु से लघुतर होता जाएगा मोबाइल .रोचक जानकारी परक समीक्षा मोबाइल का सफर ३५ किलो -वजनी से बंद मुठ्ठी में छिपाने तक .
जवाब देंहटाएंSudhnsu ji, Kitaab prakashak se sampark krke mngaayi ja sakti hai.
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी जानकारी।
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