भारतीय जनमानस में तंत्र-मंत्र/रूहानी ताकतों की कुछ ऐसी प्रतिष्ठा है कि लोग इसके द्वारा कुछ भी कर दिखाने की बात सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं। ...
भारतीय जनमानस में तंत्र-मंत्र/रूहानी ताकतों की कुछ ऐसी प्रतिष्ठा है कि लोग इसके द्वारा कुछ भी कर दिखाने की बात सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं। यहाँ तक कि इसके द्वारा तांत्रिक/बाबा लोग ऑपरेशन भी सम्पन्न करने का दावा करते हैं। ऐसा ही एक दावा 1980 में फिलीपींस से आए एक तांत्रिक सर्जन ने भारत आकर किया था। कहते हैं उसने महाराष्ट्र के एक मंत्री की ऐसी शल्य क्रिया भी की थी, जिसकी उन दिनों अखबारों में खूब चर्चा हुई थी। (सत्य साईं बाबा ने भी डॉ0 भगवतम के बेटे और अन्य लोगों पर एक बार तांत्रिक शल्य क्रिया की थी। लेकिन बाद में उनकी मृत्यु उसी बीमारी के कारण हुई, जिसकी शल्य क्रिया साईं बाबा ने की थी।) फिलीपींस से आए बाबा जी का समाचार अखबारों में छपने के बाद जब उनकी शल्य क्रिया का परीक्षण करने के लिए हेतुवादियों ने उनसे सम्पर्क किया, तो वे भाग खड़े हुए।
ऐसे ही 2004 में उत्तरी कर्नाकट के बागलकोट जिले में असलम बाबा नामक एक रूहानी शल्य चिकित्सक पैदा हुए। वे बाकायदा कैंची से किसी भी बीमारी का ऑपरेशन कर दिया करते थे। उनका दावा था कि उनके ऊपर अल्लाह की रहमत है और वे किसी भी बीमारी को ठीक कर सकते हैं। धर्म में अंधश्रृद्धा रखने वाले लाखों लोग उनके पास जा पहुँचे (दुर्भाग्यवश उनमें मेरे कई नजदीकी रिश्तेदार भी शामिल थे)। हाथ की सफाई के विशेषज्ञ असलम बाबा ने लोगों को खूब बेवकूफ बनाया। बाद में जब कुछ लोगों ने उनकी कलाई खोल दी, तो वे ऐसे गायब हुए, जैसे गधे के सिर से सींग (देखें रिपोर्ट 01, 02)।
कैसे होती है तांत्रिक शल्य क्रिया ?
ऐसे में सवाल यह उठता है कि इस तरह के ढ़ोंगी लोग कैसे लोगों को बेवकूफ बना देते हैं। इसका सीधा सा जवाब है कि यह सिर्फ हाथ की सफाई है, जिसे कोई भी व्यक्ति थोडे से अभ्यास के बाद कर सकता है। इस शल्य क्रिया के लिए आपको सिर्फ कुछ सामान की आवश्यकता होगी। जैसे प्लास्टिक की छोटी सी थैली में पैक खून, किसी पशु का मांस का टुकड़ा या वह अंग, जिसे आप ऑपरेशन के द्वारा रोगी के शरीर से निकाल कर दिखाना चाहते हों और साथ ही रूई का एक गोला।
इस तरह की शल्य क्रिया करने वाले तांत्रिक/बाबा रोगी को जमीन पर लिटाने के बाद आँखें बंद करने को कहते हैं। वे प्लास्टिक की छोटी थैली को अपने हाथ में इस तरह से छिपा लेते हैं कि रोगी अथवा उसके साथ आया व्यक्ति (ऐसे लोगों को दूर रखकर ऐसा आसानी से किया जा सकता है) उसे न देख सके। रोगी के ऊपर एक कपड़ा डाल कर तांत्रिक कपडे के नीचे हाथ ले जाकर रोगी के शरीर को जोर-जोर से दबाता है। उसी दौरान वह खून की थैली को फोड़ देता है, जिससे खून बहने लगता है।
इसी दौरान वह अपने सहायक से खून पोंछने के लिए रूई का बड़ा सा गोला लेता है। उसी गोले के भीतर पशु के अंग/मांस का टुकड़ा आदि छिपे रहते हैं। तांत्रिक रूई को कपड़े के नीचे ले जाकर खून को पोंछने और शरीर के अंदर के खराब हो चुके रोगी के अंग को खींचकर निकालने का दिखावा करता है। और फिर रूई के बीच छिपा मांस/अंग दिखाकर ऑपरेशन सम्पन्न करने की बात कहता है। उसके बाद वह रूई से खून को साफ कर देता है और दुआ/मंत्र पढ़कर दैवी शक्ति से घाव को भरने के लिए प्रार्थना करने का नाटक करता है। और जब रोगी अपने शरीर से वह कपड़ा हटाता है, तो अपनी त्वचा को एकदम दुरूस्त पाकर भौंचक्का रह जाता है।
तो देखा आपने कि कितना आसान है तंत्र-मंत्र/दुआ के द्वारा लोगों को शल्य चिकित्सा करना के नाम पर बेवकूफ बनाना?
वैसे हमारे देश में तो लाखों लोग इसके लिए तैयार बैठे ही रहते हैं। बस असलम बाबा ने भी इसी तरह से लोगों को बेवकूफ बनाया था। यकीन न आए, तो आप यह वीडियो देख लें।
वैसे हमारे देश में तो लाखों लोग इसके लिए तैयार बैठे ही रहते हैं। बस असलम बाबा ने भी इसी तरह से लोगों को बेवकूफ बनाया था। यकीन न आए, तो आप यह वीडियो देख लें।
अब तो यकीन हुआ?
और आज के बाद गाँठ बाँध लें, किसी भी दुआ/तंत्र-मंत्र/रूहानी शक्ति/टोटके में ऐसी शक्ति नहीं होती, जिससे कोई बीमारी ठीक की जा सके, किसी का जहर उतारा जा सके अथवा किसी बीमारी का ऑपरेशन किया जा सके। यदि कोई व्यक्ति ऐसा कर रहा है, तो निश्चय ही वह बेवकूफ बना रहा है।
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जिन खोजा तिन पाइयां .अपढ़/अंध -विश्वासी जनता चमत्कार देखना चाहती है इसीलिए वह दिखलाई देता है .
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंयह भी अनोखा है भाई.
जवाब देंहटाएंI would like to congratulate the administration of this site. You people are doing a great job, keep it up.
जवाब देंहटाएंसुना तो था, आपकी खोजी नजर से देख भी लिया.
जवाब देंहटाएंअशिक्षित अमीर भी इन अंधविश्वासों में नहीं पड़ता। गरीब ही मजबूरी में इन अंधविश्वासों की शरण में जाता है। गरीबी ही वह अभिशाप है जो गरीब को सब तरफ से लूट का शिकार बना देती है।
जवाब देंहटाएंगरीबी का इलाज सोचना चाहिए, करना चाहिए।
बेहतर पोस्ट !
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंद्विवेदी जी, मैं ऐसे बहुत से लोगों को जानता हूं, जो कहीं से भी गरीब की श्रेणी में नहीं आते, बावजूद उसके इस तरह के चक्करों में हजारों रूपये बर्बाद कर चुके हैं। उसपर भी हैरत ये कि इसके बावजूद उनकी आंखें नहीं खुलीं हैं।
जवाब देंहटाएंऐसी किसी चिकित्सा के बारे में पहली बार ही जाना !
जवाब देंहटाएंSachet karati post....
जवाब देंहटाएंविडियो में देखा..असलम बाबा की 'करामात' देखी ही ...[बेवकूफों की] भीड़ देखकर आश्चर्य हो रहा है.
जवाब देंहटाएं--
विडियो सहित इस पोस्ट द्वारा अन्धविश्वास के उन्मूलन की दिशा में एक और सराहनीय कदम .
हा-हा-हा
जवाब देंहटाएंवीडियो अच्छा लगा
ऐसे ही सभी बाबाओं की पोल खुलनी चाहिये
प्रणाम
वाकई कितना आसान है तंत्र -मन्त्र द्वारा शल्य चिकित्सा करना ! :-)
जवाब देंहटाएंvah keya baat hai ji
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