(इमरजेंसी मोबाईल चार्जर) 20 रू0 की नोट से मोबाईल चार्ज करें पिछले दिनों एक सज्जन से मुलाकात हुई, तो वे बिना बिजली के मोबाई...
पिछले दिनों एक सज्जन से मुलाकात हुई, तो वे बिना बिजली के मोबाईल चार्ज करने का तरीका बताने लगे। वे बोले 20 रू0 की एक कड़ी नोट लीजिए। उसे एक कोने से (जिधर नंबर पड़ा हो) पतले कोन के रूप में इस तरह से लपेटें कि बाहर की ओर नंबर दिखता रहे। उसके बाद कोन को दबा कर चिपटा कर दें (आवश्यकता हो, तो उसे पतला बनाने के लिए एक बार बीच से मोड़ भी दें)। इसके बाद मोबाईल को ऑफ करके बैटरी निकाल लें। फिर उस नोट के नम्बर वाले सिरे को उस स्थान पर रखें, जहॉं पर बैटरी की पिन मोबाईल से टच करती है। उसके बाद बैटरी को यथा स्थान रखें और मोबाईल को ऑन कर दें। जैसे ही मोबाईल ऑन हो, नोट को बाहर खींच लें, आप देखेंगे कि बैटरी फुल चार्ज हो गयी है।
जिस व्यक्ति ने यह ट्रिक बताई, वह पेशे से इंजीनियर है और हमारे विभाग में ही काम करता है। लेकिन उसकी बातें सुनकर मेरा मन हुआ कि या तो इसका सिर पीट दूँ या फिर अपना। लेकिन ऐसा करने से पहले मैंने उस ट्रिक के बारे में और जान लेना उचित समझा। जब मैंने उनसे पूछा कि यह ट्रिक आपको किसने बताई, तो वे बोले हमारे गॉंव में एक बाबाजी आए थे, उन्होंने ही इसे करके दिखाया था।
मोबाईल चार्ज करने के दिव्य तरीके
इससे पहले कि आप अपने पर्स में 20 रू0 के नोट खोजने में व्यस्त हो जाएँ आपको मोबाईल चार्ज करने के दो दिव्य तरीके और बताता हूँ। दरअसल नोट से मोबाईल चार्ज करने की ट्रिक मुझे करीब दो माह पहले पता चली थी, मैंने सोचा था कि इस पर कभी पोस्ट लिखूँगा, लेकिन फिर यह बात ध्यान से ही निकल गयी। लेकिन पिछले सप्ताह एक ऐसी मजेदार बात हुई कि मैं यह पोस्ट लिखने के लिए मजबूर हो गया।
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मेरे पड़ोस में एक ठाकुर साहब रहते हैं। वे आजकल अपना मकान बनवा रहे हैं। इस वजह से उनके घर पर चहल पहल बनी रहती है। अभी पिछले संडे की बात है। दोपहर में भोजन करने के बाद जब मैं थोड़ा टहलने के बाद बाहर निकला, तो मैं भी उनके मकान की प्रोग्रेस देखने के लिउ वहीं खड़ा हो गया। उस समय मजदूरों ने भी अपने लंच की छुट्टी कर रखी थी। वे लोग एक जगह इकट्ठा होकर लंच कर रहे थे और बतियाते भी जा रहे थे।
अचानक उनकी बातें सुनकर मैं चौंका। मैंने देखा वहां मोबाईल चार्जिंग की बात चल रही थी, वह भी मंत्र से। एक लेबर दूसरे से कह रहा था- हमरे गांव के पंडिज्ज जी तो मंतर पढिके मोबाईल चारज (चार्ज) कर देत हैं। हम तो कई बार उनका अइसा करत देखे हन।
उसकी बात सुनकर दूसरा मजदूर कुछ अनमनाया और बोला- अउर का भइया, मंतर मा बडी़ शक्ति होत है। मंतर से मुर्दा इंसान जिन्दा होई जात हैं, तो ई ससुर मोबाइल कउन चीज है।
तभी तीसरा मजदूर जो शायद कुछ याद करने की कोशिश कर रहा था, एकदम से उसका चेहरा खिल उठा। वह बोला- हां, तुम सही कहत हो भइया। हमरे गांव के मोलबी साहेब बड़े कारसाज हैं। एक बार हमरे गांव के एक आदमी के रात मा अचानक तबियत खराब होइगे। डाकडर के जरूरत परी, मुला एक हफ्ता से ससुरी लाइट गाइब रहे, जीसे सब्बे मोबाइल मुर्दा परे रहें। तब मोलबी साहिब दुआ पढिके जइसे अपने मोबाइल पर फूंकिन, फट्टे बैटरी चारज (चार्ज) होइगे।
उनकी बात सुनकर मेरी हंसी निकलते-निकलते बची और तुरंत ही मुझे अपने ऑफिस के इंजीनियर साहब की याद आ गयी।
जिसने भी 20 रूपये के नोट से मोबाईल चार्ज करने की बात कही है, नि:संदेह वह चालाक व्यक्ति है। उसे मालूम है कि अव्वल तो 20 की नोट ही नहीं दिखती, दूसरी दिखती भी है तो एकदम तुड़ी-मुड़ी अवस्था में। तो जब तुम्हें 20 रूपये की कड़ी नोट मिलेगी ही नहीं, तो चार्ज करके उसे देखोगे भी कैसे? और अगर उसकी यह बात मान भी ली जाए कि उसने अपनी आंखों से मोबाईल को चार्ज होते देखा है, तो उसने शायद एक साधारण सी बात पर ध्यान नहीं दिया। जब मोबाईल में बैटरी लो शो हो रही हो, उस समय यदि सेट को एक बार ऑफ करके ऑन किया जाए, तो कभी-कभी बैटरी फुल चार्ज दिखाने लगता है। लेकिन अगर उसी समय कोई कॉल वगैरह कर ली जाए, तो बैटरी फिर से लो शो होने लगती है। और मोबाईल प्रयोग करने वाला लगभग हर व्यक्ति इस बात को जानता भी है।
अब सवाल यह उठता है कि इस सत्य के जानने के बावजूद लोग ऐसी बेसिर-पैर की बातों पर यकीन कैसे कर लेते हैं? इसके पीछे सिर्फ कारण सिर्फ एक ही कि हमारे समाज में सदियों से भेड़चाल की परम्परा ही है। यही कारण है कि लोग ऑंख बन्द करके बिना सोचे समझे दूसरों की बातों पर यकीन कर लेते हैं। बिना सोचे-विचारे किसी बात पर विश्वास करना ही अंधविश्वास कहलाता है। और दु:ख की बात यह है यह सिर्फ अनपढ़ मजदूरों में ही नहीं पढ़े-लिखे इंजीनियर और डॉक्टरों में भी गहरे तक पैठा हुआ है। यही कारण है कि चालाक लोग इसी अंधविश्वास का लाभ उठाकर कभी उन्हें इस तरफ से बेवकूफ बनाते हैं तो कभी मौका मिलने पर चूना भी लगाते हैं।
इसलिए यदि आप चाहते हैं कि भविष्य में कभी किसी के सामने बेवकूफ न बनें, तो किसी भी बात पर यकीन करने से पहले उसे अपने तर्क की कसौटी पर अवश्य कसें।
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मेरे पड़ोस में एक ठाकुर साहब रहते हैं। वे आजकल अपना मकान बनवा रहे हैं। इस वजह से उनके घर पर चहल पहल बनी रहती है। अभी पिछले संडे की बात है। दोपहर में भोजन करने के बाद जब मैं थोड़ा टहलने के बाद बाहर निकला, तो मैं भी उनके मकान की प्रोग्रेस देखने के लिउ वहीं खड़ा हो गया। उस समय मजदूरों ने भी अपने लंच की छुट्टी कर रखी थी। वे लोग एक जगह इकट्ठा होकर लंच कर रहे थे और बतियाते भी जा रहे थे।
अचानक उनकी बातें सुनकर मैं चौंका। मैंने देखा वहां मोबाईल चार्जिंग की बात चल रही थी, वह भी मंत्र से। एक लेबर दूसरे से कह रहा था- हमरे गांव के पंडिज्ज जी तो मंतर पढिके मोबाईल चारज (चार्ज) कर देत हैं। हम तो कई बार उनका अइसा करत देखे हन।
उसकी बात सुनकर दूसरा मजदूर कुछ अनमनाया और बोला- अउर का भइया, मंतर मा बडी़ शक्ति होत है। मंतर से मुर्दा इंसान जिन्दा होई जात हैं, तो ई ससुर मोबाइल कउन चीज है।
तभी तीसरा मजदूर जो शायद कुछ याद करने की कोशिश कर रहा था, एकदम से उसका चेहरा खिल उठा। वह बोला- हां, तुम सही कहत हो भइया। हमरे गांव के मोलबी साहेब बड़े कारसाज हैं। एक बार हमरे गांव के एक आदमी के रात मा अचानक तबियत खराब होइगे। डाकडर के जरूरत परी, मुला एक हफ्ता से ससुरी लाइट गाइब रहे, जीसे सब्बे मोबाइल मुर्दा परे रहें। तब मोलबी साहिब दुआ पढिके जइसे अपने मोबाइल पर फूंकिन, फट्टे बैटरी चारज (चार्ज) होइगे।
उनकी बात सुनकर मेरी हंसी निकलते-निकलते बची और तुरंत ही मुझे अपने ऑफिस के इंजीनियर साहब की याद आ गयी।
क्या सचमुच 20 की नोट / मंत्र / दुआ से मोबाईल चार्ज हो जाएगा?
अव्वल तो यह सवाल ही हास्यास्पद है। क्योंकि हम सब जानते हैं कि मोबाईल चार्ज करने ही नहीं बल्कि किसी भी काम को करने के लिए हमें ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऊर्जा के बारे में यह परम सत्य है कि उसे न तो पैदा किया जा सकता है न नष्ट किया जा सकता है। हॉं, उसका रूप परिवर्तित किया जा सकता है। इसी के साथ यह भी जानना जरूरी है कि ऊर्जा कोई मिट्टी का ढेर नहीं होती कि उसे कहीं भी रख दो। ऊर्जा को सुरक्षित रखने के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता होती है। सेल, बैटरी आदि ऊर्जा को स्टोर करने के लिए बनाए जाते हैं। ऊर्जा को स्टोर करने के लिए बैटरी अथवा सेल के अलावा नए माध्यम भी बनाए जा सकते हैं, जो छोटे और कम खर्च वाले भी हो सकते हैं। लेकिन भइये, नोट में भला ऊर्जा कहॉं से स्टोर कर लोगे? मोटी बुद्धि का आदमी भी यह समझ सकता है।जिसने भी 20 रूपये के नोट से मोबाईल चार्ज करने की बात कही है, नि:संदेह वह चालाक व्यक्ति है। उसे मालूम है कि अव्वल तो 20 की नोट ही नहीं दिखती, दूसरी दिखती भी है तो एकदम तुड़ी-मुड़ी अवस्था में। तो जब तुम्हें 20 रूपये की कड़ी नोट मिलेगी ही नहीं, तो चार्ज करके उसे देखोगे भी कैसे? और अगर उसकी यह बात मान भी ली जाए कि उसने अपनी आंखों से मोबाईल को चार्ज होते देखा है, तो उसने शायद एक साधारण सी बात पर ध्यान नहीं दिया। जब मोबाईल में बैटरी लो शो हो रही हो, उस समय यदि सेट को एक बार ऑफ करके ऑन किया जाए, तो कभी-कभी बैटरी फुल चार्ज दिखाने लगता है। लेकिन अगर उसी समय कोई कॉल वगैरह कर ली जाए, तो बैटरी फिर से लो शो होने लगती है। और मोबाईल प्रयोग करने वाला लगभग हर व्यक्ति इस बात को जानता भी है।
अब सवाल यह उठता है कि इस सत्य के जानने के बावजूद लोग ऐसी बेसिर-पैर की बातों पर यकीन कैसे कर लेते हैं? इसके पीछे सिर्फ कारण सिर्फ एक ही कि हमारे समाज में सदियों से भेड़चाल की परम्परा ही है। यही कारण है कि लोग ऑंख बन्द करके बिना सोचे समझे दूसरों की बातों पर यकीन कर लेते हैं। बिना सोचे-विचारे किसी बात पर विश्वास करना ही अंधविश्वास कहलाता है। और दु:ख की बात यह है यह सिर्फ अनपढ़ मजदूरों में ही नहीं पढ़े-लिखे इंजीनियर और डॉक्टरों में भी गहरे तक पैठा हुआ है। यही कारण है कि चालाक लोग इसी अंधविश्वास का लाभ उठाकर कभी उन्हें इस तरफ से बेवकूफ बनाते हैं तो कभी मौका मिलने पर चूना भी लगाते हैं।
इसलिए यदि आप चाहते हैं कि भविष्य में कभी किसी के सामने बेवकूफ न बनें, तो किसी भी बात पर यकीन करने से पहले उसे अपने तर्क की कसौटी पर अवश्य कसें।
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एक बात भारत के लोगों के लिए प्रचलित है हिंदुस्तान भेड़िया धसान | एक ने एक तरफ देखा की सब के सब बस उस और मुँह करके देखने लगते है, क्या किया जाये |
जवाब देंहटाएंअच्छा हुआ सौ का नोट नहीं लिया वरना ओवर चार्ज हो जाता !
जवाब देंहटाएंजय हो भारत
जवाब देंहटाएंजय हो भारत के इंजीनियर्स की :)
प्रणाम
जब इंजीनियर ऐसी बातें करेंगे, तो आप सोचिए कि वे किस क्वालिटी के घर बनाएंगे।
जवाब देंहटाएंयह सिर्फ अनपढ़ मजदूरों में ही नहीं पढ़े-लिखे इंजीनियर और डॉक्टरों में भी गहरे तक पैठा हुआ है।
जवाब देंहटाएंसही कह रहे हो भैया । कभी कभी हमें भी लोगों को समझाना मुश्किल हो जाता है कि चमत्कार कोई नहीं होता ।
अंधविश्वासों पर एक पोस्ट जल्दी ही लाने वाला हूँ जिसे देखकर /पढ़कर रौंगटे खड़े हो जायेंगे ।
धत तेरे की! मुझे तो लगा था कि आप सचमुच मोबाइल चार्ज करने का कोई नया तरीक़ा बताने जा रहे हैं.
जवाब देंहटाएंऐसे चमत्कार को दूर से नमस्कार।
जवाब देंहटाएंहैरत तब होती है जब पढ़े-लिखे लोग भी ऐसी बातों में विश्वास करने लगते हैं।
आज से 15-16 साल पहले दुनिया भर के मंदिरों में गणेश जी की मूर्तियों को लोगों ने तथाकथित रूप से दिन भर दूध पिलाया था। इस घटना का समर्थन करते हुए एक महाविद्यालय के भौतिकी के विभागाध्यक्ष ने समाचार-पत्र में एक लेख छपवाया। ...विज्ञान में उच्च शिक्षा प्राप्त कर भी चमत्कारों पर विश्वास करने वाले ऐसे लोग धन्य हैं...अशिक्षा और गरीबी को ही क्यों कोसें ?
खोदा पहाड़ निकली चुहिया ! जानकारी बहुत बढ़िया दी है अब तो दिमाग के दरवाजे खुल गए होंगे लोगो के |
जवाब देंहटाएंभैया कुछ भी कहो पोस्ट पढकर आनन्द आ गया। कैसे-कैसे विद्वान छिपे बैठे हैं हमारे गांव में। सच में आनन्द आ गया।
जवाब देंहटाएंसच है यह बात व्यापक रूप से व्याप्त है !
जवाब देंहटाएंजाकिर भाई आपने अंत में निराश कर दिया............ हम तो सोंचे थे सच में कोई नुकशा मिलने वाला है......
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा हा .............
जवाब देंहटाएंबड़ी विचित्र चीजें खोज के लाते हैं आप भी.
जवाब देंहटाएंखैर,आप जागरूक करने का काम कर रहे हैं वो भी तर्क के आधार पर ,ये बड़ी बात है
चौंका कर आकर्षित करने वाला शीर्षक, पोस्ट का मूल्यांकन तो पाठक कर ही रहे हैं, क्या कहूं.
जवाब देंहटाएंहमारे देश की प्रगति का जीता जगता उदहारण है ये
जवाब देंहटाएं:) :) ..बेवकूफ तो कोई भी बना दे बस बनने वाला होना चाहिए ....
जवाब देंहटाएंमोबाइल चार्ज करना ही पड़ता है क्या २० के कुछ नोट मुझे भी मिल सकेंगे ? :)
जवाब देंहटाएंभैया, बिना ऊर्जा के तो मोबाइल कैसे भी चार्ज न होवे। सब मंतर, जंतर करिकै देख लिहिन।
जवाब देंहटाएंपहले पहेल तो आपकी पोस्ट पढ़ी तो ऐसा लगा कि शायद कोई static current वाला funda होगा, मगर साथ ही दिमाग में ये भी ख्याल आया कि भला मोबाइल कैसे चार्ज हो सकता है, इतनी उर्जा थोरी न होता है, वो तो बस इतना होता होगा कि बहुत हलके कागज को उठा पाए...
जवाब देंहटाएंलेकिन जब आपकी पूरी पोस्ट पढ़ी तो मेरी हसी रोके नहीं रुक रही थी...
भई आप मानें या न मानें...
जवाब देंहटाएंमैं तो नेता को बस एक कार्टून दिखा देता हूं, वो फ़ुल्ली चार्ज हो जाता ....बस
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंJabtak Bluetoth ki hi tarah kisi suvidha se free mein mobile bhi charge nahin hone lag jate, aise pryog jari rahenge.
जवाब देंहटाएंएक दिन मेरे पास एक दोस्त आया कि देख, बीस के नोट से मोबाइल चार्ज हो रहा है। बिल्कुल यही ट्रिक दिखाई उसने भी। एक बार तो मैं हैरान-परेशान। कि इसकी बैटरी कुछ खाली थी, एकदम से फुल कैसे हो गयी। फिर जैसे ही दो-चार बटन दबाए गये, चार्जर की पोल खुलती चली गयी।
जवाब देंहटाएंज्ञानवर्धक पोस्ट.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया जाकिर भाई अंगूठा टेक लोगो की पोल खोलने क़ा पढ़े लिखे लोग भी झांसे में आ जाते है
जवाब देंहटाएंबधाई
--
बहुत बढ़िया जाकिर भाई अंगूठा टेक लोगो की पोल खोलने क़ा पढ़े लिखे लोग भी झांसे में आ जाते है
जवाब देंहटाएंबधाई
--
मेरी दिलचस्पी चार्ज में नहीं,री-चार्ज में है। देखिए,अगर कोई जुगाड़ हो सके।
जवाब देंहटाएं......आनन्द आ गया।
जवाब देंहटाएंपीपल के पत्ते से मोबाईल बैटरी चार्ज करने के बारे में हमने भी सुना था। लेकिन देखा नहीं।
जवाब देंहटाएंअब देखना पड़ेगा,मामला क्या था?
darshan lal ji,
जवाब देंहटाएंaap kis link ki baat kar rahe hain...
mujhe bataiye, this looks interesting..
And I am sure there is a trick..
I would like to check this...
Please e-mail me at yogesh249@gmail.com
शानदार ढंग से अपनी बात का आगाज कर आपने पोस्ट को अंजाम तक पढ़वा दिया।..बधाई।
जवाब देंहटाएंऐसा मैंने भी सुन रखा था......हे हे
जवाब देंहटाएंye sach hai ki battery charge ho jati hai.peepal ke patte aur neem ke patte se maine khud battery charge ki hui hai. aur shayad iske peeche karan kuch gharshan ka ho sakta hai. lekin ye jyada der tak nahi chalti aur kabhi to ek call poori hone bhi nahi degi.
जवाब देंहटाएंagar 20 k note s mob. charge hota to company charger k sath ek note b deti emargency k liye ha ha ha he he chutiye
जवाब देंहटाएंis tarah ke injinior ho to desh ka kamal ho gayega
जवाब देंहटाएंNote ya ptte ya kajaj se battery full chrge nhi hote ye ek teachnical loop ka fayda utha kr bewkoof bnane ki trick h ,
जवाब देंहटाएंJaisa ki aap jante ho ki mobile m or - ka socket hota ha uske beech m ek or soket hota jo indicator ka kam krta h jo btata h ki battery kitni. Charge h , sab log isi pr note lga dete h jisse mobile ko jankari nhi mil pati ki mobile kitna charge h or mobile full battery show krta hai.....
Note ya ptte ya kajaj se battery full chrge nhi hote ye ek teachnical loop ka fayda utha kr bewkoof bnane ki trick h ,
जवाब देंहटाएंJaisa ki aap jante ho ki mobile m + or - ka socket hota ha uske beech m ek or soket hota jo indicator ka kam krta h jo btata h ki battery kitni. Charge h , sab log isi pr note lga dete h jisse mobile ko jankari nhi mil pati ki mobile kitna charge h or mobile full battery show krta hai.....
aise log sirf india mai he ho sakte hai
जवाब देंहटाएंmahan hai aise log jo in bato ko mante hai
जवाब देंहटाएंbas karo bhai log ab murkh banana chod do
जवाब देंहटाएंek dusra bhi karan hai 'sort lagna'
जवाब देंहटाएंbhai log Asia kuch nhi hota hai.agar aisa hota toh hume urza ki jaroorat nhi padti na .sab kahavte batate hai.
जवाब देंहटाएंसही बात है भाई भारत में पड़े लिखे गवार भी है
जवाब देंहटाएंअच्छी पोस्ट है भाई
जवाब देंहटाएंचोखो छ
जवाब देंहटाएंचोखो छ
जवाब देंहटाएं