चिडियों को आसमान में उडते हुए देखकर सबसे पहले मनुष्यों के मन में उड़ने की इच्छा जागी। पहले कृत्रिम पंखों को बॉंध कर उड़ने का प्रयास किया ...
चिडियों को आसमान में उडते हुए देखकर सबसे पहले मनुष्यों के मन में उड़ने की इच्छा जागी। पहले कृत्रिम पंखों को बॉंध कर उड़ने का प्रयास किया गया, फिर ग्लाइडर आदि से होता हुई यह कोशिशें राइट बंधुओं तक पहुंचीं। इन सबके बीच अनेकानेक प्रयत्न हैं, अनेकानेक कुर्बानियॉं है। और अंतत: मानव से हवाई जहाज बनाकर अपना यह चिरप्रतीक्षित सपना साकार कर ही दिखाया। आज हमारे एक ओर जहॉं मानव रहित अति सूक्ष्म विमान हैं, तो दूसरी ओर दुनिया के इतने भारी भरकम जहाज भी, जिनमें पूरे के पूरे मोहल्ले ही समा जाऍं।
हवाई जहाज के विकास के साथ ही जहॉं मनुष्य को परिवहन का उत्कृष्ट साधन उपलब्ध हुआ, वहीं उसके द्वारा रोजगार के एक ऐसे क्षेत्र का भी विकास हुआ, जो पैसा और मान सम्मान दोनों ही दृष्टियों से उत्तम माना जाता है। पर क्या आपने कभी सोचा है कि आसमान में परिंदो को मात देते इन हवाई जहाजों के संचालन के लिए मनुष्यों को कितनी मशक्कत करनी पडती है।
अगर आपको यह सब जानना हो, तो इसके लिए बिमल कुमार श्रीवास्तव लिखित और ‘विज्ञान प्रसार’ द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘आधुनिक हवाई अडडे’ इसके लिए सबसे अच्छा माध्यम है। देश के जाने माने विज्ञान संचारक डा0 सुबोध मोहंती एवं मनीष मोहन गोरे के पर्यवेक्षण एवं देवेन्द्र मेवाड़ी के सम्पादन में प्रकाशित यह पुस्तक हवाई अडडों और उससे जुड़ी चीजों को एक साथ उपलब्ध करा देता है।
बेहद सरल एवं प्रवाहपूर्ण शैली में लिखी गयी यह पुस्तक कुल बारह अध्यायों मे विभक्त है, जिनके नाम क्रमश इस प्रकार हैं- नागरिक तथा सैनिक हवाई अडडे, रेडियो संचालित सेवाऍं, उपकरण अवतरण प्रणाली, हवाई अडडा निर्माण योजना, वायु सम्बंधी क्षेत्र का विकास, भूमि सम्बंधी क्षेत्र का विकास, भारतीय विमान तल तथा उनकी प्रबंध व्यवस्था, देश के अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अडडे, देश के आदर्श हवाई अडडे, हवाई अडडों का निजीकरण, विश्व के सुप्रसिद्ध हवाई हवाई अडडे एवं हॉंग कॉंग का नवनिर्मित ‘चेक लैप कोक’ विमान तल इंजीनियरिंग का महान चमत्कार।
अगर आपको यह सब जानना हो, तो इसके लिए बिमल कुमार श्रीवास्तव लिखित और ‘विज्ञान प्रसार’ द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘आधुनिक हवाई अडडे’ इसके लिए सबसे अच्छा माध्यम है। देश के जाने माने विज्ञान संचारक डा0 सुबोध मोहंती एवं मनीष मोहन गोरे के पर्यवेक्षण एवं देवेन्द्र मेवाड़ी के सम्पादन में प्रकाशित यह पुस्तक हवाई अडडों और उससे जुड़ी चीजों को एक साथ उपलब्ध करा देता है।
बेहद सरल एवं प्रवाहपूर्ण शैली में लिखी गयी यह पुस्तक कुल बारह अध्यायों मे विभक्त है, जिनके नाम क्रमश इस प्रकार हैं- नागरिक तथा सैनिक हवाई अडडे, रेडियो संचालित सेवाऍं, उपकरण अवतरण प्रणाली, हवाई अडडा निर्माण योजना, वायु सम्बंधी क्षेत्र का विकास, भूमि सम्बंधी क्षेत्र का विकास, भारतीय विमान तल तथा उनकी प्रबंध व्यवस्था, देश के अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अडडे, देश के आदर्श हवाई अडडे, हवाई अडडों का निजीकरण, विश्व के सुप्रसिद्ध हवाई हवाई अडडे एवं हॉंग कॉंग का नवनिर्मित ‘चेक लैप कोक’ विमान तल इंजीनियरिंग का महान चमत्कार।
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, नई दिल्ली के पूर्व जनरल मैनेजर श्री बिमल कुमार श्रीवास्तव एक जाने माने विज्ञान लेखक हैं, जो अपनी विमान सम्बंधी अनेक पुस्तकों के कारण नागर विमानन मंत्रालय तथा महाममहिम राष्ट्रपति के द्वारा अनेक बार पुरस्कृत हो चुके हैं। उनकी अन्य प्रमुख पुस्तकें हैं पक्षी और विमान दुर्घटनाऍं, विमान सुरक्षा तथा आधुनिक हवाई अडडे एवं एविएशन टेररिज्म। विज्ञान प्रसार, जोकि देश में वैज्ञानिक चेतना जगाने के लिए समर्पित एक सरकारी संगठन है, के द्वारा लगातार इस तरह की लोकोपयोगी पुस्तकों का प्रकाशन प्रसन्नता का विषय है। इसके लिए उसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है।
पुस्तक- आधुनिक हवाई अडडे
लेखक- बिमल कुमार श्रीवास्तव
प्रकाशक- विज्ञान प्रसार, ए 50, इंस्टीटयूशनल एरिया, सेक्टर 62, नोएडा 201307 उ0प्र0, भारत।
फोन- 0120 2404430, 35
मूल्य- 250 रूपये
पृष्ठ- २०७
पठनीय एवं उपयोगी पुस्तक प्रतीत होती है। पढकर प्रसन्नता होगी।
जवाब देंहटाएंआसमान में उड़ना अपने आप में ही एक रोमाच की अनुभूति है .....हवाई जहाज के आविष्कार ने इस सपने को सार्थक किया है...बहुत ही रोचक आलेख , बिमल कुमार श्रीवास्तव लिखित और ‘विज्ञान प्रसार’ द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘आधुनिक हवाई अडडे’ से रूबरू करने का आभार....कोशिश रहेगी इस पुस्तक को पढा जाये.."
जवाब देंहटाएंRegards
पुस्तक उपयोगी लगती है
जवाब देंहटाएंसमीक्षा यही बतलाती है
पर आसमान में खुद
उड़ सकें
ऐसी संभावना कब होगी
नहीं बतलाती है।
Vaki Rochak Dastaan hai...
जवाब देंहटाएंउपयोगी पुस्तक प्रतीत होती है।
जवाब देंहटाएंsir, namskaar... kaaphi dino se ek aise blog ki khoj me tha jo worthy jaankaari provide karati ho ...ab yaha aaker saadh puri hui. really i am very exited.
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा जानकारी है.
जवाब देंहटाएंरोचक लगी यह पुस्तक ..इसके बारे में बताने का शुक्रिया
जवाब देंहटाएंउपयोगी पुस्तक है. अच्छी जानकारी दी आपने.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है।
जवाब देंहटाएंKaash Pankh Kritrim Na Hoker Hmare Apne Hote To Kitna Aanand Aata. Hai N...Badhai
जवाब देंहटाएंसमीक्षा से तुरंत पुस्तक पढनें की इच्छा हो आई .अभी मनीष भाई से पुस्तक प्राप्ति के बारे में बात करता हूँ .आपको भी बधाई कि आपने भी अच्छा लिखा है .
जवाब देंहटाएंअच्छी समीक्षा.
जवाब देंहटाएंहिन्दी में तो इस प्रकार की पुस्तकों का टोटा है। अत: बहुत स्वागत योग्य बात बताई इस पोस्ट से। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसमीक्षा रोचक लगी...
जवाब देंहटाएंbahut hi rochak hogi yah pustak..
जवाब देंहटाएंpustak ki sameeksha aur parichay hetu dhnywaad
बढ़िया प्रस्तुति के लिये साधुवाद...
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति के लिये साधुवाद...
जवाब देंहटाएंउपयोगी पुस्तक की जानकारी के लिए आभारी हैं
जवाब देंहटाएंसादर
who is going to buy this book at Rs.250? nobody. With this price tag, it is obvious that the book is not meant for you and i. Instead, the publishers would like to dump the book in the libraries.
जवाब देंहटाएं2. Zakir bhai, why do you review books of only a particular publication house?
shamimuddin
pustak ki rochak sameeksa ke liye aapko sadhu vaad
जवाब देंहटाएंशमीम भाई, हिन्दी में वैसे ही विज्ञान विषयक किताबें कम हैं, इसलिए इस तरह की किताबों का छपना ही महत्वपूर्ण है।
जवाब देंहटाएंअगर आप इस तरह की किताबों के दाम की तुलना अंग्रेजी किताबों से करें, तो हिन्दी किताबें फिरभी सस्ती हैं। जिन्हें पढना होगा, वे खरीदेंगे ही।
जहॉं तक विज्ञान प्रसार की किताबों की समीक्षा की बात है, वे स्वयं समीक्षा के लिए किताबें भेजते हैं। इसीलिए अभी तक सिर्फ विज्ञान प्रसार की किताबों की ही समीक्षा तस्लीम पर आई है।
मैं आठ अप्रैल को दिल्ली आ रहा हूं, शाम को राष्ट्रपति जी से भेंट का समय मिला है। नौ की शाम को वापसी है। हो सका, तो मुलाकात करूंगा, नहीं तो फोन से तो बात होगी ही।
nice information
जवाब देंहटाएंकाफी उपयोगी जानकारी लगी
जवाब देंहटाएंदेने के लिए शुक्रिया