वैज्ञानिक सोच विकसित करने वाली कहानियां : डॉ. राकेश चंद्रा
चॉकलेट चोर: वैज्ञानिक सोच विकसित करने वाली कहानियां
-डॉ. राकेश चंद्रा
'चॉकलेट चोर' बाल साहित्यकार जाकिर अली 'रजनीश' का वर्ष 2019 में विज्ञान प्रसार द्वारा प्रकाशित बाल कहानी-संग्रह है, जिसमें विज्ञान पर आधारित 11 कहानियाँ संग्रहीत हैं। 74 पृष्ठों की इस पुस्तक का रंंगीन आवरण पृष्ठ श्री प्रदीप कुमार एवं भीतर के श्वेत-श्याम चित्र डा. मनीष मोहन गोरे द्वारा निर्मित हैं।
किसी भी भाषा में विज्ञान आधारित कथा लेखन आसान कार्य नहीं है, बच्चों के लिए लिखना तो और भी कठिन है। इसके लिए लेखक का स्वयं विषय से भली-भाँति भिज्ञ होना अत्यंत आवश्यक है। फिर भाषा पर अच्छी पकड़ होना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। बच्चों के लिए लिखते समय इन दो बातों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। लेखक की यह पुस्तक उक्त दोनो कसौटियों पर खरी उतरती है। उदाहरण स्वरूप, गणित के सामान्य से सिद्धांत को व्यवहारिक समस्या से जोड़कर कितने रोचक ढंग से प्रस्तुत किया जा सकता है इसकी बानगी कहानी 'ब्रेकिंग न्यूज' में देखी जा सकती है। गणित के अध्यापक जब अफवाह फैलने की गति का गणितीय विश्लेषण करते हैं तो छात्रों को यह समझने में देर नहीं लगती है कि अफवाह किस सीमा तक एवं कितने कम समय में किसी व्यक्ति को हानि पहुँचा सकती है। इस कहानी का प्रसार अधिक से अधिक बाल पाठकों के मध्य होना चाहिए। यह वर्तमान समय की ज्वलंत समस्या है।
संग्रह की पहली कहानी 'चाकलेट चोर' भी उल्लेखनीय है जिसमें पॉलीग्राफ मशीन का उपयोग करके चाकलेट चोर का पता लगाया जाता है जो अन्तत: घर का पालतू कुत्ता टामी निकलता है। यूं तो इस यंत्र का उपयोग पुलिस द्वारा अपराध अनुसंधान के दौरान पूूछताछ में कहे गए अभिकथन की सत्यता परखने के लिए किया जाता है, पर घर में टाफी की चोरी पकड़ने के लिए इसका प्रयोग अत्यंत रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। लेखक की तीन कहानियाँ चमत्कार के नाम पर अन्धविश्वास को फैैलाकर अपना उल्लू सीधा करने वाले तथाकथित बहुरूपियों की करतूतों को विज्ञान के सिद्धांतों की मदद से अनावृत्त करती हैं। ये कहानियाँ हैं 'चमत्कार',' 'मन की मुराद' व 'विज्ञान का चमत्कार'। इन कहानियों में उन ढोंगी बाबाओं के छोटे-छोटे कारनामों को उजागर किया गया है जिन्हें चमत्कार का नाम दिया जाता है। वस्तुत: ये सभी वैज्ञानिक प्रयोगों एवं हाथ की सफाई पर आधारित होते हैं। लेखक ने पूरी कुशलता से इन वैज्ञानिक सिद्धांतों की सरल शब्दों में व्यक्त किया है जो बाल पाठकों के लिए न केवल शिक्षाप्रद है बल्कि उन्हें संस्कारित भी करती है।
वर्तमान समय में कम्प्यूटर, लैपटाप, मोबाइल आदि का प्रयोग आमबात हो गई है। बच्चे तो इनका उपयोग बहुतायत से करते हैं जिसके परिणामस्वरूप अनेक प्रकार की शारीरिक व मानसिक समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। पर यदि इनका उपयोग किसी समस्या विशेषकर संकट के समय किया जाए तो ये इलेक्ट्रॉनिक उपकरण अत्यंत लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं। इसका प्रमाण लेखक ने अपनी कहानी 'कम्प्यूटर का कमाल' में दिया है जिसमें कथानायक बालक विवेक घर में घुस आये अवांछित बदमाशों से निपटने के लिए अपने कम्प्यूटर पर पुलिस अधिकारी को ई-मेल के माध्यम से इसकी सूचना देता है और कुछ समय में ही सभी बदमाश पुलिस बल द्वारा पकड़ लिए जाते हैं। यह कहानी निश्चित रूप से बाल पाठकों को कम्प्यूटर आदि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के रचनात्मक उपयोग की ओर प्रेरित करेगी।
संग्रह की एक अन्य कहानी 'छोटी सी बात' बाल पाठकों के लिए मार्गदर्शक है जिसमें यह दर्शाया गया है कि मनुष्य को अन्य प्राणियों की तुलना में श्रेष्ठ नहीं समझना चाहिए क्योंकि ईश्वर ने सबको कुछ न कुछ विशिष्ट गुणों से अलंकृत किया है। 'एक नई शुरुआत' व 'पीली दुनिया' फैंटेसी पर आधारित हैं। वस्तुत: विज्ञान-आधारित लेखन को लोकप्रिय बनाने में फैंटेसी का महत्वपूर्ण योगदान है। अँग्रेजी एवं अन्य यूरोपीय भाषाओं में कई लेखकों ने विज्ञान-आधारित लेखन में फैंटेसी का सुन्दर प्रयोग करते हुए कालजयी कृतियाँ प्रस्तुत की हैं। ऐसी रचनाऐं बाल पाठकों में जिज्ञासा जगाती हैं और वे इन्हें बड़े चाव से पढ़ते हैं।
कहानी 'आज नहीं तो कल' भविष्य के प्रति आशा जगाती है और बच्चों में यह भाव जाग्रत करती है कि उन्हें ही कल विज्ञान के प्रसार में अग्रणी भूमिका निभानी होगी। दूसरे शब्दों में उन्हें भविष्य का वैज्ञानिक बनने हेतु प्रेरित करती है। कहानी 'दूर की कौड़ी' आज के समय की सबसे बड़ी विभीषिका अर्थात पर्यावरण प्रदूषण और उससे उत्पन्न जलवायु परिवर्तन की ओर पाठकों का ध्यान केन्द्रित करती है। इस परिप्रेक्ष्य में यह महत्वपूर्ण है कि जो क्षति पर्यावरण को हो चुकी है उसे भविष्य में न होने दिया जाए, इस बारे में सोच विकसित करना अधिक आवश्यक है।
संग्रह की सभी कहानियाँ उद्देश्यपरक एवं ज्वलंत वैज्ञानिक विषयों पर आधारित हैं जो बाल पाठकों का न केवल मनोरंजन करेंगी वरन उन्हें चिंतन हेतु विचार-बिन्दु भी प्रस्तुत करेंगी। कहानियों में गम्भीर वैज्ञानिक विषयों को भी बाल पाठकों के लिए सरल एवं बोलचाल की भाषा में समझाया गया है। बच्चों को विज्ञान से जोड़ने के लिए इसी प्रकार के रचनात्मक लेखन की आवश्यकता है। आशा की जानी चाहिए कि यह पुस्तक बाल पाठकों के मानस-पटल पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में अवश्य सफल होगी। साथ ही साथ उनमें वैज्ञानिक सोच विकसित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
संग्रह की सभी कहानियाँ उद्देश्यपरक एवं ज्वलंत वैज्ञानिक विषयों पर आधारित हैं जो बाल पाठकों का न केवल मनोरंजन करेंगी वरन उन्हें चिंतन हेतु विचार-बिन्दु भी प्रस्तुत करेंगी। कहानियों में गम्भीर वैज्ञानिक विषयों को भी बाल पाठकों के लिए सरल एवं बोलचाल की भाषा में समझाया गया है। बच्चों को विज्ञान से जोड़ने के लिए इसी प्रकार के रचनात्मक लेखन की आवश्यकता है। आशा की जानी चाहिए कि यह पुस्तक बाल पाठकों के मानस-पटल पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में अवश्य सफल होगी। साथ ही साथ उनमें वैज्ञानिक सोच विकसित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
-लेखक परिचय-

डॉ. राकेश चंद्रा साहित्यिक अभिरूचि सम्पन्न सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी हैं। आपकी कविता के साथ ही ललित निबंधों में गहरी रूचि है। डॉ. चंद्रा की अब तक चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें कविता संग्रह 'मेरे शहर में' तथा ललित निबंध संग्रह 'सुन भाई साधो' प्रमुख हैं। आपको अनेक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत/सम्मानित किया जा चुका है। डॉ. राकेश चंद्रा से निम्न मेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है: rakeshchandra.81@gmail.com
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