Chuninda Vigyan Kathayen - Selected Science Fiction Stories
रोचकता से भरपूर चुनिंदा विज्ञान कथाएं
भारतीय विज्ञान कथाओं की बात की जाए, तो बंगला और मराठी का विज्ञान कथा साहित्य हिंदी की तुलना में काफी समृद्ध है। यद्यपि हिंदी विज्ञान कथा की शुरूआत सन 1900 में ‘चंद्रलोक की यात्रा’ (1900) से हो गयी थी, किन्तु इसके बावजूद हिंदी में स्तरीय विज्ञान कथाओं का नितांत अभाव देखने को मिलता है। यही कारण है कि सौ साल से अधिक का समय व्यतीत हो जाने के बावजूद हिंदी में विज्ञान कथाओं को लेकर काफी भ्रम की स्थिति है। कुछ लोग जहां रोचक शैली में लिखे गये जानकारीपरक वैज्ञानिक लेख को विज्ञान कथा कह देते हैं, वहीं कुछ रचनाकार विज्ञान के उपकरणों पर केंद्रित कहानियों को विज्ञान कथा समझने लगते हैं।ऐसे माहौल में विज्ञान प्रसार, नोएडा से ‘चुनिंदा विज्ञान कथाएं’ नामक विज्ञान कथा संग्रह का प्रकाशन बेहद उत्साहवर्धक है। ‘चुनिंदा विज्ञान कथाएं’ में 6 विज्ञान कथाएं संग्रहीत हैं, जो विश्व के 6 चर्चित विज्ञान कथाकारों की चुनिंदा रचनाओं का स्वातंत्र भावानुवाद हैं। आलोच्य संग्रह में जालसाजी, प्रत्युत्तर, विस्यिम लोक, केकड़ों का युद्ध, मस्त मौला और बियांबा नामक विज्ञान कथाएं संग्रहीत हैं, जो अलग-अलग विषयों पर आधारित हैं। प्रत्येक कथा के प्रारम्भ में उसके सम्बंध में संक्षिप्त जानकारी भी दी गयी है, जिससे कथा को समझने में मदद मिलती है।
संग्रह की पहली कहानी ‘जालसाजी’ एक बेहद रोमांचक और औत्सुक्यपूर्ण रचना है, जिसमें अंतरिक्ष यात्राओं के दौरान मिलने वाली एक रहस्यमय सभ्यता के प्राणियों को केंद्र में रखकर कथानक का सृजन किया गया है। इस कहानी के मूल लेखक अमेरिकी विज्ञान कथाकार एलन ई. नौर्स Alan E. Nourse हैं। यह कहानी उनकी बेहद चर्चित विज्ञान कथा ‘काउन्टनरफीट’ Counterfeit का भावानुवाद है।
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संग्रह की दूसरी कहानी ‘प्रत्युत्तर’ श्रीलंका के रहने वाले ब्रिटिश मूल के विज्ञान कथाकार ऑर्थर सी. क्ला र्क Arthur C. Clarke की लोकप्रिय विज्ञान कथा ‘लूप होल’ Loophole का भावानुवाद है। यह कहानी पत्र शैली में लिखी गयी है, जिसमें 1940 के दशक में प्रचलित मंगल ग्रह पर जीवन की धारणा को आधार बनाया गया है।
‘विस्मय लोक’ संग्रह की तीसरी विज्ञान कथा है। यह रचना अमेरिकी वैज्ञानिक प्रो. जॉर्ज गैमो Pro Surge Gamo की विज्ञान कथा श्रृंखला ‘मिस्टर टाम्पकिंग इन वन्डारलैंड’ Mister Tampking in Wonderland की एक कथा पर आधारित है। प्रो. गैमो एक विख्यात विज्ञान संचारक हैं और कलिंग पुरस्कार से सम्मानित हैं। आपने इस कथा के माध्यम से यह दिखा दिया है कि विज्ञान कथाएं भी विज्ञान शिक्षण का माध्यम बन सकती हैं।
चौथी विज्ञान कथा ‘केकड़ों का युद्ध’ रूसी विज्ञान कथाकार अनातोली द्नेप्रोव Anatoly Dneprov के उपन्या स ’द इन्वे ज़न ऑफ द क्रेब्स’ The Invasion of the Krebs का संक्षिप्त हिंदी रूपांतर है। यह विज्ञान कथा विकासवाद पर आधारित ऐसी मशीनों की कहानी है, जो बेलगाम हो जाती हैं और अपने सर्जक का ही संहार कर बैठती हैं। यह विज्ञान कथा मानव जीवन में दिन प्रतिदिन बढ़ते मशीनों के दखल के खतरों के प्रति आगाह करती है और बेहद समीचीन लगती है।
संग्रह की पांचवी विज्ञान कथा ‘मस्त मौला’ एक लम्बी रचना है। यह रचना रूसी विज्ञान कथाकार अलेक्जें डर रोमानोविच बेलायेव Alexander Romanovich Belyaev की विज्ञान कथा श्रृंखला ‘प्रोफसर वेग्नर के आविष्कार’ Pro Verna Invention की एक चर्चित कहानी ‘होयटी-टोयटी’ Hoity-Toity का भावानुवाद है। यह कहानी डायरी शैली में लिखी गयी है। आलोच्य विज्ञान कथा में मस्तिष्क प्रत्यारोपण को आधार बनाया गया है तथा मनुष्यों द्वारा जानवरों के प्रति की जाने वाली क्रूरताओं का वर्णन संवेदनशीलता के साथ किया गया है।
संग्रह की अंतिम विज्ञान कथा ‘बियांबा’ अमेरिकी विज्ञान कथाकार रे डगलस ब्रैडबरी Ray Douglas Bradbury की चर्चित कहानी ‘वेल्ड’ The Veldt का भावानुवाद है। कहानी में वैज्ञानिक सुविधाओं और उसके दुष्परिणाओं का सूक्ष्मतापूर्वक चित्रण किया गया है। साथ ही रचना में मनोविज्ञान का भी सुंदर प्रयोग हुआ है, जिसके कारण कहानी पाठकों को बांधने में सफल रहती है।
संग्रह के संयोजक और अनुवादक राम शरण दास मूलत: भौतिक विज्ञान के शिक्षक रहे हैं और शिक्षण के साथ-साथ विभिन्नह कार्यशालाओं से सम्बंधित लेखन और सम्पादन करते रहे हैं। इसके अलावा त्रैमासिक विज्ञान प्रत्रिका ‘विज्ञान आपके लिए’ के संपादक हैं। आपकी कई पुस्तकें प्रकाशित हैं और अनेक पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं।
यह पुस्तक विज्ञान संचार के लिए समर्पित संस्था विज्ञान प्रसार, नोएडा द्वारा प्रकाशित हुई है, जो विज्ञान संचार के क्षेत्र में एक जाना-माना नाम है। विज्ञान प्रसार ने गत वर्षों में हिंदी एवं अंग्रेजी में दर्जनों स्तरीय विज्ञान विषयक पुस्तकों का प्रकाशन किया है। यह पुस्तक भी उसी श्रृंखला को आगे बढ़ाती है। संग्रह में संकलित सभी विज्ञान कथाएं रोचक एवं विविधता से भरपूर हैं और विज्ञान कथाओं के स्वरूप को समझाने में बेहद मददगार हैं।
पुस्तक विज्ञान के छात्रों और विज्ञान कथा प्रेमियों के लिए किसी सौगात के समान है। पुस्तक के संदर्भ में यह उल्लेखनीय है कि आमतौर से हमें पस्तकों के शब्द्श: अनुवाद देखने को मिलते हैं, किन्तु यह पुस्तक विभिन्न रचनाओं के भावानुवाद का संग्रह है, जो हिंदी भाषी पाठकों की सोच और समझ से अनुसार तैयार किया गया है। यही कारण है कि रचनाओं का परिवेश विदेशी होने के बावजूद वे अनचीन्हे और आयातित नहीं प्रतीत होतीं। रचनाओं का चयन और भाषाई सीमा कहीं भी पाठकों के लिए बाधक नहीं बनती। इसके लिए अनुवादक निश्चय ही बधाई का पात्र है।
आशा है कि आलोच्य पुस्तक 'चुनिंदा विज्ञान कथाएं' हिंदी पाठकों को पसंद आएगी और विज्ञान कथाओं के वैश्विक फलक से परिचित कराने में मददगार साबित होगी।
पुस्तक- चुनिंदा विज्ञान कथाएं
भावानुवाद- राम शरण दास
प्रकाशक- विज्ञान प्रसार, ए 50, इंस्टिट्यूशनल एरिया, सेक्टर-62, नोएडा-201309 ईमेल- info@vigyanprasar.gov.in
पृष्ठ सं0- 82
मूल्य- 70
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