प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रोफेसर एन.आर. मेनन नहीं रहे नवनीत कुमार गुप्ता प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रोफेसर एन.आर. मेनन ( Prof N.R. Menon ) का ...
प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रोफेसर एन.आर. मेनन नहीं रहे
नवनीत कुमार गुप्ता
प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रोफेसर एन.आर. मेनन (Prof N.R. Menon) का 19 मार्च को 76 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका सामुद्रिक विज्ञान में अहम योगदान था। वह कोचीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (Cochin University of Science And Technology (Cusat)) में इमरिटस प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थे।
मंगलौर फिशरीज कॉलेज (Mangalore Fisheries College) में सहायक प्रोफेसर के रूप में अपना कैरियर शुरू करने वाले प्रोफेसर एन.आर. मेनन ने, बाद में कोचीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में समुद्री जीवविज्ञान (Department of Marine Biology), माइक्रोबायोलॉजी (Microbiology) और बायोकैमिस्ट्री (Biochemistry) विभाग का नेतृत्व किया। उन्होंने यूनिवर्सिटी के कुलसचिव (प्रभारी) और उपकुलपति (प्रभारी) के रूप में भी काम किया था।
उन्होंने समुद्री पारिस्थितिकीय (Aquatic Ecosystems) व्यवस्था और वर्गीकरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने समुद्री बायोडाइफोरियेशन, समुद्री प्रदूषण निगरानी, विषाक्तता जैव विविधता और तटीय क्षेत्र प्रबंधन जैसे अनेक क्षेत्रों में अपना योगदान दिया। उन्होंने तीस से अधिक वर्षों तक विभिन्न संस्थानों में विभिन्न वैज्ञानिक क्षमताओं में काम किया है। वह अनेक वैज्ञानिक संस्थाओं के सदस्य थे।
उन्होंने 150 से अधिक वैज्ञानिक शोध पत्र प्रकाशित किए। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय हिंद महासागर अभियान में एक वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में भी काम किया था। वह भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र में शैवालों के वितरण संबंधी शोध कार्य में भी शामिल थे और भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र में सूक्ष्म और मैक्रो बैन्थोस का वितरण प्रयोगों की योजना से भी जुड़े रहे। इन कार्यों के लिए उपयुक्त वैज्ञानिक कर्मियों की तैनाती, विश्लेषण और डेटा की व्याख्या संबंधी कार्यों से भी वह जुड़े रहे।
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वह 1999 से कोचीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में लागू किए गए नीदरलैंड एमएचओ कार्यक्रम के मुख्य समन्वयक थे। वह महासागर विकास विभाग द्वारा प्रायोजित समुद्री जैविक संसाधन कार्यक्रम की दो बहु-संस्थागत परियोजनाओं के लिए प्रमुख अन्वेषक और समन्वयक थे। श्री मेनन केरल तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण के कई विशेषज्ञ समितियों के सदस्य थे। उन्होंने भारत सरकार की कई महत्वपूर्ण समितियों में भी अपनी सेवाएं दीं।
उनके परिवार में पत्नी इंदिरा मेनन और एक बेटी डा. अनुराधा मेनन और एक बेटा डा. अरविंद मेनन हैं।
समुद्र विज्ञान
समुद्र विज्ञान, भूविज्ञान की एक शाखा है जिसमें समुद्रों का अध्ययन किया जाता है। इसके अन्तर्गत समुद्र, तटीय क्षेत्र, एस्ट्युरीज (नदी मुख), तटीय जल, ओशन बेड, समुद्री जीवों, समुद्री धाराओं, तरंगों, भूभौतिकीय तरलगतिकी आदि विषयों का अध्ययन किया जाता है। इसमें जीवविज्ञान, रसायन विज्ञान, जिओलोजी, भौतिकी आदि अन्य क्षेत्रों की भी अहम भूमिका होती है। इस क्षेत्र में काम करने वालों को समुद्र विज्ञानी (Oceanographer) कहते हैं।
ओशियनोग्राफी वह विज्ञान है जिसमें सागरों तथा महासागरों के हर पहलू का वैज्ञानिक दृष्टि से अध्ययन किया जाता है। ओशियनोग्राफी में समुद्र, उसके तट, समुद्री शाखाओं से लेकर तटीय जल और समुद्री चट्टानों की गहराई का जायजा लेना होता है।
ओशियनोग्राफी कभी न खत्म होने वाली जिज्ञासाओं का समंदर है। महासागर में ढेरों जानकारियां दफन हैं जिनके रहस्य पर से परदा उठना बाकी है। इस काम में समुद्र के भीतर घंटों गुजार कर सेंपल जुटाना, सर्वे करना, डाटा विश्लेषित करना होता है। यह खोज आधारित क्षेत्र है इसलिए इसमें काम करने वाले लोगों को समुद्र के आस-पास के इलाकों में लंबा समय गुजारना पड़ता है।
ओशियनोग्राफर महासागरों व तटीय जल के रहस्य बारीकी से जाँचता है। वह महासागरीय जल की गति, जल के वितरण और उसके भौतिक व रसायनिक गुण व लक्षण का अध्ययन करता है और यह जानने की कोशिश करता है कि इनका समुद्र के तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों और जलवायु पर क्या असर पड़ता है।
-लेखक परिचय-
नवनीत कुमार गुप्ता पिछले दस वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि जनसंचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं। आपकी विज्ञान संचार विषयक लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा इन पर गृह मंत्रालय के ‘राजीव गांधी ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' सहित अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। आप विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ से सम्बंद्ध हैं। आपसे निम्न मेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है:
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