105 Indian Science Congress in Hindi
भारतीय विज्ञान कांग्रेस - विज्ञान का महाकुंभ
नवनीत कुमार गुप्ता
105वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस (Indian Science Congress) का आयोजन मणिपुर यूनिवर्सिटी (Manipur University), मणिपुर, इंफाल में 16 से 20 मार्च, 2018 के दौरान आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन प्रत्येक वर्ष भारतीय विज्ञान कांग्रेस संघ (भाविकांसं) द्वारा कराया जाता है। इस बार आयोजित होने वाली भारतीय विज्ञान कांग्रेस की थीम ‘‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी के द्वारा समाज के सभी वर्गों तक पहुंच को सुनिश्चित करना है’’ (Reaching the unreached through Science and Technology)। 105वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस संघ के अध्यक्ष प्रोफेसर अच्युता सामंता है। इस केन्द्रीय विषयवस्तु का उद्देश्य है कि समाज के विकास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का सर्वाधिक उपयोग किया जा सके।
विज्ञान के इस महाकुंभ में अंतर्गत अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। पहले दिन भारतीय विज्ञान कांग्रेस का शुभारंभ किया जाएगा। इसी दिन विज्ञान प्रदर्शनी का भी शुभारंभ होगा। दूसरे दिन राष्ट्रीय किशोर वैज्ञानिक (Children Science Congress) सम्मेलन का शुभारंभ होगा। तीसरे दिन यानी 18 मार्च को महिला विज्ञान कांग्रेस (Women Science Congress) का शुभारंभ किया जाएगा। 19 मार्च को विज्ञान संचारक सम्मेलन (Science Communicator Meet) का शुभारंभ किया जाएगा। अंतिम दिन राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस का समापन सत्र संपन्न होगा।
इसके साथ ही विभिन्न सामानांतर सत्रों में विज्ञान के विविध विषयों पर शोधपत्र पढ़े जाएंगे। इस कार्यक्रम में नोबल पुरस्कार विजेताओं समेत अनेक अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय वैज्ञानिक, विज्ञान संचारक भी व्याख्यान देंगे।
भारतीय विज्ञान कांग्रेस संघ (भाविकांसं) द्वारा सन् 1914 से विज्ञान कांग्रेस का आयोजन किया जाता रहा है। भारतीय विज्ञान कांग्रेस के पहले अध्यक्ष आशुतोष मुखर्जी थे। भारतीय विज्ञान कांग्रेस संघ की स्थापना का उद्देश्य भारत में आधुनिक विज्ञान को आगे बढ़ाना एवं समाज के विकास के लिए इसका सही उपयोग करना था। भारत के महान वैज्ञानिक, शिक्षाविद् एवं राजनेता इस संस्था से जुड़े रहे। विज्ञान कांग्रेस के संदर्भ में यह बात सच है कि आज भारतीय वैज्ञानिकों के पास शोध पत्र प्रस्तुत करने के लिए अनेक उपयोगी मंच उपलब्ध हैं और हर एक विषय में विशेष मंच भी उपलब्ध हैं मगर इस तरह के मंच पर एक विशेष विषय पर ही चर्चा होती है एवं उसी विषय के विशेषज्ञ एकत्रित होते हैं।
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विज्ञान कांग्रेस ऐसा एक मंच है, जहां हर विषय के विशेषज्ञ एकत्रित होते हैं। इसके अलावा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संबंधी नीति निर्धारण करने वाले लोग भी शामिल होते हैं। भारत के प्रधानमंत्री इसमें खुद सम्मिलित होते हैं । भारत की विज्ञान प्रौद्यौगिकी नीति निर्धारण करने के लिए विज्ञान कांग्रेस से उपयुक्त कोई अन्य मंच नहीं हो सकता है। यहां देश के विकास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका पर व्यापक चर्चा हो सकती है। विज्ञान कांग्रेस में सामाजिक विज्ञान, अर्थशास्त्री, स्कूल- काॅलेज के विज्ञान शिक्षक एवं छात्र तथा आम जनता भी भाग लेते हैं। विज्ञान कांग्रेस देश में विज्ञान चेतना या वैज्ञानिक दृष्टिकोण फैलाने में विशेष भूमिका निभा सकता है और इस दिशा में विज्ञान कांग्रेस काम कर भी रहा है।
भारतीय विज्ञान कांग्रेस : महत्वपूर्ण जानकारी
1. भारतीय विज्ञान कांग्रेस संघ (भाविकांसं) द्वारा सन् 1914 से विज्ञान कांग्रेस का आयोजन किया जाता रहा है।
2. भारतीय विज्ञान कांग्रेस के पहले अध्यक्ष आशुतोष मुखर्जी थे । आशुतोष मुखर्जी आधुनिक भारत के निर्माताओं में से एक थे। वे एक लब्धप्रतिष्ठित गणितज्ञ थे। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय (जर्नलों) में उनके 20 मौलिक शोध पत्र प्रकाशित हुए। जिओमेट्री आॅफ काॅनिक्स शीर्षक से उन्होंने कलकत्ता मैथिमेटिकल सोसाइटी की स्थापना की थी और अंतिम समय तक अध्यक्ष के रूप में उसके कार्यकलापों का मार्गदर्शन करते रहे।
3. भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में पहली बार सन् 2009 में शिलांग में विज्ञान कांग्रेस आयोजित हुई थी। इस वर्ष दूसरा अवसर होगा जब भारतीय विज्ञान कांग्रेस का आयोजन उत्तर-पूर्व के किसी राज्य में होगा।
4. भाविकांसं के इतिहास में प्रख्यात भू-विज्ञानी डी.एन. वाडिया एकमात्र वैज्ञानिक हैं जिन्होंने विज्ञान कांग्रेस की दो बार अध्यक्षता (सन् 1942 एवं 1943) की थी।
5. केन्द्रीय विषयवस्तुओं पर अनेक संस्तुतियों को कार्यान्वित करने के लिए सन् 1980 में, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा एक स्थाई कार्यदल (टास्क फोर्स) का गठन किया गया।
6. विज्ञान कांग्रेस के सौ वर्षों की इतिहास में अब तक चार महिला वैज्ञानिक अध्यक्ष चुनी गई हैं।
7. आशिमा चटर्जी भारतीय विज्ञान कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष थीं। उन्होंने सन् 1975 में आयोजित भारतीय विज्ञान कांग्रेस की अध्यक्षता की थी। आशिमा चटर्जी भारत की एक अग्रणी महिला वैज्ञानिकों में एक थी। वह किसी भारतीय विश्वविद्यालय द्वारा डाॅक्टर आॅफ साईस डिग्री पाने वाली पहली महिला वैज्ञानिक हैं। भारत के राष्ट्रपति द्वारा उन्हें राज्य सभा सदस्य नमित किया गया। 89 वर्ष की उम्र में 23 नवंबर 2006 में उनका निधन हुआ। इसके बाद तीन और महिलाएं अर्चना शर्मा (सन् 1987), मंजू शर्मा (सन् 1999) एवं योगिता वाली (सन् 2012) अध्यक्ष चुनी गईं।
-लेखक परिचय-
नवनीत कुमार गुप्ता पिछले दस वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि जनसंचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं। आपकी विज्ञान संचार विषयक लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा इन पर गृह मंत्रालय के ‘राजीव गांधी ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' सहित अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। आप विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ से सम्बंद्ध हैं। आपसे निम्न मेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है:
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