Indian Science Congress Information in Hindi
104वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस_104th Indian Science Congress का आयोजन 3-7 जनवरी 2017 को तिरुपति_Tirupati में किया जा रहा है। भारतीय विज्ञान कांग्रेस संघ_Indian Science Congress Association द्वारा सन् 1914 से विज्ञान कांग्रेस का आयोजन किया जाता रहा है। इस संस्था की स्थापना का उद्देश्य भारत में आधुनिक विज्ञान को आगे बढ़ाना एवं समाज के विकास के लिए इसका सही उपयोग करना था।
भारतीय विज्ञान कांग्रेस के आरंभ से ही भारत के महान वैज्ञानिक, शिक्षाविद् एवं राजनेता इस संस्था से जुड़े रहे। विज्ञान कांग्रेस के इस समारोह हेतु अनेक आयोजनों की योजना बनाई गई है। भारतीय विज्ञान कांग्रेस के दौरान अनेक नोबल विजेता वैज्ञानिकों का व्याख्यान, महिला विज्ञान कांग्रेस, बाल विज्ञान कांग्रेस, विज्ञान संचारक सम्मेलन सहित विज्ञान के विभिन्न विषयों पर समांतर सत्रों का आयोजन किया जाएगा। इस वर्ष की थीम राष्ट्र के विकास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी_ Science for shaping the future of India है।
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भारतीय विज्ञान कांग्रेस संघ ने भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास में अहम भूमिका निभाई है। विज्ञानकर्मियों से संवाद स्थापित करने हेतु अखिल भारतीय स्तर पर एक मंच स्थापित करने का यह पहला प्रयास था। वैज्ञानिकों का एक दूसरे से जोड़ने और एक दूसरे के कामों से परिचित होने का अवसर प्रदान करने के साथ-साथ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास के लिए जरूरी संस्थानिक ढांचा तैयार करने में विज्ञान कांग्रेस ने अहम भूमिका निभाई है। विज्ञान और जनमानस से संबंधित विज्ञान विषयों पर बहस के लिए विज्ञान कांग्रेस ने एक महत्वपूर्ण वार्षिक मंच के रूप में काम किया है। यह एक ऐसा मंच है कि जहां प्रख्यात वैज्ञानिक, स्कूल और कॉलेज के शिक्षक और आम आदमी एक साथ जुटते हैं।
विज्ञान कांग्रेस की एक और महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें विदेशों से नोबेल विजेता वैज्ञानिक भी सम्मिलित होते हैं। इस दौरान लगने वाली वैज्ञानिक प्रदर्शनी आम लोगों का ध्यान खींचती है। इस आयोजन ने आम जनता को विज्ञान शिक्षा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान के महत्व को समझाने में भी मदद की है।
भारतीय विज्ञान कांग्रेस के पहले अध्यक्ष थे आशुतोष मुखर्जी_Ashutosh Mukherjee. आशुतोष मुखर्जी ने जनवरी 1914 में अपने अध्यक्षीय भाषण में भाविकांसं जैसी संस्था बनाने के उद्देश्य के बारे में जिक्र किया था। उनके अध्यक्षीय भाषण का शीर्षक ही था‘भारतीय कांग्रेस के बारे में’। उन्होंने कहा था विकास को वैज्ञानिक जांच-परख की दिशा में मज़बूत कदम बढ़ाने, देश के विभिन्न भागों में विज्ञान में रुचि रखने वाले समाजों और व्यक्तियों में साहचर्य को प्रोत्साहित करने, विशुद्ध और अनुप्रयुक्त विज्ञान के उद्देश्यों के प्रति और अधिक आम झुकाव तथा आम जन की प्रगति की बाधाओं को दूर करने के लिए’ बनाया गया था।
साल दर साल विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय विज्ञान की प्रगति का विज्ञान कांग्रेस साक्षी रहा है। सन् 1948 से भारत के उत्तरोत्तर प्रधानमंत्री एवं भारत के प्रख्यात वैज्ञानिक विज्ञान कांग्रेस में भारत में विज्ञान के भविष्य से जुड़े अपने सपने और अभिमतों को साझा करते रहे हैं। उन्होंने हमेशा ही मानव सभ्यता के विकास में विज्ञान की भूमिका को रेखांकित किया। उदाहरण के लिए भारत में आधुनिक रसायन विज्ञान के संस्थापक आचार्य प्रफुल्लचंद्र राय_ Prafulla Chandra Ray ने 7वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस (1920) में अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा था- हर दृष्टिकोण से वैज्ञानिक ज्ञान की प्रगति हमारे लोगों और राष्ट्रीय विकास के लिए अति आवश्यक है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए सरकार और जनता दोनों का हार्दिक सहयोग अनिवार्य है।’
भारत के सर्वश्रेष्ठ अभियंताओं में से एक मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया_ Mokshagundam Visvesvaraya ने 10वीं विज्ञान कांग्रेस (1923) के दौरान अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा था-‘विज्ञान में उन्नति दरअसल राष्ट्र के विकास का एक आधार होता है। यह बात अकल्पनीय है कि कोई भी देश यदि विज्ञान में पीछे है और दैनिक जीवन के उद्देश्यों में इसे नहीं अपनाया गया है तब तक देश प्रगति की उम्मीद नहीं कर सकता। आज हम विज्ञान के आगोश में हैं और अस्तित्व के संघर्ष में विज्ञान के बिना सफलता नहीं मिल सकती और वहीं कोई सभ्यता भी इसके बगैर प्रगति नहीं कर सकती।’
इन महान द्रष्टाओं से प्रेरित होकर, भारतीयों ने यह विश्वास करना शुरू कर दिया कि यह विज्ञान ही है जो उन्हें बेहतर भविष्य दे सकता है। सन् 1976 में तत्कालीन भाविकांसं के अध्यक्ष एम.एस. स्वामीनाथन्_ M S Swaminathan द्वारा कांग्रेस में राष्ट्रीय महत्व के एक केंन्द्रीय विषय-वस्तु_Focal theme पर विचार-विमर्श किए जाने की परम्परा शुरु की गई।
विज्ञान कांग्रेस के संदर्भ में यह बात सच है कि आज भारतीय वैज्ञानिकों के पास शोध पत्र प्रस्तुत करने के लिए अनेक उपयोगी मंच उपलब्ध हैं और हर एक विषय में विशेष मंच भी उपलब्ध हैं मगर इस तरह के मंच पर एक विशेष विषय पर ही चर्चा होती है एवं उसी विषय के विशेषज्ञ एकत्रित होते हैं। विज्ञान कांग्रेस ऐसा एक मंच है, जहां हर विषय के विशेषज्ञ एकत्रित होते हैं। इसके अलावा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संबंधी नीति निर्धारण करने वाले लोग भी शामिल होते हैं। भारत के प्रधानमंत्री इसमें खुद सम्मिलित होते हैं।
भारत की विज्ञान प्रौद्यौगिकी नीति निर्धारण करने के लिए विज्ञान कांग्रेस से उपयुक्त कोई अन्य मंच नहीं हो सकता है। यहां देश के विकास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका पर व्यापक चर्चा हो सकती है। विज्ञान कांग्रेस में सामाजिक विज्ञान, अर्थशास्त्री, स्कूल-कॉलेज के विज्ञान शिक्षक एवं छात्र तथा आम जनता भी भाग लेते हैं। विज्ञान कांग्रेस देश में विज्ञान चेतना या वैज्ञानिक दृष्टिकोण फैलाने में विशेष भूमिका निभा सकता है और इस दिशा में विज्ञान कांग्रेस काम कर भी रहा है।
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