Indian achievements in Science and Technology in Hindi
देश के विकास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का योगदान
नवनीत कुमार गुप्ता
हमारे देश को स्वतंत्र हुए 70 साल हो गए है। इतने वर्षों में देश के विकास में विविध क्षेत्रों का योगदान रहा है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी भी एक ऐसा क्षेत्र है जिसने देश को विकास की राह पर बढ़ने में सबसे अधिक योगदान दिया है। असल में हमारे जीवन का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं जिसमें विज्ञान का दखल न हो।वैसे तो हमारे देश में विज्ञान का इतिहास सदियों पूराना है। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाई से उस समय के तकनीकी ज्ञान के प्रमाण मिलते हैं। लेकिन प्राचीन ज्ञान को भारत में लिपिबद्ध नहीं किया गया था जिसके कारण हम आधुनिक समय में विश्व के अन्य देशों के तकनीकी ज्ञान की बराबरी नहीं कर सके। हालांकि भारत से ही ज्ञान—विज्ञान की अधिकांश बातें अरब से होते हुए यूरोप पहुंची और उन देशों ने वैज्ञानिक प्रगति में नित नयी उपलब्धियां प्राप्त कीं।
लेकिन आधुनिक भारत में विज्ञान और तकनीकी का विकास योजनाबद्ध तरीके से किया गया जिसका श्रेय वैज्ञानिकों के साथ भारत के पहले प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरु को जाता है। उन्होंने ऐसे कदम उठाये जिनके कारण और विज्ञान एवं प्रोधोगिकी को बढावा मिला। स्वतंत्रता के बाद भारत में भारतीय प्रोधोगिकी संस्थानों की स्थापना की गयी।
आधारभूत विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान की बात करें तो 26 सितंबर 1942 को सर ए. रामास्वामी मुदालियर और डॉ॰शांतिस्वरूप भटनागर के प्रयासों के फलस्वरूप वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (कौंसिल ऑफ साइंटिफिक एण्ड इंडस्ट्रियल रिसर्च) यानी सीएसआईआर की स्थापना। देश के समुचित वैज्ञानिक और औद्योगिक विकास के लिए सीएसआईआर के संस्थापक और महान वैज्ञानिक डॉ॰ भटनागर ने अथक परिश्रम कर भारत में राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं की कड़ी स्थापित होती चली गई। इस कड़ी की पहली प्रयोगशाला पुणे स्थित राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला थी, जिसका उद्घाटन 3 जनवरी 1950 को पं॰ नेहरू ने किया था। आज सीएसआईआर की पूरे देश भर में दर्जनों प्रयोगशालाएं कार्य कर रही हैं।
[post_ads]
आजादी के कुछ महीनों बाद ही 10 अगस्त 1948 को परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के लिए डॉ॰ होमी जहाँगीर भाभा के प्रयासों से परमाणु ऊर्जा आयोग का गठन हुआ था। परमाणु ऊर्जा के अंतर्गत नाभिकीय अनुसंधान के क्षेत्र में मुंबई स्थित भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र की भूमिका सराहनीय है। भारत में अपने उन्नत परमाणु शक्ति का परिचय देते हुए 18 मई 1974 को पोखरण में पहला सफल परिक्षण किया| दूसरा परीक्षण 11 मई 1998 में किया गया। उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ''जय जवान—जय किसान—जय विज्ञान'' का नारा देकर विज्ञान और तकनीक के महत्व को रेखांकित किया था।
सन 1960 के आरंभ में भारत में भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) यानी इसरो की स्थापना की। इसरो ने भारत के अन्तरिक्ष अनुसन्धान कार्यक्रम को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि दिलाई।
शोध कार्यों के अलावा हमारे देश के संविधान में लोगों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण यानी साइंटिफिक टेम्पर के प्रसार का भी उल्लेख किया गया है। निस्केयर एवं विज्ञान प्रसार जैसी संस्थाएं वैज्ञानिक दृष्टिकोण के प्रसार के कार्यरत है। इनके अलावा देश भर में फैली अनेक सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाएं वैज्ञानिक चेतना के प्रसार के लिए संकल्पबद्ध हैं।
विकास की इस कड़ी में भारत के दूसरे प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री के ‘अधिक अन्न उपजाओ’ अभियान के तहत हरित क्रांति के द्वारा खोले। हरित क्रांति द्वारा देश में भरपूर अनाज उपजने लगा। असल में कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का मुख्य अंग रही है। देश की कुल आबादी के लगभग 65 प्रतिशत व्यक्ति कृषि व्यवसाय से जुड़े हैं। डॉ॰ बी. पी. पाल, डॉ॰ एस.एम. स्वामीनाथन और डॉ॰ नॉरमन बोरलॉग के प्रयासों से भारत में आई हरित क्रांति ने देश से अनाज की कमी की समस्या को दूर करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वैज्ञानिक वार्गिज कूरियन ने श्वेत क्रांति द्वारा हमें दुग्ध उत्पादन में भी शीर्ष स्थान पर पहुँचा दिया है, तो पशु-पालन, मछली-पालन, कुक्कुट पालन में हम स्वावलंबी बन चुके हैं। वर्ष 1905 में पूसा, बिहार में इम्पीरियल एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट की स्थापना की गयी। यह संस्था आज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद यानी आईसीएआर के नाम से जानी जाती है। देश भर में फैले इसके अनुसंधान केंद्रों में अनाज की सैंकड़ों नयी किस्मों का विकास किया गया है।
आजादी के बाद के इन वर्षों में कृषि, चिकित्सा, परमाणु ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिकी, संचार, अंतरिक्ष, परिवहन और रक्षा विज्ञान के क्षेत्र में हुई प्रगति के कारण आज भारत देश विकासशील देशों की श्रेणी में अग्रणी स्थिति में है।
पिछले कुछ सालों के दौरान भारत ने विज्ञान के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि पायी है। मंगलयान मिशन इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण है। इसके अलावा इसरो ने एक साथ 104 उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित कर इतिहास रच दिया है। अंतरिक्ष के अलावा चिकित्सा क्षेत्र में भी देश ने महत्वपूर्ण प्रगति की है। देश आज पोलियो मुक्त हो चुका है। अनेक स्वेदेशी टीकों का विकास देश के लिए उपलब्धि है।
वर्तमान में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा भी देश में वैज्ञानिक शोध में महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं। जैव प्रौद्योगिकी विभाग एवं भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान पदिषद् द्वारा निरंतर नयी खोजें की जा रही हैं। इन सभी विभागों का लक्ष्य समाज को विज्ञान की खोजों से लाभान्वित करना है।
आज भारत मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत सैन्य साजो—समान तैयार कर रहा है। इसके अलावा नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में भी नयी तकनीकों का विकास किया जा रहा है। आज भारत जलवायु परिवर्तन के निपटने के लिए सजग है। इस दिशा में नवीकरणीय ऊर्जा सहित अनेक ऐसी तकनीकों के विकास पर ध्यान दिया जा रहा जो देश को विकास की राह में आगे बढाएं।
भारत में विज्ञान के आधुनिक विकास में अनेक वैज्ञानिकों का योगदान रहा है। प्रफुल्लचंद्र रे, होमी जहांगीर भाभा, जगदीश चंद्र बोस, सी.वी. रमण, रामानुजन, मेघनाद साहा, सत्येन्द्र नाथ बोस, अन्ना मणी, बीरबल साहनी, चंद्रशेखर वेंकट रामन, दौलत सिंह कोठारी, हरगोविंद खुराना, के एस कृष्णन, मोक्षगुंडम् विश्वेवरैया, प्रशांतचंद्र महालोबनीस, शांतिस्वरूप भटनागर, विक्रम साराभाई, दाराशा नौशेरवां वाडिया, येल्लाप्रग्द सुब्बाराम, जी एन रामचंद्रन एपीजे अब्दुल कलाम और डा. एम एस स्वामिनाथन सहित अनेक वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
विज्ञान ने देश को नयी पहचान दी है। हालांकि आज भी देश में व्याप्त कुछेक अंधविश्वासों और रूढ़ियों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विचार को पीछे छोड़ दिया जाता है। लेकिन हमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग निरंतर देश के विकास के लिए करना है जिसके लिए सभी को विज्ञान विधि का उपयोग करते हुए आगे बढ़ना होगा।
-X-X-X-X-X-
लेखक परिचय:
नवनीत कुमार गुप्ता पिछले दस वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि जनसंचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं। आपकी विज्ञान संचार विषयक लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा इन पर गृह मंत्रालय के ‘राजीव गांधी ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' सहित अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। आप विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ से सम्बंद्ध हैं। आपसे निम्न मेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है:
नवनीत कुमार गुप्ता पिछले दस वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि जनसंचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं। आपकी विज्ञान संचार विषयक लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा इन पर गृह मंत्रालय के ‘राजीव गांधी ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' सहित अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। आप विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ से सम्बंद्ध हैं। आपसे निम्न मेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है:
keywords: indian science and technology progress in hindi, indian achievements in science and technology in hindi, india's achievements in science and technology, achievements of india in science and technology, development of science and technology in india in hindi, science and technology essay in hindi, india's achievements in science and technology in hindi, आजादी के बाद भारत की प्रगति, आजादी के बाद का भारत पर निबंध, आजादी के बाद का भारत pdf, भारत की उपलब्धियां, स्वतंत्र भारत का इतिहास, आजादी के बाद का भारत पर निबंध,
I am prakash chaurasia. I agree with you but science and technology are decreased human age life time. It is big problem to my country, How can,I handle it.
जवाब देंहटाएं