Basu Vigyan Mandir News in Hindi
बसु विज्ञान मंदिर - वैज्ञानिक शोध का अग्रणी केन्द्र
नवनीत कुमार गुप्ता
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी_Pranab Mukherjee ने 29 जून को कोलकाता में बसु विज्ञान मंदिर_Basu Vigyan Mandir के समन्वित शैक्षिक संस्थान का उद्धाटन किया। इस वर्ष इस संस्थान की स्थापना के सौ वर्ष भी पूरे हो रहे हैं। इस अवसर पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने कहा कि ''सालों सालों की इस संस्थान की यात्रा गौरवमयी रही है।''
इस दौरान बंगाल के राज्यपाल श्री केशरीनाथ त्रिपाठी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्री डा. हर्षवर्धन एवं विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा सहित अनेक वैज्ञानिक भी उपस्थित थे।
महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस_Jagdish Chandra Bose द्वारा आज से 100 साल पहले 30 नवम्बर 1917 में इस संस्थान की स्थापना की गयी थी। यह देश का पहला ऐसा विज्ञान केंद्र था जो पूर्णतया वैज्ञानिक शोध को समर्पित था। आचार्य जगदीश चन्द्र बोस अपने जीवन की अन्तिम घड़ी तक इस संस्था के निदेशक रहे। आचार्य जे. सी. बोस की तरह बोस विज्ञान मंदिर भी विभिन्न क्षेत्रों में वैज्ञानिक शोध कार्यों में संलग्न है।
[post_ads]
जगदीश चंद्र बोस ने सूक्ष्म तरंगों के क्षेत्र में शोध कार्य करते हुए अपवर्तन, विवर्तन एवं ध्रुवीकरण के क्षेत्र में भी प्रयोग किए। सबसे पहले लघु तरंगदैर्ध्य, रेडियो तरंगों तथा श्वेत एवं पराबैगनी प्रकाश दोनों के रिसीवर में गेलेना क्रिस्टल का प्रयोग बोस के द्वारा ही विकसित किया गया था। मारकोनी के प्रदर्शन से 2 वर्ष पहले ही 1885 में बोस ने रेडियो तरंगों द्वारा बेतार संचार का प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन में जगदीश चंद्र बोस ने दूर से एक घण्टी बजा कर और बारूद में विस्फोट कराया था।
भौतिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण शोध कार्य करने के अलावा बोस ने, किसी घटना पर पौधों की प्रतिक्रियाओं को भी समझाया। उन्होंने दर्शाया कि वनस्पतियों में भी यांत्रिक, ताप, विद्युत तथा रासायनिक जैसी विभिन्न प्रकार की उत्तेजनाओं में प्राणियों के समान विद्युतीय संकेत उत्पन्न होते हैं।
बोस ने ही सूर्य से आने वाले विद्युतचुम्बकीय विकिरण के बारे में विचार व्यक्त करते हुए सन् 1944 में उनकी पुष्टि की थी। वर्तमान में बहुप्रचलित माइक्रोवेव उपकरण जैसे वेव गाईड, ध्रुवक, परावैद्युत लैंस, विद्युतचुम्बकीय विकिरण के लिये अर्धचालक संसूचक, इन सभी उपकरणों का उन्नींसवी सदी के अंतिम दशक में बोस ने अविष्कार किया था।
बसु विज्ञान मंदिर में आज जो कुछ भी हो रहा है उसकी कल्पना आचार्य जे. सी. बोस के अथक प्रयासों के बिना नहीं की जा सकती। उन्होंने ना केवल देशवासियों के लिए एक नई राह रौशन की बल्कि आगे वाली पीढ़ी के मन में विज्ञान की ललक जगाई। (देखें जगदीश चंद्र बोस की जीवनी और उनके वैज्ञानिक आविष्कार)
-X-X-X-X-X-
लेखक परिचय:
नवनीत कुमार गुप्ता पिछले दस वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि जनसंचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं। आपकी विज्ञान संचार विषयक लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा इन पर गृह मंत्रालय के ‘राजीव गांधी ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' सहित अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। आप विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ से सम्बंद्ध हैं। आपसे निम्न मेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है:
नवनीत कुमार गुप्ता पिछले दस वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि जनसंचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं। आपकी विज्ञान संचार विषयक लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा इन पर गृह मंत्रालय के ‘राजीव गांधी ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' सहित अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। आप विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ से सम्बंद्ध हैं। आपसे निम्न मेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है:
keywords: Basu Vigyan Mandir Kolkata, sn bose institute Kolkata, bose institute kankurgachi Kolkata, jagadish chandra bose inventions list, jagdish chandra bose in hindi, jagadish chandra bose awards, jagadish chandra bose college, जगदीश चंद्र बोस information in hindi, जगदीश चंद्र बोस की जीवनी, जगदीश चन्द्र बसु response in the living and non-living, जगदीश चन्द्र बसु life movements in plants, जगदीश चन्द्र बसु researches on irritability of plants, जगदीश चंद्र बोस का जीवन परिचय
COMMENTS