एक देवी के दर्द से विह्वल होकर रो पड़ने की दास्तान।
क्या ऐसा हो सकता है कि कोई देवी आम जनता से कुपित हो जाए? क्या ऐसा हो सकता है कि कोई देवी देश की जनता से दुखी हो जाए और विह्वल होकर रोने लगे? रायपुर में पिछले दिनों ऐसा ही हुआ। पढिए यह आश्चर्यजनक रिपोर्ट।
मूर्ति के आँसू....
मेरे एक पत्रकार मित्र का फोन आया कि रायपुर के वैगन रिपेयर शॉप कॉलोनी के नजदीक एक मंदिर है। वहां स्था्पित प्रतिमा की आँखों से आँसू निकलने की चर्चा है। क्या ऐसा सम्भव है? मैंने कहा कि मैं सवेरे उस स्थान पर जाकर मूर्ति को देखना चाहूंगा। उसके बाद ही हम उस सम्बंध में कुछ टिप्पणी कर सकते हैं। दूसरे दिन समाचार पत्रों में यह घटना सुर्खियों में थी। साथ ही यह खबर भी कि घटना की जानकारी से हजारों दर्शनार्थियों की भीड़ लगने लगी है। इसी के साथ किसी का वकतव्य भी था कि देवी के नाराज होने से आंसू निकल रहे हैं, जिसकी शांति के लिए विशेष पूजा आयोजित की जाएगी।
सवेरे 8 बजे हम केन्द्रीय विद्यालय के नजदीक कॉलोनी में बने मंदिर में जाने के लिए निकले। कालोनी के नजदीक पहुंचने पर हमें सड़क के किनारे कुछ गाडि़यां, साइकिलें, स्कूटर व मिनी बस इत्यादि दिखाई दीं। हमने वहीं अपनी गाडि़यां खड़ी कर दीं। हमने देखा कि जमीन पर एक छोटा सा पक्का मंदिर बना है। उसके पास ही कुआं है। मंदिर के सामने दर्शनार्थियों की भीड़ लगी है। कुछ लोग मंदिर के चबूतरे व कुएं के पास बैठे हैं। कुछ महिलाएं मंदिर की परिक्रमा भी कर रही हैं।
मंदिर में चमत्कार का प्रचार होने की खबर पाकर वहां नारियल, फूल, पूजन सामग्री की कुछ दुकानें भी खुल गयी थीं। हम दर्शनार्थियों के साथ मंदिर में गये। वहां हमने देखा देवी प्रतिमा की दोनों आंखें साफ हैं तथा आंसू नहीं बह रहे हैं। प्रतिमा पूर्ण साज-सज्जाद के साथ साफ-सूखे कपड़ों में प्रतिष्ठित है। हमने वहां अनेक दर्शनार्थियों से अलग-अलग पूछा। किसी ने भी सवेरे से आंसू निकलने की पुष्टि नहीं की, बल्कि वे सब माता की आंख से आंसू निकलने की खबर पाकर आए थे व किसी चमत्कार को देख पाने की लालसा में खड़े थे।
कुछ दर्शनार्थियों ने कहा कि उन्हें पता चला है कि माता की नाराजगी की वजह से आंसू निकले हैं। वहीं स्थानीय लोगों का कहना था, सिर्फ बाईं आंख से आंसू निकले थे। कुछ अन्य बातें भी सुनाई दे रही थीं। यथा- किसी ने रोने की आवाज भी सुनी। सैकड़ों की संख्यां में दर्शनार्थी किसी अलौकिक चमत्कांर के होने के लिए प्रतीक्षारत थे, जबकि कुछ घंटों पहले चमत्कार होने का दावा करने वाले व विशेष पूजा करवाने वाले सज्जनों की अनुपस्थिति संदेहजनक थी।
अंतत: हमने वहां उपस्थित लोगों से तर्कपूर्ण चर्चा करनी आरंभ की। मैंने कहा- पत्थर की प्रतिमा से आंसू बहना संभव नहीं है क्यों कि जब तक जलस्राव होने का कोई स्रोत न हो, जल कैसे निकलेगा? संभव है देवी प्रतिमा में जो जल चढ़ाया जाता है, उसी का अंश मूर्ति के ऊपरी हिस्सों में अटक गया हो, जो बूंद-बूंद कर आंखों तक आया होगा, जिससे लोगों ने आंसू बहने का नाम दे दिया हो। ईश्वर तो सर्वशक्तिमान है, वह हर कार्य करने में सक्षम है। उन्हें रोने व आंसू बहाने की क्या आवश्यवकता है? ईश्वर के प्रति आस्था रखना, उस आस्था के माध्यम से लोगों की भलाई करना और दुखियों के आंसू पोछना बहुत अच्छीं बात है, लेकिन देवी प्रतिमा की आंखों में आंसू का भ्रम फैलाना उचित नहीं है। यह तो आपके आराध्य सर्वशक्तिमान ईश्वर के प्रति भी लोगों का भरोसा डिगाने जैसा कार्य है। ऐसी अफवाहों से सिर्फ स्वार्थी तत्वों का हित सधता है, किसी धर्म प्रेमी का नहीं।
उस दिन हम वहां काफी देर तक रहे, लेकिन चमत्कार नहीं हुआ। दूसरे दिन समाचार पत्रों में खबर थी कि मंदिर में चमत्कार नहीं हुआ, अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति के जाने के बाद। (‘समाधान’ से साभार)
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Achhchha prayas. badhai.
जवाब देंहटाएंसार्थक और जरुरी पोस्ट आँखें खोलने में सक्षम.......
जवाब देंहटाएं♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
♥♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥♥
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धर्म के नाम पर अंधविश्वास और इसकी आड़ में कुछ लोगों द्वारा अपना उल्लू सीधा करने के कारनामे होते ही रहते हैं ।
कभी देवी घट में आने...
तो कभी हाज़ी अली की दरगाह के पास समुंदर का पानी मीठा होने ...
कभी चंद्रमा में जैन संत की छवि दिखने ...
कभी दीवार पर काई में साईं बाबा की तस्वीर बनने ...
कभी ईसा मसीह के क्रूस पर आधी रात को अपने आप मोमबत्ती जलने ... कभी कुछ कभी कुछ ...
भक्त जब जो चमत्कार चाहे करवाते रहते हैं
:)
अंधभक्ति और अंधविश्वास किसी धर्म-मज़हब में हो इनसे उबरने की आवश्यकता है ।
जनचेतना को समर्पित आलेख के लिए डॉ. दिनेश मिश्र जी को साधुवाद !
और यहां पढ़ने के लिए उपलब्ध कराने के लिए ज़ाकिर अली रजनीश जी आपका आभार!
हार्दिक मंगलकामनाएं !
मकर संक्रांति की अग्रिम शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
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अति सुंदर कृति
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नवीनतम प्रविष्टी: गुलाबी कोंपलें
अजी एक और राष्ट्रीय मूर्ती है उसकी आँखों से कभी आंसू ही नहीं टपकते .भाव हीन बना रहता है चेहरा जैसे अभी कब्र में से खोद के निकाला हो .सरकार से आजिज़ आ चुके लोग अब कोई चमत्कार
जवाब देंहटाएंके ही भरोसे हैं .चमत्कार देखना सुनना चाहतें हैं .चमत्कार को खरीदने वाले इस देश में बहुत हैं और अफवाह के पंख नहीं होते फिर भी ऐसा पक्षी है यह जो ऊंचा और ऊंचा उड़ता जाता है .सरकारी
जड़त्व ,नान -गवर्नेंस से ऊबे लोग चमत्कार देखना चाहते हैं .आभार जाकिर भाई आपकी टिपण्णी के लिए .बधाई डॉ दिनेश जी को .अन्धकार निर्मूलन समिति को .
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जवाब देंहटाएंhttp://pappuyadavblogspot.blogspot.in/2013/01/blog-post_14.html#comment-form