मेरा यह स्पष्ट मानना है कि अगर दिल में सच को समझने की लगन हो, आँखें खुली हों, तो जीवन में ऐसे बेहिसाब मौके आते हैं, जो सच को हमारे सामने उ...
मेरा यह स्पष्ट मानना है कि अगर दिल में सच को समझने की लगन हो, आँखें खुली हों, तो जीवन में ऐसे बेहिसाब मौके आते हैं, जो सच को हमारे सामने उधाड़ कर रख देते हैं। लेकिन जब आँखों पर अंधविश्वास की पट्टी चढ़ी हो, तो आँखें होते हुए भी हम उस सच को समझने से महरूम रह जाते हैं और स्वयं ही नहीं दूसरों को भी बरगलाने में मशगूल हो जाते हैं।
मूल विषय पर आने से पहले इसकी भूमिका से परिचय जरूरी है। मेरे अभिन्न मित्रों में से एक थे सुमित दीक्षित। उनसे मेरी जान-पहचान वर्ष 1995 में उत्तर प्रदेश (मा0) द्वारा आयोजित कहानी प्रतियोगिता के दौरान हुई थी। उस प्रतियोगिता में मेरी कहानी ‘अवनयन’ को प्रथम पुरस्कार पुरस्कार प्राप्त हुआ था और दीक्षित जी की कहानी ‘भेडि़ए’ को प्रोत्साहन पुरस्कार।
प्रोतियोगिता के बहाने हुई उस मुलाकात ने धीरे-धीरे हमारे सम्बंधों में इतनी प्रगाढ़ता आई कि एक-दूसरे के घर आना-जाना होने लगा। दीक्षित जी उम्र में मुझसे लगभग 15 साल बड़े थे, लेकिन मुझे अपने छोटे भाई की तरह मानने लगे थे। वे उस समय सिंडीकेट बैंक में सीनियर क्लर्क थे और प्रमोशन पाते हुए सन 2012 में मैनेजर के पद तक पहुंच गये थे। बावजूद इसके होली-दिवाली, ईद-बकरीद पर नियमित रूप से हम लोग सपरिवार एक दूसरे से मिलते थे और घंटो एक-दूसरे से बतियाया करते थे।
प्रोतियोगिता के बहाने हुई उस मुलाकात ने धीरे-धीरे हमारे सम्बंधों में इतनी प्रगाढ़ता आई कि एक-दूसरे के घर आना-जाना होने लगा। दीक्षित जी उम्र में मुझसे लगभग 15 साल बड़े थे, लेकिन मुझे अपने छोटे भाई की तरह मानने लगे थे। वे उस समय सिंडीकेट बैंक में सीनियर क्लर्क थे और प्रमोशन पाते हुए सन 2012 में मैनेजर के पद तक पहुंच गये थे। बावजूद इसके होली-दिवाली, ईद-बकरीद पर नियमित रूप से हम लोग सपरिवार एक दूसरे से मिलते थे और घंटो एक-दूसरे से बतियाया करते थे।
लेकिन इस दिवाली को जब मैंने उन्हें फोन किया, तो उनकी पत्नी कविता दीक्षित जी (जिन्हें आगे भाभीजी के नाम से सम्बोधित किया गया है) ने बताया कि दीक्षित जी को लीवर का कैंसर हो गया है। मैं उनकी बात सुनकर सन्न रह गया। कैंसर जब तक पता चलता, पूरे शरीर में फैल चुका था। लखनऊ से लेकर दिल्ली तक उन्हें जहां भी ले जाया गया, डॉक्टरों ने यही कहा कि इस समय इनकी लास्ट स्टेज चल रही है, और ये अब कुछ ही दिनों के ही मेहमान हैं।
और सचमुच ऐसा ही हुआ। वह 30 नवम्बर की मनहूस शाम थी, जब सहसा उनके घर से फोन आया और मुझे पता चला कि उनका देहान्त हो गया है। यह सुनकर मैं स्तब्ध सा रह गया। पर होनी को कौन टाल सकता है? अगले दिन उनका अन्तिम संस्कार होना था। मैं भारी मन से उसमें शामिल हुआ।
12 दिसम्बर को दीक्षित जी की तेरहवीं का कार्यक्रम था, जिसमें शहर से बाहर होने के कारण मैं शामिल नहीं हो सका। इसलिए आज 16 दिसम्बर को जब मैं लखनऊ लौटा, तो मैं अपनी संवेदनाएं व्यक्त करने के लिए दीक्षित जी के घर पहुंचा। घर पर भाभीजी एवं उनके रिश्तेदार वगैरह थे। भाभीजी काफी देर तक उनकी बीमारी, इलाज वगैरह और भाई साहब के साहित्यिक इच्छाओं के बारे में भारी मन से बताती रहीं।
12 दिसम्बर को दीक्षित जी की तेरहवीं का कार्यक्रम था, जिसमें शहर से बाहर होने के कारण मैं शामिल नहीं हो सका। इसलिए आज 16 दिसम्बर को जब मैं लखनऊ लौटा, तो मैं अपनी संवेदनाएं व्यक्त करने के लिए दीक्षित जी के घर पहुंचा। घर पर भाभीजी एवं उनके रिश्तेदार वगैरह थे। भाभीजी काफी देर तक उनकी बीमारी, इलाज वगैरह और भाई साहब के साहित्यिक इच्छाओं के बारे में भारी मन से बताती रहीं।
लेकिन चलते समय उन्होंने एक ऐसी बात बताई, जिससे मैं चौंक उठा और यह पोस्ट लिखने के लिए विवश हो गया। वे बातों के क्रम में बोलीं- ‘किसे पता था कि वे इतनी जल्दी हमें छोड़ कर चले जाएंगे, वर्ना उनकी कुंडली बनाने वालों ने तो उनकी उम्र 80 साल बताई थी।’
इस सम्बंध में जब मैंने भाईसाहब के रिश्तेदारों से बात की, तो पता चला कि उनकी कुंडली तीन लोगों ने बनाई थी, जिसमें उनके पारिवारिक गुरूजी, एक विख्यात ज्योतिषी तथा एक प्रोफेशनल ऐस्ट्रोलॉजर के नाम शामिल हैं। और संयोग देखिए कि तीनों ही लोगों ने उनकी ‘जीवन रेखा’ को काफी लम्बी (80 से 85 साल की उम्र) बताया था। लेकिन अफसोस कि वे उन तीनों को धता बताते हुए लगभग 52-53 साल में ही इस संसार से कूच कर गये।
इस सम्बंध में जब मैंने भाईसाहब के रिश्तेदारों से बात की, तो पता चला कि उनकी कुंडली तीन लोगों ने बनाई थी, जिसमें उनके पारिवारिक गुरूजी, एक विख्यात ज्योतिषी तथा एक प्रोफेशनल ऐस्ट्रोलॉजर के नाम शामिल हैं। और संयोग देखिए कि तीनों ही लोगों ने उनकी ‘जीवन रेखा’ को काफी लम्बी (80 से 85 साल की उम्र) बताया था। लेकिन अफसोस कि वे उन तीनों को धता बताते हुए लगभग 52-53 साल में ही इस संसार से कूच कर गये।
भाभीजी को इस घटना से पहले तक ज्योतिष, जन्मकुंडली आदि पर अन्य सामान्य भारतीय महिलाओं की तरह घनघोर विश्वास था। लेकिन इस कटु अनुभव ने उनकी उस आस्था को खंडित कर दिया था। वे बोलीं- ‘कुछ नहीं, ये सब बेवकूफ बनाने के धंधे हैं।’
मैंने उस समय तो सिर्फ उनकी हाँ में हाँ ही मिलाई, लेकिन बाद में मेरे दिमाग में सवाल कौंधा- क्या भाभीजी के मन में आए ये विचार स्थाई रहेंगे? क्या वे भविष्य में भी ज्योतिष और कुंडली के बारे में अपने इन्हीं विचारों पर दृढ़ रहेंगी? या फिर आने वाले दिनों में जब वे अपने लड़के के शादी-विवाह की बात करेंगी, तो सबसे पहले लड़के और लड़की की कुंडली नहीं मिलाएंगी?
और क्या यह समस्त भारतीय समाज की सच्चाई नहीं है? क्या वह मौके-बेमौके ज्योतिष, टोना—टोटका, गंडा—तावीज, तंत्र—मंत्र की सच्चाई से ऐसे ही दो-चार नहीं होता है? और क्या इस सबके बावजूद वह बार-बार खुद को बेवकूफ बनाने के लिए प्रस्तुत नहीं करता है?
नोट: यह आलेख पूरी तरह से सत्य घटना पर केन्द्रित है। किन्तु मित्र के परिवार की भावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए उनका नाम बदल दिया है। इन विचारों को यहां पर प्रस्तुत करने के पीछे सिर्फ सामाजिक जागरूकता फैलाना ही मेरा उद्देश्य है। कृपया इसे इसी अर्थ में लिया जाए।
मैंने उस समय तो सिर्फ उनकी हाँ में हाँ ही मिलाई, लेकिन बाद में मेरे दिमाग में सवाल कौंधा- क्या भाभीजी के मन में आए ये विचार स्थाई रहेंगे? क्या वे भविष्य में भी ज्योतिष और कुंडली के बारे में अपने इन्हीं विचारों पर दृढ़ रहेंगी? या फिर आने वाले दिनों में जब वे अपने लड़के के शादी-विवाह की बात करेंगी, तो सबसे पहले लड़के और लड़की की कुंडली नहीं मिलाएंगी?
और क्या यह समस्त भारतीय समाज की सच्चाई नहीं है? क्या वह मौके-बेमौके ज्योतिष, टोना—टोटका, गंडा—तावीज, तंत्र—मंत्र की सच्चाई से ऐसे ही दो-चार नहीं होता है? और क्या इस सबके बावजूद वह बार-बार खुद को बेवकूफ बनाने के लिए प्रस्तुत नहीं करता है?
नोट: यह आलेख पूरी तरह से सत्य घटना पर केन्द्रित है। किन्तु मित्र के परिवार की भावनाओं को दृष्टिगत रखते हुए उनका नाम बदल दिया है। इन विचारों को यहां पर प्रस्तुत करने के पीछे सिर्फ सामाजिक जागरूकता फैलाना ही मेरा उद्देश्य है। कृपया इसे इसी अर्थ में लिया जाए।
Keywords: Kundali, Jeevan Rekha, Bhagya Phal, Jyotish,
बेहतर लेखन !!
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और क्या यह समस्त मानव समाज की सच्चाई नहीं है? क्या वह मौके-बेमौके ज्योतिष, वास्तु, धर्म, अध्यात्म, कर्मफल, फैसला, पुनर्जन्म, मृत्युपरांत अस्तित्व व अन्य उलजलूल विचारेतर अवधारणाओं की सच्चाई से ऐसे ही दो-चार नहीं होता है? और क्या वह इस सबके बावजूद बार-बार खुद को बेवकूफ बनाने के लिए नहीं प्रस्तुत करता है ?
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जानकार दुख हुआ ! :(ये तो सच है कि 'होनी' को कोई नहीं टाल सकता...
जवाब देंहटाएंकुंडली का तो सही से कुछ पता नहीं... मगर अक्सर कुछ लोग जो हमारे बारे में कुछ भी नहीं जानते, वो कुछ ऐसी बातें बता जाते हैं.... कि दिल अनचाहे ही उनपर विश्वास कर लेता है ! इसमें मैं 'उम्र' की बात नहीं कर रही, बल्कि जीवन के और पहलुओं की बात कर रही हूँ !
आपकी रचना बहुत सार्थक है, ऐसी बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिये, जहाँ सावधानी बरतनी है, वहाँ बरतनी ही चाहिये !
~सादर!!!
आप स्थिर रहेंगे या नहीं लेकिन ये सच ये ... शादी ,भविष्य जैसी बातें तो होती ही रहेंगी ! क्यूंकि मनुष्य इतना ज्यादा स्वार्थी है ! उसने हर चीज अपने जीने के लिए बनाई है ! पहले जीवन रेखा ... फिर उसकी सीमा बनाई .... फिर इनका नियंत्रक भी बनाया ... फिर उसके चेले चपाटे भी बनाये .... फिर अपने आपको सब जीवो में श्रेष्ठ भी बताया ... और जब इनसे भी काम नहीं चला तो .. एक राम बाण बनाया .. "होनी को कौन टाल सकता है"
जवाब देंहटाएंयहाँ ज्यादा नहीं कहूँगा ... लेकिन होनी एक ऐसी चीज है ... जिसे आदमी डेली टालता है ...
आपके लिए एक पोस्ट .. मनुष्य अपना स्वामी आप है!
फिफ्टी-फिफ्टी जैसा मामला है, इतने ही (शायद अधिक) विश्वासियों के भी उदाहरण मिलते हैं, सो तयशुदा ढंग से यही कहा जा सकता है, सबके विश्वास की रक्षा हो, सबका कल्याण हो.
जवाब देंहटाएंOnly recently i went to an astrologer to ask about the health of someone but even before i said anything he told me that person was suffering from such,such disease.So you cannot cancel out this subject so easily.Much is under the wraps.
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 18/12/12 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका इन्तजार है
जवाब देंहटाएंज़र्रानवाज़ी का शुक्रिया।
हटाएंसही कहा जी
जवाब देंहटाएंगूढ़ विद्याओं के नाम पर बहकानेवालों की कमी नहीं दुनिया में .
जवाब देंहटाएं'ज्योतिष'=मानव जीवन को सुंदर,सुखद और समृद्ध बनाने वाला विज्ञान।कुंडली निर्माताओं की अकुशलता को इस विद्या की आलोचना का प्रमाण मानना जनहित मे नहीं है। महादशा-अंतर्दशा के अनुसार जीवन मे मृत्यु-संम कष्ट,मरणान्तक क्षण आने के संकेत रहते हैं। कुंडली निर्माताओं को इंनका संकेत करके बचाव व राहत के उपाय बताने चाहिए थे। पोंगा-पंथी ब्राह्मणवादी पंडित ऐसा न करके दहशत व शोषण करते हैं। मैं अपने विश्लेषणों मे आगाह भी करता हूँ और वैज्ञानिक उपाय भी सुझा देता हूँ। 'मननशील' होने के कारण मनुष्य को अपने बुद्धि-विवेक से मनन करके 'सदकर्म' द्वारा कष्टों व दुखों का निवारण करना चाहिए जो लोग ऐसा नहीं करते वे फिर भाग्य-किस्मत और होनी का रोना रोते रहते हैं लुटने के बाद ज्योतिष विज्ञान को ही कोसते हैं। पहले ही क्यों गलत लोगों के पास जाते हैं?'नाच न आवे आँगन टेढ़ा' का उदाहरण है वह परिवार। क्यों नहीं समय रहते सही वैज्ञानिक उपाय करके जीवन रक्षा का प्रयास किया गया?
जवाब देंहटाएंमाथुरजी, आपकी बातें पढकर आश्चर्य हो रहा है। समयाभाव के कारण जवाब देने में विलम्ब हुआ।
हटाएंआपने लिखा है कि पहले ही क्यों गलत लोगों के पास जाते हैं लोग। नाच न आवे आंगन टेढा का उदाहरण है यह परिवार। इसके जवाब में मैं विनम्रतापूर्वक इतन ही कहना चाहूंगा कि ज्योतिष, तंत्र-मंत्र, टोना-टोटका का क्या कोई सर्टिफाइड, आइएसओ प्रमाणित संस्थान भी है क्या, जिसे मान्यता प्राप्त हो या जिसने शतप्रतिशत परीक्षणों में खरा उतरने का प्रमाणपत्र भारत सरकार या किसी प्रदेश की सरकार से प्राप्त किया हो। इन क्षेत्रों के सभी लोग तो अपने को असली और सिद्ध होने का दावा करते हैं ठीक गली-गली में लगे असली और एकमात्र सैक्सोलॉजिस्ट होने का दावा करने वाले विज्ञापनों की तरह।
साथ ही आप लिखते हैं कि मैं अपने विश्लेषणों में आगाह भी करता हूं और वैज्ञानिक उपाय भी बताता हूं दूसरी ओर आप लिखते हैं कि 'सदकर्म' द्वारा कष्टों व दुखों का निवारण करना चाहिएा इससे यह प्रतीत होता है कि सदकर्म वैज्ञानिक उपाय हैा यानी कि यदि किसी व्यक्ति को कैंसर हो जाए, तो उसे सदकर्म यानी सच बोलकर, दूसरों की मदद करके और दान वगैरह देकर उससे निजत मिल जाएगी। आपने यह भी लिखा है कि यह वैज्ञानिक उपाय है। इसका आशय यह है कि आपके पास इसके प्रामाणिक आंकडे भी उपलब्ध होंगे कि कितने लोगों ने अभी तक अपने सदकर्म जैसे वज्ञानिक उपाय अपनाकर कैंसर, एडस जैसी कठिन बीमारियों से निजात पाई है। कृपया वे आंकणे उपलब्ध कराने का कष्ट करें और साथ ही वे उपाय भी साझा करने का कष्ट करें, जिससे दूसरे लोग भी लाभान्वित हों और उन उपायों को भारत सरकार को बताया जा सके,जिससे स्वास्थ्य जैसे विषय पर हर साल खर्च होने वाले अरबों-खरबों के व्यय को रोका जा सके और लाखों-करोणों लोगों को मौत के मुंह से बचाया जा सके।
सहमत हूं आपकी बात से ...
जवाब देंहटाएंअंधविश्वास एक समाजिक कुरीति है.
जवाब देंहटाएंआपका प्रयास प्रसंशनीय है,मेरा निजी विचार है,
ज्योतिष एक मान्य विधा है जिसका दुरप्रयोग बडे
पैमाने पर अपने स्वार्थों की पूर्ति हतु किया जाता रहा है.
ऐसे आलेखों की भारत को ज़रुरत है .क्या कोई ज्योतिष सितारे बाज़ बतलायेगा भारत में यूं सरे आम बलात्कार कब तक होते रहेंगे औरतों की अंतड़ियां कब तक बसों में निकाली जाती रहेंगी ?और व्यवस्था सिर्फ घावों पे मरहम लगाती रहेगी घाव न हों इसका इन्ताज़ नहीं करेगी .
जवाब देंहटाएंयह ठीक उसी प्रकार है जैसे डाक्टर की गलती से मरीज की मृत्यु होजाती है.... इंजीनियर की गलती से बनाता हुआ पुल गिर जाता है और लोग मारे जाते हैं....फिर भी सब डाक्टरों पर जाते हैं और पुल बनते रहते हैं.....
जवाब देंहटाएंआदरणीय गुप्ता जी, यह बात आप भी भलीभांति जानते हैं कि हजार में से एक पुल भी बनते समय नहीं गिरता है और पढ़े-लिखे डॉक्टरों की गलती से मरने वालों की संख्या भी शायद हजार में से एक ही हो। किन्तु ज्योतिष, तंत्र-मंत्र, टोना-टोटका से आज तक किसी का भी भला नहीं हुआ है। ये सभी भ्रामक विद्याएं 1०० प्रतिशत लोगों को बेवकूफ बनाती हैं। इसलिए कृपया इस तरह के कुतर्क प्रस्तुत करके बातों को भटकाने का प्रयत्न न करें।
हटाएंdr. zakir ali aur sabhi logo ko ya batana chahta hoon ki tantra-mantra me bahut takat hoti hai . par vishvash is liye nahi hota kyonki voh hame dikhta nahi hai.aur kundali ko har 6 mahine me jacha jata hai tabhi o sahi jankari deta hai.
जवाब देंहटाएंApp ne toh meri aakhe khol di...Thank you so much.....Mai bhi abhi yahi kar raha tha net par yahi search kar raha tha "Rasifal" mai apana rasifal dekhna chah raha tha lekin aapka lekh mil gaya .....Bahut bahut dhanyawad for this ....
जवाब देंहटाएंshalu kumari
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