लखनऊ के कैंट इलाके में पॉलीथीन पर प्रतिबंध है। पर बावजूद इसके दुकानदार चोरी-छिपे पालीथीन का प्रयोग करते पाए जाते हैं। यही हाल उत्तराख...
लखनऊ के कैंट इलाके में पॉलीथीन पर प्रतिबंध है। पर बावजूद इसके दुकानदार चोरी-छिपे पालीथीन का प्रयोग करते पाए जाते हैं। यही हाल उत्तराखंड, हिमांचल, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और गोआ के बहुत से जिलों का है। पालीथीन से होने वाले नुकसानों को देखते हुए सरकारें इनपर प्रतिबंध तो लगा देती हैं, पर इसके बावजूद इनका उपयोग बंद नहीं हो पाता। ऐसे में सवाल उठता है कि क्यों नहीं सफल होता है पॉलीथीन पर प्रतिबंध?
पर्यावरण एवं स्वास्थ्य दोनों के लिए नुकसानदायक 40 माइक्रॉन से कम पतली पॉलीथीन पर्यावरण की दृष्टि से बेहद नुकसानदायक होती है। चूंकि ये पॉलीथीन उपयोग में काफी सस्ती पड़ती हैं, इसलिए इनका उपयोग धड़ल्ले से किया जाता है। लेकिन इन्हें एक बार उपयोग करने के बाद कूड़े में फेंक दिया जाता है, जो प्रदूषण का कारण बनती हैं। इसके साथ ही साथ कुछ कंपनियां ज्यादा मुनाफा के चक्कर में प्लास्टिक को लचीला और टिकाऊ बनाने के लिए घटिया एडिटिव (योगात्मक पदार्थ) मिलाती हैं, जो प्लास्टिक में रखे खाद्य पदार्थों के संपर्क में आकर घुलने भी लगते हैं। इससे प्रदूषण के साथ-साथ ये पन्नियां तरह-तरह की बीमारियों का भी सबब बनती हैं।
प्लास्टिक कचरे का हो सकता है सदुपयोग
पर्यावरण एवं स्वास्थ्य दोनों के लिए नुकसानदायक 40 माइक्रॉन से कम पतली पॉलीथीन पर्यावरण की दृष्टि से बेहद नुकसानदायक होती है। चूंकि ये पॉलीथीन उपयोग में काफी सस्ती पड़ती हैं, इसलिए इनका उपयोग धड़ल्ले से किया जाता है। लेकिन इन्हें एक बार उपयोग करने के बाद कूड़े में फेंक दिया जाता है, जो प्रदूषण का कारण बनती हैं। इसके साथ ही साथ कुछ कंपनियां ज्यादा मुनाफा के चक्कर में प्लास्टिक को लचीला और टिकाऊ बनाने के लिए घटिया एडिटिव (योगात्मक पदार्थ) मिलाती हैं, जो प्लास्टिक में रखे खाद्य पदार्थों के संपर्क में आकर घुलने भी लगते हैं। इससे प्रदूषण के साथ-साथ ये पन्नियां तरह-तरह की बीमारियों का भी सबब बनती हैं।
प्लास्टिक कचरे का हो सकता है सदुपयोग
अगर सरकारें चाहें, तो प्लास्टिक कचरे को अनेक क्षेत्रों में इस्तेमाल किया जा सकता है। उदाहरणस्वरूप हम बंगलुरू को ले सकते हैं, जहां पर कूड़े कचरे में फेंकी जाने वाली पन्नियों अन्य कचरे के साथ ट्रीटमेंट करके खाद बनाई जा रही है। इसी तरह हम हिमाचल प्रदेश का भी उदाहरण हमारे सामने है, जहां केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मदद से पन्नियों को चक्रित करके सड़क निर्माण में उपयोग में लाया जा रहा है। जर्मनी में प्लास्टिक के कचरे से बिजली का निर्माण भी किया जा रहा है। इसके अलावा पन्नियों को चक्रित करके खाद भी बनाया जा सकता है। इसलिए यदि सरकारें इस दिश में गम्भीर हों, तो नुकसानदायक प्लास्टिक के कचरे से लाभ भी कमाया जा सकता है।
बायो प्लास्टिक हो सकती है बेहतर विकल्प
प्लास्टिक से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए बायो प्लास्टिक को बढ़ावा देना चाहिए। बायो प्लास्टिक चीनी, चुकंदर, भुट्टा जैसे जैविक रूप से अपघटित होने वाले पदार्थों के इस्तेमाल से बनाई जाती है।
कैसे कारगर हो सकते हैं प्रतिबंध ?
पर्यावरण की रक्षा के लिए प्लास्टिक पर लगाए जाने वाले प्रतिबंध तभी कारगर हो सकते हैं, जब उनके लिए निम्न कदम उठाए जाएं:
कैसे कारगर हो सकते हैं प्रतिबंध ?
पर्यावरण की रक्षा के लिए प्लास्टिक पर लगाए जाने वाले प्रतिबंध तभी कारगर हो सकते हैं, जब उनके लिए निम्न कदम उठाए जाएं:
1. प्लास्टिक निर्माण करने वाली फैक्ट्रियों पर कड़ी नजर रखी जाए, जिससे वे मानक के विपरीत प्लास्टिक का निर्माण न कर सकें।
2. दुकानदारों को प्लास्टिक के विकल्प के रूप में जूट एवं कागज के बने थैले सस्ते दामों में और पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराए जाएं।
3. जूट एवं कागज से बने थैलों के निर्माण के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं को प्रोत्साहन दिया जाए।
4. प्लास्टिक के प्रयोग को निरूत्साहित करने के लिए स्कूल कॉलेज स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएं।
5. मानक के विपरीत पालीथिन का उत्पादन/व्यापार करने वालों के विरूद्ध सख्त कार्यवाही की जाए।
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आपकी उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 27/11/12 को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका चर्चा मंच पर स्वागत है!
जवाब देंहटाएंRemarkable issues here. I’m very satisfied to peer your article. Thank you so much and I am having a look forward to touch you. Will you please drop me a mail?
जवाब देंहटाएंबहु उपयोगी पोस्ट सार्थक अनुकरणीय सुझाव .
जवाब देंहटाएंबेहतर संकलन !!
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