समय के पार: बालसाहित्य की सबसे सौभाग्यशाली/दुर्भाग्यशाली पुस्तक यदुनाथ सिंह मुरारी ‘समय के पार’ एक ऐसा बाल उपन्यास है, जो आठ विज्ञा...
समय के पार: बालसाहित्य की सबसे सौभाग्यशाली/दुर्भाग्यशाली पुस्तक
यदुनाथ सिंह मुरारी
‘समय के पार’ एक ऐसा बाल उपन्यास है, जो आठ विज्ञान कथाओं (कम्प्यूटर का कमाल, पौधे की गवाही, मन की उलझन, कहानी लेखन यंत्र, खतरनाक चेहरा, क्लोन का भूत, देश की खातिर एवं ए रोबो) के साथ संयुक्त रूप से प्रकाशित हुआ है। (शायद इसी वजह से इस उपन्यास की चर्चा उपन्यास के रूप में न होकर कहानी संग्रह के रूप में ही होती है, जोकि सही नहीं है।) यह पुस्तक प्रकाशन विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रकाशित है। यदि किसी को हिन्दी बाल उपन्यासों के मिथकीय स्वरूप को देखना हो, तो ‘समय के पार’ इसका श्रेष्ठ उदाहरण है।
पर्यावरण जैसे गम्भीर विषय को लेकर लिखी गयी यह एक ऐसी वैज्ञानिक कल्पना है, जिसके मायालोक में खोने से पाठक स्वयं को बचा नहीं सकता। शब्दों का जादू, पात्रों की सजीवता और घटनाओं का अद्भुत अंकन इस उपन्यास को एक ऐसी ऊँचाई पर ले जाते हैं, जिसकी कल्पना ही की जासकती है। रोचकता, रोमांचकता, उत्सुकता और प्रभावोत्पादकतासभीकुछ यहां पर अपने चरम पर है। वास्तव में बाल उपन्यास कैसे होने चाहिए, ‘समय के पार’ इसका एक आदर्श उदाहरण है।
समय के पार: हिन्दी का महत्वपूर्ण बाल उपन्यास |
विज्ञान कथा लेखन एक दुष्कर कार्य है। इसके लिए सिर्फ तथ्यों की तार्किकता ही नहीं अपितु वैज्ञानिक दृष्टिकोण की भी आवश्यकता होती है। सामान्यत: रचनाकार विज्ञान कथा के नाम पर या तो परिचयात्मक लेख लिखने लगते हैं या फिर विज्ञान के नियमों को धता बताते हुए बेसिरपैर की अवैज्ञानिक कल्पना। पर श्री रजनीश इस दोष से सर्वथा मुक्त हैं। ‘विज्ञान कथा भूषण’ एवं डॉ0 सी0वी0 रमन तकनीकी लेखन पुरस्कार से सम्मानित श्री रजनीश एक कुशल कथाकार ही नहीं कुशल विज्ञान कथाकार भी हैं, यह बात ‘समय के पार’ में साफ देखने को मिलती है।
श्री रजनीश ने यह उपन्यास मात्र 22 वर्ष की अवस्था में लिख कर यह प्रमाणित कर दिया था कि प्रतिभा कभी उम्र की मोहताज नहीं होती (उपन्यास की पांडुलिपि पर वर्ष 1997 में भारतेंदु पुरस्कार प्राप्त हुआ था)। जिस प्रकार चंद्रधर शर्मा गुलेरे की कहानी ‘उसने कहा था’ ने उन्हें हिन्दी साहित्य में अमर बना दिया, उसी प्रकार जाकिर अली रजनीश का बाल उपन्यास ‘समय के पार’ उन्हें हिन्दी बाल साहित्य के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान दिलाने में सक्षम है।
यह पुस्तक बाल साहित्य की सबसे सौभाग्यशाली इस अर्थ में है क्योंकि यह बाल साहित्य की इकलौती ऐसी पुस्तक (वर्ष 2000 में प्रकाशित) है, जिसपर बाल साहित्य के तीन सबसे बड़े पुरस्कार (भारतेन्दु पुरस्कार, श्रीमती रतनशर्मा स्मृति बालसाहित्य पुरस्कार, और उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का सर्जना पुरस्कार) प्राप्त हुए। पर सबसे दुर्भाग्यशाली इस अर्थ में कि इतनी महत्वपूर्ण पुस्तक होने के बावजूद इसके बारे में किसी समालोचनात्मक लेख में इसके बारे में जरा सी भी चर्चा नहीं मिलती। ऐसा क्यों? यह एक बहुत बड़ा सवाल है।
लेखक:
यदुनाथ सिंह मुरारी,
पूर्व प्रवक्ता
जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग
डॉ. राम मनोहरलोहिया अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद
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bahut sahi kaha hai aapne.sarahniy prastuti. कोई कानूनी विषमता नहीं ३०२ व् ३०४[बी ]आई.पी.सी.में
जवाब देंहटाएंऔलाद की कुर्बानियां न यूँ दी गयी होती .
आपकी बात बिल्कुल सही है. हम लोग दरअसल बंधे-बंधाए खांचों में सोचने के आदी हो गये हैं, इसलिये कोई नयी चीज़ जल्दी निगाहों में नही आ पाती.
जवाब देंहटाएंAgar aisi bat hai ti mai ise padhna chahunga. Kahan milegi?
जवाब देंहटाएंManoj Kumar rai
Siwan
अच्छी जानकारी दी है आपने इस उपन्यास के बारे में ...
जवाब देंहटाएंहिंदी में ऐसा साहित्य कम ही उपलब्ध है ...
jab aapne itna kuchh kaha hai aur jo awards mile hain, to jarur ye pustak apne me behtareen hogi...!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी समीक्षा की है इसको पढने की उत्सुकता जगी है मेरे साथ मेरी बच्चे भी पढेंगे कृपया बताएं बुक कैसे प्राप्त कर सकते हैं
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंमनोज जी एवं राजेश जी, प्रकाशन विभाग का कार्यालय: सूचना भवन, सीजीओ कॉम्लेक्स, लोधी रोड, नई दिल्ली-110003 फोन: 011-24367260, 24365610 में स्थित है। वहां से इसे प्राप्त किया जा सकता है।
हटाएंइसके अलावा यह पुस्तक प्रकाशन विभाग के निम्न विक्रय केन्द्रों से भी प्राप्त की जा सकती है:
हॉल नं0 196, पुराना सचिवालय, दिल्ली-110054 फोन: 011-23890205
कामर्स हाउस, करीभाई रोड, बाजार्ड पायर, मुंबई-400038 फोन: 022-27570686
8 एस्प्लेनेड ईस्ट, कोलकाता-700069 फोन: 033-22488030
राजाजी भवन, बेसेंट नगर, चेन्नई-600090 फोन: 044-24917673
बिहार राज्य सहकारी बैंक बिल्डिंग, अशोक राजपथ, पटना-800004 फोन: 0612-2683407
प्रेस रोड, निकट गवर्नमेन्ट प्रेस, तिरूअनंतपुरम-695001 फोन: 0471;2330650
हाल नं0 1, दूसरी मंजिल, केंद्रीय भवन, अलीगंज, लखनऊ-226024 फोन: 0522-2325455
प्रथम तल, एफ विंग, केंद्रीय सदन, कोरामंगला, बंगलौर-560034 फोन: 080-25537244
अंबिका काम्प्लेक्स, प्रथम तल, पालदी, अहमदाबाद-380007 फोन: 079;26588669
केबीके रोड, न्यू कालोनी, मकान नं0 7, चेनिकुठी, गुवाहाटी-781003 फोन: 0361;2665090
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आज मैं आपके ब्लॉग का टेम्पलेट देख रहा था तो Social Profiles में आपने केवल फ़ेसबुक और ट्विटर के चित्र ही चिपकाये हुए हैं, उन्हें अपने पते के साथ अपडेट नहीं किया है, इसे अपडेट करें तो पाठकों को सुविधा होगी ।
जवाब देंहटाएंतस्लीम को तस्लीम!!! :)
जवाब देंहटाएंडॉ .जाकिर अली रजनीश की इस उपलब्धि से हम भी गौरवान्वित महसूस करतें हैं और चाहतें हैं इस संग्रह की कहानियों का ब्लॉग जगत में भी प्रकाशन हो .
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