वह एक दस वर्ष का बालक था। अचानक उसकी नजर एक उड़ती हुई गौरैया पर पड़ी। उसने अपनी एयरगन से चिडि़या पर निशाना लगाया और गोली चला दी। गोली एकद...
वह एक दस वर्ष का बालक था। अचानक उसकी नजर एक उड़ती हुई गौरैया पर पड़ी। उसने अपनी एयरगन से चिडि़या पर निशाना लगाया और गोली चला दी। गोली एकदम निशाने पर लगी। देखते ही देखते वह गौरेया जमीन पर आ गिरी। बालक ने उसे उठाया। उसने पक्षी को बहुत ध्यान से देखा। उसकी गर्दन पर पीले निशान देखकर वह बालक आश्चर्यचकित रह गया। उसने ऐसी गौरैया पहले कभी नहीं देखी थी। वह गौरैया को लेकर अपने मामा अमीरूदीन तैयबजी के पास पहुँचा और उसके बारे में पूछने लगा। मामा के पास उसके सवालों का कोई जवाब नहीं था। इससे बालक बेचैन हो उठा। वह हर किसी से उस चिडि़या के बारे में पूछने लगा।
उन्हें देखकर बालक का मुँह आश्चर्य से खुला का खुला रह गया। वह बोला- क्या हमारे देश इतनी तरह की चिडि़या होती हैं? इसपर मिलार्ड ने कहा, मेरे बच्चे इस भारत में इससे भी ज्यादा खूबसूरत और रंग-बिरंगी चिडि़या पाई जाती हैं। पर अफसोस कि हमारे पास उनका अभी कोई प्रामाणिक रिकॉर्ड नहीं है।
मिलार्ड के वक्ताव्यर से वह बालक बहुत प्रभावित हुआ और मन ही मन उसने उन चिडि़यों के बारे में जानने का निश्चय किया। आगे चलकर वही बालक विश्व प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी सालिम अली (पूरा नाम: सालिम मोइजुद्दीन अब्दुल अली) के नाम से जाना गया। उस घटना के बाद सालिम का जीवन का नजरिया ही बदल गया। उन्होंने उसी क्षण पक्षियों के अध्ययन को अपने जीवन का ध्येय बना लिया।
जीवन की कठिन परिस्थितियों को झेलते हुए उन्होंने अपने इरादे को कायम रखा और पक्षियों पर अनुसंधान कार्य किया। अपने शोध कार्यों को अनुभवों को बाँटने के उद्देश्य से उन्होंने ‘द बुक ऑफ इंडियन बर्ड्स’ नामक यह पुस्तक लिखी, जो सन 1941 में प्रकाशित हुई। उनकी इस पुस्तक ने ही लोकप्रियता के नए रिकार्ड स्थापित हुए और कई भाषाओं में अनुवाद हुआ।
इस पुस्तक के अब तक 13 संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं और अब तक 80 हजार से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हैं। इस पुस्तक की उपयोगिता को दृष्टिगत रखते हुए भारत सरकार ने वैज्ञानिक जागरूकता वर्ष 2004 में आर वी पी एस पी/ एन सी एस टी सी, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसायटी, मुम्बई के सहयोग से इस पुस्तक का हिन्दी अनुवाद 'भारत के पक्षी' नाम से प्रकाशित किया है।
370 पृष्ठ की यह पुस्तक समस्त भारतीय पक्षियों का कोश है, जिसमें उनकी सभी प्रमुख विशेषताओं का सचित्र वर्णन किया गया है। इस पुस्तक के 1979 में प्रकाशित ग्यारहवें संस्करण का डॉ0 सालिम अली ने अन्तिम बार संशोधन व विस्तारीकरण किया था। उस संस्करण में 296 पक्षी प्रजातियों का वर्णन व चित्रण किया गया था। बाद में सन 1992 के आसपास इस पुस्तक को भारत के सभी जैवभौगोलिक भागों की सामान्य व रोचक पक्षी प्रजातियों के विवरण से परिपूर्ण करके भारतीय उपमाद्वीप के लिए एक उपयोगी फील्ड गाइड के रूप में सम्पादित करने का निर्णय लिया गया। इस संशोधित व संवर्धित पुस्तक को डॉ0 सालिम अली की जन्म शताब्दी के सुअवसर पर, भारत में पक्षी प्रेक्षण को बढ़ावा देने में उनके मौलिक योगदान को स्मरणीय रखने हेतु प्रस्तुत किया गया है।
इस शताब्दी संस्करण में कुल 538 प्रजातियों का विवरण है। सभी विवरणों को डॉ0 सालिम अली की भाषा—शैली में ही रखने के अभिप्राय से सामग्री को उन्हीं की अन्य पुस्तकों से प्राप्त किया गया है। जाहिर सी बात है कि अपनी इन तमाम विशेषताओं के कारण यह एक ऐसी अतुलनीय और संग्रहणीय पुस्तक बन गयी है, जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है।
पुस्तक: भारत के पक्षी (The Book of Indian Birds)
लेखक: सालिम अली (Salim Ali)
अनुवादक: गायत्री उगरा
प्रकाशक: बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसायटी, हौर्नबिल हाउस, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुम्बई—400001
पृष्ठ: 370 (हार्डबाउंड)
मूल्य: 500 रू0
अनुवादक: गायत्री उगरा
प्रकाशक: बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसायटी, हौर्नबिल हाउस, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुम्बई—400001
पृष्ठ: 370 (हार्डबाउंड)
मूल्य: 500 रू0
उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवार के चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंExcellent! His name is pronounced as Saalim Ali and not as Saleem Ali..
जवाब देंहटाएंगल्ती की ओर ध्यान दिलाने का शुक्रिया।
हटाएंइस उपयोगी और जानकारीपूर्ण पोस्ट के लिए आभार !
जवाब देंहटाएंसालिम अली जी पर इतना सुन्दर आलेख प्रशंशनीय है. पक्षियों की जब बात होती है तो सालिम अली जी की चर्चा निश्चित ही होती है.
जवाब देंहटाएंजानकारीपूर्ण पोस्ट .
जवाब देंहटाएंइस उपयोगी, प्रशंशनीय और जानकारीपूर्ण पोस्ट के लिए आभार !
जवाब देंहटाएंहमने आज ही नाम सुना, अच्छा लगा जानकर ।
जवाब देंहटाएंइस पुस्तक की महत्वपूर्ण जानकारी सांझा करने के लिए हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंज़ाकिर भाई, पुस्तक की जानकारी के लिये शुक्रिया। आपने बहुत बेहतरीन ढंग से इसे प्रस्तुत किया है।
जवाब देंहटाएंहेमन्त
Very Nice Information
जवाब देंहटाएंThanks
@
जवाब देंहटाएंमैंने अज्ञानता वश ही नहीं लिखा था -उनका नाम मानक संदर्भ कोशों में Sálim Moizuddin Abdul Ali लिखा है औरत स्वयं उन्हें भी यही ग्राह्य था ...इसलिए मैंने उच्चारण की दृष्टि से लिखा Saalim .....ऊपर जो एस के ऊपर एक हलंत लगाया गया है उनकी स्वरचित मूल अंगरेजी की पुस्तकों में भी है - उन्हें वही उच्चारण पसंद और स्वीकार्य था -
मुझे यह कहना है कि हर बात का प्रतिवाद करने के बजाय अगर थोड़ा गंभीरता से चीजों को लिया जाय तो ऐसी अक्षम्य भूलें न हुआ करें ..
हम जब कोई भी बात यहाँ लिखते हैं तो पूरी जिम्मेदारी के साथ ऐसा करते हैं ..
आप सरीखे कितने लोगों ने उनके नाम के उच्चारण को भ्रष्ट किया है और उपदेश भी देने लगते हैं.... आम बोलचाल की बात करें तो यह उनकी आत्मा को ठेस पहुंचाता होगा ....जिस किताब की आपने समीक्षा की उसमें भी सालिम अली लिखा हुआ है ..जो प्रमाणित और प्रतिष्ठित संस्थान से छपी है .....जहाँ से सालिम अली प्रेरित हुए थे .....अब बाम्बे नेचुरल सोसायटी में कुछ काबिल लोग भी बैठते हैं ..
प्रतिवाद करना अच्छी बात है मगर अज्ञान और अल्पज्ञान से उपजा प्रतिवाद हास्यास्पद होता है ....आपने तो शायद यह पुस्तक देखी और समीक्षा लिख ली मगर मैंने तो सालिम अली को जिया है जीवन में ......
आदरणीय अरविंद जी, आप द्वारा इस तरह की भाषा का इस्तेमाल देखकर मैं हतप्रभ हूं।
हटाएंमाना कि मैं गलत हूं और आप सही, लेकिन इसमें इतनी तल्खी की वजह क्या है?
क्या विनम्रता और सहजता, विद्वता के धुर विरोधी हो गये है?
अब आपने अपनी टिप्पणी ही मिटा दी तो क्या कहूं ?
हटाएंयह आपकी टिप्पणी के जवाब में थी -कोई भी वैसा लिखता तो मैं ऐसा ही लिखता ..
अब आपसे सम्बन्ध के चलते मैं कुछ और तरीके से लिखता तो अपने से न्याय नहीं कर पाता
कभी भी किसी भी किसी तथ्य का खंडन करते हुए यह अवश्य देखना चाहिए कि उस क्षेत्र में
अपनी विशेषज्ञता क्या है .....और जिस बात और व्यक्ति का खंडन किया जा रहा है उसकी संदर्भित क्षेत्र
में क्या स्थिति है .......?आशा है आप भविष्य में भी सावधानी बरतेगें.....
आशा है आप आत्म निरीक्षण करेगें ..आपको क्षोभ हुआ इसलिए क्षमा चाहता हूँ !
अरविंद जी, मैंने बहुत विनम्रता के साथ अपनी समझ और उपलब्ध साक्ष्य (ऑनलाइन भारत कोश) के आधार पर अपनी बात रखी थी और कुछ नहीं। सारी बात स्पष्ट हो जाने के बाद उसकी कोई आवश्यकता नहीं महसूस हुई, इसलिए अपनी गल्ती मानते हुए मैंने उसे मिटा दिया।
हटाएंजहां तक वैचारिक तर्कों की बात है, सामने वाला भले ही कितना मूर्ख और अज्ञानी क्यों न हो, किसी भी विद्वान व्यक्ति को विपक्षी के सामने आत्म नियंत्रण खोते हुए नहीं दिखना चाहिए। इस स्थिति से बचने के लए ही मैंने आपकी टिप्पणी सुबह ही पढ लेने के बाद उसके जवाब को शाम तक के लिए मुल्तवी कर दिया था। यदि उस समय तुरन्त मैं भी उसका जवाब लिखने बैठ जाता, तो लाख सावधानी के बावजूद मेरे जवाब में भी तल्खी आ ही जाती। मेरे विचार में एक क्षण के आवेश के चलते वर्षों पुराने सम्बंधों को होम कर देना न तो उचित है और न ही समझदारी।
और जहां तक भविष्य में ध्यान रखने की बात है, मेरा मानना है कि हर समझदार व्यक्ति हर क्षण, हर कदम पर कुछ न कुछ सीखता है। मैं भी भविष्य में इस कसौटी पर खरा उतर सकूं, यह प्रत्याशा तो रहेगी ही।
अब आपको कुछ और कहूँगा तो वह भी तल्ख़ हो जायेगा ......और मुझे दुबारा क्षमा मांगनी होगी ,,,
हटाएंजिस सम्बन्ध की बात आप कर रहे हैं वह तो कभी का ख़त्म हो गया है ..अब तो बस दुनियादारी ही बची है ..देखिये वह भी जब तक निभ जाय मगर यह बातें और आप अपना उपदेश मुझे अलग से भी दे सकते हैं .....साईंस ब्लागर्स के प्रिय पाठकों ने कोई गुनाह नहीं किया है की वे फिर एक अप्रिय विवाद यहाँ झेलें.....
अब आप भी डाक्टरेट उपाधि धारी हो गए हैं तो इसलिए भी मैं सहजता से आपको बहुत बातें नहीं कह सकता .....और आपकी शान में गुस्ताखी की जुर्रत तो और भी नहीं :-)
आपसे प्रार्थना है कि मेरे पहले ही क्षमा मांग लेने के बाद इस विवाद को और यहाँ न खीचें ...हम फोन पर बात कर सकते हैं -
एक उद्येश्य की पूर्ति के लिए हमें इन निजी असहमतियों की बलि देनी होगी...
सालिम और सलीम की चर्चा गंभीर है, लेकिन इसमें तल्खी ठीक नहीं लगी.
जवाब देंहटाएंराहुल जी क्या आप भी मेरा स्पष्टीकरण चाहते हैं ?
जवाब देंहटाएंमेरे स्वभाव को तो जानते हैं ..सलिल वर्मा जी को मैंने एक बार ऐसे ही
बहुत क्रोधित कर दिया था जब उन्होंने यह कहा था कि चाँद पर झंडा फहराने की बात
अमेरिका की अफवाह है !
आप समझ सकते हैं इस तरह की बातें मुझे बुरी तरह विचलित कर देती हैं..
जैसे किसी ने मेरी ज्ञान -समाधि ही भंग कर दी हो !
मैं आपको कोई भरोसा अब भी नहीं दे पाउँगा !सारी!
मेरे पास यह पुस्तक है।
जवाब देंहटाएंपक्षियों का निरीक्षण वैज्ञानिक से कहीं अधिक एक आध्यात्मिक पहल है। इसलिए,कभी मिलके देखिए,इस क्षेत्र के विशेषज्ञों के चेहरे पर भी वही शांति और तेज़ दिखेगी।
Salim Ali is such a well known personality. This book is a treasure for bird watchers.
जवाब देंहटाएंइस घटना का जिक्र पुस्तक A "फाल ऑफ़ अ स्पैरो "में किया है
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहम इस बुक को खरीदना चाहते है कैसे मिलेगा
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