ज़ाकिर अली 'रजनीश' की लोकप्रिय बाल विज्ञान कथा: चुनौती
बाल विज्ञान कथा : चुनौती
लेखक-ज़ाकिर अली `रजनीश´
बात सिर्फ जरा सी थी। लेकिन बढ़ते-बढ़ते वह ऐसी बढ़ी की, कि वह चुनौती तक आ पहुँची। इस चुनौती की गूँज इतनी जबरदस्त रही कि रहमतपुर गाँव ही नहीं आसपास के लोग भी उसका परिणाम जानने को उत्सुक हो उठे।
मुकाबला रामलीला मैदान में आयोजित था। नौ बजते-बजते मैदान ठसाठस भर गया। मैदान के बीचोबीच बने चबूतरे पर गोलाई में प्रधान जी, विवेक, पंचों तथा गुरूजी महाराज के बैठने की व्यवस्था की गयी थी। इस दौरान कोई अव्यवस्था न उत्पन्न हो, इसलिए प्रधान जी ने दो-चार पुलिस वालों को भी वहाँ पर बुलवा लिया था।
कुछ समय के इंतजार के बार गुरूजी मैदान में पधारे। उनके आने पर प्रधान जी अपने स्थान पर खड़े हुए जन समूह को इस रोचक मुकाबले की पूर्व पीठिका के बारे में बताने लगे।
दरअसल हुआ यूँ था कि आज से ठीक पन्द्रह दिन पहले गाँव में गुरूजी का प्रवचन आयोजित था। प्रवचन से पहले उनका परिचय देते हुए उनके एक शिष्य ने कहा कि गुरूजी महाराज ने अपनी साधना से ऐसी दैवीय शक्तियाँ अर्जित की हैं, जिनसे वे प्रकृति के नियमों को भी उलट सकते हैं।
संयोग से वहाँ पर रहमतपुरा के प्रधानजी का नाती विवेक भी उपस्थित था। वह गर्मियों की छुट्टियों में गाँव आया हुआ था। उसने इस बात का प्रतिवाद किया। इससे गुरूजी नाराज हो गये। उन्होंने विवेक से क्षमा माँगने को कहा। इस पर विवेक ने शर्त रख दी कि यदि वे अपने शिष्य के द्वारा कही गयी बात को साबित करके दिखा दें, तो वह सबके सामने क्षमा माँग लेगा।
यह सुनकर गुरूजी ने विवेक की चुनौती स्वीकार कर ली और आज से ठीक पन्द्रह दिन बाद रामलीला मैदान में इसका जवाब देने का वादा किया।
प्रधान जी की बात समाप्त होते ही भीड़ ने गुरूजी महाराज का एक जोरदार जयकारा लगाया। वे अपनी जगह पर खड़े हो गये और जनता को सम्बोधित करते हुए बोले, ‘‘आप सब लोग जाते हैं कि प्रार्थना में बड़ी शक्ति होती है। प्रार्थना यदि सच्चे मन से हो, तो असम्भव भी सम्भव हो जाता है। प्रार्थना यदि हृदय से हो, तो भगवान भी भक्त के पास दौड़े-दौड़े चले आते हैं। प्रार्थना यदि अन्तर्मन से की जाए, तो भक्त के लिए प्रकृति के नियम भी बदल जाते हैं।’’
गुरूजी की बातें सुनकर रामलीला मैदान तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा। गुरूजी ने बात आगे बढ़ाई, ‘‘हम सब इस धरती पर पैरों के बल चलते हैं। क्यों? क्योंकि यह ईश्वर का बनाया नियम है। लेकिन विज्ञानी लोग ऐसा नहीं मानते। उनका कहना है कि ऐसा धरती के गुरूत्वाकर्षण के कारण होता है। विज्ञान कहता है कि गुरूत्व के कारण पेड़ों की जड़ें जमीन में नीचे की ओर जाती हैं और वह सीधा खड़ा रहता है। ...लेकिन मैं आप सबको दिखाऊँगा कि ईष्वरीय कृपा के द्वारा इस नियम को बदला जा सकता है। ...और मैंने इसे बदल दिया है।‘‘
‘‘गुरूजी महाराज की जय‘‘ भीड़ ने एक बार फिर जयकारा लगाया।
विवेक चुपचाप गुरूजी की बातों को सुन रहा था। गुरूजी का इशारा पाकर उनका एक शिष्य बड़ा सा डब्बा ले आया। गुरूजी ने जब उसे खोला, तो उसमें एक गोल चक्के पर बेड़े-बेड़े कई सारे पौधे बंधे हुए नजर आए। गुरूजी ने उन्हें दिखाते हुए कहा, ‘‘ये एक अभिमंत्रित गोल चक्री है। मैंने पन्द्रह दिन पहले दफ्ती के चार डब्बों में मिट्टी भर कर बीजों को रोपा और उन्हें इस चक्री पर समान दूरी पर बाँध दिया। इसी पर बीजों का अंकुरण हुआ और ये इतने बड़े हुए। लेकिन जैसा कि आप लोग देख रहे हैं कि ये पौधे ऊपर की ओर न बढ़कर चक्री की सतह से सटकर लेटे-लेटे बढ़ रहे हैं। मेरी दिव्य शक्तियों के प्रभाव से इन पौधों ने धरती के गुरूत्व को झूठा साबित कर दिया और यह सब आपके सामने है।‘‘
‘‘गुरूजी महाराज की जय‘‘ भीड़ ने जयकारा लगाया।
गुरूजी ने अपनी बात आगे बढ़ाई, ‘‘और हाँ, इस पूरे घटनाक्रम की वीडियो रिकार्डिंग भी हमारे पास मौजूद है। यदि किसी को शक हो, तो वह उसे देख सकता है।‘‘
तालियों की गड़गड़ाहट के बीच विवेक अपनी जगह पर खड़ा हो गया, ‘‘वाह गुरूजी, यह चमत्कार देखकर तो मैं अभिभूत हो उठा। आपने यह जबरदस्त सिद्धि कैसे प्राप्त की?‘‘
विवेक के मुँह से यह बात सुनकर गुरूजी का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। वे बोले, ‘‘यह मेरे बीस वर्षों के तप का परिणाम है वत्स। मुझे खुशी है कि तुम्हें भी इस दैवीय शक्ति का महत्व समझ में आ रहा है।’’
‘‘लेकिन क्षमा चाहूँगा गुरूजी, यह चमत्कार एक सदी से भी पहले एक अंग्रेज वैज्ञानिक नाइट ने करके दिखाया था।‘‘ कहते हुए विवेक ने अपने पास रखे एक डिब्बे को उठाया और झटके से उसका कवर हटा दिया।
आश्चर्य का विषय यह था कि उसमें भी गुरूजी के जैसी ही चक्री और पौधे मौजूद थे। विवेक उसे दिखाते हुए बोला, ‘‘पर गुरूजी, आपने इस चमत्कार से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण बात तो जान बूझकर छिपा ली है।’’
‘‘कौन सी बात?‘‘ गुरूजी ने अपना थूक निगलते हुए पूछा।
‘‘यही कि यह चमत्कार तभी होता है, जब चक्री मशीन के द्वारा लगातार घुमती रहती है। चक्री के लगातार घूमने के कारण इसमें एक कृत्रिम गुरूत्व पैदा हो जाता है, जो धरती के गुरूत्वाकर्षण से अधिक होता है। इसीलिए पौधे की जड़ें, चक्री के बाहर की ओर तथा उसका तना चक्री के केन्द्र की ओर बढ़ते हैं।‘‘ कहता हुआ विवेक धीरे से मुस्कराया।
‘‘और हाँ, इस प्रयोग को कोई भी व्यक्ति अपने घर में करके देख सकता है। इसके लिए न तो किसी झूठी सिद्धी की आवष्यकता पड़ती है और न ही किसी तपस्या की।’’ एक क्षण रुकने के बाद विवेक पुनः बोला, ‘‘इसी के साथ मैं आप लोगों से एक बात और कहना चाहूँगा। ...इस दुनिया में अपने आप अथवा चमत्कार के कारण कुछ भी नहीं होता। जो भी घटना घटती है, उसके पीछे एक ठोस वैज्ञानिक कारण होता है। लेकिन कुछ धूर्त किस्म के लोग ऐसे हैं, जो विज्ञान के प्रयोगों को चमत्कार बनाकर लोगों को बेवकूफ बनाते हैं। आप लोगों को ऐसे पाखंडियों से सावधान रहना चाहिए।‘‘
विवेक की बातें सुनकर जनता में उत्साह का लहर दौड़ गयी और वह ‘विवेक भैया की जय’ के नारे लगाने लगी। यह देखकर गुरूजी महाराज का चेहरा उतर गया। और उन्होंने वहाँ से निकल लेने में ही भलाई समझी।
‘‘लेकिन बेटा, तुम्हें यह कैसे पता चला कि यह गुरू-घंटाल यहाँ पर इसी प्रयोग को दिखाने वाला है?’’ गुरूजी के जाते ही प्रधान जी ने विवेक के सामने अपनी जिज्ञासा व्यक्त की।
‘‘दरअसल ये गुरूजी महाराज एक साल पहले तक एक इंटर कालेज में भौतिक विज्ञान के अध्यापक थे। और उस दौरान भी ये यह प्रयोग अक्सर बच्चों को दिखाया करते थे।’’
‘‘इसका मतलब तुम्हारे भीतर एक अच्छा वैज्ञानिक बनने के साथ-साथ जासूस बनने की भी काबिलियत छिपी हुई है।’’ कहते हुए प्रधान जी मुस्करा दिये।
रामलीला मैदान में मौजूद जनता एक बार तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठी थी।
---(नोट: पुनर्उपयोग से पूर्व लिखित अनुमति आवश्यक।)---
सम्पर्क सूत्र: 7ए/55, वृन्दावन योजना, रायबरेली रोड, लखनऊ-226029
मोबाईल: 09935923334, ई-मेल: zakirlko@gmail.com, वेबपेज: www.ZakirAli.in
सम्पर्क सूत्र: 7ए/55, वृन्दावन योजना, रायबरेली रोड, लखनऊ-226029
मोबाईल: 09935923334, ई-मेल: zakirlko@gmail.com, वेबपेज: www.ZakirAli.in
keywords: bal vigyan kathayen, science fiction in hindi, science fiction short stories in hindi, children's science fiction in hindi, children's science fiction short stories in hindi, children's science fiction hindi, interesting science fiction stories in hindi, interesting science fiction short stories in hindi, motivational stories in hindi, inspirational stories in hindi, student motivational stories in hindi, student success stories in hindi, bachchon ki kahaniyan,
majedar kahani.
जवाब देंहटाएंरजनीश गुरु जी आप भी ना बस .... :))
जवाब देंहटाएंIs baar ki Nandan khareedni padegi.
जवाब देंहटाएंAapke yehi pryas NANDAN ko tarotaaja aur jinda rakhe huye hai. Dhanywaad.
हटाएंcongrats, reply option is now enabled.
जवाब देंहटाएं---
Tech Prevue Labs
Shkriya.
हटाएंnice story .. thanks
जवाब देंहटाएं