पसवारा निवासी तिजवा श्रीनिवास के घर में लगने वाली जादुई आग का रहस्य।
आग है कि रूकने का नाम ही नहीं ले रही है। सूर्योदय के बाद से सूर्यास्त के दौरान यह आग अपने आप लग जाती है। इस आग को यदि घर के मुखिया के अलावा अन्य कोई व्यक्ति बुझाता है, तो वह बीमार पड़ जाता है। इस वजह से वह परिवार ही नहीं पूरा गाँव आतंकित है और इसे दैवीय आपदा मान रहा है। आखिर क्या है सच्चाई ?
जनपद महोबा के जिला मुख्यालय से आठ किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पसवारा निवासी एक दलित का घर इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। बताया जा रहा है कि तिजवा श्रीनिवास नामक इस दलित के घर में पिछले एक माह से अनायास कपड़ों, छप्पर आदि में आग लग जाती है।
श्रीनिवास ने पहले इसे तंत्र-मंत्र की घटना मान कर झाड़-फूँक भी करवाया, पर आग है कि रूकने का नाम ही नहीं ले रही है। श्रीनिवास का कहना है कि सूर्योदय के बाद से सूर्यास्त के दौरान यह आग अपने आप लग जाती है। सुनने में यह भी आ रहा है कि इस आग को यदि घर के मुखिया के अलावा अन्य कोई व्यक्ति बुझाता है, तो वह बीमार पड़ जाता है। इस वजह से वह परिवार ही नहीं पूरा गाँव आतंकित है और इसे दैवीय आपदा मान रहा है।
हमारे देश में अक्सर ऐसी घटनाएँ सुनने में आती रहती हैं। लेकिन जब इस तरह की घटनाओं का विश्लेषण किया गया, तो यह पाया गया कि इनकी वजह कोई दैवीय शक्ति या अलौकिक चमत्कार नहीं होता है, इनके पीछे परिवार के किसी सदस्य का ही हाथ होता है। ऐसे घरों में यह पाया गया है कि घर के किसी सदस्य की जम कर उपेक्षा/प्रताड़ना की जा रही होती है, जिसके कारण वह मानसिक रूप से विक्षिप्त हो जाता है और वह मानसिक विकृतियों के कारण इस तरह की घटनाएँ करने लगता है। कई बाद इस तरह के मानसिक रोगी अपने घर के खाने में गोबर डालने का काम भी करने लगते हैं।
कैसी लगती है यह रहस्यमयी आग?
इस तरह की रहस्यमयी आग के लिए आमतौर से दो तरीके प्रयोग में लाए जाते हैं। इनमें सबसे पहला तरीका है कंडे बनाते समय गोबर में फॉस्फोरस मिला देना। फास्फोरस मिले हुए कंडे जब सब सूखते हैं, तो तेज धूप के कारण फॉस्फोरस जल उठता है, जिससे इस तरह की आग की घटनाएँ होती हैं।
लेकिन पसवारा गाँव की घटना दूसरे टाइप की है। इसमें घर का कोई व्यक्ति पीला या सफेद फास्फोरस के घोल को कार्बन डाई सल्फाइड के साथ एक और छ: के अनुपात में मिलाकर उपयोग में ला रहा है। यह घोल यदि कपड़ों में लगा दिया जाए, तो सूखने पर अपने आप जलने लगता है।
कौन है इसके पीछे?
अभी तक अखबारों में जो रिपोर्ट आई है, उससे शक होता है कि इस घटना के पीछे घर के मुखिया श्रीनिवास का ही हाथ है। क्योंकि रिपोर्ट में यह कहा गया है कि उस आग को अगर श्रीनिवास के अलावा यदि और कोई व्यक्ति बुझाता है, तो वह बीमार पड़ जाता है। इससे श्रीनिवास पर ही सीधा शक जा रहा है। हो सकता है कि घर में श्रीनिवास को उपेक्षित/प्रताडि़त किया जा रहा हो और मानसिक विकार से ग्रस्त होने के कारण उसने इस तरीके से अपना लिया हो।
क्यों होते हैं घर के लोग बीमार?
यह बहुत साधारण सी बात है। गाँव में ऐसी बहुत सी जड़ी-बूटियाँ पाई जाती हैं, जिन्हें यदि खिला दिया जाए, तो तबियत खराब हो सकती है। और जो व्यक्ति फास्फोरस और कार्बन डाई सल्फाइड तक पहुँच सकता है, उसके लिए इस तरह की चीज खोजना और उसे चालाकी के घर के किसी व्यक्ति को खिला देना बहुत मुश्किल नहीं है।
यदि प्रशासन उस घर की समुचित ढ़ंग से तलाश ले, तो उसे उसे फास्फोरस और कार्बन डाई सल्फाइड का घोल आसानी से मिल सकता है। इसके साथ ही साथ यदि श्रीनिवास सहित घर के सभी लोगों से कड़ाई से पूछताछ की जाए, तो यह भी शीघ्र ही पता लगाया जा सकता है कि इस घटना के पीछे किसका हाथ है।
आपके आकलन से सहमत , मगर जिज्ञासा है कि क्या फास्फोरस और कार्बन डाई सल्फाइड का घोल किसी घरेलु विधि से भी तैयार किया जा सकता है ?
जवाब देंहटाएं@अभिषेक मिश्र जी
जवाब देंहटाएंहमने ऐसे बहुत केस सोल्व किये है इस तरह के विकार गर्सित/हीन भावना ग्रसित व्यक्ति हमेशा किसी सयाने ओझा के पास जाते हैं वो इनको यह तैयार घोल जादुई तालाब का जल कह कर दे देते हैं या अन्य कुछ भी कहानी बताकर,इसलिए अनपढ़ से व्यक्ति को बाजार से नहीं लाना पड़ता ये सब उन्हें तो बस अमुक व्यक्ति तक पहुंचना होता है.
आप मुझ से ऐसे बहुत से प्रयोग सुन सकते हैं.
एक केस आया जिस मे एक नयी बहु को उस की जेठानी और मौलवी मिल कर चुड़ैल साबित कर देते है वो जोर जोर से बोलती है उसे रह रह कर दौरे पड़ते हैं लेकिन हमारे समझाने/मौलवी और जेठानी का पदाफाश करने पर,और बहु के ६ माह तक मायके मे डॉक्टर के निरीक्षण मे दवा करने से वाह आज तक ठीक है और ये कैसे हुआ जाकिर जी को मै फोन पर बता दूंगा वो इस की एक पोस्ट बना देंगे क्यूंकि हम निजता के कारण किसी भी केस का सार्वजनिक खुलासा नहीं कर सकते और इस प्रकार की पोस्टों को पढ़ कर कोई अनुचित लाभ भी ले सकता है.
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विज्ञान पहेली -20 पर आपका स्वागत है.
यही डिफेन्स मिकेनिज्म है जो यह बुजुर्ग अपना रहा है .साफ़ साफ़ यह मनो -रोग का मामला बनता है इसकी जांच ,साइकिएट्रिक स्क्रीनिंग करवाई जाए (बुजुर्ग की ).विज्ञान सम्मत विश्लेषण के लिए बधाई , आभार भी .
जवाब देंहटाएंmeri is tippani ( URL)ke baare me apke kya vichaar hai. kirpya sabhi vigyan vichaar walo se anurodh hai. tippani awashya dein.
जवाब देंहटाएंhttp://khabar.ibnlive.in.com/news/54911/9?xml
एक बात पक्की है कि बुरी आत्माओं का निवास है, उस घर में
जवाब देंहटाएंमुर्दा नहीं जिन्दा :)
प्रणाम
कुछ मानसिक रोगी परिवार वालों से प्यार-सम्मान न मिलने पर इस तरह के कार्य करने लगते हैं। यह डिफेन्स मैकेनिज़्म ही है।
जवाब देंहटाएंआपके द्वारा आग लगने की घटना के कारणों की सही व्याख्या की गई है।
rochak jankari mili....aisi jankariyon ka prasan jaroori hai aabhar...
जवाब देंहटाएंइस तरह कर वैज्ञानिक विश्लेषण की आवश्यक्ता है।
जवाब देंहटाएंगांवों में इस तरह की घटनाएं अकसर सुनने में आती है । अपने आप तो आग लग नहीं सकती इसमें परिवार के ही किसी सदस्य का हाथ लगता है । सोडियम की डली को मिट्टी के तेल में भिगोकर रखने पर कुछ समय बाद तेल के उड़ने पर सोडियम जलने लगता है । तांत्रिकों और ओझाओं के बाद ऐसी चीजें आसानी से मिल जाती है । जिनका उपयोग ये लोग भोले-भाले लोगों को ठगने में करते हैं । जिनका संपर्क ओझाओं से होता है । वे भी इसका उपयोग कर सकते हैं ।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंभाई आइन्स्टाइन ने भी सुपर नेचुरल पावर को मन था
हटाएंबहुत बढ़िया और रोचक जानकारी प्राप्त हुई! शानदार प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
@ Sajjan Singh. Dhanyawaad apni rai dene ke liye.
जवाब देंहटाएंअच्छे तरीके से आपने आंकलन किया है...मुझे तो जानकारी भी मिली नयी.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ऐसी पोस्ट डालने के लिए.
जवाब देंहटाएंअगर मेरे सामने भी कोई ऐसा केस आता है, तो मैं सिर्फ इतना ही कह पाता हू, कोई chemical reaction हुआ होगा, जिसके चलते आग लग गयी. मगर ये जानकारी होना और ये बता पाना कि सफ़ेद या पीला फोस्फोरस और कार्बन सल्फाइड के साथ मिलाने से ऐसा घोल बनता है जो सूखने पे अपने आप जलने लगता है, निश्चित ही हर किसी को convince कर देता है.
धन्यवाद. आगे भी ऐसी जानकारी देते रहिएगा.
सार्थक जानकारी ..
जवाब देंहटाएंनिश्चय ही इन सबके पीछे शरारती मन/तत्व सक्रिय होते हैं
तिजवा श्रीनिवास दलित है अतः इस संभावना की भी जाँच करनी चाहिए कोई ऐसा भय फैला कर उसकी संपत्ति पर काबिज़ तो नहीं होना चाहता या उसे वहाँ से बेदख़ल तो नहीं करना चाहता.
जवाब देंहटाएंआप भी ना बसपा वाले है शिवजीत तिवारी
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