जबसे मनुष्य ने सोचना-समझना शुरू किया, उसे बादलों की कड़क, बिजली की चमक और मौसमी बदलावों ने हैरान-परेशान किया। लेकिन जैसे-जैसे उसकी स...
जबसे मनुष्य ने सोचना-समझना शुरू किया, उसे बादलों की कड़क, बिजली की चमक और मौसमी बदलावों ने हैरान-परेशान किया। लेकिन जैसे-जैसे उसकी समझ विकसित होती चली गयी, उसे इनके कारण समझ में आते चले गये। जब उसने धरती पर बदलने वाले मौसम के बारे में जानने का प्रयत्न किया, तो उसे पता चला कि इसके पीछे कारण है धरती का सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाना। जब उसने दिन और रात के रहस्य को समझने की कोशिश की, तो उसे ज्ञात हुआ कि ऐसा पृथ्वी के अपनी धुरी पर घूमने के कारण होता है। इसी प्रकार जब उसने पूर्णिमा और अमावस्या के बीच चाँद की बदलती हुई कलाओं के रहस्य को जानने का संकल्प लिया, तो उसे पता चला यह सब चंद्रमा पर सूर्य के कारण धरती की पड़ने वाली छाया का प्रतिफल है।

किन्तु एक समय ऐसा भी था जब दुनिया को सर्वाधिक वैज्ञानिक ज्ञान परोसने वाले यूरोप में भी विज्ञान के नाम पर धर्म का शासन था। उस दौरान धर्म को सबसे पहली चुनौती कोपरनिकस से मिली। बाद में इसी काम को गैलीलियो ने आगे बढ़ाया। इन दोनों वैज्ञानिकों के अथक प्रयासों से ही यूरोप में वैज्ञानिक क्रान्ति का सूत्रपात हुआ।
आज भौतिकी हमारे जीवन के हर क्षेत्र में विद्यमान है। इसका जन्म दर्शन और आध्यात्म की गोद में हुआ है। इसमें भारतीय और ग्रीक विद्वानों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। भौतिकी में पदार्थ के सूक्ष्मतम कण से लेकर ब्रह्माण्ड तक शामिल हैं। इन सबकी उप्पत्ति से लेकर इनके क्रियाकलापों और इनके बीच व्याप्त अंतर्सम्बंधों को जानने की कोशिश ने भौतिकी को समृद्ध किया है। और इसी कोशिश ने कार्यों को निष्पादित करने के विभिन्न तरीके सुझाते हुए हमारे जीवन को खुशहाल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मनुष्य को आदिम युग से आधुनिक युग तक लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भौतिक विज्ञान की इस महत्वपूर्ण विकास यात्रा को डॉ0 कपूरमल जैन ने ‘भौतिकी की विकास यात्रा’ पुस्तक के माध्यम से प्रस्तुत किया है। आईसेक्ट द्वारा मध्य प्रदेश विज्ञान एवं तकनीकी परिषद की अनुसृजन योजना के अन्तर्गत प्रकाशित इस पुस्तक में 14 विभिन्न अध्यायों के द्वारा भौतिकी की इस रोचक एवं रोमांचक विकास यात्रा को समझाने का प्रयत्न किया गया है। ये अध्याय इस प्रकार हैं: 1. शुरूआती दौर, 2. आकर्षण के केन्द्र : धरती और आकाश, 3. रूचि पदार्थों में, 4. हेज की गुब्बारे में यात्रा, 5. विद्युत और चुम्बकत्व के अंतर्सम्बंधों से परिचय, 6. प्रकाश की प्रकृति : बहस का अंत, 7. नई खोजें : नये रास्ते, 8. लीक से हट कर मिले समाधान, 9. प्रकृति में प्रायिकता का राज्य, 10. बदली दृष्टि पदार्थ को देखने की, 11. बदल गई परिभाषाएँ, 12. पदार्थ की संरचना : मानक मॉडल, 13 दिक्काल व गुरूत्वाकर्षण, 14. फूलता ब्रह्माण्ड और बिग-बैंग का सिद्धान्त।
पुस्तक के लेखक डॉ0 कपूरमल जैन शासकीय महाविद्यालय आष्टा में प्राचार्य के पद पर कार्यरत हैं। वे यू0जी0सी0 के नेशनल एसोसिएट के रूप में आई0आई0टी0, नई दिल्ली में तथा यू0जी0सी0 के विजिटिंग एसोसिएट के रूप में पूना विश्वविद्यालय, पुणे में अनुसंधान कार्य कर चुके हैं तथा विज्ञान लोक-व्यापीकरण एवं विज्ञान की शिक्षण पद्धति में नवाचार लाने के लिए जाने जाते हैं। इससे पूर्व विश्व प्रकृति निधि, भारत द्वारा ‘हरी राह’, मध्य प्रदेश हिन्दी ग्रन्थ अकादमी द्वारा ‘जिज्ञासाओं के गर्भ में वैज्ञानिक चेतना’, ‘प्रायोगिक भौतिकी’ व ‘महाविद्यालयीन भौतिकी’, साउथ एशियन पब्लिकेशन, दिल्ली द्वारा ‘बेसिक्स ऑफ थर्मल एण्ड स्टेटिस्टीकल फिजिक्स’ व ‘इंट्राडक्टरी क्वांटम मेकेनिक्स एण्ड स्पेक्ट्रोस्कोपी’ एवं मध्य प्रदेश विज्ञान सभा द्वारा ‘1905 में भौतिकी की क्रान्ति’ नामक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
आलोच्य पुस्तक सरल एवं प्रवाहपूर्ण भाषा शैली में लिखी गयी है। विज्ञान के विद्यार्थियों के साथ ही साथ यह पुस्तक उन सभी लोगों के लिए उपयोगी है, जो जीवन और उसके रहस्यों को समझने में रूचि रखते हैं। पुस्तक की छपाई आकर्षक एवं मूल्य प्रशंसनीय है। आशा है पुस्तक पाठकों को पसंद आएगी और विज्ञान लोकप्रियकरण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में जानी जाएगी।
श्रृंखला सम्पादक: संतोष चौबे,
प्रकाशक: आईसेक्ट, स्कोप कैंपस, एन.एच.12, मिसरोद के पास, होशंगाबाद रोड, भोपाल-26, फोन: 0755-3293214-16, ईमेल: aisect_bpl@sancharnet.in, बेबसाईट: www.aisect.org
पृष्ठ: 151
मूल्य: 90 रूपये।
labhkari janakari dene ke liye ham apako dhanyavad kahenge kyonki sari vidhayen se har koi parichit nahin hota.
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी और नई जानकारी मिली।
जवाब देंहटाएंजानकारी देने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंआभार इस जानकारी के लिये।
जवाब देंहटाएंआभार इस जानकारी के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई! धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंmahatwpoorn jankari hai zakir bhai
जवाब देंहटाएंabhar
बहुत बढ़िया समीक्षा की है सर!
जवाब देंहटाएंसादर
पुस्तक के प्रति जिज्ञासा जगाती बेहतरीन समीक्षा.
जवाब देंहटाएंhow to download pdf of this book
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