एंटीबॉयोटिक के दुष्‍प्रभाव।

SHARE:

एंटीबॉयोटिक के प्रभाव और दुष्प्रभाव पर केंद्रित एक शोधपरक लेख।

यदि आपसे यह सवाल पूछा जाए कि एच.आई.वी. और एंटीबॉयोटिक में कौन ज्‍यादा खतरनाक है तो शायद आप प्रश्‍नकर्ता की समझ पर हंसें कि कैसा बेवकूफ आदमी है, जो एच.आई.वी. और एंटीबॉयोटिक को एक तराजू पर रख रहा है। जबकि दुनिया जानती है कि एच.आई.वी. संक्रमण होने पर शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता समाप्‍त हो जाती है, जिससे बीमार व्‍यक्ति को छोटी सी बीमारी होने पर भी उसका ठीक होना दूभर हो जाता है। जबकि एंटीबॉयोटिक वे दवाएं हैं, जो हानिकारिक बैक्‍टीरिया को मारने के लिए रोगी को दी जाती हैं। 

लेकिन सच यही है कि भारत में जिस तरह से एंटीबॉयोटिक दवाएं गलत ढ़ंग से ली जा रही हैं, उससे बैक्‍टीरिया ड्रग रजिस्‍टेंस हो रहे हैं। और यदि कुछ सालों तक यही हालात रहे तो एक दिन ऐसा भी आ सकता है जब बैक्‍टीरिया पर एंटीबॉयोटिक दवाएं असर करना बंद कर देंगी और तब रोगी के लिए हालात एच.आई.वी. जैसे हो जाएंगे। यह मानना है लखनऊ के तमाम प्रतिष्ठित डॉक्‍टरों का, जो विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य दिवस पर दिनांक 07 अप्रैल को लखनऊ में विभिन्‍न संस्‍थाओं द्वारा आयोजित सेमिनारों में अपने विचार प्रकट कर रहे थे।

क्‍यों ली जाती हैं एंटीबॉयोटिक दवाऍं
आम तौर से बैक्‍टीरिया से होने वाली तमाम बीमारियों के उपचार में एंटीबॉयोटिक दवाओं का प्रयोग किया जाता है। लेकिन डॉक्‍टर की फीस बचाने के चक्‍कर में आदमी कोई भी बीमारी होने पर मेडिकल स्‍टोर से एंटीबॉयोटिक दवाएं खरीद कर खा लेता है। लेकिन इस चक्‍कर में अक्‍सर ये दवाएं या तो ओवर डोज हो जाती हैं, या फिर कम मात्रा में ली जाती हैं, जिससे रोगी को बड़ी मात्रा में इसके दुष्‍परिणाम झेलने पड़ते हैं। जब बीमारी की गम्‍भीरता के मुकाबले कम पॉवर की दवाएं ली जाती हैं, अथवा बीमारी ठीक हो जाने पर पूरा कोर्स किये बिना ही दवा बंद कर दी जाती है, तो बैक्‍टीरिया के कमजोर पड़ जाने के कारण बीमारी तो ठीक हो जाती है, लेकिन बैक्‍टीरिया पूरी तरह से समाप्‍त नहीं होते हैं, बल्कि वे धीरे-धीरे उसके प्रति रजिस्‍टेंस डेवलप कर लेते हैं। 

यही कारण है कि 20 साल पहले जो एंटीबॉयोटिक दवाएं फोर्थ जनरेशन के तौर पर प्रयोग में लाई जाती थीं, अब सामान्‍य बीमारियों में फर्स्‍ट जनरेशन मानकर दी जाने लगी हैं। इसके दुष्‍परिणामस्‍वरूप मच्‍छर की दवाओं का असरहीन होना तथा टीबी जैसी बीमारी का खतरनाक रूप ले लेना हमारे सामने है। और जब ये दवाएं अधिक पॉवर की ले जाती हैं, तो उनके तमाम तरह के साइड इफेक्‍ट पैदा हो जाते हैं। परिणामस्‍वरूप रोगी के शरीर में अन्‍य खतरनाक बीमारियां जन्‍म ले लेती हैं।

घातक हो सकता है बिना डॉक्‍टरी परामर्श के दवा लेना
डॉक्‍टरों का मानना है कि आमतौर से 70 प्रतिशत मरीज ऐसे होते हैं, जो दवाओं के साइड इफेक्‍ट की वजह से बीमार होते हैं। ऐसा सिर्फ एंटीबॉयोटिक दवाओं के कारण ही नहीं होता, बल्कि अन्‍य तमाम एलोपैथिक दवाओं के कारण भी यही होता है। इसके पीछे मुख्‍य वजह है कि लोगों द्वारा बिना डॉक्‍टरी सलाह के दवा लेकर खा लेने की प्रवृत्ति। देखने में आता है कि लोग बदनदर्द होने पर ब्रूफेन, सर्दी होने पर सीट्रिजिन, खांसी होने पर कोई भी कफ सीरप, नींद न आने पर एल्‍प्राजोल, पेटदर्द होने पर मेट्रोजिल आदि दवाएं ले लेते हैं। जबकि लोगों को पता नहीं होता है कि इन दवाओं के साइड इफेक्‍ट भी होते हैं। और गलत ढंग से लिये जाने पर ये फायदा के स्‍थान पर नुकसान ज्‍यादा करती हैं।

डॉक्‍टरों का कहना है कि ब्रुफेन शरीर मे दर्द होने पर ली जाने वाली सबसे कॉमन दवा है। जबकि इसकी वजह से गैस्‍ट्राइटिस हो सकती है तथा किडनी तथा लिवर फेल्‍योर हो सकता है। इसी प्रकार मेट्रोजिल के लम्‍बे समय तक इस्‍तेमाल से कैंसर तथा पेरीफेरल न्‍यूरोपैथी (नसों की समस्‍या), एल्‍प्राजोल से शरीर खोखला, आत्‍महत्‍या के विचार आना, निमुसलाइड से लिवर तथा किडनी फेल्‍योर होना, डिस्प्रिन से गैस्‍ट्राइटिस, किडनी फेल्‍योर, स्‍टेरायड से मांसपेशी व हड्डी की कमजोरी, संक्रमण की आशंका तथा सीट्रीजिन-एविल से निद्रा व सुस्‍ती के प्रभाव देखने को मिलते हैं।

ऐसे में हमें क्‍या करना चाहिए
जाहिर सी बात है कि एंटीबॉयोटिक ही नहीं यदि कोई भी दवा सही तरीके से इस्‍तेमाल न की जाए, तो उससे फायदा की तुलना में नुकसान ज्‍यादा होता है। इसलिए इस बात को गांठ बांध लें कि बिना डॉक्‍टरी सलाह के कोई भी दवा (यहां तक कि विटामिन और मल्‍टीविटामिन्‍स भी) न लें और डॉक्‍टर द्वारा किसी भी दवा का जितना कोर्स बताया जाए, उसे पूरा अवश्‍य करें। और हां, सिर्फ एलोपैथी पर ही निर्भरता न रखें। यदि बीमारी बहुत ज्‍यादा गम्‍भीर न हो तो इलाज की अन्‍य विधियों (आयुर्वेद, नेचुरोपैथी, होम्‍योपैथी) का भी प्रयोग करें।

keywords: antibiotics in hindi, antibiotics side effects in hindi, antibiotics side effects in babies, antibiotics side effects tiredness, antibiotics side effects stomach, side effects brufen in hindi, brufen side effects in hindi, cetirizine side effects in hindi, side effects cetirizine in hindi, side effects cetirizine tablets in hindi, side effects metrogyl in hindi, metrogyl side effects in hindi, side effects alprazolam in hindi, alprazolam side effects in hindi, nimesulide side effects in hindi, side effects nimesulide, side effects disprin in hindi, disprin side effects in hindi, side effects steroids in hindi, steroids side effects in hindi, avil-cetirizine, avil-cetirizine side effects, avil side effects in hindi, side effects avil in hindi

COMMENTS

BLOGGER: 27
  1. बहुत ही बढ़िया जानकारी ! आपने सही कहा लोगों को खुद दवा खा लेने की आदत है ... ये बहुत गलत बात है ...

    जवाब देंहटाएं
  2. आभार इस जानकारी के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  3. आज दवा बीमारी से ज्यादा नुकसान देह होता जा रहा है...लोगों को अपने खान पान और रहन सहन को सही कर बीमार होने से बचना ही सबसे बड़ी दबाई है...

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुन्दर जानकारी दी हैं अपने, मेरा खुद का मानना हैं कि दवावो से जितना बचा जाये उतना ही अच्छा हैं,

    में दवावो का कम से कम इस्तेमाल करता हूँ, बुखार , सर दर्द या पेट कि गड़बड़ी के दौरान तो में सिर्फ दवा खरीद के जेब में रख लेता हूँ, कि बहुत ज्यादा जरुरत पड़ने पर ही लूँगा, और एक दो दिन में अपने आप ही ठीक हो जाता हूँ,

    जवाब देंहटाएं
  5. Nice article.. Not a single synthetic drug is free from more or less side effects.. Any drug if taken for a longer period of time too will develop resistance towards that drug.. So it is always recommended to change the molecules after every 2 or 3 months if person has to go with long term drug therapy.. Drugs taken by self without prescription has emerged as an alarming problem in our societies due to lack of health counseling.. People must be educated by health care experts upon such type of the issues to stop them mis-using medicinal drugs in same way like chocolates and candies.. In well known british journal named, 'Lancet' has recently published an article upon increasing bacterial resistance in people of Delhi due to bacteria named, "New Delhi metallo beta lactamase 1(NDM-1)", carrying an antibiotic resistance enzyme with them, fail against every potent antibiotic.. This new strain has emerged due to such kind of resistancy emerged due to misuse of drugs...

    जवाब देंहटाएं
  6. अच्छा किया आपने यह जानकारी दी, वैसे मैं तो कभी भी बिना डॉक्टर की सलाह के दवाई लेता ही नहीं और छोटी बीमारी में तो डॉक्टर के पास भी नहीं जाता, आराम, उपवास और देशी इलाज जिन्दावाद

    जवाब देंहटाएं
  7. छोटी मोटी बीमारी के लिए तो रसोई-घर् सबसे बढिया दवाख़ाना है...

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहद सराहनीय स्टोरी |
    रजनीश, आप बहुत अच्छा कम कर रहे हो |
    आपके पोस्ट वास्तविक अर्थों में विज्ञान संचार के उद्देश्यों के काफी करीब हैं |
    एक वैज्ञानिक अगर विवेक का सहारा लिए बिना और वहीँ दूसरी ओर एक अनपढ़ किसान अपने विवेक को अप्लाई करके जीवन के छोटे-बड़े निर्णय करता है तो ऐसे में उस किसान में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का होना माना जायेगा |
    इतने जरुरी मसले पर रजनीश के इस पोस्ट पर महज थोड़े लोगों की प्रतिक्रिया आई और कुछ दिनों पहले मुझे याद है रजनीश के किसी पोस्ट पर इस ब्लॉग पर खूब घमासान हुई थी | उसमें लोग विज्ञान के मूल मुद्दे से कहीं और भटक गए थे | देश के एक अग्रणी (सोकाल्ड) साइंस ब्लॉग पर वैसी दकियानूसी बातों पर नोक-झोंक की स्थिति अफसोसजनक लगी थी मुझे |
    एंटीबायोटिक, लोगों के अपने स्वास्थ्य से जुडी दवाएं हैं जिस पर रजनीश ने लिखा और इस पर सैकड़ों लोगों की प्रतिक्रिया आनी चाहिए थी मगर भारत में उल-जलूल बातें बड़ी गंभीरता से की जाती हैं और गंभीर मुद्दे लोग हाशिये पर डाल देते हैं |
    उन सैकड़ों लोगों से मेरी अपील है कि अगर वे मेरी यह प्रतिक्रिया पढ़ें तो रजनीश के इस प्रयास पर अपनी राय जरुर दें | क्योंकि आपकी प्रेरणा इन जैसे अनेक रजनीश का हौसला बढ़ाएंगी और आपके दिशादर्शन के बगैर ये विज्ञान संचार की अपनी मुहीम से विमुख भी हो सकते हैं |
    रजनीश, आप अपने काम में डटे रहो | इतिहास स्वयं सुयोग्य व्यक्ति और विचार को अपने में जोड़ लेती है | इसमें उछल-कूद कर अपनी पहचान बनाने वालों की दाल नहीं गलती |

    मनीष मोहन गोरे
    विज्ञान संचारक

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत अच्छी पोस्ट है....
    बचपन में मेरी तबियत इतनी खराब रहती थी कि एंटीबॉयोटिक दवाओं का आदी हो गया था..और वो भी हाई पावर.फिर एक डॉक्टर से मुलाकात हुई...उनसे मेरे पापा इतने प्रभावित हुए कि उसी समय से हम हमेशा उनके पास ही सलाह या इलाज के लिए जाते हैं...उन्होंने पापा को सलाह दी थी कि छोटी छोटी बिमारियों के लिए और वैसी अवस्था जहाँ कोई इमजेंसी न हो, नेचुरोपैथी, होम्‍योपैथी का ही इस्तेमाल करें.

    जवाब देंहटाएं
  10. एक उपयोगी एवं सामयिक पोस्‍ट। विज्ञान लेखन के नाम पर सिर्फ जानकारियां बांटना आवश्‍यक नहीं, जानकारी ऐसी हो,जो मनुष्‍य के लिए उपयोगी हो। मनीष जी के विचारों पर भी ध्‍यान दिया जाए।

    जवाब देंहटाएं
  11. मनीष भाई, गम्‍भीर और जरूरी चीजों के बारे में बोलने की हिम्‍मत कम लोग ही कर पाते हैं।
    :)
    शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  12. बिना डाक्टर की सलाह के दवा जहर का काम करती है अतःदवा का सही डोज ही फ़ायदा करता है अच्छी पोस्ट |बधाई |मेरे ब्लॉग पर आना के लिए आभार |आशा

    जवाब देंहटाएं
  13. एकदम सही सलाह। दिक्कत यही है कि हर आदमी रोग से,चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो,तत्काल मुक्त होना चाहता है। एलोपैथ यहीं चांदी काटता है।

    जवाब देंहटाएं
  14. अच्छी जानकारी बहुत बहुत आभार

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत अच्छी जानकारी है --मै स्वयम डिस्प्रिन लेने की आदि हूँ --आज से इसे त्यागने की कोशिश करुगी --धन्यवाद
    !

    जवाब देंहटाएं
  16. बहुत बढ़िया जानकारी. हम लोग भी प्राकृतिक चिकित्सा में विश्वास रखते है और दवाइया तभी लेते है जब ज्यादा बड़ी परेशानी हो और साल एक बार किसी प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र पर कुछ दिन बिता कर शरीर की सफाई करते है. मेरा ये मानना है कि HIV को भी इस चिकित्सा द्वारा ठीक किया जा सकता है

    जवाब देंहटाएं
  17. आप कि बहुत महरबानी

    जवाब देंहटाएं
  18. बेनामी6/17/2017 12:25 pm

    बहुत ही अच्छा सुझाव

    जवाब देंहटाएं
  19. बेनामी6/17/2017 12:29 pm

    बहुत अच्छा सुझाव

    जवाब देंहटाएं
वैज्ञानिक चेतना को समर्पित इस यज्ञ में आपकी आहुति (टिप्पणी) के लिए अग्रिम धन्यवाद। आशा है आपका यह स्नेहभाव सदैव बना रहेगा।

नाम

अंतरिक्ष युद्ध,1,अंतर्राष्‍ट्रीय ब्‍लॉगर सम्‍मेलन,1,अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन-2012,1,अतिथि लेखक,2,अन्‍तर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन,1,आजीवन सदस्यता विजेता,1,आटिज्‍म,1,आदिम जनजाति,1,इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी,1,इग्‍नू,1,इच्छा मृत्यु,1,इलेक्ट्रानिकी आपके लिए,1,इलैक्ट्रिक करेंट,1,ईको फ्रैंडली पटाखे,1,एंटी वेनम,2,एक्सोलोटल लार्वा,1,एड्स अनुदान,1,एड्स का खेल,1,एन सी एस टी सी,1,कवक,1,किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज,1,कृत्रिम मांस,1,कृत्रिम वर्षा,1,कैलाश वाजपेयी,1,कोबरा,1,कौमार्य की चाहत,1,क्‍लाउड सीडिंग,1,क्षेत्रीय भाषाओं में विज्ञान कथा लेखन,9,खगोल विज्ञान,2,खाद्य पदार्थों की तासीर,1,खाप पंचायत,1,गुफा मानव,1,ग्रीन हाउस गैस,1,चित्र पहेली,201,चीतल,1,चोलानाईकल,1,जन भागीदारी,4,जनसंख्‍या और खाद्यान्‍न समस्‍या,1,जहाँ डॉक्टर न हो,1,जितेन्‍द्र चौधरी जीतू,1,जी0 एम0 फ़सलें,1,जीवन की खोज,1,जेनेटिक फसलों के दुष्‍प्रभाव,1,जॉय एडम्सन,1,ज्योतिर्विज्ञान,1,ज्योतिष,1,ज्योतिष और विज्ञान,1,ठण्‍ड का आनंद,1,डॉ0 मनोज पटैरिया,1,तस्‍लीम विज्ञान गौरव सम्‍मान,1,द लिविंग फ्लेम,1,दकियानूसी सोच,1,दि इंटरप्रिटेशन ऑफ ड्रीम्स,1,दिल और दिमाग,1,दिव्य शक्ति,1,दुआ-तावीज,2,दैनिक जागरण,1,धुम्रपान निषेध,1,नई पहल,1,नारायण बारेठ,1,नारीवाद,3,निस्‍केयर,1,पटाखों से जलने पर क्‍या करें,1,पर्यावरण और हम,8,पीपुल्‍स समाचार,1,पुनर्जन्म,1,पृथ्‍वी दिवस,1,प्‍यार और मस्तिष्‍क,1,प्रकृति और हम,12,प्रदूषण,1,प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड,1,प्‍लांट हेल्‍थ क्‍लीनिक,1,प्लाज्मा,1,प्लेटलेटस,1,बचपन,1,बलात्‍कार और समाज,1,बाल साहित्‍य में नवलेखन,2,बाल सुरक्षा,1,बी0 प्रेमानन्‍द,4,बीबीसी,1,बैक्‍टीरिया,1,बॉडी स्कैनर,1,ब्रह्माण्‍ड में जीवन,1,ब्लॉग चर्चा,4,ब्‍लॉग्‍स इन मीडिया,1,भारत के महान वैज्ञानिक हरगोविंद खुराना,1,भारत डोगरा,1,भारत सरकार छात्रवृत्ति योजना,1,मंत्रों की अलौकिक शक्ति,1,मनु स्मृति,1,मनोज कुमार पाण्‍डेय,1,मलेरिया की औषधि,1,महाभारत,1,महामहिम राज्‍यपाल जी श्री राम नरेश यादव,1,महाविस्फोट,1,मानवजनित प्रदूषण,1,मिलावटी खून,1,मेरा पन्‍ना,1,युग दधीचि,1,यौन उत्पीड़न,1,यौन शिक्षा,1,यौन शोषण,1,रंगों की फुहार,1,रक्त,1,राष्ट्रीय पक्षी मोर,1,रूहानी ताकत,1,रेड-व्हाइट ब्लड सेल्स,1,लाइट हाउस,1,लोकार्पण समारोह,1,विज्ञान कथा,1,विज्ञान दिवस,2,विज्ञान संचार,1,विश्व एड्स दिवस,1,विषाणु,1,वैज्ञानिक मनोवृत्ति,1,शाकाहार/मांसाहार,1,शिवम मिश्र,1,संदीप,1,सगोत्र विवाह के फायदे,1,सत्य साईं बाबा,1,समगोत्री विवाह,1,समाचार पत्रों में ब्‍लॉगर सम्‍मेलन,1,समाज और हम,14,समुद्र मंथन,1,सर्प दंश,2,सर्प संसार,1,सर्वबाधा निवारण यंत्र,1,सर्वाधिक प्रदूशित शहर,1,सल्फाइड,1,सांप,1,सांप झाड़ने का मंत्र,1,साइंस ब्‍लॉगिंग कार्यशाला,10,साइक्लिंग का महत्‍व,1,सामाजिक चेतना,1,सुरक्षित दीपावली,1,सूत्रकृमि,1,सूर्य ग्रहण,1,स्‍कूल,1,स्टार वार,1,स्टीरॉयड,1,स्‍वाइन फ्लू,2,स्वास्थ्य चेतना,15,हठयोग,1,होलिका दहन,1,‍होली की मस्‍ती,1,Abhishap,4,abraham t kovoor,7,Agriculture,8,AISECT,11,Ank Vidhya,1,antibiotics,1,antivenom,3,apj,1,arshia science fiction,2,AS,26,ASDR,8,B. Premanand,5,Bal Kahani Lekhan Karyashala,1,Balsahitya men Navlekhan,2,Bharat Dogra,1,Bhoot Pret,7,Blogging,1,Bobs Award 2013,2,Books,57,Born Free,1,Bushra Alvera,1,Butterfly Fish,1,Chaetodon Auriga,1,Challenges,9,Chamatkar,1,Child Crisis,4,Children Science Fiction,2,CJ,1,Covid-19,7,current,1,D S Research Centre,1,DDM,5,dinesh-mishra,2,DM,6,Dr. Prashant Arya,1,dream analysis,1,Duwa taveez,1,Duwa-taveez,1,Earth,43,Earth Day,1,eco friendly crackers,1,Education,3,Electric Curent,1,electricfish,1,Elsa,1,Environment,32,Featured,5,flehmen response,1,Gansh Utsav,1,Government Scholarships,1,Great Indian Scientist Hargobind Khorana,1,Green House effect,1,Guest Article,5,Hast Rekha,1,Hathyog,1,Health,69,Health and Food,6,Health and Medicine,1,Healthy Foods,2,Hindi Vibhag,1,human,1,Human behavior,1,humancurrent,1,IBC,5,Indira Gandhi Rajbhasha Puraskar,1,International Bloggers Conference,5,Invention,9,Irfan Hyuman,1,ISRO,5,jacobson organ,1,Jadu Tona,3,Joy Adamson,1,julian assange,1,jyotirvigyan,1,Jyotish,11,Kaal Sarp Dosha Mantra,1,Kaal Sarp Yog Remady,1,KNP,2,Kranti Trivedi Smrati Diwas,1,lady wonder horse,1,Lal Kitab,1,Legends,12,life,2,Love at first site,1,Lucknow University,1,Magic Tricks,9,Magic Tricks in Hindi,9,magic-tricks,8,malaria mosquito,1,malaria prevention,1,man and electric,1,Manjit Singh Boparai,1,mansik bhram,1,media coverage,1,Meditation,1,Mental disease,1,MK,3,MMG,6,Moon,1,MS,3,mystery,1,Myth and Science,2,Nai Pahel,8,National Book Trust,3,Natural therapy,2,NCSTC,2,New Technology,10,NKG,74,Nobel Prize,7,Nuclear Energy,1,Nuclear Reactor,1,OPK,2,Opportunity,9,Otizm,1,paradise fish,1,personality development,1,PK,20,Plant health clinic,1,Power of Tantra-mantra,1,psychology of domestic violence,1,Punarjanm,1,Putra Prapti Mantra,1,Rajiv Gandhi Rashtriya Gyan Vigyan Puraskar,1,Report,9,Researches,2,RR,2,SBWG,3,SBWR,5,SBWS,3,Science and Technology,5,science blogging workshop,22,Science Blogs,1,Science Books,56,Science communication,22,Science Communication Through Blog Writing,7,Science Congress,1,Science Fiction,13,Science Fiction Articles,5,Science Fiction Books,5,Science Fiction Conference,8,Science Fiction Writing in Regional Languages,11,Science Times News and Views,2,science-books,1,science-puzzle,44,Scientific Awareness,5,Scientist,38,SCS,7,SD,4,secrets of octopus paul,1,sexual harassment,1,shirish-khare,4,SKS,11,SN,1,Social Challenge,1,Solar Eclipse,1,Steroid,1,Succesfull Treatment of Cancer,1,superpowers,1,Superstitions,51,Tantra-mantra,19,Tarak Bharti Prakashan,1,The interpretation of dreams,2,Tips,1,Tona Totka,3,tsaliim,9,Universe,27,Vigyan Prasar,33,Vishnu Prashad Chaturvedi,1,VPC,4,VS,6,Washikaran Mantra,1,Where There is No Doctor,1,wikileaks,1,Wildlife,12,Zakir Ali Rajnish Science Fiction,3,
ltr
item
Scientific World: एंटीबॉयोटिक के दुष्‍प्रभाव।
एंटीबॉयोटिक के दुष्‍प्रभाव।
एंटीबॉयोटिक के प्रभाव और दुष्प्रभाव पर केंद्रित एक शोधपरक लेख।
http://www.topnews.in/files/stop-HIV.jpg
Scientific World
https://www.scientificworld.in/2011/04/blog-post_09.html
https://www.scientificworld.in/
https://www.scientificworld.in/
https://www.scientificworld.in/2011/04/blog-post_09.html
true
3850451451784414859
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy