जैसा कि आप सब जानते हैं कि दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के सैकड़ों कुकृत्यों को विकीलीक्स डॉट ऑर्ग द्वारा सामने लाकर आस्ट्रेलियन...
जैसा कि आप सब जानते हैं कि दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के सैकड़ों कुकृत्यों को विकीलीक्स डॉट ऑर्ग द्वारा सामने लाकर आस्ट्रेलियन निवासी जुलियन असांजे ने अपने लिए आफत मोल ले ली है। असांजे का मुँह बंद करने के उद्देश्य से अमेरिका ने अमेजन के सर्वरों से ‘विकीलीक्स’ को हटवाने के साथ ही साथ ‘पेपॉल’ की वित्तीय सुविधाएँ भी बंद करवा दी हैं। इससे तो यही साबित होता है कि अमेरिका अपने इस ‘दुश्मन’ को मिटाने के लिए ‘किसी भी हद’ तक जा सकता है।
हालाँकि विकीलीक्स के लिए अमेरिका द्वारा किये जा रहे ये प्रयास खिसियानी बिल्ली के पंजों से ज्यादा असरकारक साबित नहीं हुए हैं। असांजे को इसका एहसास पहले से ही था। इसीलिए उन्होंने न सिर्फ अपनी साइट पर लीक करने वाली तमाम सूचनाएँ पहले ही टॉरेंट के रूप में अपलोड कर दी थीं, बल्कि विकीलीक्स डॉट आर्ग के बंद होते ही नई साइट ‘विकीलीक्स डॉट सीएच’ भी लांच कर दी है, जोकि किसी अन्य देश के सर्वर के द्वारा संचालित हो रही है। इसी के साथ ही साथ असांजे ने अमेरिका को तमाचा मारने के लिए एक जबरदस्त काम यह किया है कि उन्होंने ‘मिरर साइट’ बनाने का ट्यूटोरियल उपलब्ध करवा दिया है। ताकि यदि किसी कारणवश विकीलीक्स का सर्वर किसी दिन काम न करे, तो उसकी मिरर साइटें उसकी कमी पूरी करती रहें।
इंटरनेट की भाषा में किसी साइट की हुबहू नकल करके बनी साइट को ‘मिरर साइट’ कहला जाता है। ये साइटें असली साइट से ही अपडेट लेती हैं और असली साइट के डाउन होने पर डाउनलोड आदि की सुविधा देती हैं। असांजे द्वारा उपलब्ध ट्यूटोरियल की बदौलत इंटरनेट पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पैरोकार सैकड़ों असांजे समर्थकों ने विकीलीक्स की मिरर साइटें बना दी हैं और इनकी संख्या दिन दूनी रात चौगुनी गति से बढ़ रही है। ये सारी मिरर साइटें लोग अपने व्यक्तिगत सर्वरों पर होस्ट कर रहे हैं, जिससे यदि अमेरिका अपनी ध्रष्टता के द्वार विकीलीक्स के सर्वर को बाधित कर उसे जाम कर भी दे, तो भी उसकी मिरर साइटें अबाध गति से चलती रहें।
विकीलीक्स द्वारा सत्य को सामने लाने के इस खतरनाक प्रयास को इंटरनेट के लाखों उपयोक्ताओं का खुला समर्थन मिल रहा है। यही कारण है कि अमेरिका द्वारा जैसे ही विकीलीक्स के लिए एक दरवाजा बंद किया जा रहा है, उसके लिए कई नए दरवाजे खुलते जा रहे हैं। (यदि आप चाहते हैं कि आप भी असांजे के सत्य के सामने लाने के इस आंदोलन में सहयोग देना चाहें, तो ‘टोरेंट एप्लीकेशन’ के जरिए अपने कम्प्यूटर पर विकीलीक्स के दस्तावेज डाउनलोड कर उसे सारी दुनिया में पहुंचाने का माध्यम बन सकते हैं।) लेकिन हाल के दिनों में यौन उत्पीड़न के नाम पर असांजे की ब्रिटिश पुलिस द्वारा गिरफ्तारी ने यह शंका उत्पन्न कर दी है कि कहीं विकीलीक्स द्वारा उठाई गयी सच की आवाज दब न जाए।
हालाँकि यह सच है कि स्वीडन के अधिकारियों ने असांजे पर दो स्वीडिश महिलाओं के यौन उत्पीड़न और बलात्कार का मुकदमा दर्ज किया है, जिसके तहत उनकी ब्रिटिश पुलिस ने गत मंगलवार को गिरफ्तारी कर ली है। लेकिन यहाँ पर शक का एक कीड़ा दिमाग में यह कुलबुला रहा है कि कहीं यह भी ‘अमेरिकी दबाव’ का प्रतिफल तो नहीं। क्योंकि जो अमेरिका खतरनाक हथियारों का काल्पनिक हवाला देकर इराक जैसे राष्ट्र को तबाह कर सकता है, तो उसके लिए किन्ही महिलाओं का इस्तेमाल करके एक व्यक्ति को निपटाना कौन सी बड़ी बात है?
हो सकता है कि हमारी आशंका सच न भी हो, तो भी यहाँ पर क्या यह सवाल उठाया जाना चाहिए कि यदि असांजे पर बलात्कार के आरोप सबित भी हो जाते हैं, तो क्या उनके द्वारा किये जा रहे अभूतपूर्व कार्यों को दृष्टिगत रखते हुए उसके ‘इस अपराध’ को क्षमा कर दिया जाना चाहिए? क्या एक बड़े सच को सामने लाने के लिए हम एक ‘छोटे अपराध’ (सिर्फ बड़े की तुलना में) की अनदेखी कर सकते हैं? पाठकों से हमारा निवेदन है कि वे व्यक्ति से ऊपर उठकर एक समष्टि के रूप में चिंतन करें और कृपया अपनी धारणा से हमें अवगत कराएँ। क्या पता सच के लिए चलने वाली इस महान जंग में असांजे के लिए जनमत तैयार करने की शुरूआत भारत से ही हो जाए?
अगर आपको 'तस्लीम' का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ। |
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wikileaks जैसी चीज़ की जरूरत थी...अनसाजे का शुक्रिया...अब अमेरिका की बैंड बजेगी....
जवाब देंहटाएंहर समझदार इंसान के लिए ये इशारा ही काफी है की सच का गला कैसे घोंटा जाता है
जवाब देंहटाएंवैसे मुझे हमारे देश का भी एक वाकया याद आ गया ... काफी समय पहले टीवी पर एक शो आया करता था "India's most Wanted" ...
जवाब देंहटाएंbaaki aaplog samajh gaye honge
बहुत सटीक बात ..लगता है सच को निपटने की तैयारी चल रही है ... क्योकि खुलासे अमेरिका सहित कई देशों को काफी महगे साबित हो सकते हैं ...आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक बात ...आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक बात ...आभार
जवाब देंहटाएंbahut badhiya---satik post...ab wikileaks ko maarana asambhav hai
जवाब देंहटाएंYE to ek jordar mudda hai, sabko aage aana chahiye,
जवाब देंहटाएंyehi nahi Hindustan main bhi is tarah ki aawaj uthni chahiye
अपना नंगापन छुपाने के लिये ये किसी हद तक भी जा सकते हैं।
जवाब देंहटाएंसक तो यही हो रहा है की ये सारे केस झूठे है ये अमेरिका की ही चाल है | फिर भी यदि ये सत्य है तो किसी को भी इस बिना पर की उसने कई अच्छे काम किये है इसलिए उसके किसी भी अपराध को चाहे छोटे हो या बड़े माफ़ नहीं किया जाना चाहिए | वो अपने किये की सजा काटते हुए भी अपनाकाम कर सकते है |
जवाब देंहटाएं.आभार
जवाब देंहटाएंअसांजे पर चल रहा मुकदमा यदि अमेरिका के दबाव में होगा तो इंगलैंड की स्वतंत्र न्याय पालिका द्वारा सुनवायी के बाद निष्पक्ष निर्णय आ ही जाएगा और वे बरी हो जाएंगे। यदि वे सचमुच दोषी हैं तो उस अपराध की जितनी सजा होती होगी उसे भुगत लेंगे। निश्चित रूप से इस आरोप के सिद्ध हो जाने पर भी उन्हें फाँसी नहीं होने वाली।
जवाब देंहटाएंविकीलीक्स की उपलब्धि का इस मुकदमे से कोई संबंध ठहराने की आवश्यकता नहीं है।
आप के लेख से सहमत हे जी
जवाब देंहटाएंसिर्फ शक है ?
जवाब देंहटाएंशक ?
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंभाई हमें तो यकीन है !
जवाब देंहटाएं'असांजे पर चल रहा मुकदमा यदि अमेरिका के दबाव में होगा तो इंगलैंड की स्वतंत्र न्याय पालिका द्वारा सुनवायी के बाद निष्पक्ष निर्णय आ ही जाएगा और वे बरी हो जाएंगे।'
जवाब देंहटाएंत्रिपाठी जी, क्या आपको याद नहीं कि किस तरह ईराक में खतरनाक हथियार किस तरह से संयुक्त राष्ट्र में प्रमाणित कर दिये गये थे। और उसके बाद वास्तविकता क्या निकली, यह सबको पता है।
कल ही कहीं ये रिपोर्ट पढ़ रहा था कि आरोप लगाने वाली एक युवती सीआईए की एजेंट रह चुकी है :)
जवाब देंहटाएंबलात्कार का आरोप सिद्ध होके रहेगा :(
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