भारत में ईसाई धर्म कैसे आया ?

SHARE:

अंधविश्‍वास को जड़ से मिटाने के लिए तन मन धन से समर्पित रहने वाले लोगों में बी0 प्रेमानन्‍ द  का नाम अग्रणी है। उन्‍होंने विज्ञान के प्रयोगो...

अंधविश्‍वास को जड़ से मिटाने के लिए तन मन धन से समर्पित रहने वाले लोगों में बी0 प्रेमानन्‍द  का नाम अग्रणी है। उन्‍होंने विज्ञान के प्रयोगों का सहारा लेकर दैवी सिद्धि से अर्जित चमत्‍कार कह कर जनता को ठगने वाले ढ़ोंगी साधुओं की पोल खोलने वालों में अग्रणी नाम है। उन्‍होंने अपनी पुस्‍तक 'विज्ञान बनाम चमत्‍कार' में ऐसे तमाम चमत्‍कारों का वर्णन किया है, जिन्‍हें चमत्‍कार के रूप में प्रचारित किया जाता है। प्रस्‍तुत है उनकी पुस्‍तक का एक रोचक अंश- 


लगभग 01 हजार 900 वर्ष पूर्व जब संत थॉमस केरल आए, तो उन्‍होंने केरल के नंबूदरी ब्राह्मणों को श्राद्ध करते हुए देखा। उन्‍होंने पूछा कि वे जल ऊपर की ओर छिड्क कर क्‍या कर रहे हैं? उन्‍होंने उत्‍तर दिया कि वे अपने पूर्वजों को, अर्थात पितरों को जल भेज रहे हैं। 

संत थॉमस मुस्‍कराए। क्‍योंकि जो जल वे ऊपर की ओर छिड्क रहे थे, वह नीचे गिर जाता था। बताया जाता है कि उसके बाद उन्‍होंने पात्र में जल लिया, प्रार्थना की कि उक्‍त जल मृतात्‍माओं तक पहुँच जाए। और उसके बाद दिखाया कि उनका पात्र वाकई में खाली हो गया था। यह चमत्‍कार देखकर वहॉं उपस्थित सभी ब्राह्मण ईसाई बन गये। 

प्रयोग: जल को स्‍वर्ग तक पहुँचाना। 
(पात्र में जल उड़ेलें। पात्र को ऊपर उठाऍं, मानों जल को स्‍वर्ग तक भेज रहे हों, फिर पात्र  को खाली दिखा दें।)

सामग्री: जादुई बरतन, पानी, जग। विधि: जादुई बरतन इस प्रकार बना है कि जब उसे बाईं ओर ढ़लकाया जाता है, तो पानी एक दूसरे खाने में चला जाता है। दाईं ओर ढ़लकाने पर पानी वापस पात्र में आ जाता है।

बी0 प्रेमानन्‍द की पुस्‍तक 'विज्ञान बनाम चमत्‍कार' से साभार।
keywords: chamatkar, jadu sikhe hindi me, jadu hindi, jadu book in hindi, haath ki safai, haath ki safai magic, nazar ka dhoka, magic tricks in hindi, magic tricks for kids, magic tricks revealed, easy magic tricks, easy to learn magic tricks, easy to do magic tricks, easy cool magic tricks, easy street magic tricks, easy but cool magic tricks, easy magic tricks in hindi, easy kid magic tricks, जादू सीखने के तरीके, जादू की कहानियाँ, जादू की छड़ी, जादू सीखें, जादू सीखे, जादू ट्रिक्स,

COMMENTS

BLOGGER: 28
  1. अच्छी पोल खोली है
    dabirnews.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  2. मै इस तरह के कई और जादू अरे माफ़ कीजियेगा चमत्कार जानती हु |

    जवाब देंहटाएं
  3. झूठी कहानी है,---- जल म्रत आत्माओं को जमीन पर गिराकर( अर्ध्य देना )दिया जाता है , जिसका वैग्यानिक अर्थ, धरती, वायु, अन्तरिक्ष को पर्यावरण क्षति से बचाना होता है, ये सब ही देवताओं की श्रेणी में आते है।
    ----वास्तव में ईसाई सन्तों ने इसी प्रकार के चमत्कार सामान्य अपढ/ कबीलाई जनता को दिखा कर अपने को देवीय-शक्ति बताकर अपना मतलब गांठा था। देश भर में कोई भी अभिजात्य,पढा-लिखा विद्वान तबका कभी भी ईसाई नहीं बना।

    जवाब देंहटाएं
  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  5. ----सन्त थामस एक कार्पेन्टर था जो ५२ ऎ डी में भारत आया, ७२ ऎ डी में उसे मद्रास में म्रत्यु दंड देदिया गया उसकी चमत्कारों व धर्म विरोधी गतिबिधियों के लिये...

    ---It was to a land of dark people he was sent, to clothe them by Baptism in white robes... It was his mission to espouse India to the One-Begotten.

    ---
    Thomas was a skilled carpenter and was bidden to build a palace for the king. However, the Apostle decided to teach the king a lesson by devoting the royal grant to acts of charity and thereby laying up treasure for the heavenly abode.

    जवाब देंहटाएं
  6. वाह, अच्छी पोल खोली आपने...ऐसे ऐसे और कुछ अंश बाटिये इधर

    जवाब देंहटाएं
  7. बेनामी11/25/2010 10:11 pm

    गुप्ता जी की मान लो ...

    जवाब देंहटाएं
  8. ज्ञानवर्धक पोस्ट. संभवतः यहाँ मुद्दा यह है की किस तरह लोगों को तथाकथित पहुंचे हुए लोगों के कुछ चमत्कारों से भ्रमित किया जाता रहा है. वैसे तो संत थोमस का भारत आगमन ही विवादास्पद है.

    जवाब देंहटाएं
  9. जाकिर अली जी, जरा बताईये तो सही कि क्या आपका ये'अन्धविश्वास उन्मूलन अभियान' क्या सिर्फ हिन्दु धार्मिक परम्पराओं तक ही सीमित है या फिर ईसाई या इस्लामिक कुरीतियाँ भी इसके दायरे में आती हैं ?
    कोई पीपल पर जल चढाए तो अन्धविश्वास, सूर्य/पितरों को अर्ध्य दे तो वो अन्धविश्वास, ज्योतिष-हस्तरेखा जैसी विद्या को मानता हो तो अन्धविश्वास, मन्त्र जपना अन्धविश्वास, कोई हवन-यज्ञ करता हो तो वो भी अन्धविश्वास........यानि कि कुल मिलाकर जितने भी हिन्दू धार्मिक विश्वास हैं, वे सब के सब अन्धविश्वास की श्रेणी में आते हैं.
    आप इन "बोध-कथाओं" की आड में जो सन्देश देना चाहते हैं...वो बिना किसी अवरोध के हम तक बखूबी पहुँच रहा हैं. अब तो हमें भी विश्वास हो चला है कि सभी अन्धविश्वासों, कुरीतियों की जड सिर्फ हिन्दू धर्म और उसके धार्मिक विश्वास ही हैं......अभी जाकर धर्मपत्नि को बोलते हैं कि भागवान छोड ये पाखंड. ये सूर्य, पीपल और पितरों का जल देना, ये मन्त्र-वन्त्र पढना, ये हवन-यज्ञ करना..इनमें कुछ नहीं रखा.सब अन्धविश्वास है. कल से नमाज पढा करेंगें, पशुओं की कुरबानी दिया करेंगें...कुल पुण्य तो मिलेगा, कर्म सुधरेंगें. इन पाखंडों में क्या धरा है?

    जवाब देंहटाएं
  10. ------वाह वत्स जी वाह!खूब कहा...--वस्तुतः यदि कोई हिन्दू धर्म के कर्म-कान्डों की हकीकत जानना चाहता है तो उसे वेद,उपनिषद, पुराण , फ़िर अन्य ग्रन्थ क्रमिक रूप में पढने चाहिये---तभी इनकी सही वैग्यानिकता ग्यात होती है---और इतना समय कौन देना चाहता है ग्यान को-सब सिर्फ़ जानकारी(नालेज) के लिये पढते हैं और सर्वग्याताभाव में लिखने लगते हैं।

    जवाब देंहटाएं
  11. :(

    "वत्स" सर इतना बिगड़ क्यूं रहे है… समझ नहीं आता… पाखंड तो जहाँ भी जिस भी धर्म में हो उसका विरोध होना ही चाहिये… पोइंट तो सिर्फ़ यही है… शुरुआत कहीं से तो होगी ना ?

    और ज्यादातर जगह… जो "तथाकथित" वैज्ञानिक कारण बताये जाते हैं वो सब तो जाने कहाँ चले गये… ना वो आज के समय के हिसाब से contemporary है… अब तो बस दिखावा रह गया है…

    आप देखिये… सब के सब एक ही दिन धर्म कर लेना चाह्ते हैं… गाय माता पर एक ही दिन इतना सम्मान उमड़ पड़ता है कि सड़कें चारे से अट जाती हैं… चाहे सालभर वे भूखी मरें… किन्हीं विशेष दिनों पर ये सब ढोंग करने का क्या वैज्ञानिक कारण है?

    … बुराई तो किसी भी धर्म में हो… हिन्दु मुस्लिम सिख इसाई… ई नई चालबो! हम तो सबको ही माइक्रोस्कोप से देखेंगे!

    जवाब देंहटाएं
  12. --- इस आलेख की लेखिका रश्मि जी हैं या जाकिर जी---? ढोंग व गलत होने में फ़र्क है, यदि माइक्रोस्कोप के लेन्स साफ़-सुथरे हैं तो यह फ़र्क अवश्य दिखेगा.....हां जैसा वत्स जी ने कहा एक तरफ़ा द्रष्टि नहीं चलेगी...

    जवाब देंहटाएं
  13. और अगर सही में कोई वैज्ञानिकता होती है इन कर्मकान्डों में तो उसे इस तरह छुपाने कि आवश्यता क्यों पड़ी?
    उपरोक्त पोस्ट की सफ़ाई मे ने जो कहा गया है, उसके बारे में पूछ्ना चाहुंगी कि पानी अगर पर्यावरण के लिये ही नीचे गिराया जा रहा है तो आत्माओं का नाम लेकर झूठ क्यों बोलना??
    अब हर आम इन्सान या तो रिसर्च करता फ़िरे या आंख मून्दकर भरोसा करे… कोई तीसरा रास्ता है?

    जवाब देंहटाएं
  14. :)

    well, मैं इस पोस्ट की लेखिका नहीं पर… अपने विचार तो व्यक्त कर सकती हूँ न ?

    और आप से बिल्कुल सहमत… एक तरफ़ा द्रष्टि नहीं चलेगी !
    बराबर लागू होती है ये बात हर जगह… ध्यान देने के लिये धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  15. Rashmi ji, Aapke jawabon ke liye aabhar. In dino Gorakhpur men hoon (Saali sahiba ke vivah men) isliye samay nahi de pa raha hoon.

    Vats ji, hamen jo jaankari milti hai, prakasjit ki jaati hai. Yadi ap anvishwashon ki pol kholne wali koi samagra (kisi bhi dharm ki) bhejen, to hum use bhi prakashit karenge.

    जवाब देंहटाएं
  16. धर्म कोई भी बुरा नहीं उसकी व्याख्या करने वाले अगर स्वार्थी होतें हैं तो वह बुरा हो जाता है......

    जवाब देंहटाएं
  17. इस ब्लॉग पोस्ट और मिली टिप्पणियों द्वारा "पोल खोलने" के प्रयास को पढकर समझ नहीं आया कि इसे अपने देश के दानिशमंदों पर कटाक्ष मानूं या लिखने और बिना सोचे समझे टिप्पणी करने वालों की समझ बूझ पर सर पीटूं।
    ज़रा सा सोचिये और बताईये, क्या थोमा को यहां आने से पहले पता था कि हमारे देश में इस तरह जल का अर्घ देने की प्रथा है? क्या वह अपने साथ इस प्रथा को स्वार्थ के लिये उपयोग करने के लिये वह तथाकथित ’जादूई’ लोटा बनवा के लाया था? यदि उसने ऐसे लोटे का इस्तेमाल भी किया, तो क्या उस समय मेरे देश में मदारी या जादूगर नहीं थे जो इसकी 'पोल' तुरंत खोल सकते? क्या तब के नंबूदरी ब्राहमण इतने बेवकूफ थे कि मदारीयों के एक साधारण से खेल को नहीं समझ सके? क्या एक लोटा पानी गायब होना इतनी बड़ी बात थी कि वे अपना धर्म बदल बैठे? क्या उस समय पर किसी ने थोमा की ’पोल’ खोलने का प्रयास नहीं किया होगा? क्या पिछले लगभग दो हज़ार साल से मेरे देश के लोग एक तथाकथित ’जादूई’ लोटे के भ्रम का शिकार बने हुए हैं और अब तक नहीं चेते हैं?
    दूसरी तरह से सोचें तो यदि थोमा ने वहीं के किसी जन का लोटा लेकर यह करनामा किया, और ब्लॉग के लेखक के अनुसार, यह हुआ कि लोटे से पानी गायब हो गया, तो फिर निश्चय ही वह ’जादूई’ लोटा तो नहीं रहा होगा और यह आश्चर्यक्रम फिर हुआ ही होगा; जिसकी ’पोल’ न उस समय के लोग खोल सके न आज खुली है, क्योंकि यह कोई भ्रम या धोखा था ही नहीं, यह परमेश्वर के नाम और सामर्थ का प्रदर्शन था।
    यहीं पर एक आम किंतु बिल्कुल गलत धारणा, जिसकी ओर भी कुछ टिप्पणी करने वालों ने इशारा किया है, का भी समाधान कर दूं। प्रभु यीशु न तो कोई धर्म देने आये थे, न उन्होंने कोई धर्म दिया और न कभी अपने अनुयायियों से किसी धर्म परिवर्तन का कार्य करने को कहा। वे सारे संसार के लिये पापों से मनफिराव, मुक्ति और उद्धार का मार्ग देने आये थे। उन्होंने धर्म नहीं मन बदलने की बात कही। मसीही विश्वास और इसाई धर्म में बहुत फर्क है।
    इस संबंध में आप से अनुरोध है कि www.samparkyeshu.blogspot.com के लेखों को देखिये। इस ब्लॉग के लेखक ने मसीही विश्वास, धर्म और धर्म परिवर्तन से संबंधित गलत धारणाओं की बहुत रोचक और स्पष्ट रीति व्याख्या की है।
    यह मेरी चुनौती है कि बाइबल में प्रभु यीशु द्वारा दी गई धर्म परिवर्तन की एक भी शिक्षा निकाल कर दिखा दीजिये। अभी दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
    धन्यवाद
    aksd54

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. aksd जीआपने सही जगह पर सही शब्दों में सही बातों को लिखके बहुत अच्छा किया है | आपको बहुत बहुत धन्यवाद् |
      सही बात यह है की यीशु मसीह बिज्ञान को साबित करने जगत में नहीं आए परन्तु बिज्ञान उनकी शिक्षाओं को प्रमाणित अवश्य करता है |

      हटाएं
  18. वाह, अच्छी पोल खोली आपने...

    जवाब देंहटाएं
  19. ”’अब हर आम इन्सान या तो रिसर्च करता फ़िरे या आंख मून्दकर भरोसा करे… ..’

    --अपके कथन में ही आपका जबाव है..हर आम इन्सान को कर्म कान्डों की वैग्यानिकता नहीं समझाई जासकती .....कोई भी वकील , चिकित्सक, सर्जन, कवि.वैग्यानिक..जन सामान्य को अपने प्रोफ़ेशन की वैग्यानिक व्याख्या नहीं समझाते..बस करने का परामर्श देते हैं, जन सामान्य यदि इतना समय व्याख्या समझने में लगायेगा तो अपना कार्य कब करेगा फ़िर विशेष्ग्य की क्या आवश्यकता है..यही कर्मकान्ड व ग्यान कान्ड में फ़र्क है....। हज़ारों श्रन्गार प्रसाधनों, दवाओं आदि पर सिर्फ़ वैग्यानिक नाम लिखा होता है न कि जन सामान्य के समझने के लिये, और हिन्दुस्तान में तो अन्ग्रेज़ी में जिसे ९८% जन सामान्य नहीं समझपाता...क्या इसे वैग्यानिक अन्धविश्वास कहा जाय.....
    ----अत्माओं का नाम इसलिये कि आत्माएं( अपना सेल्फ़, आत्म, मानव स्वयं) संतुष्ट रहे... यह मनोविग्यान की बात है। दर्शन के अनुसार आत्माएं इन्हीं मेरे द्वारा बताए गये देवों--जल, वायु, अन्तरिक्ष में निवास करतीं है...
    ----भारतीय षड दर्शन व उपनिषदें पढें तो सारे कन्सेप्ट साफ़ होजायेंगे...
    ---AKSD ने बिल्कुल सत्य कहा है जो हर धर्म के लिये सत्य है...

    जवाब देंहटाएं
  20. बेनामी11/28/2010 3:37 am

    If you are open to having a guest blog poster please reply and let me know. I will provide you with unique content for your blog, thanks.

    जवाब देंहटाएं
  21. डॉ॰ श्याम गुप्ता जी से सहमत हूँ कि तर्पण के लिये जल नीचे गिराया जाता है ऊपर नहीं उछाला जाता।

    सन्त थॉमस ही नहीं पुराने समय में सभी ईसाई प्रचारकों ने भोले-भाले लोगों को मूर्ख बनाकर धर्म-परिवर्तन किया। उदाहरण के लिये पुराने समय में ईसाई स्कूलों में बच्चों को पहले किसी हिन्दू भगवान की मूर्ति से टॉफी माँगने को कहा जाता था जो कि नहीं मिलती थी फिर यीशू की मूर्ति से माँगने को कहा जाता था जो कि मिल जाती थी (मूर्ति में इसके लिये व्यवस्था की होती थी)। फिर भोले बच्चों को बताया जाता था कि देखो तुम्हारे भगवान नकली हैं टॉफी भी नहीं देते, हमारे असली हैं।

    अब लोग शिक्षित और समझदार हो चुके हैं इसलिये इनकी ये हरकतें नहीं चलती।

    जवाब देंहटाएं
  22. @Dr. Shyam Gupta Sir, You're right.. lekin ye post ab bhi utni hi relevant hai.. kyunki pol dharm ki nahi kholi ja rahi.. dhongiyo ki kholi ja rahi hai.. aur anjane me hi karmkaando ko bachate bachate log paakhando ko bhi badhaawa de rahe hain... ye bhi to galat hai na !
    bahut hi unfortunate hai ye ki dharm ka naam leke log chhal karte hain.. isse to sabhi sehmat honge.. log ab shikshit aur samajhdaar jo ho chuke hain... :)

    जवाब देंहटाएं
  23. --सही,... परन्तु यदि धर्म-निरपेक्ष बात होती तो यह धर्मान्तरण के सदर्भ में नहीं होनी चाहिये, सारे नम्ब्रूदिपाद ब्राह्मण , ईसाई बन गये का अर्थ यही होगा कि हिन्दू धर्म ही गलत था.... अतः एसे आलेख लिखते समय वस्तु स्थिति का ग्यान व ध्यान रखना चाहिये...

    जवाब देंहटाएं
  24. ePandit ji,
    विनम्र निवेदन है कि aksd ji ने जो चुनौती अपनी टिपण्णी के अंत में दी है, क्या आप उसे स्वीकार करना चाहेंगे?
    दूसरी बात, सभी पाठकों से अनुरोध है कि संसार की प्राचीनतम संस्कृति और संसार को ज्ञान का खज़ाना देने वाले मेरे देश के लोगों को, केवल अपनी बात साबित करने के लिए, कृपया इतना मूर्ख और मंदाबुधि मत मानिये और बताइए वे कि ऐसी बेवकूफी भरी बातों द्वारा जीवन के इतने बड़े निर्णय लेने वाले हों|
    यह मेरी नज़र में मेरे देशवासियों के ज्ञान का अपमान है!
    कृपया संकीर्ण बुद्धि और भ्रम को परखना सीखिए, परखिये, फिर टिपण्णी कीजिये|
    धन्यवाद
    रोज कि रोटी

    जवाब देंहटाएं
  25. बेनामी3/05/2014 10:06 am

    isai isee tarah ka dhoong phailakar hinduon ko bewakuf banate hain

    जवाब देंहटाएं
वैज्ञानिक चेतना को समर्पित इस यज्ञ में आपकी आहुति (टिप्पणी) के लिए अग्रिम धन्यवाद। आशा है आपका यह स्नेहभाव सदैव बना रहेगा।

नाम

अंतरिक्ष युद्ध,1,अंतर्राष्‍ट्रीय ब्‍लॉगर सम्‍मेलन,1,अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन-2012,1,अतिथि लेखक,2,अन्‍तर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन,1,आजीवन सदस्यता विजेता,1,आटिज्‍म,1,आदिम जनजाति,1,इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी,1,इग्‍नू,1,इच्छा मृत्यु,1,इलेक्ट्रानिकी आपके लिए,1,इलैक्ट्रिक करेंट,1,ईको फ्रैंडली पटाखे,1,एंटी वेनम,2,एक्सोलोटल लार्वा,1,एड्स अनुदान,1,एड्स का खेल,1,एन सी एस टी सी,1,कवक,1,किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज,1,कृत्रिम मांस,1,कृत्रिम वर्षा,1,कैलाश वाजपेयी,1,कोबरा,1,कौमार्य की चाहत,1,क्‍लाउड सीडिंग,1,क्षेत्रीय भाषाओं में विज्ञान कथा लेखन,9,खगोल विज्ञान,2,खाद्य पदार्थों की तासीर,1,खाप पंचायत,1,गुफा मानव,1,ग्रीन हाउस गैस,1,चित्र पहेली,201,चीतल,1,चोलानाईकल,1,जन भागीदारी,4,जनसंख्‍या और खाद्यान्‍न समस्‍या,1,जहाँ डॉक्टर न हो,1,जितेन्‍द्र चौधरी जीतू,1,जी0 एम0 फ़सलें,1,जीवन की खोज,1,जेनेटिक फसलों के दुष्‍प्रभाव,1,जॉय एडम्सन,1,ज्योतिर्विज्ञान,1,ज्योतिष,1,ज्योतिष और विज्ञान,1,ठण्‍ड का आनंद,1,डॉ0 मनोज पटैरिया,1,तस्‍लीम विज्ञान गौरव सम्‍मान,1,द लिविंग फ्लेम,1,दकियानूसी सोच,1,दि इंटरप्रिटेशन ऑफ ड्रीम्स,1,दिल और दिमाग,1,दिव्य शक्ति,1,दुआ-तावीज,2,दैनिक जागरण,1,धुम्रपान निषेध,1,नई पहल,1,नारायण बारेठ,1,नारीवाद,3,निस्‍केयर,1,पटाखों से जलने पर क्‍या करें,1,पर्यावरण और हम,8,पीपुल्‍स समाचार,1,पुनर्जन्म,1,पृथ्‍वी दिवस,1,प्‍यार और मस्तिष्‍क,1,प्रकृति और हम,12,प्रदूषण,1,प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड,1,प्‍लांट हेल्‍थ क्‍लीनिक,1,प्लाज्मा,1,प्लेटलेटस,1,बचपन,1,बलात्‍कार और समाज,1,बाल साहित्‍य में नवलेखन,2,बाल सुरक्षा,1,बी0 प्रेमानन्‍द,4,बीबीसी,1,बैक्‍टीरिया,1,बॉडी स्कैनर,1,ब्रह्माण्‍ड में जीवन,1,ब्लॉग चर्चा,4,ब्‍लॉग्‍स इन मीडिया,1,भारत के महान वैज्ञानिक हरगोविंद खुराना,1,भारत डोगरा,1,भारत सरकार छात्रवृत्ति योजना,1,मंत्रों की अलौकिक शक्ति,1,मनु स्मृति,1,मनोज कुमार पाण्‍डेय,1,मलेरिया की औषधि,1,महाभारत,1,महामहिम राज्‍यपाल जी श्री राम नरेश यादव,1,महाविस्फोट,1,मानवजनित प्रदूषण,1,मिलावटी खून,1,मेरा पन्‍ना,1,युग दधीचि,1,यौन उत्पीड़न,1,यौन शिक्षा,1,यौन शोषण,1,रंगों की फुहार,1,रक्त,1,राष्ट्रीय पक्षी मोर,1,रूहानी ताकत,1,रेड-व्हाइट ब्लड सेल्स,1,लाइट हाउस,1,लोकार्पण समारोह,1,विज्ञान कथा,1,विज्ञान दिवस,2,विज्ञान संचार,1,विश्व एड्स दिवस,1,विषाणु,1,वैज्ञानिक मनोवृत्ति,1,शाकाहार/मांसाहार,1,शिवम मिश्र,1,संदीप,1,सगोत्र विवाह के फायदे,1,सत्य साईं बाबा,1,समगोत्री विवाह,1,समाचार पत्रों में ब्‍लॉगर सम्‍मेलन,1,समाज और हम,14,समुद्र मंथन,1,सर्प दंश,2,सर्प संसार,1,सर्वबाधा निवारण यंत्र,1,सर्वाधिक प्रदूशित शहर,1,सल्फाइड,1,सांप,1,सांप झाड़ने का मंत्र,1,साइंस ब्‍लॉगिंग कार्यशाला,10,साइक्लिंग का महत्‍व,1,सामाजिक चेतना,1,सुरक्षित दीपावली,1,सूत्रकृमि,1,सूर्य ग्रहण,1,स्‍कूल,1,स्टार वार,1,स्टीरॉयड,1,स्‍वाइन फ्लू,2,स्वास्थ्य चेतना,15,हठयोग,1,होलिका दहन,1,‍होली की मस्‍ती,1,Abhishap,4,abraham t kovoor,7,Agriculture,8,AISECT,11,Ank Vidhya,1,antibiotics,1,antivenom,3,apj,1,arshia science fiction,2,AS,26,ASDR,8,B. Premanand,5,Bal Kahani Lekhan Karyashala,1,Balsahitya men Navlekhan,2,Bharat Dogra,1,Bhoot Pret,7,Blogging,1,Bobs Award 2013,2,Books,57,Born Free,1,Bushra Alvera,1,Butterfly Fish,1,Chaetodon Auriga,1,Challenges,9,Chamatkar,1,Child Crisis,4,Children Science Fiction,2,CJ,1,Covid-19,7,current,1,D S Research Centre,1,DDM,5,dinesh-mishra,2,DM,6,Dr. Prashant Arya,1,dream analysis,1,Duwa taveez,1,Duwa-taveez,1,Earth,43,Earth Day,1,eco friendly crackers,1,Education,3,Electric Curent,1,electricfish,1,Elsa,1,Environment,32,Featured,5,flehmen response,1,Gansh Utsav,1,Government Scholarships,1,Great Indian Scientist Hargobind Khorana,1,Green House effect,1,Guest Article,5,Hast Rekha,1,Hathyog,1,Health,69,Health and Food,6,Health and Medicine,1,Healthy Foods,2,Hindi Vibhag,1,human,1,Human behavior,1,humancurrent,1,IBC,5,Indira Gandhi Rajbhasha Puraskar,1,International Bloggers Conference,5,Invention,9,Irfan Hyuman,1,ISRO,5,jacobson organ,1,Jadu Tona,3,Joy Adamson,1,julian assange,1,jyotirvigyan,1,Jyotish,11,Kaal Sarp Dosha Mantra,1,Kaal Sarp Yog Remady,1,KNP,2,Kranti Trivedi Smrati Diwas,1,lady wonder horse,1,Lal Kitab,1,Legends,12,life,2,Love at first site,1,Lucknow University,1,Magic Tricks,9,Magic Tricks in Hindi,9,magic-tricks,8,malaria mosquito,1,malaria prevention,1,man and electric,1,Manjit Singh Boparai,1,mansik bhram,1,media coverage,1,Meditation,1,Mental disease,1,MK,3,MMG,6,Moon,1,MS,3,mystery,1,Myth and Science,2,Nai Pahel,8,National Book Trust,3,Natural therapy,2,NCSTC,2,New Technology,10,NKG,74,Nobel Prize,7,Nuclear Energy,1,Nuclear Reactor,1,OPK,2,Opportunity,9,Otizm,1,paradise fish,1,personality development,1,PK,20,Plant health clinic,1,Power of Tantra-mantra,1,psychology of domestic violence,1,Punarjanm,1,Putra Prapti Mantra,1,Rajiv Gandhi Rashtriya Gyan Vigyan Puraskar,1,Report,9,Researches,2,RR,2,SBWG,3,SBWR,5,SBWS,3,Science and Technology,5,science blogging workshop,22,Science Blogs,1,Science Books,56,Science communication,22,Science Communication Through Blog Writing,7,Science Congress,1,Science Fiction,13,Science Fiction Articles,5,Science Fiction Books,5,Science Fiction Conference,8,Science Fiction Writing in Regional Languages,11,Science Times News and Views,2,science-books,1,science-puzzle,44,Scientific Awareness,5,Scientist,38,SCS,7,SD,4,secrets of octopus paul,1,sexual harassment,1,shirish-khare,4,SKS,11,SN,1,Social Challenge,1,Solar Eclipse,1,Steroid,1,Succesfull Treatment of Cancer,1,superpowers,1,Superstitions,51,Tantra-mantra,19,Tarak Bharti Prakashan,1,The interpretation of dreams,2,Tips,1,Tona Totka,3,tsaliim,9,Universe,27,Vigyan Prasar,33,Vishnu Prashad Chaturvedi,1,VPC,4,VS,6,Washikaran Mantra,1,Where There is No Doctor,1,wikileaks,1,Wildlife,12,Zakir Ali Rajnish Science Fiction,3,
ltr
item
Scientific World: भारत में ईसाई धर्म कैसे आया ?
भारत में ईसाई धर्म कैसे आया ?
http://www.indiansceptic.in/premanand.gif
Scientific World
https://www.scientificworld.in/2010/11/blog-post_25.html
https://www.scientificworld.in/
https://www.scientificworld.in/
https://www.scientificworld.in/2010/11/blog-post_25.html
true
3850451451784414859
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy