अगर आपसे यह पूछा जाए कि 'क्या आप भी स्वप्न देखते हैं?' तो शायद आप मेरी समझ पर हंसें, लेकिन अगर आपसे यह पूछा जाए कि क्या आप अपने सपनो...
अगर आपसे यह पूछा जाए कि 'क्या आप भी स्वप्न देखते हैं?' तो शायद आप मेरी समझ पर हंसें, लेकिन अगर आपसे यह पूछा जाए कि क्या आप अपने सपनों का अर्थ जानते हैं?, तो शायद आप सोच में पड़ जाएँ। वैसे सपने तो हम सभी देखते हैं, लेकिन कभी-कभी हमारे सपने ऐसे होते हैं कि हम सोच में पड़ जाते हैं। बहुत समय तक यह माना जाता रहा कि स्वप्न दिखने का कारण पाचनतंत्र क्रिया में दोष होता है। ''
अभी तक उपलब्ध तथ्यों के अनुसार स्वप्नों को पहली बार परिभाषित करने का काम फ्रायड ने किया। उन्होंने पाया कि जो लोग समाज में तटस्थ जीवन जीते हैं, वे स्वप्न नहीं देखते। फ्रायड ने समाज की निरोधात्मक शक्तियों (यह करो, यह न करो) को 'सेन्सर' माना है। इन सेन्सरों के कारण प्रत्येक व्यक्ति को कदम-कदम पर अपनी इच्छाओं का दमन करना पड़ता है। लेकिन जब हम सो जाते हैं, तो हमारे वे सेन्सर (चेतन मन) भी छुट्टी पर चले जाते हैं। उस सुअवसर का लाभ उठाकर हमारी इच्छाएँ मुक्त आसमान में उड़ान भरने लगती हैं।
स्वप्नों को जानने की प्रेरणा फ्रायड को अपने परिवार से ही मिली। हुआ यूँ कि एक बार फ्रायड गर्मी की छुट्टियाँ बिताने अपने परिवार के साथ घूमने गये। वहाँ पर उन्होंने देखा कि उनकी उनकी बेटी ऐन सोते समय बड़बड़ाते हुए स्ट्राबेरी माँग रही है। ऐन को स्ट्राबेरी बहुत पसंद थी और हॉल में ही अधिक स्ट्राबेरी खाने के कारण उसका पेट खराब हो गया था। इसलिए उसे स्ट्राबेरी खाने से रोका गया था। यही कारण था कि ऐन सपने में स्ट्राबेरी माँग रही थी।
फ्रायड के साथ दूसरी घटना उसकी बड़ी पुत्री मैथिल्डा से जुड़ी हुई है। मैथिल्डा उस समय किशोरावस्था में थी। उसकी एक लड़के से दोस्ती थी। एक दिन मैथिल्डा ने स्वप्न देखा कि उसका मित्र उसके घर आ गया है और उकसे साथ रहने लगा है। इससे फ्रायड को सपनों का महत्व समझ में आया और उसने सपनों का विश्लेषण करना शुरू किया।
फ्रायड ने अपने सम्पर्क में आने वाले सभी लोगों के स्वप्नों को सुना और उन्हें लिख कर उनका अध्ययन किया। बाद में उसने उस सामग्री को 'दि इन्टरप्रेटेशन ऑफ ड्रीम्स' (The interpretation of dreams) के नाम से प्रकाशित भी करवाया। यह पुस्तक जनवरी 1900 में प्रकाशित हुई थी। उक्त पुस्तक में फ्रायड ने एक हजार सपनों को विवेचित किया है। उक्त पुस्तक के द्वारा पहली बार फ्रायड ने प्रमाणित किया कि ''सब स्वप्न अर्थपूर्ण होते हैं। यद्यपि उनके अर्थ छिपे रहते हैं। विशेष स्वप्न जैसे उड़ना, गिरना और जलना मन की उन इच्छाओं को प्रकट करते हैं, जो हमारे समाज द्वारा स्वीकृत नहीं हैं। ये स्वप्न अज्ञात इच्छा के छिपे रूप हैं और प्रतीकों द्वारा प्रकट होते हैं। ...हमारे स्वप्नों की प्रतीकात्मक स्थितियां हमारी उन वासनाओं और प्रलोभनों की प्रतीक हैं, जो हमारे मन के गुप्ततम भाग में क्रियाशील है।''
सपनों का विश्लेषण करते हुए फ्रायड ने एक बहुत सुन्दर उदाहरण दिया है। एक बार उसके पास एक व्यक्ति आया, जो बहुत घबराया हुआ था। उसने बताया कि वह अपने सपने में पिछले कई दिनों से अपने छोटे भाई की मरा हुआ देखता है। इस कारण उसे बहुत आत्मग्लानि होती है। वह रूँआसा होकर बोला, 'में अपने छोटे भाई के लिए कुछ भी कर सकता हूँ यहाँ तक कि अपनी जान भी दे सकता हूँ।'
उसकी बात सुनकर फ्रायड ने कहा, 'मैं तुम्हारी बातों पर विश्वास करता हूँ।'
फ्रायड की बात सुनकर वह व्यक्ति अचकचा गया, 'लेकिन आप तो कहते हैं कि आप तो कहते हैं कि स्वप्न हमारी दमित इच्छाओं की पूर्ति होते हैं?'
युवक की बात सुनकर फ्रायड ने उससे प्रतिप्रश्न किया, 'क्या तुम्हारे मन में हमेशा से अपने भाई के प्रति यही विचार थे?'
'जी हाँ, सदैव।' उस युवक ने अपनी बात कही, जिसमें से उसने 'सदैव' शब्द पर अधिक जोर दिया।
'सदैव?' फ्रायड ने पुन: अपना प्रश्न दागा।
'जी हाँ, सदैव।' कहते हुए युवक एक क्षण के लिए रूका, फिर बोला, '..केवल बचपन को छोड़कर, जब मैं बहुत छोटा था।'
उसके बाद उस युवक ने जो बात बताई, उसका सार यह है कि बचपन में माँ जब मेरे छोटे भाई को अधिक प्यार करती थी, तो मुझे उसपर क्रोध आता था। तब मेरे मन में यह विचार आता था कि अगर मेरा भाई कहीं चला जाए, तो अच्छा हो। कम से कम तब माँ, मुझे प्यार तो कर करेगी। फ्रायड ने उसके स्वप्न को विश्लेषित करे हुए कहा, 'लगता है मन के किसी कोने में वह विचार अटका रह गया है, जो अब स्वप्न के रूप में प्रकट हो रहा है।'
फ्रायड की बात सुनने के बाद वह व्यक्ति निरूत्तर हो गया। उसके बाद उसने अपने छोटे भाई की मृत्यु का स्वप्न कभी नहीं देखा।
फ्रायड की स्वप्नों को विश्लेषित करने की यह विधि मनोविश्लेषण के अंग के रूप में विकसित हुई और मानसिक रोगों के उपचार में बहुत उपयोगी साबित हुई।
(संदर्भ: सिगमेंड फ्रायड और मनोविश्लेषण-पद्मा कुमारी एवं अंतर्जाल पर उपलब्ध सामग्री)
(संदर्भ: सिगमेंड फ्रायड और मनोविश्लेषण-पद्मा कुमारी एवं अंतर्जाल पर उपलब्ध सामग्री)
अगर आपको 'तस्लीम' का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ। |
---|
जानकारी से भरा हुआ पोस्ट....बहुत बहुत धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी ..!
जवाब देंहटाएंYe pustak to padhne wali hai. Kya iska Hindi sanskaran uplabd hai?
जवाब देंहटाएंYe pustak to padhne wali hai. Kya iska Hindi sanskaran uplabd hai?
जवाब देंहटाएंआशा है जल्द ही यह हिंदी में भी छप जायेगी.....हाँ लेखक के नाम की कोई गारंटी नहीं.
जवाब देंहटाएंफ्रायड कि कुछ बाते तो मानने लायक है पर कुछ का तर्क सही नहीं लगा सपने में किसी को मृत देखने वाला तर्क बिलकुल सही नहीं लगा किसी की अत्यधिक फिक्र और उससे दूर जने के डर से भी हम उस व्यक्तिक को मृत रूप में सपने में देखते है या किसी अन्य के या अपने किसी करीबी की मौत पर हम अपने किसी दुसरे करीबी को भी सपने में मृतदेख सकते है | सपनो में हम अक्सर वो देखते है जो हमारे आस पास या हमारे साथ घटित होता है वही सब कुछ किसी और रूप रंग में हमें सपने में दिखाई देता है |
जवाब देंहटाएंजानकारी तो बहुत अच्छी है , मगर हमेशा अवचेतन मन ही बोल रहा हो ये जरुरी नहीं है , बहुत बार इनट्युशन सपने लेकर आता है वो सच होते हैं । पर हाँ ठीक से नहीं कहा जा सकता कब कौन सा सपना ..पेट की गड़बड़ी से आया , कौन सा सपना अवचेतन की गहराइयों से आया । जो सपना सच हो जाता है वो तो पक्का ऊपर वाले की कृपा से आया । फिर भी हम महज सपनों पर विश्वास कर के नहीं चल सकते ।
जवाब देंहटाएंमैंने ये पुस्तक भी पड़ी है और भी अनेक काफी अच्छी जानकारी है ..शारदा जी की बात से मैं भी इत्तेफाक रखती हूँ.
जवाब देंहटाएं... behatreen post !!!
जवाब देंहटाएंकाफ़ी ज्ञानवर्धक जानकारी उपलब्ध कराई……………आभार्।
जवाब देंहटाएंआभार।
जवाब देंहटाएं[कुछ सपने मेरे भी हैं,व्याख्या करियेगा तो कहूं ?]
जवाब देंहटाएंअच्छा आलेख !
मानता हूँ की सपने अर्थपूर्ण ही होते हैं, अभी कुछ दिन पहले एक दोस्त से इसी मामले में बातें हो रही थी...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी दी आपने...
बहुत शुक्रिया
बहुत अच्छी जानकारी ..
जवाब देंहटाएंसुंदर और उपयोगी जानकारी।
जवाब देंहटाएंसपने शायद सभी को आते हैं, लकिन हम उनका अर्थ समझ नहीं पाते . बेहद सुन्दर रोचक आलेख..... पुस्तक पढने की जिज्ञासा हो गयी है
जवाब देंहटाएंregards
कई भ्रामक,नकारात्मक और आधारहीन तथ्यों के जुड़ जाने के कारण स्वप्न-व्याख्या बदनाम विधा हो गई है। खैर......कभी उन सपनों की भी बात कीजिएगा जो हम खुली आंखों से देखते हैं।
जवाब देंहटाएंपुस्तकों के आवरण पर अक्सर वह दृश्य दिखता है जिसमें महामाया के गर्भधारण की रात देखे गए स्वप्न की व्याख्या शुद्धोदन के दरबार में की जा रही है। न जाने कहां चली गई वह विधा!
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी पोस्ट है ये... स्वप्न के सम्बन्ध में मेरी कुछ जिज्ञासा शांत हुई.
जवाब देंहटाएंरोचक जानकारी।
जवाब देंहटाएंसपनों के बारे में आपका विश्लेषण अच्छा लगा .. मनोविज्ञान के अनुसार अधिकांश सपने भूत में घटी घटनाओं के कारण होते हैं .. जबकि लोग इनका अनुसार भविष्य को देखने कर कोशिश करते हैं .. इसे अंधविश्वास ही माना जा सकता है .. पर एक दो जगहों पर सपनों के सच होने को क्या माना जाए ??
जवाब देंहटाएंआनेवाले समय में इसपर भी शोध किया जाना चाहिए !!
आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
जवाब देंहटाएंयह सत्य हो सकता है पर कभी कभी बहुत ही अजीब सपने आते हैं, जैसे किसी मारे हुए जानवर को देखना, किसी अनजान व्यक्ति से मिलना, और कभी कभी ऐसे सपने आते हैं जो कि कुछ समय बाद हमारे जीवन में घटित होते हैं, उनके बारे में यदि जानकारी मिले तो जिज्ञासा शांत हो
जवाब देंहटाएंbadiya jaankari...hamesha ki tarah....
जवाब देंहटाएंरोचक लगी यह जानकारी ...शुक्रिया
जवाब देंहटाएं