आपने भविष्य की बातों को सच-सच बताने का दावा करने वाले इंसान तो बहुत से देखे होंगे, पर क्या आप किसी ऐसे जानवर को जानते हैं, जोकि भविष्य...
आपने भविष्य की बातों को सच-सच बताने का दावा करने वाले इंसान तो बहुत से देखे होंगे, पर क्या आप किसी ऐसे जानवर को जानते हैं, जोकि भविष्यवक्ता के साथ-साथ गणित का विद्वान हो और आपके मन की बात को पढ़ने की भी महारत रखता हो। तो आज आपको बताते हैं एक ऐसी ही अद्भुत घोड़ी 'लेडी वण्डर' के बारे में।
रिचमण्ड वर्जीनिया में श्रीमती सी0डी0 फौन्डा नाम की एक औरत के पास 'लेडी वण्डर' नाम की एक अद्भुत घोड़ी थी। उस घोड़ी के बारे में प्रसिद्ध था कि वह अलौकिक शक्ति की मालकिन है। एक पत्रिका 'असाधारण और सामाजिक मनोविज्ञान' के 1929 में प्रकाशित भाग 23 के पेज नं0 449 से 466 तक उसपर एक विस्त़ृत आलेख प्रकाशित हुआ था। उसमें लिखा था-
''प्रयोग वाला जानवर तीन साल की एक घोड़ी है, जिसका नाम 'लेडी वण्डर' है और उसकी मालकिन श्रीमती सी0डी0 फौन्डा हैं, जोकि रिचमण्ड वर्जीनिया की रहने वाली हैं। रिपोर्टों के मुताबिक घोड़ी भविष्यवाणी कर सकती थी, गणित के प्रश्न हल कर सकती थी और प्रश्नों के उत्तर दे सकती थी। यह घोड़ी अलौकिक शक्ति और टेलीपैथी जैसी ताकत का दावा करने वाले डा0 जे0बी0 राइन की खोज है।''
न्यू जर्सी में रहने वाले प्रोफेसर जॉन स्कारने ने जब इस समाचार को पढ़ा, तो उन्होंने उस घोड़ी का परीक्षण करने का निश्चय किया। उन्होंने अपनी तैयारी की और अपने साथी डोनाल्ड गरेअ के साथ श्रीमती फौन्डा के घर पर जा पहुँचे। जिस समय वे वहाँ पर पहुँचे, लोगों का मजमा लगा हुआ था। प्रोफेसर स्कारने चुपचाप भीड़ में शामिल हो गये और घटना स्थल का मुआयना करने लगे।
श्रीमती फौन्डा उस समय किसी पुलिस अफसर के साथ व्यस्त थीं। पुलिस अफसर अपने सवाल पूछ रहा था और लेडी वण्डर उसके सवालों का जवाब दे रही थी। कुछ देर बार पुलिस अफसर के सारे सवाल समाप्त हो गये। उसने श्रीमती फौन्डा को पाँच डॉलर की फीस चुकाई और धन्यवाद ज्ञापित करते हुए वहाँ से चला गया।
उसके बाद प्रोफेसर स्कारने की बारी आई। वे बोले- 'मैं लेडी वण्डर से एक सवाल पूछना चाहता हूँ। लेकिन मैं वह सवाल आपको नहीं बताउँगा।'
प्रोफेसर की बात सुनकर श्रीमती फौन्डा अचकचा गयी। वह बोली, 'फिर आपका सवाल लेडी वण्डर को पता कैसे चलेगा?'
'मैं उसे एक कागज में लिख दूँगा।' प्रोफेसर स्कारने ने जवाब दिया, 'आप मुझे बस एक कागज और पेन उपलब्ध करा दें।'
उस समय श्रीमती फौन्डा के घर पर लोगों का अच्छा-खासा हुजूम जमा था, इसलिए उन्हें न चाहते हुए भी प्रोफेसर की बात माननी पड़ी। प्रोफेसर स्कारने ने कागज पर अपना सवाल लिखा- 'मैं कहाँ रहता हूँ?' उसके बाद उसने उस कागज को श्रीमती फौन्डा से छिपाते हुए लेडी वण्डर घोड़ी की ओर किया। घोड़ी ने कागज की ओर देखा तो ज़रूर, लेकिन उसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की।
यह देखकर प्रोफेसर स्कारने मुस्कराए, क्योंकि वे लेडी वण्डर के चमत्कार को अब तक भलीभांति समझ चुके थे। उसके बाद उन्होंने प्रश्न वाले कागज को जान बूझकर श्रीमती फौन्डा की ओर कर दिया और अपने मित्र डोनाल्ड से कोई बात पूछने लगे। श्रीमती फौन्डा के प्रश्न पढ़ते ही घोड़ी सक्रिय हो गयी और उसने प्रोफेसर स्कारने के सवाल का जवाब दे दिया। उसका उत्तर था- न्यूयार्क।
दरअसल प्रोफेसर स्कारने में अपनी शुरूआती परिचय में श्रीमती फौन्डा को स्वयं को न्यूयार्क का नागरिक ही बताया था, जबकि वे न्यू जर्सी के रहने वाले थे। घोड़ी का जवाब सुनकर प्रोफेसर स्कारने पुन: मुस्कराए और श्रीमती फौन्डा से बिना कुछ कहे उसकी फीस चुका कर वहाँ से चले गये।
अपने घर पहुँच कर प्रोफेसर स्कारने ने लेडी वण्डर के रहस्य को उजागर कर दिया। उन्होंने बताया कि लेडी वण्डर एक समझदार घोड़ी है, जो अपनी उभरी हुई आँखों के कारण पीछे की वस्तुओं को भी देख लेती है। लेडी वण्डर के प्रतिभा प्रदर्शन के दौरान श्रीमती फौन्डा घोड़ी से ठीक पीछे ढ़ाई फिट की दूरी पर, उसकी आँखों से 60 डिग्री के कोण पर खड़ी होती हैं और अपने चाबुक के द्वारा इशारा करती रहती हैं। श्रीमती फौन्डा घोड़ी के लिए कुल तीन तरह के इशारे करती हैं। पहला इशारा अपना सिर अक्षर के कुछ इंच पास तक ले जाने का होता है। दूसरा इशारा अक्षर के आगे-पीछे अपना सिर घुमाने का होता है और तीसरा इशारा अक्षर के ठीक ऊपर अपनी नाक लगाने का होता है।
प्रोफेसर जॉन स्कारने के इस खुलासे के बाद श्रीमती सी0डी0 फौन्डा की पोल खुल गयी और उसकी चमत्कारी घोड़ी की दिव्य शक्तियों का प्रदर्शन हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो गया।
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Mujhe bhi Lady Wonder ki talash hai.
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा
जवाब देंहटाएंपहले भी कहीं पढा है जी इस 'लेडी वन्डर' के बारे में
अभी 4-5 साल पहले तक यहां दिल्ली के थोक बाजार खारी बावडी (सदर बाजार) में सुबह-सुबह करीबन 10 बजे रोजाना एक आदमी एक बैल के साथ मजमा लगाकर इसी तरह से लोगों के प्रश्नों के उत्तर देता था। हमने तो पहली बार में ही उसकी टेक्नीक सीख ली थी। वो छडी से इशारा करता था।
प्रणाम
Dhany ho ghodee waale.
जवाब देंहटाएंअपने देश में भी ऐसे मदारियों की कमी नहीं।
जवाब देंहटाएंबेवकूफों की कहीं भी कमी नहीं,एक खोजो हजार मिलते हैं।
जवाब देंहटाएं१९२९ sss...ssss...मेरा तो दिल ही टूट गया ,मैं तो बड़ी उम्मीदें पाल कर आया था ...सोचा था कि ज़ाकिर भाई की घोडी है , मेरी बात 'समझेगी' फिर अपनी पौ बारह ...!
जवाब देंहटाएंऐसे चमत्कार अपने देश में भी यदा कदा सुनने को मिलते रहते हैं।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइससे कम से कम यह सिद्ध हो जाता है कि जानवरों में आदमी ही सबसे अधिक ज्ञानी है, भोजन श्रंखला में सर्वोच्च, और पापी पेट के लिए कुछ भी करने को तैयार! और नहला है तो दहला भी है, अथवा 'ज़हर को ज़हर ही काटता है'!
जवाब देंहटाएंमजीदार पोस्ट.
जवाब देंहटाएंदिलचस्प वृत्तांत सुनाया आपने. लेडी वंडर
जवाब देंहटाएंअच्छी कहानी है। इससे हम लोगो को दुसरे ठगो से सावधान हो जाना चाहिए।हमारे देश मे ऐसे लोगो की कमी नही है।
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