आप कितना झूठ बोलते हैं? सॉरी, मुझे ये पूछना चाहिए था कि क्या आप झूठ बोलते हैं? अब अगर आप ये कहते हैं कि हाँ, तो इसमें कोई नई बात नहीं हो...
आप कितना झूठ बोलते हैं? सॉरी, मुझे ये पूछना चाहिए था कि क्या आप झूठ बोलते हैं? अब अगर आप ये कहते हैं कि हाँ, तो इसमें कोई नई बात नहीं होगी, क्योंकि झूठ तो वे भी नहीं बच पाए जो 'धर्मराज' कहे जाते थे। फिर आप और मैं तो साधारण मनुष्य ठहरे। इसलिए कभी-कभार का झूठ चलता है।
फिलहाल बात चल रही है सबसे बड़े झूठ की। और वह संयुक्त राष्ट्र महासभा की ग्लेशिरों पर जारी रिपोर्ट में देखने को मिला है, जिसमें कहा गया है कि धरती पर बढ़ते प्रदूषण के कारण सन 2035 तक हिमालय क्षेत्र में स्थित ग्लेशियर पिघल कर खत्म हो जाएंगे। इससे भारत की नदियाँ सूख जाएंगी। नतीजतन वहाँ की खेती नष्ट हो जाएगी और पानी के लिए त्राहि-त्राहि मच जाएगी।
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के इंटरगवर्मेन्टल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज अर्थात आईपीसीसी ने यह रिपोर्ट 2007 में जारी चौथी रिपोर्ट में यह घोषणा की थी। मजेदार तथ्य यह है कि इस पैनल ने रिपोर्ट जारी करने से पहले स्वयं कोई अध्ययन नहीं किया था। उसने पिछले 25 सालों में जो अलग-अलग वैज्ञानिक अध्ययन हुए थे, उनके आधार पर यह निष्कर्ष निकाला था और ग्लेशियरों के पिघलने की आशंका उसने 'न्यू साइंटिस्ट' नामक साईस जर्नल में 1999 में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट के आधार पर व्यक्त की थी। यह शोध भारतीय ग्लेशियर विज्ञानी डा0 इकबाल हसनैन के द्वारा सम्पन्न किया गया था। उस समय डा0 हसनैन जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रहते हुए यह काम कर रहे थे।
जबकि डा0 हसनैन का कहना है कि उन्होंने अपने शोध में कही भी यह क्लेम नहीं किया था कि सन 2035 तक ग्लेशियर पिघल कर समाप्त हो जाएंगे। सवाल यह उठता है कि फिर यह भ्रम कैसे हुआ? इसपर हसनैन साहब का कहना है कि 1999 में ही न्यू साइंटिस्ट के रिपोर्टर ने मुझसे फोन पर बातचीत की थी। शायद उस बातचीत के दौरान ही रिपोर्टर को कोई कन्फ्यूजन हुआ और उसने ऐसा लिख दिया। लेकिन जब आईपीसीसी की इस रिपोर्ट पर सवाल उठ रहे थे, तभी डा0 हसनैन ने इस बात को क्लियर कर दिया था। लेकिन इसके बावजूद पश्चिमी लाबी इस झूठ को दबाए रही। बाद में जब डा0 हसनैन ने इसका जोरदार ढ़ंग से प्रतिवाद किया, तब यह झूठ जगजाहिर हुआ और अब आईपीसीसी के चेयरमैन आर0के0 पचौरी की भद्द पिट रही है।
फिर सवाल यह उठता है कि क्यों जानबूझकर इस झूठ का प्रचार क्यों किया गया? शायद इसका एक कारण यह था कि पश्चिमी देश इसी बहाने कोपेनहेगेन सम्मेलन में भारत और चीन पर दबाव बनाना चाहते थे। लेकिन संयोग से ऐसा हो न सका और उनके पाप सबके सामने आ गये।
लेकिन इस झूठ के फाश होने के बाद एक सवाल यह उठता है कि क्या वास्तव में हिमालय के ग्लेशियर पिघल रहे हैं? तो इसका जवाब है हाँ। और वैज्ञानिक इसके पीछे कई कारण बताते हैं। हला कारण है हिमपात में आने वाली कमी, दूसरा हिमपात देर से होना, तीसरा हवा में ब्लैक कार्बन और धूल के कणों की मात्रा बढ़ना। आंकड़े बताते हैं कि हिमालयी क्षेत्र में जो बर्फबारी पहले नवम्बर-दिसम्बर में शुरू हो जाती थी, अब वह जनवरी-फरवरी में हो रही है। इसके अतिरिक्त हिमालयी क्षेत्र में भोजन और रौशनी के लिए केरोसिन का इस्तेमाल भी इसका जिम्मेदार है। केरासिन के जलने से मुक्त हुए कार्बन के कण वायुमण्डल में फैल जाते हैं। बाद में जब ये कण बर्फ में मिल जाते हैं, तो सूर्य की रौशनी को परावर्तित करने की बर्फ की क्षमता घट जाती है। इससे हिमालय क्षेत्र का तापमान बढ रहा है। इसके साथ ही साथ बर्फ में कार्बन के कण मिल जाने से बर्फ भी जल्दी पिछलने लगती है।
बहरहाल यह सच है कि हिमालय के ग्लेशियरों के पिघलने की गति पिछले वर्षों में काफी बढ़ी है। और इस गति को लेकर जो जागरूकता पूरे विश्व में फैलनी चाहिए वह आईपीसीसी की झूठी रिपोर्ट ने काफी हद तक बढ़ा दी है। इससे और कुछ भले ही न हुआ हो, पर पर्यावरण के संरक्षण के प्रयासों को तो बल मिला ही है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि दुनिया के सबसे बड़े झूठ ने दुनिया का भला ही किया है।
लगता तो ऐसा ही है ..... क्योंकि कुछ देश मिल कर ठेकेदारी करना चाहते हैं हर मुद्दे पर तो पर्यावरण पर भी क्यों नही ...
जवाब देंहटाएंपर फिर भी भारत वासियों को इस और ध्यान देना चाहिए .....
इसमें नया क्या है? हमारे यहां तो ऐसे न जाने कितने लोग हैं
जवाब देंहटाएंये तो विकसित और विकासशील देशों का 'विज्ञानं' जैसा कोई मसला हो गया है !
जवाब देंहटाएंसच कहा ...
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कह रहे हैं.
जवाब देंहटाएंKYA KAHEN?
जवाब देंहटाएंहो सकता है 2035 तक पिघल ही जाएँ.
जवाब देंहटाएंjabeer ali rajnesh jee aap ka lekh pryavaran ke soch me achcha hai aap avm aap ke sahyogee dr arvind mishara jee ka lekh is bar ke vigyan prgatee me dekha jo bloging ke samband me hai kafi achcha laga mere blog ke bare me bhi sujav dete rahe dhanyvad
जवाब देंहटाएंaap kapryavaran ke bare me cintan achcha hai vigyan praagatee me bloging ke bisaye aap de jankaree achchi hai mere blog ke visay me apne vichar de
जवाब देंहटाएंaap kapryavaran ke bare me cintan achcha hai vigyan praagatee me bloging ke bisaye aap de jankaree achchi hai mere blog ke visay me apne vichar de
जवाब देंहटाएंचलो जी इस झूठ से पर्यावरण के संरक्षण के प्रयासों को तो बल मिला ही है।
जवाब देंहटाएंइस लेख के लिये धन्यवाद
प्रणाम
umda jankari*****
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