जून 2002 का पहला सप्ताह मैं कभी नहीं भूल सकता। कारण उन दिनों मैं शादी के बाद हनीमून के लिए 'मनाली' गया हुआ था। वहाँ हवा के ठन्डे झ...
जून 2002 का पहला सप्ताह मैं कभी नहीं भूल सकता। कारण उन दिनों मैं शादी के बाद हनीमून के लिए 'मनाली' गया हुआ था। वहाँ हवा के ठन्डे झोंके के बीच अपनी पत्नी के साथ व्यास नदी के किनारे टहलते हुए मैं सोचा करता था कि काश ऐसा मौसम लखनऊ में भी होता, तो कितना मज़ा आता। लेकिन आज जब वही मौसम लखनऊ में एक सप्ताह से धुनी रमा कर बैठा है, तो हम अपनी खाल बचाए फिर रहे हैं। तमाम लोगों को रोज ईश्वर से प्रार्थना करते सुनता हूँ- हे भगवान, अब तो सूरज देवता के दर्शन दे दो।
इस प्रार्थना के दो कारण हैं। पहला तो यहाँ के लोग इस कडकड़ाती ठण्ड के आदी नहीं हैं। खान-पान की समझ और सर्दी से बचने के तरीके मालूम नहीं हैं, इसलिए हर घर में कोई न कोई व्यक्ति बिस्तर पर पड़ा हुआ है। ऐसे में ईश्वर की याद तो आएगी ही।
मैंने अपनी पिछली पोस्ट 'लखनऊ बना मंसूरी, क्या हैं दो पैग ज़रूरी' में आप सबको सर्दी से बचाव के कुछ उपाय बताए थे, जिन्हें अपनाकर आप इस सर्दी को एन्ज्वॉय कर सकते हैं। अब उसकी दूसरी कड़ी में खाने-पीने की चीजों के बारे में चर्चा करते हैं, जिन्हें यदि आप समझ लें तो यह सर्दी आपके लिए कष्टकारण नहीं रहेगी।
जहाँ तक अन्न एवं सब्जियों की बात है, तो उड़द, सोयाबीन, टमाटर, सरसों और राई का साग, आलू, फूलगोभी ऐसी वस्तुएं हैं, जो गर्म तासीर वाले होते हैं। सर्दी में इनका सेवन विशेष रूप से करना चाहिए। इसके अतिरिक्त मटर की फलियाँ, ज्वार, मूँग, गाजर मूली, शलजम, तोरई और पका कद्दू मिलीजुली तासीर वाले होते हैं। इन्हें भी सर्दी में खाया जा सकता है। जबकि चावल, मक्का, जौ, बाजरा, मसूर, राजमा, पकी मटर, बंद गोभी, लौकी, कद्दू, भिंडी, बैंगन, प्याज, खीरा, ककड़ी, चुकन्दर ठण्डी तासीर वाले होते हैं। यदि आप सर्दी में इन सबसे दूरी बनाकर रखें, तो ही बेहतर है।
फलों की अगर हम बात करें तो सभी खट्टे फल जैसे अंगूर, संतरा, नींबू, बेर आदि इसके साथ ही साथ बादाम, अखरोड, मूँगफी, नाशपाती, कीवी, खट्टे सेब भी गर्म तासीर वाले फल हैं, जिनका सर्दी में अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए। इसके अतिरिक्त अनार, पपीता, मीठे आम और मीठे अंगूर मिली जुली तासीर वाले फल होते हैं, जिनका सेवन भी सर्दी में किया जा सकता है। लेकिन मीठे सेब, नाशपाती, अमरूत, खूमानी, केला और तरबूज जैसे फल ठण्डी तासीर वाले होते हैं। इस हाड़ कंपाती सर्दी में इनका उपयोग न ही किया जाए तो बेहतर है।
भारतीय परिवेश में यह आम धारणा है कि सभी तरह के मांस गर्म तासीर वाले होते हैं। यह पूरी तरह से गलत धारणा है। सिर्फ मीठे पानी की मछली, गाय, घोड़े और सुअर का मांस ही गर्म तासीर रखता है। जबकि चिकन और बकरे का मांस मिली जुली तासीर रखता है। इसके विपरीत समुद्री मछलियाँ तथा अन्य प्राणियों का मांस तथा अन्य प्रकार के मांस ठण्डी तासीर रखते हैं।
जब खाने की बात चल रही हो, तो भला मसालों का जिक्र न आए, ऐसा कैसे हो सकता है। इसलिए आपको बताते चलें कि मसालों में अजवाइन, सावित्री, जायफल, बड़ी इलायची, काली मिर्च, मेथी, कलौंजी, जीरा, दालचीनी, लहसुन, सरसों के बीच, तुलसी, पोदीना गर्म तासीर रखते हैं, जबकि हल्दी, अदरक और छोटी इलायची मिली जुली तासीर रखते हैं। इसके विपरीत धनिया, मुलहठी, लौंग, सौंफ, मीठा नीम अथवा कढ़ी पत्ता ठण्डी तासीर रखते हैं।
इनके अलावा सभी प्रकार के वनस्पति तेल, मुर्गी और मछली के अण्डे, शहद और गुड़ भी गर्म तासीर रखते हैं। इसलिए समझदार लोग सर्दी में इनका सेवन अधिक से अधिक करते हैं। और हाँ, अगर आप चीनी के बढ़ते हुए दाम से चिंतित हैं, तो फिलहाल तो उससे दूरी बना कर रखना ही समझदारी है, क्योंकि मिश्री के साथ-साथ वह भी ठण्डी तासीर वाली वस्तु है।
और हाँ, यदि ठण्डी तासीर वाली वस्तु खानी ही पड़ जाए, तो उसके लिए दिन का समय सबसे बेहतर होता है। रात के खाने में उसका इस्तेमाल करना बेहद नुकसानदायक हो सकता है।
इस प्रार्थना के दो कारण हैं। पहला तो यहाँ के लोग इस कडकड़ाती ठण्ड के आदी नहीं हैं। खान-पान की समझ और सर्दी से बचने के तरीके मालूम नहीं हैं, इसलिए हर घर में कोई न कोई व्यक्ति बिस्तर पर पड़ा हुआ है। ऐसे में ईश्वर की याद तो आएगी ही।
मैंने अपनी पिछली पोस्ट 'लखनऊ बना मंसूरी, क्या हैं दो पैग ज़रूरी' में आप सबको सर्दी से बचाव के कुछ उपाय बताए थे, जिन्हें अपनाकर आप इस सर्दी को एन्ज्वॉय कर सकते हैं। अब उसकी दूसरी कड़ी में खाने-पीने की चीजों के बारे में चर्चा करते हैं, जिन्हें यदि आप समझ लें तो यह सर्दी आपके लिए कष्टकारण नहीं रहेगी।
खाद्य पदार्थों की तासीर को समझ कर सर्दी से करें मुकाबला
आपने सुना होगा कि हर खाने पीने की चीज़ की एक तासीर होती है। दरअसल, जब भी हम कोई खाद्य पदार्थ खाते हैं, तो वह हमारे शरीर पर एक विशेष प्रभाव छोड़ता है। उस प्रभाव विशेष को ही तासीर के नाम से जाना जाता है।जहाँ तक अन्न एवं सब्जियों की बात है, तो उड़द, सोयाबीन, टमाटर, सरसों और राई का साग, आलू, फूलगोभी ऐसी वस्तुएं हैं, जो गर्म तासीर वाले होते हैं। सर्दी में इनका सेवन विशेष रूप से करना चाहिए। इसके अतिरिक्त मटर की फलियाँ, ज्वार, मूँग, गाजर मूली, शलजम, तोरई और पका कद्दू मिलीजुली तासीर वाले होते हैं। इन्हें भी सर्दी में खाया जा सकता है। जबकि चावल, मक्का, जौ, बाजरा, मसूर, राजमा, पकी मटर, बंद गोभी, लौकी, कद्दू, भिंडी, बैंगन, प्याज, खीरा, ककड़ी, चुकन्दर ठण्डी तासीर वाले होते हैं। यदि आप सर्दी में इन सबसे दूरी बनाकर रखें, तो ही बेहतर है।
फलों की अगर हम बात करें तो सभी खट्टे फल जैसे अंगूर, संतरा, नींबू, बेर आदि इसके साथ ही साथ बादाम, अखरोड, मूँगफी, नाशपाती, कीवी, खट्टे सेब भी गर्म तासीर वाले फल हैं, जिनका सर्दी में अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए। इसके अतिरिक्त अनार, पपीता, मीठे आम और मीठे अंगूर मिली जुली तासीर वाले फल होते हैं, जिनका सेवन भी सर्दी में किया जा सकता है। लेकिन मीठे सेब, नाशपाती, अमरूत, खूमानी, केला और तरबूज जैसे फल ठण्डी तासीर वाले होते हैं। इस हाड़ कंपाती सर्दी में इनका उपयोग न ही किया जाए तो बेहतर है।
भारतीय परिवेश में यह आम धारणा है कि सभी तरह के मांस गर्म तासीर वाले होते हैं। यह पूरी तरह से गलत धारणा है। सिर्फ मीठे पानी की मछली, गाय, घोड़े और सुअर का मांस ही गर्म तासीर रखता है। जबकि चिकन और बकरे का मांस मिली जुली तासीर रखता है। इसके विपरीत समुद्री मछलियाँ तथा अन्य प्राणियों का मांस तथा अन्य प्रकार के मांस ठण्डी तासीर रखते हैं।
जब खाने की बात चल रही हो, तो भला मसालों का जिक्र न आए, ऐसा कैसे हो सकता है। इसलिए आपको बताते चलें कि मसालों में अजवाइन, सावित्री, जायफल, बड़ी इलायची, काली मिर्च, मेथी, कलौंजी, जीरा, दालचीनी, लहसुन, सरसों के बीच, तुलसी, पोदीना गर्म तासीर रखते हैं, जबकि हल्दी, अदरक और छोटी इलायची मिली जुली तासीर रखते हैं। इसके विपरीत धनिया, मुलहठी, लौंग, सौंफ, मीठा नीम अथवा कढ़ी पत्ता ठण्डी तासीर रखते हैं।
इनके अलावा सभी प्रकार के वनस्पति तेल, मुर्गी और मछली के अण्डे, शहद और गुड़ भी गर्म तासीर रखते हैं। इसलिए समझदार लोग सर्दी में इनका सेवन अधिक से अधिक करते हैं। और हाँ, अगर आप चीनी के बढ़ते हुए दाम से चिंतित हैं, तो फिलहाल तो उससे दूरी बना कर रखना ही समझदारी है, क्योंकि मिश्री के साथ-साथ वह भी ठण्डी तासीर वाली वस्तु है।
और हाँ, यदि ठण्डी तासीर वाली वस्तु खानी ही पड़ जाए, तो उसके लिए दिन का समय सबसे बेहतर होता है। रात के खाने में उसका इस्तेमाल करना बेहद नुकसानदायक हो सकता है।
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इस जनोपयोगी और जीवनोपयोगी जानकारी के लिये बहुत-बहुत शुक्रिया जी
जवाब देंहटाएंअब ध्यान से खाने-पीने की कोशिश करेंगें
प्रणाम स्वीकार करें
इतनी मंहगाई है, भोजन यह सोचकर नहीं करते कि उसकी तासीर कैसी होगी.
जवाब देंहटाएंउपयोगी जानकारी है ,धन्यवाद
जवाब देंहटाएंजाकिर भाई
जवाब देंहटाएंकाफी इन्फारमेटिव पोस्ट है उसके लिए हमारी तरफ से आपकी तारीफ़ दर्ज कर ली जाये !
दिक्कत ये है की सामान तो सब जुगाड़ लिया जायेगा और मौसम भी माशाअल्लाह मनाली और लखनऊ जैसा ही है लेकिन बात हनीमून पर अटक गई है वो कह रही है ! सठिया गए हो क्या ?
अच्छी पोस्ट .
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी लगी यह जानकारी शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुत खूब. सबसे अच्छा है, रजाई में बैठकर मूंगफली खाना.
जवाब देंहटाएंजनोपयोगी जानकारी के लिये बहुत शुक्रिया
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएं.
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जाकिर भाई,
TSALIM
विज्ञान केन्द्रित विचारों और वैज्ञानिक पद्धतियों से परिचित कराने का एक विनम्र प्रयास।
दुख के साथ कह रहा हूँ कि आपकी यह पोस्ट आपके ब्लॉग के घोषित मकसद के एकदम विपरीत है। आधुनिक आहार विज्ञान 'तासीर' की इस अवधारणा को नहीं मानता, यह अवधारणा आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों की देन हैं पर प्रायोगिक तौर पर ऐसा होना साबित नहीं है। आज के दौर के सभी शीर्ष खिलाड़ी आधुनिक आहार विज्ञान के सहयोग से अपने स्वास्थ्य और फिटनेस को सर्वोच्च स्तर पर बनाये रखते हैं। यदि शरीर में पहले से कोई रोग नहीं है तो आप द्वारा बताई ठंडी तासीर वाले खाद्य रात को भी खाने पर कोई दिक्कत नहीं होगी, यह आप खुद कर आजमा सकते हैं।
बताना तो नहीं चाहिये पर श्रीमती जी ने आज डिनर में मक्के की रोटी, बंद गोभी की सब्जी और राजमा चावल बनाया है। अमरूद अभी कमेंट करते करते खा ही रहा हूँ... तो आपके हिसाब से मैं तो गया काम से... :)
अब बस करता हूँ सुबह दौड़ जो लगानी है... :(
बड़े काम की जानकारी.....
जवाब देंहटाएंवैसे हम जैसे तो बारामासी यही मौसम झेलते हैं...
बचपन में कलेंन्डर में बरफ देख जी मचलता था..और अब!! तौबा तौबा!!
जानकारियां बहुत मेहनत से जुटाई गयी हैं, इसके लिए आपका शुक्रिया. लेकिन जिन्हें सर्दी आलसी बना देती हो, उन पर इस ज्ञान का कोई असर नहीं पड़ने वाला. वे सब कुछ खाने-पीने के बाद भी बिस्तर-कम्बल ही तलाश करेंगे.
जवाब देंहटाएंअगर मनाली वाली तस्वीर किसी दूसरे की बजाय अपनी लगाई होती तो ज्यादा अच्छा होता, चेहरे भी नहीं काटने पड़ते और हम बर्फ पर श्रीमती एवं श्री जाकिर अली 'रजनीश' का दर्शन भी कर लेते.
वास्तव मे जीवनोपयोगी जानकारी
जवाब देंहटाएंपरंतु व्यक्तिगत स्तर पर श्री प्रवीण शाह से सहमत हू
उपयोगी जानकारी.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद