बाल विज्ञान कथाएँ सिर्फ बच्चों का मनोरंजन ही नहीं करतीं, वे उनकी वैज्ञानिक सोच को परिष्कृत करती हैं और उन्हें अंधविश्वास से दलदल से निका...
बाल विज्ञान कथाएँ सिर्फ बच्चों का मनोरंजन ही नहीं करतीं, वे उनकी वैज्ञानिक सोच को परिष्कृत करती हैं और उन्हें अंधविश्वास से दलदल से निकालने का भी काम करती हैं। यह विचार बाल दिवस के अवसर पर औरंगाबाद में आयोजित 11वें राष्ट्रीय विज्ञान कथा सम्मेलन में मराठी विज्ञान कथा के सशक्त हस्ताक्षर डॉ0 बाल फोंडके ने डा0 अरविंद मिश्र के बाल विज्ञान कथा संग्रह “राहुल की मंगल यात्रा” का विमोचन करते हुए व्यक्त किये।

“बड़बडिया” एक ऐसा व्यक्ति है, जो हमारी धरती से दूर किसी अन्य आकाशगंगा से आया हुआ प्राणी है। इस कथ्य को केन्द्र बनाकर हिन्दी में सर्वाधिक कहानियाँ रची गयी हैं, पर यह कहानी बिल्कुल अपनी सी लगती है। लेखक ने बड़बडिया का चरित्र इतनी नफासत से गढ़ा है कि वह हमारे अपने बीच का व्यक्ति लगने लगता है।
“सुनहरी तितली” संग्रह की सर्वोकृष्ट रचना है, जिसमें “समय यंत्र” शैली के माध्यम से लेखक ने तितली की एक लुप्त प्रजाति की न सिर्फ जानकारी प्रदान की है, वरन इसी बहाने वैज्ञानिकों के जीवन की कष्टप्रद यात्रा को भी बखूबी चित्रित किया है। इस कथ्य की विशेषता यह है कि वह कहानी कहने के साथ ही साथ अंधविश्वास का भी शमन करता चलता है। कहानी का एक उद्धरण देखें-
“मैं एक वैज्ञानिक हूँ... मैं भूत प्रेत में विश्वास नहीं रखता। मानव की भयमूलक प्रवृत्ति ने ही भूतों-प्रेतों को जन्म दिया है। दरअसल, उनका कोई दैहिक या भौतिक अस्तित्व ही नहीं है। समाज के कुछ निहित स्वार्थी लोगों ने मानव की इसी प्रवृत्ति का शोषण किया है और विश्व के कोने-कोने में भूत-प्रेतों का आतंक फैलाया है। जिनको भूत-प्रेत दिखाई पड़ते हैं, वे मनोरोगी हैं, उन्हें अच्छे मनोचिकित्सक के पास जाकर अपना उपचार कराना चाहिए...” (पृष्ठ-57)
हमारे समाज में भूत-प्रेत और ज्योतिष के नाम पर कितना अंधविश्वास प्रचलित है, यह बात किसी से छिपी नहीं है, यही कारण है कि लेखक ने इन कथाओं के माध्यम से ज्योतिष के सत्य को भी पाठकों को बताना जरूरी समझा है। “नन्हा ज्योतिषी” एक ऐसी ही रचना है, जिसमें डा0 अरविंद मिश्र ने एक बच्चे के माध्यम से बहुत ही सहजता से यह बताया है कि ज्योतिष के नाम पर लोगों को किस प्रकार से बेवकूफ बनाया जाता है।
बच्चों की नजर में सबसे उबाऊ काम अगर कोई है, तो वह है पढ़ाई। वे हमेशा इससे बचने की युक्तियाँ खोजते नजर आते हैं। “स्वप्न यंत्र” और “रोबो मेरा यार” कहानी लेखक ने इसी चाह को फंतासी के रूप में बहुत कलात्मकता के साथ चित्रित किया गया है। अन्तिम रचना “राहुल की मंगल यात्रा” लेखक की एक विशिष्ट रचना है, जिसमें अंतरिक्ष यात्रा का रोमांच बाल मनोभावों के साथ गूँथ दिया गया है।
यूँ तो हिन्दी में बाल विज्ञान कथा के नाम पर बहुतायात में लेखन कार्य हो रहा है, पर जब हम उसका विश्लेषण करने बैठते हैं, तो निराशा ही हमारे हाथ लगती है। चाहे वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात हो, अथवा विज्ञान कथा के मानदण्डों का निवर्हन ज्यादातर मामलों में लेखक इससे लापरवाह ही पाए जाते हैं। प्रसन्नता का विषय यह है कि “राहुल की मंगल यात्रा” के रूप में हमारे सामने बाल विज्ञान कथाओं का एक ऐसा नगीना सामने आया है, जो न सिर्फ बाल विज्ञान कथालोक के भण्डार को भरने में सहायक होगा, वरन नये रचनाकारों के लिए भी मार्गदर्शक का काम करेगा।
आशा है यह संग्रह बाल पाठकों को भी पसंद आएगा और बाल विज्ञान कथा साहित्य के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा।
पुस्तक- राहुल की मंगल यात्रा
लेखक- डॉ0 अरविंद मिश्र
प्रकाशक- आयुष पब्लिकेशंस, डी-3-ए, विश्वविद्यालयपुरी, गोपालपुरा बाईपास, जयपुर-302018 फोन- 0141-4026291
मूल्य- 120 रू.
अरविंद जी, इस सुंदर कृति के लिए हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंअरविन्द जी इस किताब के लिए बहुत बहुत बधाई पढने की उत्सुकता रहेगी ...कहाँ से कैसे ली जा सकती है बताये .शुक्रिया
जवाब देंहटाएंअरे वाह. ये आश्चर्य मिश्रित ख़ुशी की बात हुई. अरविन्द जी को बहुत बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएं''राहुल की मंगल यात्रा'' pustak ke liye Dr.Arvind ji ko bahut bahut badhaayee.
जवाब देंहटाएंYah तो बहुत ही khushi kee बात है ki hindi mein rochak vigyan kathaon kee aisee pustak mil pa rahi है.
ham bhi ise zarur padhna chahenge.
yah pustak apne uddeshy mein safal ho.
Shubhkamnayen.
अरविन्द जी को इस किताब के लिए बहुत बहुत बधाई और शुभ कामनाएं
जवाब देंहटाएंऐसी उत्कृष्ट पुस्तकें देखकर अफ़सोस इस बात पर होता है की ये किताबे बच्चों तक पहुँच नहीं पातीं ! न तो अभिभावक प्रयत्न करते हैं और न ही स्कूल वालों को कोई रूचि होती है !
बच्चों तक इस तरह की ज्ञानवर्धक और जागरूकता से भरी किताबें पहुंचना बेहद आवश्यक हैं !
अरविन्द जी किताब के लिए बहुत बहुत बधाई और शुभ कामनाएं
जवाब देंहटाएंअरे वाह ! बधाई.
जवाब देंहटाएंआभार इस जानकारी के लिए और आदरणीय अरविन्द जी को हार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएंregards
Bachchhon ke liye pathneey pustak maloom hoti hai.
जवाब देंहटाएंBachchhon ke liye pathneey pustak maloom hoti hai.
जवाब देंहटाएंडा. अरविन्द मिश्र जी को बहुत बहुत बधाई आपका धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंअरविन्द जी को वधाई और आपको धन्यवाद
जवाब देंहटाएंइस जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ! अरविन्द जी को हार्दिक बधाइयाँ!
जवाब देंहटाएंयह वेब साइट वैज्ञानिक चेतना को समर्पित है लेकिन इसके आजू-बाजू लगे कुछ विज्ञापनों के शीर्षक भ्रमित करने वाले हैं।
जवाब देंहटाएं