भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर विश्व के सुंदरतम पक्षियों में से एक है। यह उड़ीसा का राज्य पक्षी भी है। यह बंगाल के बाद के क्षेत्र एवं हिमालय के...
भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर विश्व के सुंदरतम पक्षियों में से एक है। यह उड़ीसा का राज्य पक्षी भी है। यह बंगाल के बाद के क्षेत्र एवं हिमालय के 3-4 हजार फुट ऊंचाई के ऊपर के क्षेत्रों को छोड़ कर पूरे भारतवर्ष में पाया जाता है, पर यह गंगा तथा यमुना के मैदानी इलाकों से लेकर मध्य प्रदेश के जंगलों तक बहुतायात में दिखाई देता है। मोर भारत का स्थाई पक्षी है तथा प्रवास नहीं करता है।
नर एवं मादा मोर एक दूसरे से भिन्न दिखते हैं। नर मोर की लम्बी और सुंदर पूंछ सहित लम्बाई लगभग 2 मीटर तथा मादा की लम्बाई एक मीटर से कुछ कम होती है। नर मोर का सिर से लेकर गर्दन तक का हिस्सा चमकीला नीले रंग का होता है, जिस पर अल्प मात्रा में हरे रंग की आभा रहती है। गर्दन के नीचे का भाग चमकीले हरे रंग का और डैने भूरे रंग के होते हैं। डैनों के आगे के पंख कत्थई, बीच में कुछ काले एवं हलके भूरे रंग के भी होते हैं। डैने के पंखों पर आड़ी तिरक्षी धारियां एवं छींटे होते हैं। इसकी आँख को घेरे हुए एक सफेद रंग की पटटी गाल तक जाती है।
नर मोर की एक मीटर लम्बी पूँछ इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। पूँछ पर चटक भूरा, नीला, हरा एवं बैंगनी रंग हल्के पंखों से शुरू होकर धीरे-धीरे घना होता जाता है और शीर्ष पर आकर यह गोल आकार ले लेता है। इस गोल आकार के मध्य में चटक बैंगनी-नीला रंग का पतला घेरा होता है। वर्षा ऋतु में जब मोर अपने पंख फैला कर नाचता है, तब इसके पंखों की खूबसूरती देखते ही बनती है। मोर के सिर पर चमकीले नीले और हरे रंग की सुंदर कलगी भी होती है।
मोरनी का रंग मोर की तरह चटक नहीं होता। मोरनी की गर्दन का निचला हिस्सा हरे रंग का तथा ऊपरी हिस्सा कत्थई होता है। शेष भाग भूरे तथा हल्के भूरे रंग का होता है। नर मोर की तरह इसके लम्बी पूँछ नहीं होती है। मोरनी की पूँछ भूरी बिन्दियों के साथ कलछौंहे रंग की होती है। मोरनी की ठुडडी और पीठ का कुछ भाग सफेद एवं बादामी रंग का होता है। मोरनी के सिर पर भी कलगी होती है।
मोर की आँखें गाढ़े भूरे रंग की और चोंच का रंग भूरा स्लेटी होता है। मोर का मुख्य आहार अनाज, बीज, वनस्पतियों के कुछ भाग हैं, पर यह छोटे साँप, कीट-पतंगे, छिपकली आदि को भी बड़े चाव से खाता है। मोर अमूमन झाडियों के पीछे छिछले गडढे में पतली टहनियाँ, घास-फूस एवं पत्तों से एक साधारण सा घोंसला बनाते हैं। मादा जुलाई-अगस्त के महीनों में 6 से 7 अण्डे देती है। इसके अण्डे चमकीले तथा ३ गुणा 2.7 इंच आकार के होते हैं।
मोर को पालतू बनाया जा सकता है। तंग जगह की बजाय बाग-बगीचों, लॉन आदि जैसी खुली जगह में रखने पर यह सहजता से पालतू बन कर रह लेते हैं। तित्तिर परिवार के इस सदस्य को मयूर, मंजूर, ताऊस नामों से भी जाना जाता है। इसका जीव वैज्ञानिक नाम पेवो क्रिसटेटस (Pavo Cristatus) है। इस राष्ट्रीय पक्षी के सम्मान में विशेष अवसरों पर कई बार डाक टिकट जारी किये गये हैं।
नर एवं मादा मोर एक दूसरे से भिन्न दिखते हैं। नर मोर की लम्बी और सुंदर पूंछ सहित लम्बाई लगभग 2 मीटर तथा मादा की लम्बाई एक मीटर से कुछ कम होती है। नर मोर का सिर से लेकर गर्दन तक का हिस्सा चमकीला नीले रंग का होता है, जिस पर अल्प मात्रा में हरे रंग की आभा रहती है। गर्दन के नीचे का भाग चमकीले हरे रंग का और डैने भूरे रंग के होते हैं। डैनों के आगे के पंख कत्थई, बीच में कुछ काले एवं हलके भूरे रंग के भी होते हैं। डैने के पंखों पर आड़ी तिरक्षी धारियां एवं छींटे होते हैं। इसकी आँख को घेरे हुए एक सफेद रंग की पटटी गाल तक जाती है।
नर मोर की एक मीटर लम्बी पूँछ इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। पूँछ पर चटक भूरा, नीला, हरा एवं बैंगनी रंग हल्के पंखों से शुरू होकर धीरे-धीरे घना होता जाता है और शीर्ष पर आकर यह गोल आकार ले लेता है। इस गोल आकार के मध्य में चटक बैंगनी-नीला रंग का पतला घेरा होता है। वर्षा ऋतु में जब मोर अपने पंख फैला कर नाचता है, तब इसके पंखों की खूबसूरती देखते ही बनती है। मोर के सिर पर चमकीले नीले और हरे रंग की सुंदर कलगी भी होती है।
मोरनी का रंग मोर की तरह चटक नहीं होता। मोरनी की गर्दन का निचला हिस्सा हरे रंग का तथा ऊपरी हिस्सा कत्थई होता है। शेष भाग भूरे तथा हल्के भूरे रंग का होता है। नर मोर की तरह इसके लम्बी पूँछ नहीं होती है। मोरनी की पूँछ भूरी बिन्दियों के साथ कलछौंहे रंग की होती है। मोरनी की ठुडडी और पीठ का कुछ भाग सफेद एवं बादामी रंग का होता है। मोरनी के सिर पर भी कलगी होती है।
मोर की आँखें गाढ़े भूरे रंग की और चोंच का रंग भूरा स्लेटी होता है। मोर का मुख्य आहार अनाज, बीज, वनस्पतियों के कुछ भाग हैं, पर यह छोटे साँप, कीट-पतंगे, छिपकली आदि को भी बड़े चाव से खाता है। मोर अमूमन झाडियों के पीछे छिछले गडढे में पतली टहनियाँ, घास-फूस एवं पत्तों से एक साधारण सा घोंसला बनाते हैं। मादा जुलाई-अगस्त के महीनों में 6 से 7 अण्डे देती है। इसके अण्डे चमकीले तथा ३ गुणा 2.7 इंच आकार के होते हैं।
मोर को पालतू बनाया जा सकता है। तंग जगह की बजाय बाग-बगीचों, लॉन आदि जैसी खुली जगह में रखने पर यह सहजता से पालतू बन कर रह लेते हैं। तित्तिर परिवार के इस सदस्य को मयूर, मंजूर, ताऊस नामों से भी जाना जाता है। इसका जीव वैज्ञानिक नाम पेवो क्रिसटेटस (Pavo Cristatus) है। इस राष्ट्रीय पक्षी के सम्मान में विशेष अवसरों पर कई बार डाक टिकट जारी किये गये हैं।
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