आखिर पकड़ में आ ही गया लता का भूत

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लता के साथ होने वाली घटनाओं के बारे में आप लोगों ने पिछली पोस्ट में पढ़ा। अब बात करते हैं उसके आगे कि आखिर उसका भूत कैसे काबू में आया? ...

लता के साथ होने वाली घटनाओं के बारे में आप लोगों ने पिछली पोस्ट में पढ़ा। अब बात करते हैं उसके आगे कि आखिर उसका भूत कैसे काबू में आया?

हुआ यूँ‍ कि जब तमाम ओझाओं को दिखाने के बाद भी जब लता को कोई फायदा नहीं हुआ, तो उसके माता-पिता ने अब्राहम टी0 कोवूर को बुलवाया। उन्होंने अपनी पत्नी के साथ जब लड़की और उसके साथ घटने वाली घटनाओं का गहराई से अध्ययन किया, तो निम्न बातें निकल कर सामने आईं।

लता के माता पिता मध्यवर्ग के व्यक्ति थे और उनकी हैसियत नहीं थी कि वे उसके लिए नए-नए कपड़े दिलवाएं। जबकि लता की सहेलियाँ अक्सर नए-नए लिबास पहनकर आती थीं और अक्सर उसके कपड़ों को लेकर उसका मजाक उड़ाया करती थीं। इसीलिए उसके अवचेतन मस्तिष्क में कहीं न कहीं यह बात घर कर गयी थी कि यदि वह अपने पुराने कपड़ों को फाड़ दे, तो उसके माता-पिता नए कपड़े लाने के लिए मजबूर हो जाएंगे। कोवूर ने अपनी जाँच में पाया कि लता के सभी कपड़े बांई ओर ही फटे हुए थे अथवा कटे हुए थे। जिन कपड़ों में भी आग भी लगी थी, वह भी बांई ओर ही थे। यहाँ तक कि उसके सीने पर बनी खरोंचे के निशान भी बांई ओर ही थे। और लता अपने सारे काम दाएं हाथ से करती थी। जाहिर सी बात है कि यह सारे काम उसने अर्धचेतन अवस्था में स्वयं ही किये थे। जहाँ तक उसके बाल काटने का प्रश्न है, तो उसने ऐसा इसलिए किया था, ताकि वह बाल छोटे करके अधिक फैशनेबल दिख सके।

लता अपने स्कूल के फुटबाल टीम के कप्तान लाईनेल से प्यार करने लगी थी। लाईनेल एक बलिष्ठ युवक था और वह भी उस पर आसक्त था। लाईनेल लता के हर मैच में दर्शक के रूप में उपस्थित रहता था। लेकिन एक दुर्घटना में लाईनेल की मृत्यु हो जाने के कारण लता को मानसिक आघात लगा था। अपने घर में किसी के साथ खुली न होने के कारण वह इस दुख को पचा नहीं पाई और मानसिक रूप से बीमार हो गयी। इसीलिए वह भूत के रूप में बलिष्ठ देव पुरूष को देखने की बात करती थी।

लता का लालन पालन ऐसे घर में हुआ था, जहाँ पर लड़कियों से ज्यादा बोलना बतलाना उचित नहीं माना जाता था। लता का कोई भाई भी नहीं था, इसलिए उसके मन में लड़कों के प्रति एक प्रकार की गिल्टी का जन्म हो गया था। इसीलिए वह रात को ऐसा महसूस करती थी कि रात को आने वाला भूत लाईनेल जैसा है और वह जबरन उससे प्यार करता है। उसका दुलार करना, चुम्बन लेना, तोहफे लाना, बाहर जाने के लिए कहना, बाहों में उठाना और जबरदस्ती करना आदि सब लता की काम पूर्ति की जबरदस्त इच्छा के सूचक थे। इसीलिए वह शारीरिक कष्टों से काम तृप्ति करने के लिए अपने शरीर को नाखूनों से खरोंचा करती थी। अपने प्रेमी द्वारा ऐसा किए जाने की कल्पना करके वह ऐसे दुखों से आनन्द अनुभव करती थी।

अब्राहम टी0 कोवूर ने सारी घटनाओं को अध्ययन करने के बाद लता के पिता को सलाह दी कि इसका एक ही इलाज है और वह किसी मजबूत कद काठी वाले खिलाड़ी के साथ लता की शादी करना। लता के पिता ने श्री कोवूर के कथनानुसार लता की शादी करवा दी। उसके बाद लता का फिर कभी भूत से सामना नहीं हुआ। वह अपने पति और दो बच्चों के साथ आनन्दपूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर रही है। (अब्राहम टी0 कोवूर द्वारा लिखित पुस्तक “और देव पुरूष हार गये”, पृष्ठ-187 प्रकाशक- तर्कभारती प्रकाशन, बरनाला, पंजाब से साभार।)

हमें इस बात की प्रसन्नता है कि आप सबने पहले ही लता की मानसिक रूप से बीमार होने का अंदाजा लगा लिया था। आशा है आप सब अपने आस पास होने वाली इस तरह की अन्य घटनाओं को भी इसी प्रकार से लेंगे और समाज के अन्य लोगों को भी इन मानसिक भूत-प्रेतों से सचेत करेंगे।


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अब्राहम थॉमस कोवूर श्रीलंका के प्रख्‍यात विज्ञानवेत्‍ता और विश्‍व के प्रमुख रेशनलिस्‍ट के रूप में जाने जाते हैं। उन्‍होंने अंधविश्‍वास को मिटाने के लिए अथक प्रयास किये। उनका कहना था कि जो व्यक्ति चमत्कारी शक्तियों का दावा करते हैं, केवल पाखंडी या दिमागी तौर पर पागल व्यक्ति हैं। उनके जीवन की कुछ प्रमुख घटनाओं को आप यहॉं क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
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COMMENTS

BLOGGER: 18
  1. RAJNEESH BHAI
    BAHUT KHUB EK SULAJI HUEE POST KAH SAKATE HAI ....KYOKI YAH KAEE DHAARANAO KO KHATMA KARANE ME MADAD KAREGI ......PSYCHOLOGICAL PROBLEM HI BHOOT OUR PISHAACH KA RUP DHAARAN KAR LETE HAI ........IN CHIJO KA FAYADAA KUTSIT MANSIKTA KE LOG UTHA BHI LETE HAI ..........AJYANIYO KA SHOSHAN BHI HO JAATI HAI ......YAH AAYE DIN KASBO OUR CHHOTE SHAHARO HO GHATIT HOTA HAI .......YAH SAB GHATANAAYE SIRF SAMAAJ KI DEN NAHI HOTI HAI PARNTU ISAME AANTARIK OUR BAAHYA DONO TARAH KE KARAN SHAMIL HOTE HAI ..........JO EK WYAKTI KE UPAR AISA PRABHAW DALTE HAI......BAHUT SUNDAR POST.....KAHANE SHABD NAHI HAI

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  2. मन की कुछ बाते ही जो पूरी न हो पायें वह इसी तरह से ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करवाती हैं ..समझने की जरुरत है तभी इन अंधविश्वासों से निकला जा सकता है ..

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  3. "पर यह भी बताने का कष्ट करें कि यह पत्रिका कहां मिलेगी।"aapne ye poochha tha...aap mere blog ke right side me dekhkar click karein.....

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  4. यानी कि संवादहीनता और अंतर्मुखी होना भी एक कारण है ऐसे भूतों के पीछे !

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  5. लगे हाथ यदि ये भी बता देते कि ये घटना कहां और कब घटित हुई है, तो थोडी विश्वसनीयता बढ जाती।

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  6. इसका एक ही इलाज है और वह किसी मजबूत कद काठी वाले खिलाड़ी लड़की के साथ लता की शादी करना।

    लडकी या लडका ?

    और हाँ पिछले अंक में प्रकाश गोविन्द जी ने लिखा की ऐसा क्यों होता है की भूत ही क्यों लड़कियों को पकड़ते हैं चुडैलें लड़कों को क्यों नहीं ? भई चुडैलें भी कोई कमतर नहीं हैं ,हम खुलासा न करें तो इसका मतलब यह तो नहीं हैं की वे है हीं नहीं ! अरे उनका आतंक बदस्तूर कायम है ! यह बात दीगर है कि प्रकाश जी किसी चुडैल के चक्कर में नहीं पड़े ! हा हा !

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  7. aakhirkar wahi nikla jo sabhi log soch rahe the....achchhi post

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  8. जाकी रही मनोभावना जैसी ....... उसे वैसा ही लगता है .

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  9. प्रिय अरविन्द मिश्र जी

    दरअसल मैं चुडैल के बारे में बहुत कन्फ्यूज हूँ ! कई घरों से जिनके बारे में चिल्ला-चिल्लाकर कहा जाता है कि तू चुडैल है .......... उन्ही को मैं अगले दिन हाथ में हाथ डाले शापिंग करते देखता हूँ !

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  10. सोच कर देंखें तो इन सब के पीछे कुछ और कारण ही हैं?

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  11. तो यह लता की मानसिक बीमारी ही थी!

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  12. पता नही कितनी ओर लता ऎसा कर के मां बाप ओर अपना जीवन खराब करती होगी.
    धन्यवाद

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  13. GauharMehmood6/18/2009 12:17 am

    जनाब ज़ाकिर भाई, यह लता वाला किस्सा पढ़ा। मुझे तो लगता है कि कुछ है जरुर। पैगम्बरे दीन को जब इलहाम हुआ और आयतें नाज़िल हुयी तब भी उन पर ऎसे इल्जामात लगे थे। क्यी दर्गाहो पर गया हूँ जहाँ जिन्नात की कचहरी लगती है। कुछ खुलासा कीजिये।

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  14. एक बड़े वर्ग को ये बात समझने की जरुरत है.

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  15. जी हाँ ये मेडिकल disorder ही है ...hyesteria की एक श्रेणी

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  16. तीन साल पहले कीर्तन समझ कर एक जगह गया था, पर वहां तो एक बाबा ने दरबार लगा रखा था। वहां भी ऐसे ही नाटकबाज या मानसिक बीमार भक्तों की भीड लगी थी। मैं तो उनकी खिल्ली उडा कर निकल लिया।

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  17. कुछ और ही कारण का मतलब भूत -प्रेत ,अंधविश्वास के अलावा सब कुछ !!
    (क्या यह स्पष्टीकरण आवश्यक था?)

    हा हा हा हा !!

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वैज्ञानिक चेतना को समर्पित इस यज्ञ में आपकी आहुति (टिप्पणी) के लिए अग्रिम धन्यवाद। आशा है आपका यह स्नेहभाव सदैव बना रहेगा।

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अंतरिक्ष युद्ध,1,अंतर्राष्‍ट्रीय ब्‍लॉगर सम्‍मेलन,1,अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन-2012,1,अतिथि लेखक,2,अन्‍तर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन,1,आजीवन सदस्यता विजेता,1,आटिज्‍म,1,आदिम जनजाति,1,इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी,1,इग्‍नू,1,इच्छा मृत्यु,1,इलेक्ट्रानिकी आपके लिए,1,इलैक्ट्रिक करेंट,1,ईको फ्रैंडली पटाखे,1,एंटी वेनम,2,एक्सोलोटल लार्वा,1,एड्स अनुदान,1,एड्स का खेल,1,एन सी एस टी सी,1,कवक,1,किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज,1,कृत्रिम मांस,1,कृत्रिम वर्षा,1,कैलाश वाजपेयी,1,कोबरा,1,कौमार्य की चाहत,1,क्‍लाउड सीडिंग,1,क्षेत्रीय भाषाओं में विज्ञान कथा लेखन,9,खगोल विज्ञान,2,खाद्य पदार्थों की तासीर,1,खाप पंचायत,1,गुफा मानव,1,ग्रीन हाउस गैस,1,चित्र पहेली,201,चीतल,1,चोलानाईकल,1,जन भागीदारी,4,जनसंख्‍या और खाद्यान्‍न समस्‍या,1,जहाँ डॉक्टर न हो,1,जितेन्‍द्र चौधरी जीतू,1,जी0 एम0 फ़सलें,1,जीवन की खोज,1,जेनेटिक फसलों के दुष्‍प्रभाव,1,जॉय एडम्सन,1,ज्योतिर्विज्ञान,1,ज्योतिष,1,ज्योतिष और विज्ञान,1,ठण्‍ड का आनंद,1,डॉ0 मनोज पटैरिया,1,तस्‍लीम विज्ञान गौरव सम्‍मान,1,द लिविंग फ्लेम,1,दकियानूसी सोच,1,दि इंटरप्रिटेशन ऑफ ड्रीम्स,1,दिल और दिमाग,1,दिव्य शक्ति,1,दुआ-तावीज,2,दैनिक जागरण,1,धुम्रपान निषेध,1,नई पहल,1,नारायण बारेठ,1,नारीवाद,3,निस्‍केयर,1,पटाखों से जलने पर क्‍या करें,1,पर्यावरण और हम,8,पीपुल्‍स समाचार,1,पुनर्जन्म,1,पृथ्‍वी दिवस,1,प्‍यार और मस्तिष्‍क,1,प्रकृति और हम,12,प्रदूषण,1,प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड,1,प्‍लांट हेल्‍थ क्‍लीनिक,1,प्लाज्मा,1,प्लेटलेटस,1,बचपन,1,बलात्‍कार और समाज,1,बाल साहित्‍य में नवलेखन,2,बाल सुरक्षा,1,बी0 प्रेमानन्‍द,4,बीबीसी,1,बैक्‍टीरिया,1,बॉडी स्कैनर,1,ब्रह्माण्‍ड में जीवन,1,ब्लॉग चर्चा,4,ब्‍लॉग्‍स इन मीडिया,1,भारत के महान वैज्ञानिक हरगोविंद खुराना,1,भारत डोगरा,1,भारत सरकार छात्रवृत्ति योजना,1,मंत्रों की अलौकिक शक्ति,1,मनु स्मृति,1,मनोज कुमार पाण्‍डेय,1,मलेरिया की औषधि,1,महाभारत,1,महामहिम राज्‍यपाल जी श्री राम नरेश यादव,1,महाविस्फोट,1,मानवजनित प्रदूषण,1,मिलावटी खून,1,मेरा पन्‍ना,1,युग दधीचि,1,यौन उत्पीड़न,1,यौन शिक्षा,1,यौन शोषण,1,रंगों की फुहार,1,रक्त,1,राष्ट्रीय पक्षी मोर,1,रूहानी ताकत,1,रेड-व्हाइट ब्लड सेल्स,1,लाइट हाउस,1,लोकार्पण समारोह,1,विज्ञान कथा,1,विज्ञान दिवस,2,विज्ञान संचार,1,विश्व एड्स दिवस,1,विषाणु,1,वैज्ञानिक मनोवृत्ति,1,शाकाहार/मांसाहार,1,शिवम मिश्र,1,संदीप,1,सगोत्र विवाह के फायदे,1,सत्य साईं बाबा,1,समगोत्री विवाह,1,समाचार पत्रों में ब्‍लॉगर सम्‍मेलन,1,समाज और हम,14,समुद्र मंथन,1,सर्प दंश,2,सर्प संसार,1,सर्वबाधा निवारण यंत्र,1,सर्वाधिक प्रदूशित शहर,1,सल्फाइड,1,सांप,1,सांप झाड़ने का मंत्र,1,साइंस ब्‍लॉगिंग कार्यशाला,10,साइक्लिंग का महत्‍व,1,सामाजिक चेतना,1,सुरक्षित दीपावली,1,सूत्रकृमि,1,सूर्य ग्रहण,1,स्‍कूल,1,स्टार वार,1,स्टीरॉयड,1,स्‍वाइन फ्लू,2,स्वास्थ्य चेतना,15,हठयोग,1,होलिका दहन,1,‍होली की मस्‍ती,1,Abhishap,4,abraham t kovoor,7,Agriculture,8,AISECT,11,Ank Vidhya,1,antibiotics,1,antivenom,3,apj,1,arshia science fiction,2,AS,26,ASDR,8,B. 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आखिर पकड़ में आ ही गया लता का भूत
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