यह होली की पहेली थी ! भांग सही उत्तर .पहला जवाब भांग प्रेमी मौदगिल जी का जिसकी पिनक में वे इतना बेहतरीन लिख जाते हैं कि ख़ुद उन्हें भी पता न...
यह होली की पहेली थी ! भांग सही उत्तर .पहला जवाब भांग प्रेमी मौदगिल जी का जिसकी पिनक में वे इतना बेहतरीन लिख जाते हैं कि ख़ुद उन्हें भी पता नही होता -श्रेय उन्हें नहीं जाहिर है भांग को है !
अब अब थोडा होलियाई मूड की बतकही दीगर उत्तरों को लेकर ! सीमा गुप्ता जी का जवाब भी सही रहा उन्होंने इसके अंग्रेजी /वानस्पतिक नाम को बताया -कैनिबस ! संगीता पुरी का भी सही जवाब- भांग ! सबसे मजेदार होलियायी जवाब रहा ज्ञान जी का जो ट्रेंड बन गया -अब यह फाईनली साफ़ हो गया कि यह जहीन शख्शियत सचमुच गावों में कम खाई खेली है -नहीं तो भला किशोरावस्था के अरहर और चना मटर के खेतो को कौन भुला सकता है जहाँ कितनी जिज्ञासाओं का जन्म हुआ और हमेशा के लिए वे शमन भी हो गयीं ! भोले ज्ञान जी !
एक अनामी भाई साहब भी सही जवाब लेकर नमूदार हो गये !
भांग का नाम ही नशा चढा देता है -देखिये सीमा जीका यह दुबारा आकर जवाब देना वाटर मार्क लगाके -"भांग का पौधा "holi hai ha ha ha ha ha ha ha "रेगार्ड्स" .पी एन सुब्र्मन्यियन साहब भी थोड़ा हट के मगर बिल्कुल दुरुस्त जवाब दिया -दरअसल भांग की प्रजाति के पौध से सन,सनई या जूट -खासकर नर पौधे से बनती है ! रंजना (रंजू ) जी ने ज्ञान जी के ज्ञान पर ही भरोसा कर लिया और कहा कि "यह पक्का अरहर की दाल के पौधे हैं .." अब हम क्या बोलें ! ज्ञान जी और रंजू जी आपस में फरिया लें ! अब कोई अनिल कान्त भाई आए और रंजू प्रभाव में उवाचे "हाँ पक्का अरहर के पौधे हैं" रंजू जी की वोट पावर बढ़ रही है ! अब तक स्मार्ट इन्डियन भी आ गये और स्मार्टनेस से नहीं चूके "होली के अवसर पर बहुत सटीक सवाल - देसी भांग"
राज भाटिया जी ने मामला ही बिल्कुल साफ़ कर दिया '"अर्बिन्द जी , इसे हमारी भाषा मै Hanf, ओर अग्रेजी मै Cannabis कहते है हिन्दी मै शायद भांग कहते होगे, हिन्दी मे पक्का पता नही, लेकिन Cannabis पक्का.
होली की बहुत बहुत बधाई" और ताऊ आए ,वे भी अपने वाटर मार्क के साथ और अपने तथा ज्ञान जी के ज्ञान के फ़र्क को भी समझा दिए -"अरहर के पौधे इस तरह सघनता मे नही होते और लंबवत नही होते। उनमे एक घेर होता है और अरहर की पत्तियाम भी ऐसी नही होती.ऐसी सघनता मे सन (जूट) होता है और इतना ही हरा भी होता है. तो हमारा मत है कि ये सन ही है.रामराम." इसे कहते हैं फर्स्ट हैण्ड इक्स्पेरियेंस ! मान गए ताऊ ! जा निसार !! निशांत मिश्र जी ने भी सही कहा - भांग ! जीशान जैदी का भी रहा सही जवाब !पाट्पुरी का दुरुस्त जवाब -"मुझे तो यह गंजा/cannibis की फसल लगातीहै। जी हाँ यह गंजा ही हैं।cannibis that is ganja in hindi "
लवली भी लवली बोलीं -"जूट ..अरहर किसी कीमत पर नही" तुम तो ग्राम्यवासिनी बाला रही नही लवली ,कैसे बताया !
पंडित डी के शर्मा वत्स ने शक की कोई गुन्जायिश ही नही छोडी - शत प्रतिशत का मुहर मार कर बोले ,"ये तो 100% भांग के पौधे हैं." अब तक पंगेबाज भाई का एक्सपर्ट कमेन्ट भी आ गया था -"रंजना जी दाल के पौधे आज तक नही होते कल का पता नही . वैसे राजीव जी ने भी चीनी के पौधे लगाने की राय दी थी कभी ?
दाल बाद मे बनाई जाती है जी . वैसे मेरे ख्याल से ये भांग है . तस्लीम जी फ़ागुन के इस मौसम मे भांग चढाने के बाद और कुछ नजर भी कब आता है जी :" .सतीश चन्द्र सत्यार्थी भी यूँ बोले -"ये भांग के पौधे हैं बिहार में इसे सामान्यतः गांजा कहा जाता है." मीनू जी को प्रश्न कठिन लगा और उन्होंने मनुहार की ,"कुछ आसान प्रश्न भी पूछा करो जाकिर !" अभी मीनू जी को महामहिम राष्ट्रपति ने विज्ञान लोकप्रियकरण का सर्वोच्च लखटकिया पुरस्कार सौंपा है पर मीनू जी तस्लीम से तौबा कर रही हैं ! यही हैं न लोग बाग़ एम् पी का चुनाव तो जीत जाते हैं मगर प्रधानी हर जाते हैं -बहरहाल मीनू जी को बधाई देना न चूकें !
अब आए सिद्धार्थ भाई और पूरे आत्मविश्वास के साथ बोले -"ताऊ जी के उत्तर के साथ हूँ। अरहर इतना घना नहीं हो सकता। भांग के पौधे भी इतने लम्बे नहीं होते। उनमें शाखाएं और उपशाखाएं भी अधिक होती हैं। जूट ही है। अब ताऊ ,ज्ञान जी और सिद्धार्थ भाई का यह फर्क सुधी ब्लागजन नोट कर लें आगे संदर्भ आ सकते हैं -मगर सिद्धार्थ जी भांग भी एक तरह का जूट ही तो है !
अभिषेक ने मौके की नब्ज पहचानी और बेसाख्ता बोल पड़े -"देर से आया हूँ. मगर माहौल के हिसाब से 'भाँग' (Cannabis) ही लग रहा है."
मीत आये -"यह भंग के ही पौधे हैं... (cannabis plant)होली पर खूब याद दिलाया आपने..." आशीष खंडेलवाल जी आये जवाब दिया और होली की शुभकामनाएं भी दीं !"जी हां, ये भांग के ही पौधे लग रहे हैं॥ आपको और आपके परिवार को होली की ढेरों शुभकामनाएं..."
महेंद्र मिश्र जी ने भी होली की शुभकामनाओं से इस होली विशेष पहेली का उपसंहार किया !
दरअसल भांग के पौधे के ही विभिन्न भागों से गांजा ,हशीश ,चरस ,मैरीजुआना आदि बनाया जाता है .भांग इसकी सूखी पत्तियों से बनती है ! इस पौधे पर पूरी चर्चा साईंस ब्लागर्स ब्लॉग पर जल्दी ही !
अभी बनारस की यह उक्ति गुनें -
गंग भंग दुई बहन हैं सदा रहत शिव संग !
मुर्दा तारन गंग है जिन्दा तारन भंग
और आपको यह जानकर कैसा लगेगा कि यह पहेली उत्तर भांग के मीठे नशे में ही है -भूल चूक की मुआफी !
अब बनारस में रहकर भला भोले और भंग से कौन बच सकता है ?
अपने समीर भाई ,पारुल जी और अल्पना जी कहाँ किसके साथ मशगूल हो गये ? बिना इनके यह भंग पहेली?
आप सभी को होली की रंगारंग शुभकामनायें !
तस्लीम की ओर से जाकिर और मेरी ओर से भी आपके गालों पर नेह का प्यार का दुलार का मुट्ठीभर गुलाल -होली है ! -
अब अब थोडा होलियाई मूड की बतकही दीगर उत्तरों को लेकर ! सीमा गुप्ता जी का जवाब भी सही रहा उन्होंने इसके अंग्रेजी /वानस्पतिक नाम को बताया -कैनिबस ! संगीता पुरी का भी सही जवाब- भांग ! सबसे मजेदार होलियायी जवाब रहा ज्ञान जी का जो ट्रेंड बन गया -अब यह फाईनली साफ़ हो गया कि यह जहीन शख्शियत सचमुच गावों में कम खाई खेली है -नहीं तो भला किशोरावस्था के अरहर और चना मटर के खेतो को कौन भुला सकता है जहाँ कितनी जिज्ञासाओं का जन्म हुआ और हमेशा के लिए वे शमन भी हो गयीं ! भोले ज्ञान जी !
एक अनामी भाई साहब भी सही जवाब लेकर नमूदार हो गये !
भांग का नाम ही नशा चढा देता है -देखिये सीमा जीका यह दुबारा आकर जवाब देना वाटर मार्क लगाके -"भांग का पौधा "holi hai ha ha ha ha ha ha ha "रेगार्ड्स" .पी एन सुब्र्मन्यियन साहब भी थोड़ा हट के मगर बिल्कुल दुरुस्त जवाब दिया -दरअसल भांग की प्रजाति के पौध से सन,सनई या जूट -खासकर नर पौधे से बनती है ! रंजना (रंजू ) जी ने ज्ञान जी के ज्ञान पर ही भरोसा कर लिया और कहा कि "यह पक्का अरहर की दाल के पौधे हैं .." अब हम क्या बोलें ! ज्ञान जी और रंजू जी आपस में फरिया लें ! अब कोई अनिल कान्त भाई आए और रंजू प्रभाव में उवाचे "हाँ पक्का अरहर के पौधे हैं" रंजू जी की वोट पावर बढ़ रही है ! अब तक स्मार्ट इन्डियन भी आ गये और स्मार्टनेस से नहीं चूके "होली के अवसर पर बहुत सटीक सवाल - देसी भांग"
राज भाटिया जी ने मामला ही बिल्कुल साफ़ कर दिया '"अर्बिन्द जी , इसे हमारी भाषा मै Hanf, ओर अग्रेजी मै Cannabis कहते है हिन्दी मै शायद भांग कहते होगे, हिन्दी मे पक्का पता नही, लेकिन Cannabis पक्का.
होली की बहुत बहुत बधाई" और ताऊ आए ,वे भी अपने वाटर मार्क के साथ और अपने तथा ज्ञान जी के ज्ञान के फ़र्क को भी समझा दिए -"अरहर के पौधे इस तरह सघनता मे नही होते और लंबवत नही होते। उनमे एक घेर होता है और अरहर की पत्तियाम भी ऐसी नही होती.ऐसी सघनता मे सन (जूट) होता है और इतना ही हरा भी होता है. तो हमारा मत है कि ये सन ही है.रामराम." इसे कहते हैं फर्स्ट हैण्ड इक्स्पेरियेंस ! मान गए ताऊ ! जा निसार !! निशांत मिश्र जी ने भी सही कहा - भांग ! जीशान जैदी का भी रहा सही जवाब !पाट्पुरी का दुरुस्त जवाब -"मुझे तो यह गंजा/cannibis की फसल लगातीहै। जी हाँ यह गंजा ही हैं।cannibis that is ganja in hindi "
लवली भी लवली बोलीं -"जूट ..अरहर किसी कीमत पर नही" तुम तो ग्राम्यवासिनी बाला रही नही लवली ,कैसे बताया !
पंडित डी के शर्मा वत्स ने शक की कोई गुन्जायिश ही नही छोडी - शत प्रतिशत का मुहर मार कर बोले ,"ये तो 100% भांग के पौधे हैं." अब तक पंगेबाज भाई का एक्सपर्ट कमेन्ट भी आ गया था -"रंजना जी दाल के पौधे आज तक नही होते कल का पता नही . वैसे राजीव जी ने भी चीनी के पौधे लगाने की राय दी थी कभी ?
दाल बाद मे बनाई जाती है जी . वैसे मेरे ख्याल से ये भांग है . तस्लीम जी फ़ागुन के इस मौसम मे भांग चढाने के बाद और कुछ नजर भी कब आता है जी :" .सतीश चन्द्र सत्यार्थी भी यूँ बोले -"ये भांग के पौधे हैं बिहार में इसे सामान्यतः गांजा कहा जाता है." मीनू जी को प्रश्न कठिन लगा और उन्होंने मनुहार की ,"कुछ आसान प्रश्न भी पूछा करो जाकिर !" अभी मीनू जी को महामहिम राष्ट्रपति ने विज्ञान लोकप्रियकरण का सर्वोच्च लखटकिया पुरस्कार सौंपा है पर मीनू जी तस्लीम से तौबा कर रही हैं ! यही हैं न लोग बाग़ एम् पी का चुनाव तो जीत जाते हैं मगर प्रधानी हर जाते हैं -बहरहाल मीनू जी को बधाई देना न चूकें !
अब आए सिद्धार्थ भाई और पूरे आत्मविश्वास के साथ बोले -"ताऊ जी के उत्तर के साथ हूँ। अरहर इतना घना नहीं हो सकता। भांग के पौधे भी इतने लम्बे नहीं होते। उनमें शाखाएं और उपशाखाएं भी अधिक होती हैं। जूट ही है। अब ताऊ ,ज्ञान जी और सिद्धार्थ भाई का यह फर्क सुधी ब्लागजन नोट कर लें आगे संदर्भ आ सकते हैं -मगर सिद्धार्थ जी भांग भी एक तरह का जूट ही तो है !
अभिषेक ने मौके की नब्ज पहचानी और बेसाख्ता बोल पड़े -"देर से आया हूँ. मगर माहौल के हिसाब से 'भाँग' (Cannabis) ही लग रहा है."
मीत आये -"यह भंग के ही पौधे हैं... (cannabis plant)होली पर खूब याद दिलाया आपने..." आशीष खंडेलवाल जी आये जवाब दिया और होली की शुभकामनाएं भी दीं !"जी हां, ये भांग के ही पौधे लग रहे हैं॥ आपको और आपके परिवार को होली की ढेरों शुभकामनाएं..."
महेंद्र मिश्र जी ने भी होली की शुभकामनाओं से इस होली विशेष पहेली का उपसंहार किया !
दरअसल भांग के पौधे के ही विभिन्न भागों से गांजा ,हशीश ,चरस ,मैरीजुआना आदि बनाया जाता है .भांग इसकी सूखी पत्तियों से बनती है ! इस पौधे पर पूरी चर्चा साईंस ब्लागर्स ब्लॉग पर जल्दी ही !
अभी बनारस की यह उक्ति गुनें -
गंग भंग दुई बहन हैं सदा रहत शिव संग !
मुर्दा तारन गंग है जिन्दा तारन भंग
और आपको यह जानकर कैसा लगेगा कि यह पहेली उत्तर भांग के मीठे नशे में ही है -भूल चूक की मुआफी !
अब बनारस में रहकर भला भोले और भंग से कौन बच सकता है ?
अपने समीर भाई ,पारुल जी और अल्पना जी कहाँ किसके साथ मशगूल हो गये ? बिना इनके यह भंग पहेली?
आप सभी को होली की रंगारंग शुभकामनायें !
तस्लीम की ओर से जाकिर और मेरी ओर से भी आपके गालों पर नेह का प्यार का दुलार का मुट्ठीभर गुलाल -होली है ! -