चित्र साभार- www.winsite.com कहते हैं समय के साथ सब कुछ बदल जाता है। अगर इस उक्ति को चरित्रार्थ होते हुए देखना हो, तो उसके लिए युवा सबसे अ...
कहते हैं समय के साथ सब कुछ बदल जाता है। अगर इस उक्ति को चरित्रार्थ होते हुए देखना हो, तो उसके लिए युवा सबसे अच्छे उदाहरण हो सकते हैं। आज के युवाओं में बदलाव को पकडने और उसे अपनाने की जबरदस्त इच्छाशक्ति देखने को मिलती है। शायद यही कारण है कि बहुत से ऐसे फैसले, जहाँ पर दुविधा हो सकती है, युवा दिमाग के बजाए दिल को वरीयता देते हैं। युवा दिल पर बोझ नहीं लेता। वह जो करता है, बिन्दास होकर करता है। यही नहीं उसकी सोच और जिन्दगी में भी यह बिन्दासपन साफ तौर पर देखा जा सकता है।
लेकिन हाल के दिनों में यह देखने में आया है कि दिल से जुडे बीमारियाँ भी युवाओं में बहुत तेजी से बढ रही हैं। अगर हम 25 से 35 वर्ष से युवाओं की बात करें, तो यह आंकणा 20 प्रतिशत तक जा पहुंचा है। यानी कि इस आयु वर्ग के 20 प्रतिशत युवा दिल की बीमारियों की चपेट में हैं। अगर इसकी गहराई में जाएँ तो पता चलता है कि इसके पीछे मुख्य वजह है युवाओं में बढता तनाव और खान-पान में आया हुआ बदलाव।
अगर आप इस आयुवर्ग में आते हैं तो दोस्तो यह आपके सावधान होने का समय है। दिल की बीमारियों के लिए जो चीज सबसे ज्यादा जिम्मेदार है, वह है आनुवांशिकता। अर्थात जिन लोगों के माता-पिता में दिल की बीमारियाँ होती है, ऐसे लोगों में ये बीमारियाँ होने की सम्भावना अधिक होती है।
जहाँ तक दिल की बीमारी की बात है, तो इसके लिए मुख्य रूप से बढा हुआ ब्लड प्रेशर भी काफी हद तक जिम्मेदार होता है। इसलिए समझदार व्यक्ति को चाहिए कि वह समय-समय पर अपना ब्लड प्रेशर चेक करवाता रहे। आमतौर पर यह देखने में आता है कि लोगों का जिन लोगों का ब्लड प्रेशर बढा हुआ होता है, उन्हें इस बात का अंदाजा ही नहीं होता। लेकिन जब बात हद से ज्यादा बढ जाती है, तब बीमारी का उपचार किया जाता है। इसके अलावा काफी संख्या ऐसे लोगों की भी होती है, जो ब्लड प्रेशर के मरीज न होने के बावजूद उसकी दवा करते रहते हैं। इसके पीछे मुख्य कारण है कि ब्लड प्रेशर की माप सही न होना। ब्लड प्रेशर माप की सही विधि यह है कि आप अलग-अलग दिनों में तीन बार अपना ब्लड प्रेशर नपवाएँ। इसके बाद यदि वह बढा हुआ मिले, तब उसका इलाज प्रारम्भ करें।
ब्लड प्रेशर के बाद जो चीज हृदय रोग के लिए सबसे ज्यादा उत्प्रेरक है, वह है आपका खान-पान। यदि हम फास्ट फूड और तले-भुने खाने से बचें, तो अपने शरीर में नुकसानदायी कोलेस्ट्राल यानी की एलडीएल की बाढ को आसानी से रोक सकते हैं। इसके अलावा छह महीने के अन्तराल पर खून की जांच करवा कर, मन को सुकून पहुंचाने वाला संगीत सुनकर, भरपूर नींद लेकर भी दिल की बीमारियों को काफी हद तक टाला जा सकता है। यह बात सिर्फ युवाओं पर नहीं, सभी वय के लोगों पर समान रूप से लागू होती हैं।
मित्रो, आप चाहे अभी से सावधान हो जाएं। अगर उपयुक्त सावधानियों को ध्यान में रखें, तो कोई कारण नहीं कि आपको दिल की चिन्ता करनी पडे। बस आप अपने रूटीन को थोडा सा टयून करलें, तो कोई कारण नहीं कि आपको दिल की बीमारियाँ छू भी सकें। और जब आप दिल की बीमारियों से दूर रहेंगे, तभी तो दिल खोलकर जी पाएंगे और जिन्दगी का मजा ले पाएंगे। तो फिर बिना एक भी पल गंवाए, आप हो जाइए तैयार। क्योंकि ये दिल दा मामला है----
लेकिन हाल के दिनों में यह देखने में आया है कि दिल से जुडे बीमारियाँ भी युवाओं में बहुत तेजी से बढ रही हैं। अगर हम 25 से 35 वर्ष से युवाओं की बात करें, तो यह आंकणा 20 प्रतिशत तक जा पहुंचा है। यानी कि इस आयु वर्ग के 20 प्रतिशत युवा दिल की बीमारियों की चपेट में हैं। अगर इसकी गहराई में जाएँ तो पता चलता है कि इसके पीछे मुख्य वजह है युवाओं में बढता तनाव और खान-पान में आया हुआ बदलाव।
अगर आप इस आयुवर्ग में आते हैं तो दोस्तो यह आपके सावधान होने का समय है। दिल की बीमारियों के लिए जो चीज सबसे ज्यादा जिम्मेदार है, वह है आनुवांशिकता। अर्थात जिन लोगों के माता-पिता में दिल की बीमारियाँ होती है, ऐसे लोगों में ये बीमारियाँ होने की सम्भावना अधिक होती है।
जहाँ तक दिल की बीमारी की बात है, तो इसके लिए मुख्य रूप से बढा हुआ ब्लड प्रेशर भी काफी हद तक जिम्मेदार होता है। इसलिए समझदार व्यक्ति को चाहिए कि वह समय-समय पर अपना ब्लड प्रेशर चेक करवाता रहे। आमतौर पर यह देखने में आता है कि लोगों का जिन लोगों का ब्लड प्रेशर बढा हुआ होता है, उन्हें इस बात का अंदाजा ही नहीं होता। लेकिन जब बात हद से ज्यादा बढ जाती है, तब बीमारी का उपचार किया जाता है। इसके अलावा काफी संख्या ऐसे लोगों की भी होती है, जो ब्लड प्रेशर के मरीज न होने के बावजूद उसकी दवा करते रहते हैं। इसके पीछे मुख्य कारण है कि ब्लड प्रेशर की माप सही न होना। ब्लड प्रेशर माप की सही विधि यह है कि आप अलग-अलग दिनों में तीन बार अपना ब्लड प्रेशर नपवाएँ। इसके बाद यदि वह बढा हुआ मिले, तब उसका इलाज प्रारम्भ करें।
ब्लड प्रेशर के बाद जो चीज हृदय रोग के लिए सबसे ज्यादा उत्प्रेरक है, वह है आपका खान-पान। यदि हम फास्ट फूड और तले-भुने खाने से बचें, तो अपने शरीर में नुकसानदायी कोलेस्ट्राल यानी की एलडीएल की बाढ को आसानी से रोक सकते हैं। इसके अलावा छह महीने के अन्तराल पर खून की जांच करवा कर, मन को सुकून पहुंचाने वाला संगीत सुनकर, भरपूर नींद लेकर भी दिल की बीमारियों को काफी हद तक टाला जा सकता है। यह बात सिर्फ युवाओं पर नहीं, सभी वय के लोगों पर समान रूप से लागू होती हैं।
मित्रो, आप चाहे अभी से सावधान हो जाएं। अगर उपयुक्त सावधानियों को ध्यान में रखें, तो कोई कारण नहीं कि आपको दिल की चिन्ता करनी पडे। बस आप अपने रूटीन को थोडा सा टयून करलें, तो कोई कारण नहीं कि आपको दिल की बीमारियाँ छू भी सकें। और जब आप दिल की बीमारियों से दूर रहेंगे, तभी तो दिल खोलकर जी पाएंगे और जिन्दगी का मजा ले पाएंगे। तो फिर बिना एक भी पल गंवाए, आप हो जाइए तैयार। क्योंकि ये दिल दा मामला है----
dil sach mai najuk cheej hai....
जवाब देंहटाएंise sambhal ker rakhene ki jaankaari ke kiye shukriya
अर्शिया जी, तस्लीम में आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंहाल ही में विश्व हृदय दिवस भी मनाया गया है। उस संदर्भ में यह पोस्ट ज्यादा महत्वपूर्ण हो गयी है।
"oh ya very well said mamla to dil da he hai, ab chahe dil lgane ka ho ya dil ko beemare se bchane ka ho.... very interesting write up on the subject, high blood pressure kee problem to mujhe bhee hai, but i am not at all regular to get it checked in time, but i think it can be harmful too so will try to take care as suggested.'
जवाब देंहटाएंregards
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइतनी अच्छी और उम्दा जानकारी के लिए,
जवाब देंहटाएं"दिल दा मामले वाले" दिल की तहों के बहुत-बहुत शुक्रिया...
upyogi evam ruchikar jankari hai.
जवाब देंहटाएंउम्दा जानकारी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!!
जवाब देंहटाएंवैसे एक भला काम तो कर दिया है सरकार ने सिगरेट पर सार्वजनिक जगहों पर पाबंदी ......दिल पर इसके बुरे असर से कुछ तो फायदा होगा
जवाब देंहटाएंउम्दा जानकारी.शुक्रिया
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी।
जवाब देंहटाएंवैसे दिल लोग ज्यादा फैंकने लगे हैं लापरवाह हो कर।
तो बीमार होगा ही।
अर्शिया जी,
जवाब देंहटाएंजिनकै दिल है ही नहीं..?
या जिनमें दिल ना हो उन बे-दिलों का इलाज क्या..?
दिल होता तो साले बम रखते क्या..!!!!
ऐसे बेदिलों के लिये भी एक पोस्ट लिखियेगा..
हो सकता है समझ जाएं...
thanx Zakir Bhai..
अर्शिया अली,जी बहुत ही सुनदर जानकारी दी आप ने, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी दी है आपने ..दिल तो है दिल ..बहुत प्यारा :) अच्छा लगा इसको पढ़ना
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