इस बार की चित्र पहेली ने लोगों को छका डाला ,मैं तो उम्मीद छोड़ चुका था और लगातार ग़लत जवाबों के नैराश्य के चलते यह टिप्पणी भी कर डाली थी -...
इस बार की चित्र पहेली ने लोगों को छका डाला ,मैं तो उम्मीद छोड़ चुका था और लगातार ग़लत जवाबों के नैराश्य के चलते यह टिप्पणी भी कर डाली थी -
"मित्रों ,
अभी तक के कोई जवाब सही नहीं हैं -बहुत अफ़सोस है मुझे .....एक एक दिग्गज धाराशायी हुए हैं -आख़िर कोई तो होगा जो इस पहेली का जवाब बताएगा ? देशी मित्रों से तो मुझे उम्मीद तब भी नही थी ..पर क्या विदेशी मित्र भी इसका थाह नहीं पा रहे ?ताज्जुब है भाई !
अभी राज भाटिया ने रुख नहीं किया है -आप भी तुक्का भिड़ा लो भाई ! अरे हाँ ,विदेशी नारी मंडली क्या बस घर में स्वेटर ही बुनती रहेगी ? आप भी आयें और पहेली बूझें !"
पुरुषों के पस्त होने पर नारियों को भी पुकारा गया पर लगता है की जाडे की आमद को भांप कर उनका स्वेटर बुनने का काम अब प्राथमिकता पर है ।
मेरा बराबर आग्रह यह था कि विदेशी चिट्ठाकार इसके बारे में बताएं -पर लगता है कि खाने पीने के मामले में हममे से ज्यादा लोग आर्थोडाकस् क्षमां करे ,यह कुछ कडा शब्द हो गया -सही शब्द संस्कारी ,ज्यादा हैं .मुझे पहले ही आभास था कि इसका उत्तर शायद विदेशो में बस रहे हमारे चिट्ठाकार बंधुओं से ही मिले .पर लगातार ग़लत जवाबों से मैं खीजता रहा -समीर भाई पर कुछ ज्यादा ही -वो कहते हैं ना कि जहां से आपकी अपेक्षा ज्यादा होगी वहीं से अपेक्षानुरूप हासिल ना होने पर ज्यादा झुंझलाहट भी होगी ।
खैर मैं पूरी तरह से निराश हो चला था कि अचानक ही वह रूपहली रोशनी -सहीजवाब की उजास छा गयी !
सिरिल गुप्ता ने लिखा -It's something that I wouldn't eat.Looks like caviar. वाह भाई आपने अंगरेजी में ही सही हिन्दी ब्लॉग जगत की इज्जत रख ली ......तू सी ग्रेट हो यार ! पर तुसी हो कौन ..बड़ी मायूसी हुयी तुम्हारा पर्याप्त परिचय न पाकर ....गुजारिश है अपना परिचय तो दें भाई ! पर यह क्या तुसी को कैविअर नहीं पसंद ?
कैवियर बोले तो यह दुनिया में सबसे महंगे व्यंजनों मे से एक है -मछली के अण्डों से बनी एक डिश -जो २४ कैरेट सोने के टिन पैक में बिकती है -यह राजसी ,अभिजात्य लोगों की ख़ास डिश प्रति ३२ औंस २३,३०८ डालर की कीमत में इन दिनों उपलब्ध है .सबसे उम्दा कैवीयर कैस्पियन सागर (अरे वही जहाँ के अपने कश्यप ऋषी नहीं थे !)की बेलुगा स्टर्जियन मछली -वह भी कम से कम १०० वर्ष की -से तैयार होती है .यह सामन मछली के अण्डों से भी तैयार होती है -इसलिए ही व्यंजन के रूप रंग में भिन्नता दिखती है .सफ़ेद कैवियर के लिए सबसे ज्यादा उम्र की मछली तालाशी जाती है -इसकी कीमत भी मुंहमांगी होती है -यह स्वास्थ्य वर्धक डिश है -बहुत ही कम मात्रा भी आपकी पोषकीय जरूरतों को पूरा कर देती है -खाने का सबसे अच्छा तरीका है काठ के चम्मच से हथेली में निकाले और फंकी लगा लें -यह एक अंतरमहाद्वीपीय व्यंजन है -मगर भारत में इतनी विविधता पूर्ण मत्स्य संपदा के बावजूद भी सरकार आज तक इसके भारतीय संस्करण को नही प्रमोट कर सकी हैं-यहाँ हर इन्नोवेटिव मामलो की यही हाल है !
सिरिल गुप्ता जी के जवाब की तस्दीक़ समीर जी ने अंततः कर दी और राज भाटिया जी ने भी अब अपनी मुहर लगा दी है -बाकी मित्रों ने सुंदर सुंदर स्वादिष्ट से जवाब दिए हैं मकोय ,रसभरी , आदि .उनके प्रयास अच्छे हैं -मगर चूंकि वे इस डिश के बारे में कभी सुने नहीं थे उनके ग़लत जवाब भी सहज ही थे -मेरी मंशा भी इस डिश से आपको परिचित कराने की ही थी -वह मकसद पूरा हुआ -यह जरूरी नहीं कि हम सर्वभक्षी ही हो जाएँ -पर जानकारी रखने में क्या बुराई है ?
इस बार की चित्र पहेली में जिन उदारमना ,भलमानुष /मानुषियों ने भागीदारी की है वे सभी मेरे फेवरिट हैं, सबको सलाम -
क्रम से -समीर भाई उड़न तश्तरी वाले (उप विजेता ),तरुण( बेरी और बीन के बीच झाड़ में फंसे ) ,सीमा गुप्ता (समीर जी की फालोवर -रसभरी के चलते ),अनिल पुदस्कर(भाग लेकर भी भाग लिए ),पारुल (हाय ,यह आपके बगीचे में कहाँ से मिलता -जगह हों तो एक तालाब बनवा दें समीर भाई से कहें कि दो चार ठू सामन भेज दें !मुझसे दोस्ती रखें तो कविअर बनाना सिखा दूंगा !फिर सभी मित्र ब्लागरों की दावत आपके बगीचे में !!),
रंजना (रंजू ) जी (समीर जी पर आँख मूँद कर भरोसा ना रखें प्लीज़),ज्ञान दत्त पाण्डेय (वाह मुझे बचपन में खाईं पीली काली मकोयो की याद हो आयी- शुक्रिया सर !),मीत (काली मिर्च -वाह क्या कहने !)एडवोकेट रश्मि सौराना( समीर जी का ही सुमिरन किया आपने भी सौराना जी -अब कहाँ से लाऊं आपके लिए सरल पहेली ! चलिए वादा है पर इस बार की इस लम्बी चौड़ी पोस्ट के लिए मुआफी !]पल्लवी त्रिवेदी ( किसकी जुर्रत आपके जवाब पर टीका टिप्पणी करे -सोचुप्पी !)अनामदास (चूक गए भाई !)जीशान जैदी ( धत्त्त तेरे की यार जायका ख़राब कर दिया -इतनी अच्छी डिश को काकारोच,टीडा वगैरा बताया ) उन्मुक्त जी जहे नसीब आप आए पर ग़लत ज़वाब laayeeeeeeee),सिरिल गुप्ता (कैवियर -वाह मान गए उस्ताद !परिचय भी दे दें प्लीज ),ज़ाकिर और ज़ाकिर हुसेन साहब साथ साथ, क्या नजाकत है ! एक को विदेश जाने की पडी है तो दूसरे साहब साबूदाना बाता कर मेरे मुंह की लार ग्रंथियों को उद्दीपित करते हैं -यम् यम् साबूदाना मुझे भी पसंद है ज़ाकिर भाई -शुक्रिया !)फिर समीर जी और राज भाटिया साहब के सही जवाब देर से ही सहीमगर दुरुस्त !
जय राम जी की ..अब एक सरल पहेली का इंतज़ार करें !!
"मित्रों ,
अभी तक के कोई जवाब सही नहीं हैं -बहुत अफ़सोस है मुझे .....एक एक दिग्गज धाराशायी हुए हैं -आख़िर कोई तो होगा जो इस पहेली का जवाब बताएगा ? देशी मित्रों से तो मुझे उम्मीद तब भी नही थी ..पर क्या विदेशी मित्र भी इसका थाह नहीं पा रहे ?ताज्जुब है भाई !
अभी राज भाटिया ने रुख नहीं किया है -आप भी तुक्का भिड़ा लो भाई ! अरे हाँ ,विदेशी नारी मंडली क्या बस घर में स्वेटर ही बुनती रहेगी ? आप भी आयें और पहेली बूझें !"
पुरुषों के पस्त होने पर नारियों को भी पुकारा गया पर लगता है की जाडे की आमद को भांप कर उनका स्वेटर बुनने का काम अब प्राथमिकता पर है ।
मेरा बराबर आग्रह यह था कि विदेशी चिट्ठाकार इसके बारे में बताएं -पर लगता है कि खाने पीने के मामले में हममे से ज्यादा लोग आर्थोडाकस् क्षमां करे ,यह कुछ कडा शब्द हो गया -सही शब्द संस्कारी ,ज्यादा हैं .मुझे पहले ही आभास था कि इसका उत्तर शायद विदेशो में बस रहे हमारे चिट्ठाकार बंधुओं से ही मिले .पर लगातार ग़लत जवाबों से मैं खीजता रहा -समीर भाई पर कुछ ज्यादा ही -वो कहते हैं ना कि जहां से आपकी अपेक्षा ज्यादा होगी वहीं से अपेक्षानुरूप हासिल ना होने पर ज्यादा झुंझलाहट भी होगी ।
खैर मैं पूरी तरह से निराश हो चला था कि अचानक ही वह रूपहली रोशनी -सहीजवाब की उजास छा गयी !
सिरिल गुप्ता ने लिखा -It's something that I wouldn't eat.Looks like caviar. वाह भाई आपने अंगरेजी में ही सही हिन्दी ब्लॉग जगत की इज्जत रख ली ......तू सी ग्रेट हो यार ! पर तुसी हो कौन ..बड़ी मायूसी हुयी तुम्हारा पर्याप्त परिचय न पाकर ....गुजारिश है अपना परिचय तो दें भाई ! पर यह क्या तुसी को कैविअर नहीं पसंद ?
कैवियर बोले तो यह दुनिया में सबसे महंगे व्यंजनों मे से एक है -मछली के अण्डों से बनी एक डिश -जो २४ कैरेट सोने के टिन पैक में बिकती है -यह राजसी ,अभिजात्य लोगों की ख़ास डिश प्रति ३२ औंस २३,३०८ डालर की कीमत में इन दिनों उपलब्ध है .सबसे उम्दा कैवीयर कैस्पियन सागर (अरे वही जहाँ के अपने कश्यप ऋषी नहीं थे !)की बेलुगा स्टर्जियन मछली -वह भी कम से कम १०० वर्ष की -से तैयार होती है .यह सामन मछली के अण्डों से भी तैयार होती है -इसलिए ही व्यंजन के रूप रंग में भिन्नता दिखती है .सफ़ेद कैवियर के लिए सबसे ज्यादा उम्र की मछली तालाशी जाती है -इसकी कीमत भी मुंहमांगी होती है -यह स्वास्थ्य वर्धक डिश है -बहुत ही कम मात्रा भी आपकी पोषकीय जरूरतों को पूरा कर देती है -खाने का सबसे अच्छा तरीका है काठ के चम्मच से हथेली में निकाले और फंकी लगा लें -यह एक अंतरमहाद्वीपीय व्यंजन है -मगर भारत में इतनी विविधता पूर्ण मत्स्य संपदा के बावजूद भी सरकार आज तक इसके भारतीय संस्करण को नही प्रमोट कर सकी हैं-यहाँ हर इन्नोवेटिव मामलो की यही हाल है !
सिरिल गुप्ता जी के जवाब की तस्दीक़ समीर जी ने अंततः कर दी और राज भाटिया जी ने भी अब अपनी मुहर लगा दी है -बाकी मित्रों ने सुंदर सुंदर स्वादिष्ट से जवाब दिए हैं मकोय ,रसभरी , आदि .उनके प्रयास अच्छे हैं -मगर चूंकि वे इस डिश के बारे में कभी सुने नहीं थे उनके ग़लत जवाब भी सहज ही थे -मेरी मंशा भी इस डिश से आपको परिचित कराने की ही थी -वह मकसद पूरा हुआ -यह जरूरी नहीं कि हम सर्वभक्षी ही हो जाएँ -पर जानकारी रखने में क्या बुराई है ?
इस बार की चित्र पहेली में जिन उदारमना ,भलमानुष /मानुषियों ने भागीदारी की है वे सभी मेरे फेवरिट हैं, सबको सलाम -
क्रम से -समीर भाई उड़न तश्तरी वाले (उप विजेता ),तरुण( बेरी और बीन के बीच झाड़ में फंसे ) ,सीमा गुप्ता (समीर जी की फालोवर -रसभरी के चलते ),अनिल पुदस्कर(भाग लेकर भी भाग लिए ),पारुल (हाय ,यह आपके बगीचे में कहाँ से मिलता -जगह हों तो एक तालाब बनवा दें समीर भाई से कहें कि दो चार ठू सामन भेज दें !मुझसे दोस्ती रखें तो कविअर बनाना सिखा दूंगा !फिर सभी मित्र ब्लागरों की दावत आपके बगीचे में !!),
रंजना (रंजू ) जी (समीर जी पर आँख मूँद कर भरोसा ना रखें प्लीज़),ज्ञान दत्त पाण्डेय (वाह मुझे बचपन में खाईं पीली काली मकोयो की याद हो आयी- शुक्रिया सर !),मीत (काली मिर्च -वाह क्या कहने !)एडवोकेट रश्मि सौराना( समीर जी का ही सुमिरन किया आपने भी सौराना जी -अब कहाँ से लाऊं आपके लिए सरल पहेली ! चलिए वादा है पर इस बार की इस लम्बी चौड़ी पोस्ट के लिए मुआफी !]पल्लवी त्रिवेदी ( किसकी जुर्रत आपके जवाब पर टीका टिप्पणी करे -सोचुप्पी !)अनामदास (चूक गए भाई !)जीशान जैदी ( धत्त्त तेरे की यार जायका ख़राब कर दिया -इतनी अच्छी डिश को काकारोच,टीडा वगैरा बताया ) उन्मुक्त जी जहे नसीब आप आए पर ग़लत ज़वाब laayeeeeeeee),सिरिल गुप्ता (कैवियर -वाह मान गए उस्ताद !परिचय भी दे दें प्लीज ),ज़ाकिर और ज़ाकिर हुसेन साहब साथ साथ, क्या नजाकत है ! एक को विदेश जाने की पडी है तो दूसरे साहब साबूदाना बाता कर मेरे मुंह की लार ग्रंथियों को उद्दीपित करते हैं -यम् यम् साबूदाना मुझे भी पसंद है ज़ाकिर भाई -शुक्रिया !)फिर समीर जी और राज भाटिया साहब के सही जवाब देर से ही सहीमगर दुरुस्त !
जय राम जी की ..अब एक सरल पहेली का इंतज़ार करें !!
सिरिल गुप्ता (कैवियर -वाह मान गए उस्ताद !परिचय भी दे दें प्लीज ),
जवाब देंहटाएंkyaa inka parichay maang rahey ?? kyaa yae nayee pehlaee haen ??
yaa mae samjh nahin payee hun
kyuki inkae profile par saaf likha haen blogvani aur profile ap orange bloger symbol click kartery is pahuch jayege aur सिरिल गुप्ता aur blogvani pryaayvachi haen
par agar aap kaa matlab kuch aur haen to kshama chahatee hun is kament kae liyae
रचना जी ,आपने आँखे खोल दीं ! अब समझ लीजिये मैं कितना मासूम मूर्ख हूँ -नैव -सिरिल जी के ब्लॉग पृष्ठ पर कोई लेकहं नही -मैं तो तब परिझय जानू जब कृतित्व का भी कुछ जायका मिले ! आभार ,
जवाब देंहटाएंis tarah ki paheliyon se jaankari badhti hai..aapka bahut shukriyaa....vaisey hum kya :-) hamaarey puurvaj bhi na bhuujh paatey isey...
जवाब देंहटाएंपहेलियाँ बूझना तो हमें भी बहुत पसंद है. चलिए अब नयी पहेली की प्रतीक्षा है.
जवाब देंहटाएंअरविन्द जी नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआपका ब्लाग तो पढ़ता ही रहता हूं, और पहेलियां भी बूझता रहता हूं. :).
साइन्स से इतना प्यार है कि जब 6 साल का था तब astrophysicist बनने का सपना देखता था. और sf का मुझसा दीवाना आपको आसानी से नहीं मिलेगा. तो यकीनन, हूं तो मैं आप ही की बिरादरी का.
बाकी मेहरबानों की अतिश्योक्ति का बुरा ना मानें, उन्होंने मेरे बारे में इतना कुछ लिखा, ये उनकी मेहरबानियां ही हैं.
लिखने का शौक है. अंग्रेजी और हिन्दी दोनों में ही लिखता हूं. लेकिन जितना प्यार लिखने से है, उतना पढ़े जाने से नहीं. इसलिये ब्लाग बनते रहते हैं, मिटते रहते हैं.
मुख्य रूप से अपने अंग्रेजी ब्लाग www.cyrilgupta.com पर लिखता हूं.
एक दशक पहले science-fiction लेखक बनने की दीवानगी सवार थी. जब तक छपा नहीं तब तक सही था. जैसे ही छपना शुरु हुआ तो डैड ने ज्ञान दिया कि बेटे लेखक बनोगे तो हमेशा अगले पे-चैक के लिये परेशान रहोगे. बात को समझ गया.
फिलहाल प्रोग्रामर हूं और अपने डैड की ही कम्पनी में काम करता हूं. उनकी और अपने software-users की बातों से तो लगता है कि काम बुरा नहीं कर रहा.
रचना जी, ब्लागवाणी पर मेरा काम सिर्फ programming का है, इसका श्रेय तो नि:संदेह मेरे पिता श्री मैथिली जी का है.
और हां, caviar इसलिये नहीं खा सकता क्योंकि शाकाहारी हूं.
जवाब देंहटाएंरचना जी, ब्लागवाणी पर मेरा काम सिर्फ programming का है, इसका श्रेय तो नि:संदेह मेरे पिता श्री मैथिली जी का है.
जवाब देंहटाएंa son who helps his father in doing something that is close to his fathers heart is a good son
and since blogvani seems to be maithilis dream project your programming might have helped him to materialize it
i am sure for maithili ji blogvani ia also a child like cyril
and my intention of commenting here was just one that mr arvind mishra did not realise it was you wo had commented .
in bloging its alwyas important as i feel , is to understand the techinques also rather then simply making a blog post so that we all become tech savvy to some extent but this is purely my personal opinion and should not be taken as a comment on anyone not knwing the technique
शाकाहारी हूँ इस लिए कभी देखा ही नही यह ..बाद में भी इसको देख कर जेतून के फल का ध्यान आता रहा .:) समीर जी पर भरोसा ..क्या करे आदत हो गई है अब :) जानकरी बढ़ गई ..जारी रहे यह पहेली का सफर
जवाब देंहटाएंआप ने सही लिखा हे यह बहुत ही मंहगा हे सोने से भी ज्यादा, ओर आज कल यह नकली भी मिलने लगा हे, हम ने कभी खाया नही , क्योकि हम सब शाका हारी हे ओर फ़िर ऎसे खाने हमे भाते भी नही,ओर भी बहुत सी ऎसी चीजे हे जो खाने के काम आती हे ओर बहुत ही महंगी भी हे लेकिन ...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
मछली के अंडे? तभी मैं कहूं की मुझे क्यों नहीं पता था... मैं ठहरा शुद्ध शाकाहारी... उत्तर नहीं पता होने का अब कोई ग़म नहीं :-)
जवाब देंहटाएंअरविन्द जी,
जवाब देंहटाएंसबसे पहले तो इस महान पहल के लिये आपको बधाई. अच्छा लगेगा आगर भारत में भी यूरोप और अमेरिका की तरह विज्ञान कथा सम्मेलन हों.
यह सम्मेलन नवंबर में है, और पांच दिन तक है. अभी तो काफी समय बाकी है.
मेरे जो प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं उनका नवंबर से पहले खत्म होने के प्रबल आसार तो हैं.
अगर वह समय पर खत्म हों, तो पांच तो नहीं, लेकिन कुछ दिनों के लिये जरूर आऊंगा. आपके लेख अनुसार नियत तिथी तक कनफर्म कर दूंगा की स्थिती क्या है.
लेकिन सबसे पहले तो इस पहल के बारे में अपने ब्लाग पर लिखना चाहूंगा अगर आपकी इजाजत हो.
सिरिल भाई ,नेकी और पूँछ पूंछ-और अब तो अब अपनी ही बिरादरी को हो भाई ! आपकी काफी वाली कहानी आज पढी -इतना सुंदर sf लिखने वाले कितने हैं ही यहाँ -इस मृतपाय विधा में प्राण फूकने में हम सभी लगें तो ही मंजर बदलेगा ! आप ११ नवम्बर ,उदघाटन और १३ तक की चर्चा में भाग लें और एक रात्रि -चांदनी रात में नौका विहार करते हुए बनारस के अंतरास्ट्रीय बन चुके देव दीपावली उत्सव में बनारस के घाटों के दीपोत्सव को भी देखें -यह सब कार्यक्रम में समाहित है ,
जवाब देंहटाएंस्वागत है मेरे निजी निमत्रण पर भी !
वाह जी, फिट बैठ गये....अगली पहेली पेश की जाये!!! :)
जवाब देंहटाएंयह पहेली नयी जानकारी ही नहीं लाई, सिरिल जी जैसे विज्ञान कथा लेखक से परिचय भी करवा गयी। मुझे लगता है कि इसमें भदोही का बहुत बडा योगदान है। क्यों अरविंद जी?
जवाब देंहटाएंअगली पहेली का तौ मैं भी इंतज़ार करुंगी।
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