इस बार की चित्र पहेली पर झूम कर मिली जवाबी टिप्पणियाँ ! पर अफ़सोस सब ग़लत जवाब ,केवल ज्ञान जी के उत्तर कोछोडकर जिन्होंने इसे बिज्जू कहा .मगर...
इस बार की चित्र पहेली पर झूम कर मिली जवाबी टिप्पणियाँ ! पर अफ़सोस सब ग़लत जवाब ,केवल ज्ञान जी के उत्तर कोछोडकर जिन्होंने इसे बिज्जू कहा .मगर जिस खेल भावना के साथ आप सभी मित्रों ने इस पहेली में भाग लिया वह आह्लाद देने वाला और अनुकरणीय है ।
जवाबों की झडी शुरू हुई जीतेंद्र भगत जी के जवाब से कि उन्होंने कुछ चैनलों पर इसे देखा तो है पर नाम नहीं मालूम है -वाह क्या जवाब था !फिर अनाम भाई ने ऊदबिलाव का राग अलापा ,रंजना (रंजू ) ने इस ग़लत जवाबके लिए भी मानो कोरस का आमंत्रण दे दिया -फिर क्या था -सीमा गुप्ता ,लवली ,अशोक पाण्डेय और यहाँ तक कि समीर भाई भी जो पहले इसे रैकून मान रहे थे ऊदबिलाव केकोरस में शामिल हो गए .उन्मुक्त जी ने समीर जी केपहले रैकून वाले उत्तर पर ही बैंक करना चाहा पर पता नहीं किस विश्व कोष से इसके लिए स्कंक का नाम भी ढूंढ लाये ।
जितेन्द्र भगत सी ही मासूमियत दिखाई अनिल पुसदकर और रश्मि सौराना ने और जवाब को लेकर अनभिज्ञता दिखाई .तरुण नें रैकून तो महेंद्र मिश्रा ने लकड़ बग्घा का उद्घोष कर डाला .अभिशेक जी ने गुल ,ओह सारी गूगल किया और समीर जी की हाँ में हाँ मिलाई -यार आप बलियाई हो अपने जवार देश के पर फिर भी ......रंजन और राज भाटिया ने बस सहभागिता की दिलेरी दिखाई पर सही उत्तर से भाग निकले .विपिन की मासूमियत भरी ज़िंदगी में इसका जवाब है -पता नहीं !अनाम भाई ने एक दो और अधीर प्रयास और किए -बैजर और नेवला तक बताया .मीत ने लाल बुझ्क्डी स्टाईल में इसे लकड़ बग्घा बताया !विनीता जी ने भी साही का नाम पुकारा !पारुल जी इसे अपने बगीचे में खोजती रहीं पर समीर जी ने उन्हें ढाढस दिलाया कि दरअसल वह उनके बगीचे में मिल गया है -भले ग़लत ही सही उन्होंने पारुल जी को दिलासा तो दिलाया -और अब उचित ही पारुल जी समीर भाई को पहेली का मैदान न छोड़ने की गुजारिश कर रही हैं और हम भी उनका साथ देंगे -अभी ना जाओ छोड़कर ......!
बहरहाल बाजी मारी ज्ञान जी ने -लगता है यह कभी उनके सरकारी बंगले में घुसा होगा -जैसे इसतरह ।
अब बताईये क्या हम अपने बच्चों को ज्ञान की यह विरासत देने जा रहे हैं ? यदि जल्दी यह परिदृश्य नहीं बदला तो ये वन्य जीव फिर किताबों और अजायब घरों में ही मिलेंगे और हमारे बच्चे उनकी तस्वीर से ही उन्हें पहचानेंगे ! इस स्थिति को बदलने के लिए हम क्या कर रहे हैं ?तस्लीम की यह गुजारिश है कि अपने बच्चों में वन्य जीवों और प्रकृति के प्रति थोड़ी अभिरुचि जगाये !
यह सीवेट कैट या बिज्जू ही है -जो जानवरों के विवीराडी परिवार का नुमायिन्दा है .यह बिल्ली परिवार का थोडा दूर का संबंधी है .इसकी गुदा द्वार के समीप की ग्रंथियों से एक बहुत ही कीमती तेज गंध का स्राव निकलता हैजिसका उपयोग दवाओं और इत्र निर्माण में भी होता है .यह पेड़ों पर बखूबी चढ़ जाता है .मैंने बचपन में इसे घरों औरऊंचे पदों पर भी खूब देखा था पर अब तो नहीं दिखता .इसेउत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों में सेन्हार ,चोन्हीयार भी कहते हैं अभिशेक बाबू अब कुछ याद आया आपको ?
जवाबों की झडी शुरू हुई जीतेंद्र भगत जी के जवाब से कि उन्होंने कुछ चैनलों पर इसे देखा तो है पर नाम नहीं मालूम है -वाह क्या जवाब था !फिर अनाम भाई ने ऊदबिलाव का राग अलापा ,रंजना (रंजू ) ने इस ग़लत जवाबके लिए भी मानो कोरस का आमंत्रण दे दिया -फिर क्या था -सीमा गुप्ता ,लवली ,अशोक पाण्डेय और यहाँ तक कि समीर भाई भी जो पहले इसे रैकून मान रहे थे ऊदबिलाव केकोरस में शामिल हो गए .उन्मुक्त जी ने समीर जी केपहले रैकून वाले उत्तर पर ही बैंक करना चाहा पर पता नहीं किस विश्व कोष से इसके लिए स्कंक का नाम भी ढूंढ लाये ।
जितेन्द्र भगत सी ही मासूमियत दिखाई अनिल पुसदकर और रश्मि सौराना ने और जवाब को लेकर अनभिज्ञता दिखाई .तरुण नें रैकून तो महेंद्र मिश्रा ने लकड़ बग्घा का उद्घोष कर डाला .अभिशेक जी ने गुल ,ओह सारी गूगल किया और समीर जी की हाँ में हाँ मिलाई -यार आप बलियाई हो अपने जवार देश के पर फिर भी ......रंजन और राज भाटिया ने बस सहभागिता की दिलेरी दिखाई पर सही उत्तर से भाग निकले .विपिन की मासूमियत भरी ज़िंदगी में इसका जवाब है -पता नहीं !अनाम भाई ने एक दो और अधीर प्रयास और किए -बैजर और नेवला तक बताया .मीत ने लाल बुझ्क्डी स्टाईल में इसे लकड़ बग्घा बताया !विनीता जी ने भी साही का नाम पुकारा !पारुल जी इसे अपने बगीचे में खोजती रहीं पर समीर जी ने उन्हें ढाढस दिलाया कि दरअसल वह उनके बगीचे में मिल गया है -भले ग़लत ही सही उन्होंने पारुल जी को दिलासा तो दिलाया -और अब उचित ही पारुल जी समीर भाई को पहेली का मैदान न छोड़ने की गुजारिश कर रही हैं और हम भी उनका साथ देंगे -अभी ना जाओ छोड़कर ......!
बहरहाल बाजी मारी ज्ञान जी ने -लगता है यह कभी उनके सरकारी बंगले में घुसा होगा -जैसे इसतरह ।
अब बताईये क्या हम अपने बच्चों को ज्ञान की यह विरासत देने जा रहे हैं ? यदि जल्दी यह परिदृश्य नहीं बदला तो ये वन्य जीव फिर किताबों और अजायब घरों में ही मिलेंगे और हमारे बच्चे उनकी तस्वीर से ही उन्हें पहचानेंगे ! इस स्थिति को बदलने के लिए हम क्या कर रहे हैं ?तस्लीम की यह गुजारिश है कि अपने बच्चों में वन्य जीवों और प्रकृति के प्रति थोड़ी अभिरुचि जगाये !
यह सीवेट कैट या बिज्जू ही है -जो जानवरों के विवीराडी परिवार का नुमायिन्दा है .यह बिल्ली परिवार का थोडा दूर का संबंधी है .इसकी गुदा द्वार के समीप की ग्रंथियों से एक बहुत ही कीमती तेज गंध का स्राव निकलता हैजिसका उपयोग दवाओं और इत्र निर्माण में भी होता है .यह पेड़ों पर बखूबी चढ़ जाता है .मैंने बचपन में इसे घरों औरऊंचे पदों पर भी खूब देखा था पर अब तो नहीं दिखता .इसेउत्तर प्रदेश के पूर्वी जिलों में सेन्हार ,चोन्हीयार भी कहते हैं अभिशेक बाबू अब कुछ याद आया आपको ?
sach me humari jaankariya ek dayre me simitati jaa rahi hai.ise badhane ke liye aise prayas hote rehna chahiye.aabhar aapka
जवाब देंहटाएं"oh, sach mey nahee ptta tha, but ab jaan gyen hain, itne detail mey jankaree ka shukriya"
जवाब देंहटाएंRegards
मैंने बचपन में इसे घरों और ऊंचे पदों पर भी खूब देखा
जवाब देंहटाएं-----
बहुत बढ़िया मजाक!
फ़ेल हो गए इस बार :)
जवाब देंहटाएंज्ञान जी को बधाई फर्स्ट क्लास से पास होने की :)
ज्ञन जी को बहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंfail honey ka gum nahi.....jaankari miltey rahni chahiye..
जवाब देंहटाएंsaadar
याद तो तो अभी भी नहीं आया. पर अब जान गए !
जवाब देंहटाएंजानकारी का धन्यवाद् .
जवाब देंहटाएंज्ञान जी ऊँचें पदों के बजाय ऊँचें पेडों पढ़ें -खेद है
जवाब देंहटाएंज्ञान जी को बधाई , भाई हमे मालूम था :) हम तो जान बुझ कर हार गाये, कयो कि जीत जाते तो सब कॊ पार्टी देनी पडती, अब पार्टी ज्ञान जी के हिस्से...जब चाहे पार्टी दे
जवाब देंहटाएंधन्यवाद