चित्र साभार- www.appletreeblog.com जी हाँ , यह मुखालिफ हवाओं का दौर है। एक ओर जहाँ इन्द्र देवता दे पानी-दे पानी नाक में दम किए हु...

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जी हाँ, यह मुखालिफ हवाओं का दौर है। एक ओर जहाँ इन्द्र देवता दे पानी-दे पानी नाक में दम किए हुए हैं, वहीं दूसरी ओर तमाम तरह की बीमारियाँ एक साथ मनुष्यों की बस्तियों पर टूट पडी हैं। इस आशय के समाचार आप रोज ही अपने समाचार पत्रों में देख रहे होंगे। जब भी अखबार पर नजर पडती हैं, तो दो समाचार प्रमुखता से दिखाए पड जाते हैं, पहला नदी का पानी फलानी-फलानी कालोनी में पहुंचा अथवा डायरिया से तीन दर्जन लोगों की मौत।
दरअसल बरसात के दिनों में मौसम में आद्रता का प्रतिशत काफी बढ जाता है, इससे तमाम तरह के सोए पडे वायरस सिर उठा कर घूमना प्रारम्भ कर देते हैं। ये वायरस पानी अथवा खाने के द्वारा शरीर में प्रवेश करते हैं। इनके कारण ही आजकल डायरिया, पीलिया, वायरल फीवर, निमोनिया, सांस रोग एवं कंजक्टिवाइटिस के रोगियों की बाढ सी आ गयी है। लेकिन इन तमाम बीमारियों में जिसके कारण ज्यादातर मौते हो रही हैं, उसमें डायरिया प्रमुख है।
डायरिया आमतौर से गन्दे पानी के सेवन से होता है। इससे पीडित व्यक्ति को उल्टी-दस्त की शिकायत होती है, जिससे शरीर का पानी बहुत तेजी से कम होने लगता है। यदि इस स्थित को जल्दी ही नियंत्रित न किया जाए, तो रोगी की मृत्यु तक हो जाती है। डायरिया से बचने के लिए सबसे आसान उपाय यही है कि पानी को लगभग पन्द्रह मिनट तक उबाल लें और उसे ठण्डा करके उपयोग में लाएं। छोटे बच्चों को यदि बोतल के द्वारा दूध पिलाया जा रहा है, तो उन्हें बोतल उबाल कर ही दूध दें। जहाँ तक सम्भव हो बासी खाना न खाएँ और फ्रिज आदि की भी समुचित रूप से सफाई कर लें। यदि किसी व्यक्ति को तीन-चार दस्त आ जाएं, तो उसे तुरन्त ओ0आर0एस0 का घोल दें। यह घोल उपलब्ध न होने पर एक गिलास पानी में एक चम्मच चीनी और एक चुटकी नमक मिलाकर उसे पिलाएँ और अविलम्ब डाक्टर से सम्पर्क करें। जिन लोगों को अधिक पसीना आने की समस्या होती है, उन्हें भी डायरिया होने की सम्भवना बनी रहती है, इसलिए ऐसे लोगों को भी सचेत रहना चाहिए। डायरिया के दौरान अक्सर यह देखा जाता है कि रोगी का लीवर कमजोर हो जाता है, जिससे पीलिया होने की संभावना बढ जाती है। इसलिए लिवर को सुरक्षित रखने वाली दवाएँ भी साथ लेना फायदेमंद रहता है।
वायरल फीवर से ग्रस्त होने पर सिर्फ पैरासीटामाल का ही उपयोग करें। तेज बुखार होने पर स्वच्छ कपडे को भिगोकर बदन पर रखें। इससे रोगी को फायदा होगा। यदि एक सप्ताह के बाद भी बुखार न उतरे तो टायफाइड की आशंका हो सकती है, इसलिए उसकी जांच अवश्य कराएँ। बुखार में अक्सर लोग खाना पीना बन्द कर देते हैं। ऐसा करने से शरीर में कमजोरी आ जाती है, जिससे रोगी की हालत बिगड सकती है। इसलिए बुखार के दौरान भी तरल और पौष्टिक खाद्य पदार्थों का सेवन करते रहें। बच्चों को बुखार आने पर निमोनिया की आशंका बलवती हो जाती है, इसलिए उनके इलाज में हीला-हवाली बिलकुल नहीं करना चाहिए।
कंजक्टिवाइटिस एक वायरस जलित बीमारी है, जो आमतौर से पाँच-सात दिनों तक अपना असर दिखाती है। कंजक्टिवाइटिस होने पर आँखों में दर्द/जलन के साथ कीचड आने लगता है। ऐसे में आँखों को स्वच्छ एवं शीतल जल से धोना फायदेमंद साबित होता है। कंजक्टिवाइटिस के रोगियों को मेडिकल स्टोर से दवा खरीद कर स्वयं अपना इलाज नहीं करना चाहिए। ऐसा करना हानिकारक हो सकता है। रोगियों को चाहिए कि वे नेत्र विशेषज्ञ को दिखाकर उसका समुचित इलाज कराएं तथा गहरे रंग के चश्मे का उपयोग करें। चूंकि यह संक्रमण आँख में होता है, जिसे व्यक्ति बार-बार हाथ की उंगली से साथ करता रहता है, इसलिए रोगी व्यक्ति से संकम्रण के दौरान न तो हाथ ही मिलाना चाहिए और न ही उसका रूमाल, तौलिया आदि उपयोग में लाना चाहिए। कंजक्टिवाइटिस के रोगियों को चाहिए कि वे पूरी तरह से आराम करें और बाहर निकलने से परहेज करें। ऐसा करके न सिर्फ वे बीमारी के संक्रमण को रोकने में सहायक होंगे, वरन शीघ्र स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त करेंगे।
यदि आप उपरोक्त बताई गयी विधियों का पालन करें तो मुखालिफ हवाओं का सामना हंसते हुए कर सकेंगे और स्वस्थ रहते हुए जिंदगी के भरपूर मजे ले सकेंगे।
अगली पोस्ट में "ब्लॉग चर्चा" कॉलम में तकनीक और विज्ञान को समर्पित ब्लॉगों का एक परिचय प्रस्तुत किया जाएगा।
अगली पोस्ट में "ब्लॉग चर्चा" कॉलम में तकनीक और विज्ञान को समर्पित ब्लॉगों का एक परिचय प्रस्तुत किया जाएगा।
bahut acha or gyan vardhak lekh hai...
जवाब देंहटाएंswasthay ke prati sachet karta hua...
jari rahe
क्या नुस्खे हैं?
जवाब देंहटाएंइनसे तो बीमारियों की वाट लग जायेगी ... और अपन स्वस्थ, मजे में |
धन्यवाद !
बहुत उपयोगी तथा अच्छी जानकारी दी है। आशा है सबलोग लाभ उठाएँगें। आभार।
जवाब देंहटाएंउपयोगी जानकारी जीशान ,धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंअरे नहीं ,धन्यवाद ज़ाकिर !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी दी है आपने ..इस मौसम में इन सब से बचाव बहुत जरुरी है |धन्यवाद
जवाब देंहटाएंbhai vaah saral bhasha me cheta diya......
जवाब देंहटाएंwah bahi wah
जवाब देंहटाएंdhanyabad
jankari ke leye
उपयोगी तथा अच्छी जानकारी!! धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंकुछ दिन पहले ही उबरा हूँ, धन्यवाद इस जानकारी भरी पोस्ट के लिए.
जवाब देंहटाएंसरल भाषा में उपयोगी जानकारी के लिए धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर ओर उपयोगी राय
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
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जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक प्रयास कर रहे आप,
जानकारियाँ निःसंदेह ही उपयोगी हैं ।
आप सबके उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएं"very informative and important article, thanks for sharing"
जवाब देंहटाएंRegards
Upyogi jaankari hai, aabhar.
जवाब देंहटाएंबहुतै बढिया गुरू, लगे रहो।
जवाब देंहटाएंlage rahe Zakir Bhai. Mera computer to kharab hai, isliye rest kar raha hoon.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी दी है आपने ..इस मौसम में इन सब से बचाव बहुत जरुरी है |धन्यवाद
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