पता नहीं यह ग्रीन हाउस गैसों का परिणाम है या फिर प्रकृति से छेडछाड का नतीजा , लखन ऊ में डेंगू ने दो मौतों के द्वारा ...
पता नहीं यह ग्रीन हाउस गैसों का परिणाम है या फिर प्रकृति से छेडछाड का नतीजा, लखनऊ में डेंगू ने दो मौतों के द्वारा अपने खूनी पंजे फैलाना शुरू कर दिये हैं। डेंगू बुखार फैलाने वाला वायरस यूँ तो इस तापमान में नहीं फैलता है, पर जो कुछ हमारी आँखों के सामने है, उससे मुंह भी तो नहीं मोडा जा सकता?
आम मच्छरों की तुलनों में इस बीमारी के वाहक मच्छर आकार में काफी बडे होते हैं और उनके शरीर पर काले रंग के धब्बे बने होते हैं। ये धब्बे बहुत कुछ टाइगर के शरीर पर बने धब्बों की तरह होते हैं, इसलिए इन मच्छरों को टाइगर मच्छर के नाम से भी जाना जाता है। यह मच्छर आमतौर से साफ पानी में पनपते हैं और दिन में सक्रिय रहते हैं।
डेंगू मच्छर से संक्रमित व्यक्ति के शरीर में बुखार के साथ बदन दर्द और जोडों में दर्द की शिकायत होती है तथा आँखों में भी जलन का एहसास होता है। डेंगू बुखार से ग्रस्त व्यक्ति को पैरासीटामॉल समूह की दवाएँ देना फायदेमंद होता है। संक्रमण बढने पर रोगी के शरीर में रक्त धमनियों से निकलकर बाहरी कोशिकाओं में पहुंच जाता है, जिसकी वजह से त्वचा पर लाल रंग के चकत्ते उभर आते हैं। ऐसी दशा में रोगी की नाम व कान से खून भी आ सकता है। बीमारी बढने के साथ ही साथ रोगी के रक्त में प्लेटलेटस की संख्या घटने लगती है और रोगी का ब्लडप्रेशर काफी कम हो जाता है। इस स्थिति में यदि रोगी के शरीर में प्लेटलेटस न चढाई जाएँ, तो उसकी मौत तक हो सकती है।
अन्त में एक बात यह कि इलाज से बचाव कहीं बेहतर होता है। इसलिए जरूरी है कि हम अपने घर के आसपास पानी न जमा होने दें। सोने के लिए मच्छरदानी का उपयोग करें और बच्चों को पूरी बाँह के कपडे पहनाएँ। और यदि इन सब सावधानियों के बावजूद यदि किसी को बुखार आ ही जाता है और वह पाँच-छह दिनों तक खिंच जाता है, तो समझदारी इसी में है कि हम मलेरिया के साथ-साथ डेंगू की भी जाँच कराएँ।
आम मच्छरों की तुलनों में इस बीमारी के वाहक मच्छर आकार में काफी बडे होते हैं और उनके शरीर पर काले रंग के धब्बे बने होते हैं। ये धब्बे बहुत कुछ टाइगर के शरीर पर बने धब्बों की तरह होते हैं, इसलिए इन मच्छरों को टाइगर मच्छर के नाम से भी जाना जाता है। यह मच्छर आमतौर से साफ पानी में पनपते हैं और दिन में सक्रिय रहते हैं।
डेंगू मच्छर से संक्रमित व्यक्ति के शरीर में बुखार के साथ बदन दर्द और जोडों में दर्द की शिकायत होती है तथा आँखों में भी जलन का एहसास होता है। डेंगू बुखार से ग्रस्त व्यक्ति को पैरासीटामॉल समूह की दवाएँ देना फायदेमंद होता है। संक्रमण बढने पर रोगी के शरीर में रक्त धमनियों से निकलकर बाहरी कोशिकाओं में पहुंच जाता है, जिसकी वजह से त्वचा पर लाल रंग के चकत्ते उभर आते हैं। ऐसी दशा में रोगी की नाम व कान से खून भी आ सकता है। बीमारी बढने के साथ ही साथ रोगी के रक्त में प्लेटलेटस की संख्या घटने लगती है और रोगी का ब्लडप्रेशर काफी कम हो जाता है। इस स्थिति में यदि रोगी के शरीर में प्लेटलेटस न चढाई जाएँ, तो उसकी मौत तक हो सकती है।
अन्त में एक बात यह कि इलाज से बचाव कहीं बेहतर होता है। इसलिए जरूरी है कि हम अपने घर के आसपास पानी न जमा होने दें। सोने के लिए मच्छरदानी का उपयोग करें और बच्चों को पूरी बाँह के कपडे पहनाएँ। और यदि इन सब सावधानियों के बावजूद यदि किसी को बुखार आ ही जाता है और वह पाँच-छह दिनों तक खिंच जाता है, तो समझदारी इसी में है कि हम मलेरिया के साथ-साथ डेंगू की भी जाँच कराएँ।
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जवाब देंहटाएं...ek baat aur...dengu ka macchar din me katata hai..aur wo bhi mada machhar!
जवाब देंहटाएंek achchi jaankari dene ke liye aabhar...
जवाब देंहटाएंbas pani ko ikkatha na hone de....ye machhar saaf pani me bhi ande deta hai...aor jet ne sahi kaha hai ki ye din me kaatta hai.
जवाब देंहटाएंek achhi jaankari ke liye dhanyvaad
जवाब देंहटाएंpani ko ikaththa na hone de aur keetnashak dawayi ka chidhkaav karte rahe
लगे रहें, शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंजागरूकता बढ़ाने के लिये धन्यवाद जी।
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