Science Communication Courses in Hindi.
विज्ञान संचार पर विशेष श्रृंखला- कड़ी 6
विज्ञान संचार में पाठ्यक्रम
Academic Courses in Science Communication
-अभय एस डी राजपूत एवं नवनीत कुमार गुप्ता
देश की विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी नीति (Science and Technology policy 2013) वैज्ञानिक ज्ञान एवं वैज्ञानिक सोच (Scientific Temper) को बढ़ावा देने पर बल देती है। ज़्यादातर विज्ञान एवं प्रौद्योगिक प्रयोगशालाओं को विज्ञान को लोकप्रिय बनाने एवं विज्ञान के सम्प्रेषण का कार्य करने का सामाजिक जनादेश है। यहाँ तक कि भारत के संविधान में भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण की प्रवृति को बढ़ाने हेतु विशेष प्रावधान है। इसीलिए भारत में कुछ चुनिंदा विश्वविद्यालयों एवं संस्थाओं द्वारा विज्ञान संचार के क्षेत्र में लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए दीर्घअवधि एवं अल्पावधि के पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं।हालांकि जनता के लिए विज्ञान संचार में सफल प्रयासों के लिए, जनता की धारणा, व्यवहार, आवश्यकताओं, मूल्यों, सामाजिक संदर्भों (Social Reference) और संरचनाओं पर शोध की आवश्यकता है। साथ ही विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार की दिशा में वैज्ञानिकों की सोच और व्यवहार को भी जानने समझने की जरूरत है। मीडिया की भूमिका और जनता के साथ जुड़ाव में वैज्ञानिकों की क्षमताओं के बारे में भी शोध किया जाना आवश्यक है। बहु-सांस्कृतिक (Multicultural) और बहुभाषी (Multilingual) पृष्ठभूमि वाले भारतीय समाज की जटिलता और विविधता को ध्यान में रखते हुए, यह आवश्यक है।
भारत में सामाजिक-भाषाई-सांस्कृतिक विविधता को ध्यान में रखते हुए, वैज्ञानिक ज्ञान (Scientific Knowledge) का प्रसार करना और विज्ञान के साथ समाज का दो तरफा संवाद स्थापित करना वास्तव में एक चुनौतीपूर्ण काम है। इसलिए, इस मुद्दे को हल करने के लिए, ऐसे प्रशिक्षित विज्ञान संचारकों (Science Communicators) की अधिक आवश्यकता है जो जनता के सामाजिक-भाषाई-सांस्कृतिक लोकाचार का सम्मान करते हुए उन से जुड़ सकें और जनता में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से संबंधित नए ज्ञान को संप्रेषित कर सकें ।
एक शैक्षणिक अनुशासन के रूप में, विज्ञान संचार (Science Communication) ऐसे मानव संसाधनों का निर्माण किया जाता है जो विभिन्न स्वरूपों और मीडिया का उपयोग करते हुए विशिष्ट या सामान्य लक्ष्यित वर्ग के लिए विज्ञान के संदेश को पहुँचने की सम्पूर्ण कला में पारंगत होते हैं।
विज्ञान संचार के इन पाठ्यक्रमों में से अधिकांश में विभिन्न जनसंचार प्रारूपों, संचार सिद्धांतों और कौशल, मीडिया उत्पादन, सामग्री निर्माण कौशल, सोशल मीडिया (Social Media) और डिजिटल मीडिया (Digital Media), विज्ञापन और विपणन, प्रचार और प्रचार, मीडिया तकनीकों जैसे वीडियो और ऑडियो संपादन एवं संशोधन, ग्राफिक्स एवं एनीमेशन, मीडिया कानून एवं नैतिकता, परियोजना कार्यों और विज्ञान की समझ, उसका इतिहास और उसकी प्रगति और उन्नति आदि से संबंधित विषयों का अध्ययन कराया जाता हैं।
इन पाठ्यक्रमों में सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों दृष्टिकोण शामिल होते हैं और छात्रों को विज्ञान और समाज के बीच संवाद को प्रोत्साहित करने के लिए प्रेरित किया जाता है। छात्रों को, विज्ञान को सही दृष्टिकोण में और विज्ञान के सामाजिक एवं दार्शनिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए लक्ष्यित वर्ग के अनुसार प्रस्तुत करना भी सिखाया जाता है।
-लेखक परिचय-

नवनीत कुमार गुप्ता पिछले दस वर्षों से विभिन्न माध्यमों द्वारा विज्ञान संचार के कार्य में संलग्न हैं। आपकी विज्ञान संचार विषयक लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा इन पर गृह मंत्रालय के ‘राजीव गांधी ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' सहित अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। आप विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ से सम्बंद्ध हैं।
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