DNA Technology (Use and Application) Regulation Bill 2018 in Hindi
डीएनए प्रौद्योगिकी से सुलझेगी अपराधों की गुत्थी
-नवनीत कुमार गुप्ता
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 4 जुलाई, 2018 को डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक-2018 को मंजूरी प्रदान की है। इस विधेयक के माध्यम से डीएनए प्रयोगशालाओं का अनिवार्य प्रत्यायन एवं विनियमन संभव होगा।डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक-2018, एक बिल का नवीनतम संस्करण है जो जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा तैयार डीएनए "प्रोफाइलिंग" बिल के रूप में उभरा है। उस मसौदे कानून का उद्देश्य अपराध दृश्यों से एकत्र किए गए नमूनों के आधार पर या गायब व्यक्तियों की पहचान के लिए व्यक्तियों की पहचान करने के लिए डीएनए प्रौद्योगिकियों को एकत्रित करने और तैनात करने के लिए एक संस्थागत तंत्र स्थापित करना था।
‘डीएनए प्रौद्योगिकी (उपयोग एवं अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक’ को कानून बनाए जाने के पीछे प्राथमिक उद्देश्य देश की न्यायिक प्रणाली को समर्थन देने एवं सुदृढ़ बनाने के लिए डीएनए आधारित फोरेन्सिक प्रौद्योगिकियों का व्यापक विस्तार करना है। ऐसी प्रौद्योगिकीयों के माध्यम से अपराधों के समाधान एवं गुमशुदा व्यक्तियों की पहचान के लिए डीएनए आधारित प्रौद्योगिकियों की उपयोगिता दुनियाभर में पहले से स्वीकृत है। डीएनए प्रयोगशालाओं के अनिवार्य प्रत्यायन एवं विनियमन के प्रावधान के जरिए इस विधेयक में इस प्रौद्योगिकी का देश में विस्तारित उपयोग सुनिश्चित किया गया है। इस बात का भी भरोसा दिलाया गया है कि डीएनए परीक्षण परिणाम भरोसेमंद हो और नागरिकों के गोपनीयता अधिकारों के लिहाज से डाटा का दुरुपयोग न हो सके। इस विधेयक के अस्तित्व में आने के बाद न्याय मिलने में तेजी आने के साथ ही अपराध सिद्धि दर में बढ़ोतरी होगी। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि गुमशुदा व्यक्तियों तथा देश के विभिन्न हिस्सों में पाए जाने वाले अज्ञात शवों की पहचान आसानी से होगी। इसके साथ ही बड़ी आपदाओं के शिकार हुए व्यक्तियों की पहचान करने में भी सहायता प्रदान करेंगे।
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फोरेन्सिक डीएनए प्रोफाइलिंग
फोरेन्सिक डीएनए प्रोफाइलिंग Forensic DNA profiling का ऐसे अपराधों के समाधान में स्पष्ट महत्व है जिनमें मानव शरीर (जैसे हत्या, दुष्कर्म, मानव तस्करी या गंभीर रूप से घायल) को प्रभावित करने वाले एवं संपत्ति (चोरी, सेंधमारी एवं डकैती सहित) की हानि से संबंधित मामले से जुड़े अपराध का समाधान किया जाता है।2016 के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, देश में ऐसे अपराधों की कुल संख्या प्रति वर्ष तीन लाख से अधिक है। इनमें से केवल बहुत छोटे हिस्से का ही वर्तमान में डीएनए परीक्षण किया जाता है। उम्मीद है कि अपराधों के ऐसे वर्गों में इस प्रौद्योगिकी के विस्तारित उपयोग से न केवल न्यायिक प्रक्रिया में तेजी आएगी, बल्कि सजा दिलाने की दर भी बढ़ेगी, जो वर्तमान में केवल 30 प्रतिशत (2016 के एनसीआरबी आंकड़े) है।
डीएनए प्रोफाइलिंग बोर्ड
विधेयक में एक डीएनए प्रोफाइलिंग बोर्ड को बनाए जाने का प्रावधान है जो राज्य स्तरीय डीएनए डाटाबेस के निर्माण को अधिकृत करेगा, डीएनए-प्रौद्योगिकियों के संग्रह और विश्लेषण के तरीकों को स्वीकार करेगा। इस विधेयक के अनुसार कानून प्रवर्तन एजेंसियों को डीएनए नमूने एकत्र करने, "डीएनए प्रोफाइल" बनाने और फोरेंसिक-आपराधिक जांच के लिए विशेष डेटाबेस बनाने की अनुमति देता है।आधारभूत विज्ञान को मिलेगा बढ़ावा
इस विधेयक से आधारभूत विज्ञान को भी काफी फायदा होगा। असल में देश भर मेंडीएनए प्रयोगशालाओं को स्थापित करने के लिए काफी अधिक निवेश और कुशल एवं प्रशिक्षित व्यक्तियों की आवश्यकता होगी। इसके साथ ही डीएनए डाटा को संग्रहण और संसाधन के लिए तेजी गति वाले कम्प्यूटरों की आवश्यकता होगी।
-लेखक परिचय-
नवनीत कुमार गुप्ता पिछले दस वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि जनसंचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं। आपकी विज्ञान संचार विषयक लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा इन पर गृह मंत्रालय के ‘राजीव गांधी ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' सहित अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। आप विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ से सम्बंद्ध हैं। आपसे निम्न मेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है:
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