महान वैज्ञानिकों के जीवन के रोचक और प्रेरक प्रसंग।
महान वैज्ञानिक अपने शोधकार्यों से तो महान होते ही हैं, कुशाग्र बुद्धि होने के कारण उनका हास्य भी अधिक पैना और प्रखर होता है। उनके जीवन की घटनाएं अन्य लोगों को भी जीवन में आगे बढ़ने के लिए नई राह दिखाती हैं और उनकी हौसला अफजाई करती हैं। ऐसे ही कुछ चुनिंदा प्रसंगो को समेटे है सुभाष चंद्र लखेड़ा की सद्य प्रकाशित पुस्तक 'वैज्ञानिकों के रोचक और प्रेरक प्रसंग'। पुस्तक के बारे में विस्तार से बता रहे हैं चर्चित विज्ञान लेखक देवेंद्र मेवाड़ी।
वैज्ञानिक भी आखिर इंसान होते हैं!
-देवेंद्र मेवाड़ी
लोग जानते हैं, वैज्ञानिक किस्सागोई नहीं करते बल्कि अपने काम और अपनी प्रयोगशाला में डूबे रहते हैं। लेकिन, उन्हें इस तरह डूबा हुआ देख कर और चलते-फिरते, बैठते अपने वैज्ञानिक प्रयोगों के बारे में सोचते रहने के कारण उनके दोस्तों, परिचितों और अपरिचितों ने उनके बारे में एक से एक मजेदार किस्से गढ़ दिए। उनमें से कुछ सच्चाई भी बयां करते थे, लेकिन काफी किस्से दिमागी उपज भर थे- मगर थे मजेदार। इसलिए वे चल पड़े और ऐसे चले कि दुनिया भर में फैल गए।
अब आप ही बताइए कि बाग में बैठे न्यूटन के सिर पर टपकता सेब आखिर किसने देखा? लेकिन, गुरुत्वाकर्षण की उनकी खोज को समझाने के लिए यह किस्सा मौजूं साबित हुआ तो चल पड़ा। मैंने तो यहां तक पढ़ा है कि महर्षि कणाद चलते-चलते कुछ खा रहे थे। तभी उनके मन में विचार उठा कि अगर वे एक-एक टुकड़ा खाते रहे तो अंत में क्या बचेगा? बस, एक सूक्ष्मतम कण! यानी, हर चीज एक-एक कण से मिल कर बनी है। इस तरह महर्षि कणाद के कणवाद का जन्म हो गया। लेकिन, फिर वही सवाल कि महर्षि कणाद को खाते और सोचते हुए किसने देखा?
कहने का मतलब यह कि काम में डूबे वैज्ञानिकों के किस्से कुछ यों ही बनते और प्रचलित होते चले गए। इन किस्सों को लोकप्रिय बनाने में फिल्मों ने भी बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने फिल्मों में एब्सेंट माइंडेड वैज्ञानिक बना कर हास्य पैदा किया और इस तरह की किस्सागोई को हवा दे दी। बहरहाल, खुद वैज्ञानिक रहे विज्ञान लेखक श्री सुभाष चंद्र लखेड़ा ने वैज्ञानिकों के बारे में प्रचलित किस्सों पर ध्यान दिया और ऐसे अनेक रोचक किस्से शब्दों में उतार दिए जो न केवल हमारे मन को गुदगुदाते हैं बल्कि जीवन में कुछ कर दिखाने की प्रेरणा भी देते हैं। उनके द्वारा संकलित ऐसे ही रोचक और प्रेरक प्रसंगों की उनकी किताब है- वैज्ञानिकों के रोचक प्रसंग।
वे कहते हैं, 'वैज्ञानिक होने के नाते यह स्वाभाविक है कि मेरी दिलचस्पी वैज्ञानिकों से जुड़े ऐसे प्रसंगों में रही, जो रोचक होने के साथ-साथ प्रेरक भी थे।' महान वैज्ञानिक अपने शोधकार्यों से तो महान होते ही हैं, कुशाग्र बुद्धि होने के कारण उनका हास्य भी अधिक पैना और प्रखर होता है। उनके जीवन की घटनाएं अन्य लोगों को भी जीवन में आगे बढ़ने के लिए नई राह दिखाती हैं और उनकी हौसला अफजाई करती हैं।
इस पुस्तक में श्री सुभाष लखेड़ा ने वैज्ञानिकों के जीवन से जुड़े 123 रोचक तथा प्रेरक प्रसंग प्रस्तुत किए हैं। इनमें चंद्रशेखर वेंकट रामन, सत्येंद्र नाथ बोस, सतीश धवन, डॉ. आत्माराम, डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम और दौलत सिंह कोठारी जैसे नामी भारतीय वैज्ञानिक हैं तो न्यूटन, आइंस्टाइन, विलियम हार्वे, थामस अल्वा एडीसन, माइकेल फैराडे, रदरफोर्ड, मैक्स प्लैंक, बैंजामिन फ्रैंकलिन, कैवेंडिश और सर हम्फ्री डेवी जैसे अनेक विदेशी वैज्ञानिक शामिल हैं।
इन प्रेरक प्रसंगों में कहीं हास्य भी है और व्यंग्य भी। ये मार्गदर्शन भी करते हैं, और इनमें स्वाभिमान भी झलकता है। जैसे, रंगून में सहायक लेखा महानिदेशक चंद्रशेखर वेंकट रामन से उनका घमंडी अंग्रेज लेखा महानिदेशक चेहरे के सामने फाइल झुलाते हुए कहता है, 'रामन, जो लाल स्याही की दवात तुम्हारे सामने मेज पर पड़ी है, अगर मैं कहूं कि यह काली स्याही है तो तुम्हें यहीं कहना होगा कि हां, यह काली स्याही है श्रीमान।'
लेकिन, स्वाभिमानी रामन शांति से उत्तर देते हैं, 'यदि आप ऐसा कहेंगे तो मैं सिर्फ यही कहूंगा कि या तो आप अंधे हैं या पागल अथवा दोनों।'
एक रोचक प्रसंग में हंगरी के प्रसिद्ध गणितज्ञ पॉल अर्डोस एक बार एक सेमीनार में किसी गणितज्ञ से मिले तो उन्होंने पूछा, 'आप कहां से पधारे हैं?' गणितज्ञ ने कहा कि वह वेनकुवर से आप हैं। अर्डोस ने तपाक से पूछा, 'तब तो आप मेरे घनिष्ठ मित्र इलियट मैंडेलसन को अवश्य जानते होंगे?' 'क्यों नहीं,' गणितज्ञ ने कहा, 'मैं ही इलियट मैंडेलसन हूं।'
अमेरिकी गणितज्ञ और खगोलविद् नारबर्ट वाइनर के भुलक्कड़पने का भी एक रोचक किस्सा दिया गया है। उन्हें घर बदल कर परिवार के साथ कैंब्रिज से न्यूटन शहर जाना था। लेकिन, काम की व्यस्तता के कारण उन्होंने पत्नी से कहा कि वे लोग चले जाएं, वे स्वयं शाम को वहां पहुंच जाएंगे। पत्नी ने न्यूटन शहर में नए घर का पता एक पर्ची में लिख कर उनकी जेब में डाल दिया। वाइनर ने दिन में किसी समय गणित की एक समस्या उस पर्ची पर हल की और संतुष्ट न होने पर पर्ची फाड़ कर फैंक दी। आदतन शाम को वे घर पहुंचे तो याद आया कि उन्हें तो कहीं जाना था। उन्होंने वहां खड़ी एक छोटी लड़की से पूछा, 'बेटी मैं नारबर्ट वाइनर हूं। सामने के घर में रहता हूं। मुझे कहीं जाना था, लेकिन भूल गया हूं। क्या तुम्हें पता है, इस घर के लोग कहां गए हैं?'
बच्ची ने कहा, 'हां पापा, मम्मी को पता था आप भूल जाएंगे। इसलिए वे मुझे यहां छोड़ गई हैं। चलिए, हमें न्यूटन शहर जाना है।'
प्रेरक प्रसंगों में एक प्रसंग प्रौफेसर नील रत्न धर के बारे में है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में जब प्रोफेसर नील रत्न धर ने देखा कि उनका अत्यंत मेधावी शिष्य आत्माराम भोजनालय का खर्च नहीं दे सकता और अपने लिए खाना खुद बनाता है, तो उसे कुछ रुपए देकर वे बोले, 'ये रुपए छात्रावास के भोजनालय के लिए हैं। तुम्हारी फाइनल परीक्षाएं निकट हैं। अब तुम अपने लिए भोजन नहीं बनाना और अपना सारा ध्यान अपनी पढ़ाई पर लगाना।'
लेखक ने पुस्तक में ऐसे ही विविध प्रसंगों का वर्णन किया है जो बालकों और किशोरों से लेकर बडे़ पाठकों के मन को गुदगुदाएंगे और प्रेरणा भी देंगे।
पुस्तक: वैज्ञानिकों के रोचक और प्रेरक प्रसंग
लेखक: सुभाष चंद्र लखेड़ा
प्रकाशक: लेखक मंच प्रकाशन, 433, नीतिखंड-3, इंदिरापुरम, गाजियाबाद - 201014 (फोनः 09871344533)
पहला संस्करणः 2015 (पृष्ठ 100)
मूल्य: अजिल्द: 80 रुपए, सजिल्द: 150 रुपए
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बडी सुंदर पुस्तक है, परिचय के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंPrabhat ki bela me vigyan sancharan ka anokha bhandar.
जवाब देंहटाएंIt's good.
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