Different types of Tea in India in Hindi
तरह-तरह की चाय, उनके फायदे और नुकसान
-डॉ. विनीता सिंघल
चाय पीने के फायदे और नुकसान की कड़ी में प्रकाशित पिछले लेख में आपने चाय का इतिहास और उसकी पैदावार के बारे में विस्तार से पढ़ा। अब पढ़ें चाय के विभिन्न प्रकार और उनसे होने वाले लाभ के बारे में-
काली चाय के फायदे - Black Tea Benefits :
काली चाय बनाने की प्रक्रिया में कुम्हलाना, कर्तन, रोलिंग, किण्वन, शुष्कन, छंटाई, श्रेणीकरण एवं डिब्बाबंद करने की प्रक्रियाएं होती हैं। भारत में अधिकांश काली चाय की ही मांग है। कली सहित चाय की दो पत्तियों को तोड़कर एकत्रित कर, यार्ड में ले जाया जाता है। यहां पत्तियों को ट्रे में फैलाकर नियंत्रित ढंग से उनकी नमी को घटाया जाता है। इस प्रक्रिया को कुम्हलाना कहते हैं। पत्तियों को सुखाते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि उनकी कोशिकाएं टूटने न पाएं।
ब्लैक टी बनाने के लिए आंशिक रूप से सूखी हरी चाय की पत्तियों को हल्के से ऊंचे तापक्रम पर एंजाइमी जैवरूपांतरण के लिए रखा जाता है। चाय बनाने की प्रक्रिया में, ब्लैक टी के अभिलाक्षणिक रंग और सुगंध को बनाए रखने के लिए किण्वन की प्रक्रिया में बहुत सावधानी रखनी पड़ती है। काली चाय बनाने की दो मुख्य विधियां हैं, सीटीसी (कटिंग, टियरिंग एंड क्रषिंग) जोकि दानेदार चाय के रूप में हमें मिलती है। इसे रोटरवेन द्वारा दांतेदार रोलरों से गुज़ारा जाता है ताकि चाय के दानों को आवश्यकतानुसार आकार-प्रकार प्रदान किया जा सके।
दूसरी प्रणाली ऑर्थोडोक्स कहलाती है जिसमें कुम्हलाई गई पत्तियों को रोलिंग टेबल मशीन द्वारा विशेष आकार एवं घुमाव दिया जाता है। इस चाय की पत्तियां पूर्ण होती हैं तथा छलनी में खुलकर फैल जाती हैं। चाय के प्रमुख पॉलीफिनॉलिक फ्लेवोनॉयड, कैटेचिन में ही सभी स्वास्थ्यवर्द्धक गुण मौजूद होते हैं। ब्लैक टी की निर्माण प्रक्रिया के दौरान ये थियाफ्लेविन और थियारूबिजिन में बदल जाते हैं। ब्लैक टी लाल रक्त कणिकाओं की सुरक्षा करती है और इसे अन्य अनेक बीमारियों के विरूद्ध भी प्रभावी पाया गया है।
हरी चाय के फायदे - Green Tea Benefits :
आजकल सबसे अधिक प्रचलित और लोकप्रिय ग्रीन टी प्रतिरक्षा को बढ़ाती है। आजकल इसका प्रचलन काफी बढ़ गया है। एंटीऑक्सीडेंट (कैटेचिन नामक पॉलीफिनॉल का एक प्रकार) से भरपूर ग्रीन टी को सुपरफूड माना जाता है। यह त्वचा को पराबैंगनी विकिरण से क्षति पहुंचने से बचाती है, रक्तचाप को कम करती है, रक्त को जमने अर्थात थक्का बनने से रोकती है और अल्झेमीर जैसे रोग से बचाती है। इतना ही नहीं यह मोटापे से भी लड़ सकती है।
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ग्रीन टी नियमित रूप से पीने से उच्च रक्त चाप के खतरे से भी बचा जा सकता है। मोटापा कम करना हो तो दिन में ग्रीन टी के तीन प्याले पीने चाहिए। चूंकि ग्रीन टी में कैफीन होती है इसलिए जो लोग कैफीन के प्रति सुग्राही हों उन्हें दिन में केवल एक कप ग्रीन टी ही पीनी चाहिए। बल्कि नवीन शोध बताते हैं कि ग्रीन टी में मौजूद कैटेचिन प्रोस्टेट, अमाशय और इसोफेगस तथा अन्य अंगों में कैंसर के विकास को रोक सकते हैं। कैटेचिन रक्त से कॉलेस्ट्रॉल को अवषोशित कर लेता है और खराब कॉलेस्ट्रॉल को बनने से रोकता है।
चीन और जापान के लोग अधिकतर ग्रीन टी ही पीते हैं और यही कारण है कि वहां के लोगों को कोरोनरी हृदय रोग कम ही होता है। ग्रीन टी में मौजूद कैटेचिन कैंसर के विरूद्ध भी महत्वपूर्ण निभाता है। इसमें मौजूद प्रबल एंटीऑक्सीडेंट क्षमता के कारण इसका एजिंग प्रक्रिया पर भी लाभकारी प्रभाव देखा गया है।
उलॉन्ग टी के फायदे - Oolong Tea Benefits :
माना जाता है कि उलॉन्ग चाय को जिसे वु लांग चाय भी कहते हैं, चार सौ वर्श पहले उत्पादित किया गया था। एतिहासिक रिकॉर्डों के अनुसार, चीन का फ्यूजिआन जिला उलॉन्ग चाय का उद्भव क्षेत्र है। सदियों से चीन के लोग इस चाय का आनंद लेते रहे हैं। यह विश्वध की प्रसिद्ध चायों में से एक है। चीनी भाषा में उलॉन्ग का अर्थ होता है ‘ब्लैक ड्रैगॉन’। उलॉन्ग चाय एक अर्ध-किण्वित चाय होती है जिसमें ग्रीन टी के अनॉक्सीकृत और ब्लैक टी के पूरी तरह ऑक्सीकृत गुण समाहित होते हैं।
सभी प्रकार की चायों में यह सबसे स्वादिष्टस चाय होती है। यह ब्लैक टी की तरह तीव्र और स्फूर्तिदायक होती है तो वहीं ग्रीन टी की तरह पारदर्शी और सुगंधित भी होती है। विभिन्न उत्पादक क्षेत्रों के अनुसार इन्हें चार वर्गों में बांटा जा सकता है जैसे कि उत्तरी फ्यूजिआन उलॉन्ग चाय, दक्षिणी फ्यूजिआन चाय, गुएंगडॉंग और ताइवान उलॉन्ग चाय।
चीन के लोगों को इसके गुणों का ज्ञान बहुत पहले से था। उलॉन्ग चाय का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह मोटापा बढ़ने से रोकती है। इसके और भी स्वास्थ्य संबंधी लाभ हैं जैसे कि त्वचा पर उम्र का प्रभाव न होने देना, हृदय और कैंसर जैसे रोगों से बचाव, उच्च रक्त चाप को कम करना, न केवल जीवन काल को बढ़ाना बल्कि जीवन ऊर्जा को भी बढ़ाना, दांतों को मजबूत बना कर दंत क्षय को रोकना, शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करना, त्वचा रोगों जैसे खाज और रैशेज का उपचार करना, मस्तिष्का की क्षमता को बढ़ाना, रक्त में शर्करा के स्तर को कम करके मधुमेह के रोगियों का उपचार करना। इसके अतिरिक्त, उलॉन्ग चाय आविशालु हाउसहोल्ड क्लीनर, डीओडोराइजर और कीटनाशक भी होती है।
आज कल चाय की पारंपरिक कैमिलिया से बनी चाय की किस्मों के साथ साथ अनेक नवीन किस्में प्रचलित हैं जिन्हें बनाने के लिए कैमिलिया की पत्तियों से बनी चाय की आवश्याकता नहीं होती बल्कि पौधों की अनेक किस्मों की पत्तियां, फूलों या कंदों का उपयोग चाय बनाने के लिए किया जाता है। इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-
अदरक की चाय के फायदे - Ginger Tea Benefits :
सर्दियों की सुबह को सबसे अधिक राहत अगर किसी चीज से मिलती है तो वह है एक गर्म गर्म अदरक वाली चाय। अदरक की चाय सिरदर्द को दूर करती है। सिरदर्द कभी भी और कहीं भी हो सकता है। काम का बोझ, ट्रैफिक जाम, और खराब मौसम, कोई भी सिर दर्द का कारण बन सकता है जो बढ़ते बढ़ते गर्दन तक भी जा सकता है और माइग्रेन भी बन सकता है लेकिन अदरक की चाय ऐसे दर्द में अत्यंत प्रभावी हो सकती है। वैसे तो चाय में अदरक डालने का प्रचलन बहुत पुराना है लेकिन आजकल इसे बनाने का ढंग पारंपरिक विधि से थोड़ा अलग हो गया है। इसे बनाने के लिए अदरक के एक सामान्य आकार के टुकड़े को पानी में डाल कर उबाला जाता है। उबल जाने के बाद उसे ढक कर थोड़ी देर ठंडा होने दिया जाता है और जब वह गुनगुना सा रह जाता है तब उसे पिया जाता है।
सिर के दर्द में आराम पहुंचाने के अतिरिक्त भी अदरक की चाय के बहुत से लाभ हैं जैसे कि यह भूख को बढ़ाने के साथ साथ पाचन शक्ति को भी बढ़ाती है, वसा को पचा कर मोटापे को बढ़ने से रोकती है। जब आप भार घटाने की प्रक्रिया से गुजर रहे होते हैं तब आवश्योकता होती है सही पोषक तत्वों की। अदरक की चाय सही पोशक तत्वों के अवशोषण में सहायक होती है। थकी हुयी मांसपेशियों को ढीला करती है, रक्त में ग्लूकोज के स्तर को चैक करती है।
जिंजर टी गर्भवती स्त्रियों को ‘मॉर्निंग सिकनेस से मुक्त करती है। गठिया के कारण आ गयी सूजन को कम करती है और दर्द में आराम दिलाती है। अस्थमा के रोगियों में सूजे हुए श्वकसन मार्गों को खोलती है और रक्त परिसंचरण को बढ़ाती है। षरीर में ऊर्जा का संचार कर थकन को कम करती है। मस्तिष्कव कोशिकाओं के क्षय को कम करके अल्झेमिर रोग से सुरक्षा करती है। कैंसर विशेष रूप से अंडाशय के कैंसर के उपचार में सहायता करती है।
क्राइजैन्थिमम टी के फायदे - Chrysanthemum Tea Benefits :
वृद्धावस्था को रोकने के लिए वैज्ञानिकों की जंग जारी है। क्राइजैन्थिमम टी इसमें योगदान देने में सहायक होती है। क्राइजैन्थिमम के सूखे फूलों से बनी यह सुनहरी-भूरी चाय प्राचीन चीनी चिकित्सा पद्धतियों में से एक है। इसमें बीटा-कैरोटिन मौजूद होता है जो त्वचा की समस्याओं, आयु से संबंधित आंखों की बीमारियों को ठीक करता है। इसे वेरीकोज वेन्स का भी इलाज माना जाता है। यह प्रतिरक्षा को बढ़ाती है और काफी हद तक वृद्धावस्था के लक्षणों को भी रोकती है।
क्राइजैन्थिमम टी, क्राइजैन्थिमम मॉरीफोलियम या क्राइजैन्थिमम इंडिकम के फूलों से बना काढ़ा होता है जो पूर्व एषिया में बहुत लोकप्रिय है। चाय बनाने के लिए इसके सूखे हुए फूलों को उबले हुए पानी में भिगोया जाता है और हल्का ठंडा करके पिया जाता है। इस के अनेक औशधीय उपयोग हैं जैसे कि इन्फ्लुएंजा, एक्ने के उपचार में और ‘कूलिंग हर्ब’ के रूप में। पारंपरिक चीनी चिकित्सा पद्धति के अनुसार, चाय गले में खराश होने से रोकती है और बुखार को कम करती है।
कोरिया में इसे स्फूर्तिदायक पेय के रूप में जाना जाता है। पश्चिमी हर्बल चिकित्सा पद्धति में क्राइजैन्थिमम टी को परिसंचरण संबंधी रोगों जैसे कि वैरिकोज वेन्स और एथीरोएसक्लिरोसिस के उपचार में पिया जाता है। यह यकृत और आंखों को साफ करती है। तनाव के कारण होने वाले आंखों के दर्द में यह प्रभावी होती है और इसका उपयोग आंखों में होने वाले धुंधलेपन को दूर करने और आंखों के सामने आने वाले काले धब्बों के उपचार में भी होता है।
कैमोमिले टी के फायदे - Camomile Tea Benefits :
यह तनाव को कम करती है। कैमोमिले चाय पाचन संबंधी अनेक रोगों से छुटकारा दिलाती है। कैमोमिले चाय बच्चों के लिए अतिसार का भी एक प्रभावी उपचार है। इससे न केवल अतिसार के प्रभाव से शीघ्र मुक्त होने में सहायता मिलती है बल्कि रिकवरी भी बहुत जल्दी होती है। यह पेट में बनने वाली गैस और दर्द से भी मुक्त करती है। कैमोमिले हर्बल टी बच्चों को कॉलिक से आराम दिलाने में सहायक औषधि के रूप में भी जानी जाती है। अल्सर की वृद्धि को रोकने के लिए यह एक
लोकप्रिय इलाज है।
कैमोमिले टी नियमित रूप से पीने से शरीर में ग्लाइसिन नामक अमीनो अम्ल का स्तर बढ़ जाता है। ग्लाइसिन का बढ़ा स्तर स्त्रियों में मांसपेषियों को ढीला करके मासिक धर्म के दौरान होने वाले क्रैम्प्स में आराम पहुंचाता है। इसका अवसादक प्रभाव भी इसमें सहायक होता है। कैमोमिले का काढ़ा अनियमित मासिक चक्र को नियमित बनाने में सहायक होता है।
कैमोमिले चाय के और भी कई लाभ हैं। यह त्वचा के लिए बहुत लाभकारी होती है। चिकन पॉक्स, घावों, जले हुए घावों, खरोंचों, सनबर्न, रैषेज और खुजलीग्रस्त सूजी हुई त्वचा के उपचार के लिए इसका उपयोग किया जाता है। शोधों में देखा गया है कि इससे घाव बहुत जल्दी भरते हैं। कैमोमिले चाय के टीबैग बाजार में मिलने लगे हैं। बस ताजे उबले पानी में एक टीबैग डालें और थोड़ी देर पड़ा रहने दें और फिर थोड़ा सा षहद मिला कर पिएं और बहुत सी व्याधियों में राहत पाएं।
रूइबॉस टी के फायदे - Rooibos Tea Benefits :
रूइबॉस टी जिसे ‘रेड बुश’ टी के नाम से भी जाना जाता है, एक प्राकृतिक हर्ब होती है जिसका वैज्ञानिक नाम एसपैलेथस लाइनिएरिस है, दक्षिण अफ्रीका की सीडारबग पहाड़ियों में पायी जाती है। रेड टी के नाम से प्रचलित इस चाय में आयरन, कैल्सियम, जिंक, पोटैषियम और मैंगनीज प्रचुर मात्रा में होते हैं और यह अतितनाव से लेकर अवसाद और कमजोर अस्थियों तक के उपचार में लाभकारी होती है। चाय बनाने के लिए रेड बुश की पत्तियों को संसाधित किया जाता है। चाय बनाने की प्रक्रिया में ऑक्सीडेशन या किण्वन के समय ही इसमें लाल रंग आता है। रूइबॉस टी या रेड टी पूरी तरह कैफीन मुक्त होती है इसलिए बच्चों के लिए भी उपयुक्त होती है। इसमें चीनी डालने की भी जरूरत नहीं होती क्यों कि यह प्राकृतिक रूप से मीठी होती है।
रूइबॉस टी में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट एसपैलेथिन और नॉथोफेजिन होते हैं। एसपैलेथिन केवल रूइबॉस में ही पाया जाता है जबकि नॉथोफेजिन कई अन्य पौधों में भी पाया जाता है। इसमें कई फ्लेवोनॉयड भी पाए जाते हैं जो शरीर के लिए लाभदायक होते हैं। रूइबॉस चाय में पाए जाने वाले खनिज, तंत्रिका तंत्र और उपापचयी प्रक्रियाओं को स्वस्थ बनाए रखने के साथ साथ अस्थियों, दांतों और त्वचा को भी स्वस्थ बनाए रखते हैं। गुर्दे की पथरी से ग्रस्त लोगों के लिए रूइबॉस टी आदर्श होती है क्योंकि इसमें ऑक्सिलिक अम्ल नहीं होता।
ब्लैक टी और ग्रीन टी की तुलना में रूइबॉस टी में टैनिन अंश अपेक्षाकृत कम होता है जिससे शरीर द्वारा आयरन तथा अन्य खनिज के पाचन में समस्या नहीं आती और इनका अवषोशण सुगमता से होता है। अफ्रीका में इस चाय का उपयोग अनिद्रा, नर्वस तनाव, अतितनाव और सिरदर्द में भी किया जाता है। एक्जमा, अस्थमा और हे फीवर जैसी एलर्जियों के उपचार के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
चाइनीज हर्बल चाय के फायदे - Chinese Herbal Tea Benefits :
चीनी हर्बल चाय विशुद्ध रूप से चीन में पाई जाने वाली औशधीय षाकों का काढ़ा होता है। काले या गहरे भूरे रंग की इस चाय का स्वाद कुछ कड़वा या हल्का मीठा होता है। इस चीनी हर्बल चाय की विशेषता यह है कि इसके सभी घटक सीधे ही प्रकृति से प्राप्त किए जाते हैं और उनका उपयोग बिना किसी शुद्धिकरण या किसी भी रासायनिक प्रतिक्रिया के, किया जाता है। इसलिए एक तरह से चीनी हर्बल चाय प्रकृति की देन है।
ऐसा माना जाता है कि चीनी लोग रोगों के विरूद्ध सुरक्षा के लिए और अच्छे स्वास्थ्य की देखभाल के लिए प्रकृति की देन इस हर्बल चाय का उपयोग करते हैं। सूखे फूलों, पत्तियों, बीजों और जड़ों से बनी यह पूर्णतया प्राकृतिक चाय मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से स्वस्थ रहने में सहायक होती है।
यह इम्म्यूनिटी बढ़ाती है और बहुत से रोगों से बचाती है। अनिद्रा जैसे रोग का उपचार करती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण मानव शरीर पर सकारात्मक औषधीय प्रभाव डालते हैं। यह विश्वक बाजार में कूलिंग टी के नाम से भी मिलती हैं। यह चीन के अलावा मकाओ तथा हांगकांग में भी बहुत लोकप्रिय है।
जिंगको बाइलोबा टी के फायदे - Chinese Ginkgo Biloba Tea Benefits :
जिंगको वृक्ष के बीज और पत्तियों का उपयोग चीनी चिकित्सा पद्धति में सदियों से होता रहा है। जिंगको चाय तंत्रिका कोशिकाओं को नश्ट होने से बचाती है और मस्तिष्कय की ओर होने वाले रक्त प्रवाह को सही बनाती है जिसे अल्झेमिर रोग का प्रमुख कारण कहा जाता है। यह शरीर में भी रक्त परिसंचरण को सही बनाए रखने में सहायक होती है।
जिंगको चाय मधुमेह का उपचार करती है, रक्त परिसंचरण सही न होने के कारण होने वाले दर्द में आराम दिलाती है। संपूरक के रूप में, किसी को भी स्वस्थ रखने का यह एक वैज्ञानिक रूप से सिद्ध विकल्प है। विलक्षण गंध वाली यह चाय षहद के साथ और भी स्वादिष्टे लगती है। स्मृति को बढ़ाने के साथ साथ यह अवसाद, मूड स्विंग और उत्तेजना जैसे मानसिक रोगों का उपचार करती है।
प्रदाहरोधी गुणों वाली जिंगको चाय उच्च रक्तचाप को कम करने वाली होती है जिसके कारण शरीर में टॉक्सिन जमा हो जाते हैं। आज कल चिकित्सक भी मानसिक रोगियों को जिंगको चाय पीने की सलाह देते हैं। जिंगको की सूखी पत्तियां बाजार में मिलती हैं। अगर अपने पाचन को सही रखना चाहते हैं तो अपने दैनिक आहार में जिंगको को शामिल कीजिए।
नींबू की चाय के फायदे - Lemon Tea Benefits :
आजकल पार्टियों और समारोहों में नींबू की चाय का प्रचलन बढ़ गया है। चाय में नीबू के रस की कुछ बूंदें न केवल इसकी सुवास को बड़ा देती हैं बल्कि बहुत से स्वास्थ्य संबंधी लाभ भी प्रदान करती हैं। जैसे कि अगर आपकी नाक बंद है और आपको सांस लेने में कठिनाई हो रही है तो नीबू की चाय के सेवन से बंद नाक खुल जाती है। कैलोरी-मुक्त नीबू की चाय मोटापा कम करने का अच्छा विकल्प है।
नींबू के रस में मौजूद विटामिन सी, डी एन ए को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों से लड़ने में सहायता करता है। यह कैंसर और हृदय रोग से बचाता है और आंखों में मोतियाबिंद के विकास के खतरे को 80 प्रतिशत तक कम करता है। घावों को भरने के साथ साथ विटामिन सी दांतों और अस्थियों को भी मजबूती प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त, हमारे शरीर को त्वचा, रक्त वाहिनियां, टेंडन और कार्टिलेज बनाने के लिए आवष्यक प्रोटीन कॉलेजेन बनाने के लिए इस एंटीऑक्सीडेंट की जरूरत पड़ती है।
नींबू का रस फ्लेवोनॉयड क्वेरसेटिन का प्रमुख स्रोत होता है जो कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकता है और एपॉप्टॉसिस को बढ़ाने में सहायता करता है। यह विशेष रूप से कोलोन कैंसर को रोकने में सहायक होता है। जब शरीर में इंसुलिन सही मात्रा में नहीं बनता तो रक्त में शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है। नीबू में मौजूद एक यौगिक हेसपेरिडिन रक्त में शर्करा के स्तर को प्रभावित करने वाले एंजाइमों को नियंत्रित करता है। इसके अतिरिक्त हेसपेरिडिन कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को भी कम करता है।
हिबिस्कस टी के फायदे - Hibiscus Tea Benefits :
हिबिस्कस की चाय एक हर्बल चाय है जो हिबिस्कस सबडारिफा के फूलों के गहरे बैंगनी रंग के कैलिक्स से बनायी जाती है। इसे ठंडा या गर्म, दोनों तरह ही पिया जाता है। चाय में विटामिन सी और खनिज मौजूद होते हैं और पारंपरिक रूप से इसका उपयोग हल्की औषधि के रूप में होता है। पष्चिमी सूडान में इसे तिक्त स्वाद के लिए पसंद किया जाता है और अतिथियों के सम्मुख परोसा जाता है। हिबिस्कस की चाय में 15-30 प्रतिशत कार्बनिक अम्ल जैसे कि साइट्रिक अम्ल, मेलिक अम्ल और टारटेरिक अम्ल होते हैं। इसमें पाए जाने वाले फ्लेवोनॉयड इसे अभिलाक्षणिक गहरा लाल रंग देते हैं। देखा गया है कि हिबिस्कस की चाय पीने से टाइप 2 डायबिटीज के रोगियों में उच्च रक्तचाप में कमी आती है।
हिबिस्कस की चाय पीने के प्रभाव की तुलना रक्तचाप के उपचार से की जाती है। इसमें मौजूद एन्थोसायनिन या एंटीऑक्सीडेंट हमारे शरीर को मुक्त मूलकों (ऐसे क्षयकारी अणु जो हमारी कोशिकाओं और डीएनए को क्षति पहुंचा सकते हैं) से सुरक्षित रखने में सहायक होते हैं और इनमें अल्झेमिर, पार्किन्सन्स, बंध्यता, जराजन्यता और मोटापे से लड़ने की क्षमता भी होती है। उच्च एंटीऑक्सीडेंट वाले आहार और पेय हमारे शरीर को बीमारियों, वृद्धावस्था के लक्षणों और मोटापे से बचाने के लिए जरूरी होते हैं। ऐसे में एक कप हिबिस्कस चाय शरीर में एंटीऑक्सीडेंट की सही मात्रा बढ़ाने के लिए सबसे सरल और प्रभावी उपाय है।
रोज़ टी के फायदे - Rose Tea Benefits :
रोज टी जिसे अकसर रोज बड टी भी कहते हैं, गुलाब के सूखे फूलों से बनायी जाती है। गुलाब की चाय बनाने के लिए पंखुड़ियों के सफेद वाले निचले भाग को कड़वा स्वाद होने के कारण निकाल दिया जाता है। प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट में प्रचुर गुलाब की चाय विटामिन सी का भी प्राकृतिक स्रोत होती है। एक कप गुलाब की चाय में एक संतरे से 25 प्रतिशत अधिक विटामिन सी होता है। विटामिन सी एक प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट होता है जो टॉक्सिन और मुक्त मूलकों के संपर्क में आने के परिणामस्वरूप होने वाली क्षति को रोकता है। ऐसी क्षति जिसके कारण बुढ़ापा तेजी से आने लगता है। विटामिन सी प्रतिरक्षी तंत्र को सहायता प्रदान करता है और त्वचा तथा बालों के लिए आवश्य्क प्रोटीन कोलेजन को बनाने में भी सहायक होता है।
गुलाब की पंखुड़ियों में पॉलीफिनाल काफी मात्रा में होते हैं। ये जल-विलेय पॉलीफिनाल कार्डिओवैस्कुलर रोगों को रोकने के साथ साथ ऑस्टिओपोरेसिस एवं कैंसर को रोकने में सहायक होते हैं। गुलाब के मूत्रल प्रभाव का कारण इसमें मौजूद विटामिन सी, पेक्टिन, मेलिक और साइट्रिक अम्ल होते हैं। ये शरीर से विषैले पदार्थों और उष्माक को निकाल कर शरीर को शीतल करते हैं। गुलाब की चाय गले की खराश, बहती नाक और बंद हो गई श्वासन नलिकाओं में भी राहत पहुंचाती है।
रोज टी श्वकसन तंत्र और पाचन तंत्र के संक्रमण से लड़ने में सहायक होती है और आंतों में सामान्य जीवाणुओं को पुनरस्थापित करती है। यह अतिसार, पेचिश और गैस्ट्रोएन्टराइटिस का अद्भुत उपचार है। यह यकृत और पित्ताशय को साफ कर बाइल के प्रवाह को बढ़ाती है। इसका उपयोग अनियमित मासिक चक्र और बंध्यता के उपचार के लिए भी किया जाता है। तंत्रिका तंत्र पर इसका प्रभाव अनिद्रा, अवसाद और थकान से आराम दिलाता है।
सिनामोन टी के फायदे - Cinnamon Tea Benefits :
सिनामोन टी का आनंद विशुद्ध सिनामोन चाय के रूप में या दूसरी चायों के साथ मिला कर भी लिया जा सकता है। सिनामोन टी षरीर ही नहीं दिमाग के लिए भी स्फूर्तिदायक होती है। सिनामोन या दालचीनी की चाय बैड कॉलेस्ट्रॉल को कम करके हृदय को सुरक्षित रखती है। यह विषाणुरोधी, जीवाणुरोधी और कवकरोधी गुणों से भरपूर होती है इसलिए जुकाम और फ्लु के विशाणुओं से लड़ती है, हानिकारक जीवाणुओं की वृद्धि को रोकती है और कैन्डिडा अल्बिकेंस जैसे कवक संक्रमणों से सुरक्षित रखती है। इसे अपने प्रदाहरोधी गुणों के कारण भी जाना जाता है।
सिनामोन चाय अनेक रोगों से लड़ने का एक प्राकृतिक एवं स्वादिश्ट उपाय है। इसमें अन्य मसालों और शाकों की अपेक्षा कहीं अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं जो अनेक दीर्घकालिक रोगों जैसे कैंसर, गठिया, संधिवात, डायबिटीज आदि से रक्षा करते हैं। सिनामोन रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाता है और वेरीकोज वेन्स से लेकर संधि षोथ तक में आराम पहुंचाता है। आजकल सिनामोन टी की ख्याति वेट-लॉस टी के रूप में बढ़ रही है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट उपापचय को न केवल बढ़ाते हैं बल्कि पाचन तंत्र भी सही तरीके से काम करता है। यह रक्त में शर्करा के स्तर को भी सही बनाए रखने में सहायक होते हैं।
लैवेंडर टी के फायदे - Lavender Tea Benefits :
लैवेंडर को सदियों से एफ्रोडायसिएक (कामोद्दीपक) के रूप में जाना जाता है और यह आज भी विश्वए में लोगों का सबसे मनपसंद सेंट है। लेकिन इस पर हुए शोध से पता लगा है कि इसमें दर्दनिवारक, एंटीसेप्टिक, कफ निस्सारक, अवसादरोधी, और शामक गुण भी होते हैं। लैवेंडर का उपयोग अनिद्रा, अमाशयी संक्रमण के निवारण, और उत्तेजना के उपचार में किया जाता है। ब्रिटिश हर्बल फार्माकोपिया में लैवेंडर को उदरवायु, कॉलिक और सिरदर्द में उपयोगी बताया गया है तो अनेक आधुनिक चिकित्सक मीनोपॉज में माइग्रेन के उपचार में इसका उपयोग करते हैं।
स्पेन में, लैवेंडर को चाय में डायबिटीज और इंसुलिन प्रतिरोध के उपचार के लिए मिलाया जाता है। लैवेंडर की चाय श्वयसन तंत्र विशेष रूप से कफ, कोल्ड और इन्फ्लुएंजा में लाभकारी होती है। बलगम से फंसे फेफड़ों और साइनसों को खोल कर सांस लेना आसान बनाती है। वायुजनित वाइरसों से तंत्र की रक्षा करती है। थके हुए दिमाग को तरोताजा कर तनाव को कम करती है। गठिया के कारण जाम हो गए जोड़ों में आराम पहुंचाती है।
लैवेंडर टी बनाने के लिए इसके सूखे फूलों को सात से 10 मिनट तक उबले हुए पानी में भिगोया जाता है और फिर छान कर, शहद मिला कर पिया जाता है। लैवेंडर टी का, इसमें मौजूद वाष्पीशील तेलों के कारण आंत्र रोगों और अपाचन में प्रशमनकारी प्रभाव होता है। लैवेंडर में तंत्रिका तंत्र की कैल्शियम चैनलों को ब्लॉक करने की क्षमता भी होती है जो ऐंठन और मरोड़ के लिए उत्तरदायी होती हैं।
चाय के नुकसान :
चाय की हर चुस्की, जिसमें अनेक बहुमूल्य तत्व एवं स्वास्थ्यवर्धक पदार्थ शामिल हैं, हमें ताज़गी देते हैं। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, पॉलीफिनॉल, कैफीन इत्यादि की उपस्थिति के कारण इसका प्रत्येक घूंट कड़कदार स्वाद के साथ हमारे मस्तिष्क को भीनी-भीनी खुशबू एवं ताज़गी प्रदान करता है। यही सब कारण इसे हम सबका लोकप्रिय पेय भी बनाते हैं लेकिन इतने सारे लाभकारी प्रभावों के बावजूद चाय के कुछ पार्श्वै प्रभाव भी होते हैं। जैसे कि चाय की कोई भी किस्म हो उसमें थोड़ी मात्रा में कैफीन अवश्यं मौजूद होती है जो अनिद्रा को प्रेरित करती है। इसी प्रकार चाय की एंटीऑक्सीडेंट क्रिया शरीर की आहार में मौजूद आयरन के उपयोग करने की क्षमता को घटाती है। लेकिन जो भी हो, चाय का अपना एक चमत्कारी प्रभाव होता है। चाय स्वस्थ जीवन शैली का हिस्सा है और चाय के नुकसान की तुलना में चाय पीने के फायदे कहीं ज्यादा हैं।
लेखिका परिचय:

डॉ. विनीता सिंघल देश की प्रतिष्ठित विज्ञान संचारक हैं। आपकी विभिन्न विषयों पर 35 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। साथ ही आपने 20 से अधिक पुस्तकों का सम्पादन व इतनी ही पुस्तकों को अनुवाद भी किया है। आप पूर्व में 'विज्ञान प्रगति' एवं 'साइंस रिपोर्टर' जैसी पत्रिकाओं की सह सम्पादक रह चुकी हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं एवं आकाशवाणी से आपके 700 से अधिक लेख प्रकाशित/प्रसारित हो चुके हैं। विज्ञान संचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय योागदान के लिए आपको 'आत्माराम पुरस्कार' सहित देश के अनेक प्रतिष्ठित सम्मान/पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं।
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Bahut khub jankari hai thanks U
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