आसमानी बिजली या तड़ित झंझा के दौरान उत्पन्न विद्युत आवेश का तापमान सूर्य के सतही तापमान से लगभग 4 गुना अधिक हो सकता है। पूरे विश्व में ...
आसमानी बिजली या तड़ित झंझा के दौरान उत्पन्न विद्युत आवेश का तापमान सूर्य के सतही तापमान से लगभग 4 गुना अधिक हो सकता है। पूरे विश्व में प्रतिदिन औसतन बिजली चमकने की 8,64,000 घटनाएं घटित होती हैं और प्रतिवर्ष यह आसमानी कहर एक हजार से अधिक व्यक्तियों की जान ले लेता है।
आसमानी आफत - तड़ित झंझा
-नवनीत कुमार गुप्ता
बारिश के दौरान काले-कजरारे बादलों के बीच में हमें प्रकाश की तेज चमक दिखाई देती है जिसे हम बिजली, आसमानी बिजली, वायुमंडलीय विद्युत या तड़ित झंझा कहते हैं। यूं तो तड़ित या बिजली अंधेरे में चमकती हुई बड़ी सुन्दर और रोमांचकारी दिखाई देती है, लेकिन जब यह धरती पर पहुंचती है, तब इसके कारण जान-माल की हानि भी हो सकती है। बिजली का कड़कना एक प्राकृतिक घटना है, जिसकी प्रचंडता इसे प्राकृतिक आपदा की श्रेणी में रखती है। बिजली गिरने या तड़ित झंझा से कुछ ही पलों में को भारी नुकसान हो सकता है। इस प्राकृतिक आपदा से कुछ ही क्षणों में जीवों की मृत्यु हो सकती है।
आसमानी बिजली कैसे बनती है ?
जब ठंडी हवा संघनित होकर बादल बनाती है तब इन बादलों के अंदर गर्म हवा की गति और नीचे ठंडी हवा के होने से बादलों में धनावेश ऊपर की ओर एवं ऋणावेश नीचे की ओर होता है। बादलों में इन विपरीत आवेशों की आपसी क्रिया से विद्युत आवेश उत्पन्न होता है। इस प्रकार आसमानी बिजली/तडित झंझा की उत्पत्ति बादलों में उपस्थित धनावेश और ऋणावेश की क्रियाओं से होती है। बादलों के अंदर की विद्युत आवेश की मात्रा को फिल्ड मिल नामक एक यंत्र की सहायता से मापा जाता है। यह घटना अधिकतर कपासी बादलों से संबंधित होती है लेकिन कपासी बादलों से संबंधित अन्य घटनाओं जैसे, टारनेडो, आकस्मिक बाढ़ और ओलावृष्टि की तुलना में तड़ित से अल्प समय में अधिक नुकसान होता है ।
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बादलों की टकराहट या उनमें उपस्थित जल कणों के आपस से टकराने के कारण बादलों से जोर की आवाज आती है जिसे बादलों की गड़गडाहट या गर्जना भी कहते हैं। आसमानी बिजली/तड़ित झंझा के साथ बादलों से बहुत तेज आवाज आती है। दिलचस्प बात यह है कि यह दोनों घटनाएं साथ-साथ हों तो भी हमें विद्युत की चमक पहले दिखाई देती है, और बादलों की गर्जना बाद में। इसका कारण यह है कि प्रकाश की गति ध्वनि की गति से अधिक होती है। जिसके कारण ही हमें विद्युत की चमक के कुछ क्षणों बाद बादलों की गर्जना सुनाई देती हे। आसमानी बिजली/तड़ित झंझा की अधिकतर घटनाएं किसी पेड़ या बिजली के खंबे के आसपास होती हैं।
बादलों के अंदर उत्पन्न आवेश धरती की ओर आता है, तब इससे भवन अैर विद्युत उपकरण (टेलीफोन, कम्प्यूटर आदि) क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। आसमानी बिजली/तड़ित झंझा के गिरने पर बहुत अधिक मात्रा में विद्युत निरावेश धरती में पहुंचता है। बादलों के अंदर विद्युत आवेश की मात्रा अधिक होने पर वह तड़ित का रूप ले लेती है और एक निश्चित सीमा से अधिक होने पर इसके पृथ्वी पर गिरने की संभावना बढ़ जाती है। धातुएं विद्युत की अच्छी चालक होती हैं, इसलिए इस घटना के दौरान विद्युत उपकरणों के क्षतिग्रस्त होने का घतरा अधिक रहता है। इसमें कुछ हजार से लेकर करीबन दो लाख एम्पियर तक का धारा प्रवाह हो सकता है।
अमेरिका में तड़ित झंझा की घटनाएं अधिक होती हैं। यहां के फ्लोरिडा शहर को ‘विश्व की तड़ित झंझा राजधानी’ नाम से भी पहचाना जाता है। हमारे देश में भी मानसून के समय तड़ित झंझा की सैकड़ों घटनाएं घटित होती है। प्रतिवर्ष इस घटना से कुछ लोगों की मौत भी होती है। घटना से कुछ लोगों की मौत भी होती है। तड़ित झंझा से जान जाने के अलावा विद्युत उपकरणों के क्षतिग्रस्त होने का भी खतरा रहता है।
सन् 1990 में तड़ित द्वारा जम्मू में विद्युत टेलीफोन एक्सचेंच के कई यंत्र इस आपदा से खराब हो गए थे। तड़ित झंझा के कारण आग लगने से वर्ष 1991 में मध्य प्रदेश की एक सरकारी बैंक के महत्वपूर्ण दस्तावेज जल गए थे। तड़ित झंझा के कारण कई बार वनों में आग लगने से वन संपदा को भारी नुकसान होने के साथ ही हजारो निर्दोष जानवर भी बेमौत मारे जाते हैं। एक अनुमान के अनुसार भारत में प्रत्येक वर्ष तड़ित झंझा के कारण 1755 लोगों को मौत होती है। भारत के 12 राज्यों में इसका खतरा अधिक होता है।
आसमानी बिजली से बचने के लिए क्या करें?
बिजली चमकने के दौरान किसी अनहोनी से बचने के लिए कुछ सावधनियां बरती जाना चाहिए। जैसेः-
1. इस दौरान जंगल में पेड़ के नीचे न खड़े हो ।
2. बिजली के खंबों और वृक्षों से दूर रहें ।
3. धात्विक वस्तुओं से भी दूरी बनाए रखें।
4. विद्युत उपकरणों का उपयोग न करें।
5. आपातस्थिति को छोड़कर मोबाइल, टेलीफोन का उपयोग नहीं करें।
6. जंगल में होने पर निचले स्थान या घाटी क्षेत्र में रहें, लेकिन वहां आकस्मिक बाढ़ से भी सावधन रहें।
7. किसी पहाड़ी की चोटी पर खड़े न रहें।
8. किसी जल स्रोत में तैर या नहा रहे हों तो उससे निकल कर भूमि पर आ जाएं।
9. यदि आपके सिर के बाल खड़े हो रहे हों तो आपके आसपास खतरा हो सकता है। किसी अनहोनी से बचने के लिए अपने हाथों से बालों को ढ़क कर सिर को घुटनों में छुपा लें।
10. विद्युत से बचाव के लिए भवनों, सार्वजनिक इमारतों के ऊपर तड़ित चालक लगवाना चाहिए।
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लेखक परिचय:
नवनीत कुमार गुप्ता पिछले दस वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि जनसंचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं। आपकी विज्ञान संचार विषयक लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा इन पर गृह मंत्रालय के ‘राजीव गांधी ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' सहित अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। आप विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ से सम्बंद्ध हैं। आपसे निम्न मेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है:
नवनीत कुमार गुप्ता पिछले दस वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि जनसंचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं। आपकी विज्ञान संचार विषयक लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा इन पर गृह मंत्रालय के ‘राजीव गांधी ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' सहित अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। आप विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ से सम्बंद्ध हैं। आपसे निम्न मेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है:
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