Monkeypox Symptoms and Treatment in Hindi
मंकीपॉक्स : एक नया स्वास्थ्य खतरा
-डॉ कृष्णा नन्द पाण्डेय
अभी दुनिया कोविड-19 के कहर से पूरी तरह उबरी नहीं है, इसी बीच कई देशों में मंकीपॉक्स के प्रकोप की घटनाएं प्रकाश में आ रही हैं। विशेष बात यह है कि उन देशों में इससे पहले मंकीपॉक्स संक्रमण की उपस्थिति नहीं थी। दिनांक 13 मई, 2022 से विश्व स्वास्थ्य संगठन के 12 सदस्य देशों में मंकीपॉक्स वायरस monkeypox virus के मामले प्रकाश में आए हैं। दिनांक 21 मई, 2022 तक विश्व में मंकीपॉक्स से संक्रमित 92 मामलों में इसके वायरस की पुष्टि हुई है और कुल 28 व्यक्तियों में इसकी संदिग्ध उपस्थिति पाई गई है।
इस वायरस का नाम पहली बार मंकीपॉक्स वर्ष 1958 में दिया गया जब अनुसंधान के लिए रखे गए बंदरों के रोग ग्रस्त होने के परिणामस्वरूप इसके दो प्रकोप घटित हुए थे। हालांकि, ये वायरस बंदरों से मनुष्यों में सीधे नहीं पहुंचे थे और न ही इस रोग के लिए बंदर मुख्य वाहक होते हैं। मंकीपॉक्स वायरस monkeypox virus इसलिए भी चिंता का विषय है कि प्राकृतिक रूप से इसके होस्ट रोडेंट्स और अन्य जंतुओं के होने के कारण इसका उन्मूलन असंभव है। समय के साथ मंकीपॉक्स वायरस में किस तरह के परिवर्तन होंगे इसकी कोई जानकारी नहीं है। परंतु वायरस पर शोध करने वाले विशेषज्ञों के लिए यह चिंता का विषय है कि यदि इस वायरस में उत्परिवर्तन यानी म्यूटेशन होने के बाद एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल गया तो विश्व के बहुत बड़े भाग में तबाही आ जाएगी। ऑर्थोपॉक्सवायरस सहित 60% से अधिक रोगजनों यानी पैथोजंस की उत्पत्ति दूसरे पृष्ठधारी यानी वर्टीब्रेट जंतुओं में हुई है।
मंकीपॉक्स वायरस अपने नाम के विपरीत मूषकों, गिलहरियों और अन्य जंगली रोडेंट्स में पाए जाते हैं। चूंकि, मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण monkeypox infection के लक्षण स्मॉलपॉक्स के लक्षणों से काफी मिलते-जुलते हैं, इसलिए इसे स्मॉलपॉक्स वायरस का नजदीकी माना जाता है। इसके प्रकोप ज्यादातर मध्य अफ्रीका में पाए गए परंतु वर्ष 2003 में संयुक्त राज्य अमेरिका में तथा 2006 में सूडान में इसके संक्रमण दर्ज किए गए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वर्ष 1970 से 11 अफ्रीकी देशों में मंकीपॉक्स के मामले दर्ज किए गए, जिसमें नाइजीरिया में वर्ष 2017 से इसके बड़े प्रकोप देखने को मिल रहे हैं। हाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इसके 12 सदस्य देशों में 13 से 21 मई, 2022 के बीच मंकीपॉक्सवायरस के 92 पुष्ट मामलों और 28 संदिग्ध मामलों की पहचान की गई। यूरोप में 7 मई, 2022 को मंकीपॉक्सवायरस से पीड़ित पहला रोगी प्रकाश में आया जिसने नाइजीरिया से इंग्लैंड की वापसी की यात्रा की थी। हालांकि, मंकीपॉक्सवायरस के ज्यादातर रोगियों ने अफ्रीका महाद्वीप की यात्रा नहीं की थी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मंकीपॉक्सवायरस के एक रोगी को छोड़कर अन्य सभी ने इसकी उपस्थिति वाले क्षेत्रों से यात्रा नहीं की थी। ज्यादातर मामले पुरुष से यौन संबंध रखने वाले पुरुषों में पाए गए, जिन्होंने चिकित्सा सेवाओं के लिए संपर्क किया था। इससे संकेत मिलता है कि इसका संचरण काफी पहले से होता आ रहा है। ब्रिटेन में मंकीपॉक्सवायरस से संक्रमित सभी पुरुषों के समलिंगी यौनाचार में लिप्त होने की जानकारी मिली थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वैज्ञानिक अलग-अलग मामलों से रोगियों से प्राप्त वायरस की सीक्वेंसिंग यानी अनुक्रम निर्धारण का अध्ययन कर रहे हैं जिससे उनमें किसी तरह के संबंध, यदि कोई हो, का पता लगाया जा सके।
मंकीपॉक्स वायरस का संचरण monkeypox infection किसी संक्रमित व्यक्ति अथवा जंतु के संपर्क में आने अथवा इस वायरस से सन्दूषित किसी सतह को छूने से इस वायरस का संचरण हो सकता है। शरीर में किसी वायरस का प्रवेश कटी हुई त्वचा, सांस लेने, आंख, नाक या मुंह की म्यूकस मेंब्रेन के माध्यम से होता है। मंकीपॉक्सवायरस से संक्रमित व्यक्ति के कपड़ों, बिस्तर अथवा टावेल छूने से संक्रमित होने का खतरा होता है। संक्रमित व्यक्ति की त्वचा पर पड़े फफोलों को छूने, उसकी खासी अथवा छींक के समीप रहने, आदि जैसी स्थितियों में भी इससे संक्रमित होने का खतरा होता है। हालांकि, किसी नए माध्यम से मंकीपॉक्सवायरस का संभावित संचरण स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए चिंता की बात है। यह संक्रमण कहां और कैसे होता है इसे ज्ञात करने के लिए शोध अध्ययन जारी हैं।
क्या है मंकीपॉक्स? What is monkeypox virus?
मंकीपॉक्स कोई नई बीमारी नहीं है। मानव में इसका पहला मामला वर्ष 1970 में प्रकाश में आया था जब डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में स्मॉलपॉक्स के एक संदिग्ध बालरोगी में इस वायरस को पृथक किया गया था। मंकीपॉक्स से एक दूसरी वैश्विक महामारी का खतरा नहीं है, लेकिन कोविड-19 वैश्विक महामारी को ध्यान में रखकर इसके एक दूसरे मुख्य प्रकोप का खतरा समझ में आता है। यद्यपि, इसकी व्यापकता सामान्य न होकर आमतौर पर मन्द रूप में होती है परंतु मंकीपॉक्स के एक गंभीर रूपधारण की संभावना बनी हुई है। स्वास्थ्य अधिकारियों की चिंता है कि यात्रा में बढ़ोतरी के साथ इसके अधिक मामले प्रकाश में आएंगे।मंकीपॉक्स वायरस Monkeypox virus
मंकीपॉक्स रोग के लिए मंकीपॉक्स वायरस monkeypox virus जिम्मेदार है जो वायरस के पॉक्सविरिडी कुल के अंतर्गत ऑर्थोपॉक्सवायरस नामक एक उपकुल का सदस्य है। इस कुल में स्मालपॉक्स, वैक्सीनिया और काऊपॉक्स वायरेसेज़ सम्मिलित हैं। मंकीपॉक्स वायरस के रिज़र्वायर के रूप में किसी जंतु के विषय में जानकारी नहीं है परंतु आशंका है कि इसके संचरण में अफ्रीकी कृन्तकों यानि रोडेंट्स की भूमिका हो सकती है। प्रकृति में जंतुओं से केवल दो बार ही मंकीपॉक्स वायरस को पृथक किया गया है।इस वायरस का नाम पहली बार मंकीपॉक्स वर्ष 1958 में दिया गया जब अनुसंधान के लिए रखे गए बंदरों के रोग ग्रस्त होने के परिणामस्वरूप इसके दो प्रकोप घटित हुए थे। हालांकि, ये वायरस बंदरों से मनुष्यों में सीधे नहीं पहुंचे थे और न ही इस रोग के लिए बंदर मुख्य वाहक होते हैं। मंकीपॉक्स वायरस monkeypox virus इसलिए भी चिंता का विषय है कि प्राकृतिक रूप से इसके होस्ट रोडेंट्स और अन्य जंतुओं के होने के कारण इसका उन्मूलन असंभव है। समय के साथ मंकीपॉक्स वायरस में किस तरह के परिवर्तन होंगे इसकी कोई जानकारी नहीं है। परंतु वायरस पर शोध करने वाले विशेषज्ञों के लिए यह चिंता का विषय है कि यदि इस वायरस में उत्परिवर्तन यानी म्यूटेशन होने के बाद एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल गया तो विश्व के बहुत बड़े भाग में तबाही आ जाएगी। ऑर्थोपॉक्सवायरस सहित 60% से अधिक रोगजनों यानी पैथोजंस की उत्पत्ति दूसरे पृष्ठधारी यानी वर्टीब्रेट जंतुओं में हुई है।
मंकीपॉक्स वायरस अपने नाम के विपरीत मूषकों, गिलहरियों और अन्य जंगली रोडेंट्स में पाए जाते हैं। चूंकि, मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण monkeypox infection के लक्षण स्मॉलपॉक्स के लक्षणों से काफी मिलते-जुलते हैं, इसलिए इसे स्मॉलपॉक्स वायरस का नजदीकी माना जाता है। इसके प्रकोप ज्यादातर मध्य अफ्रीका में पाए गए परंतु वर्ष 2003 में संयुक्त राज्य अमेरिका में तथा 2006 में सूडान में इसके संक्रमण दर्ज किए गए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वर्ष 1970 से 11 अफ्रीकी देशों में मंकीपॉक्स के मामले दर्ज किए गए, जिसमें नाइजीरिया में वर्ष 2017 से इसके बड़े प्रकोप देखने को मिल रहे हैं। हाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इसके 12 सदस्य देशों में 13 से 21 मई, 2022 के बीच मंकीपॉक्सवायरस के 92 पुष्ट मामलों और 28 संदिग्ध मामलों की पहचान की गई। यूरोप में 7 मई, 2022 को मंकीपॉक्सवायरस से पीड़ित पहला रोगी प्रकाश में आया जिसने नाइजीरिया से इंग्लैंड की वापसी की यात्रा की थी। हालांकि, मंकीपॉक्सवायरस के ज्यादातर रोगियों ने अफ्रीका महाद्वीप की यात्रा नहीं की थी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मंकीपॉक्सवायरस के एक रोगी को छोड़कर अन्य सभी ने इसकी उपस्थिति वाले क्षेत्रों से यात्रा नहीं की थी। ज्यादातर मामले पुरुष से यौन संबंध रखने वाले पुरुषों में पाए गए, जिन्होंने चिकित्सा सेवाओं के लिए संपर्क किया था। इससे संकेत मिलता है कि इसका संचरण काफी पहले से होता आ रहा है। ब्रिटेन में मंकीपॉक्सवायरस से संक्रमित सभी पुरुषों के समलिंगी यौनाचार में लिप्त होने की जानकारी मिली थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वैज्ञानिक अलग-अलग मामलों से रोगियों से प्राप्त वायरस की सीक्वेंसिंग यानी अनुक्रम निर्धारण का अध्ययन कर रहे हैं जिससे उनमें किसी तरह के संबंध, यदि कोई हो, का पता लगाया जा सके।
मंकीपॉक्स वायरस का संचरण monkeypox infection किसी संक्रमित व्यक्ति अथवा जंतु के संपर्क में आने अथवा इस वायरस से सन्दूषित किसी सतह को छूने से इस वायरस का संचरण हो सकता है। शरीर में किसी वायरस का प्रवेश कटी हुई त्वचा, सांस लेने, आंख, नाक या मुंह की म्यूकस मेंब्रेन के माध्यम से होता है। मंकीपॉक्सवायरस से संक्रमित व्यक्ति के कपड़ों, बिस्तर अथवा टावेल छूने से संक्रमित होने का खतरा होता है। संक्रमित व्यक्ति की त्वचा पर पड़े फफोलों को छूने, उसकी खासी अथवा छींक के समीप रहने, आदि जैसी स्थितियों में भी इससे संक्रमित होने का खतरा होता है। हालांकि, किसी नए माध्यम से मंकीपॉक्सवायरस का संभावित संचरण स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए चिंता की बात है। यह संक्रमण कहां और कैसे होता है इसे ज्ञात करने के लिए शोध अध्ययन जारी हैं।
मंकीपॉक्स संक्रमण के लक्षण Monkeypox symptoms
एक बार यह वायरस शरीर में प्रवेश कर जाने के बाद अपनी संख्या बढ़ाना शुरू कर देता है और रक्त प्रवाह के माध्यम से पूरे शरीर में फैलने ने लगता है। आमतौर पर संक्रमण के 1 से 2 सप्ताह तक इसके लक्षण नहीं उभरते हैं। मंकीपॉक्स संक्रमण monkeypox infection की स्थिति में त्वचा पर स्मालपॉक्स जैसे फफोले पड़ते हैं, परंतु इसके लक्षण स्मालपॉक्स से मंद होते हैं। शुरुआत में आमतौर पर फ्लू जैसे लक्षण उभरने के साथ बुखार, सिर दर्द से लेकर सांस लेने में कठिनाई जैसी स्थितियां पैदा हो जाती हैं। एक से 10 दिनों के बाद शरीर के आखरी हिस्सों, सिर, गर्दन पर चकत्ते पड़ने के बाद हाथों, चेहरे, उंगलियों, आदि पर फफोले पड़ कर उनमें पस जमा हो जाता है। प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान पत्रिका ’साइंटिफिक अमेरिकन’ के ताजा अंक के अनुसार मंकीपॉक्स के लक्षण monkeypox symptoms सामान्यतया 2 से 4 सप्ताह तक बने रहते हैं जबकि त्वचा के फफोलों को ठीक होने में 14 से 21 दिन लग जाते हैं। यद्यपि, मंकीपॉक्सवायरस का संक्रमण जानलेवा नहीं होता, परंतु कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे संक्रमित लगभग 10% लोग मौत का शिकार होते हैं। वर्तमान में यह वायरस कमजोर माना जा रहा है, जिससे मौत की दर 1% से भी कम है।वैक्सीन और इलाज Monkeypox symptoms and treatment
मंकीपाॅक्स का इलाज monkeypox treatment मुख्यतया लक्षणों को दूर करने पर केंद्रित होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल यानी सीडीसी के अनुसार मंकीपॉक्स संक्रमण का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। उपलब्ध प्रमाण से संकेत मिलता है कि स्मालपॉक्स की वैक्सीन से मंकीपॉक्स संक्रमण को रोका जा सकता है और उसके लक्षणों को गंभीर होने से बचाया जा सकता है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के अनुसार इस वायरस से संक्रमित होने के बाद टीकाकरण रोग के गंभीर होने के खतरे को कम करने में सहायक होता है। वर्तमान में सीडीसी द्वारा केवल उन लोगों को स्मालपॉक्स के टीकाकरण की सिफारिश की जाती है जो मंकीपॉक्स से संक्रमित हों, अथवा जिन्हें इससे संक्रमित होने की संभावना है।मंकीपॉक्सवायरस के संक्रमण से बचाव Monkeypox prevention
विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है की अफ्रीकी देशों के अलावा जिन देशों में मंकीपॉक्सवायरस की उपस्थिति नहीं पाई गई है, वहां आवश्यक सावधानियां अपनाकर इसके संचरण को रोका जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अंतर्गत ग्लोबल इनफेक्शियस हैजा़र्ड प्रिपेयर्डनेस की निदेशक सिलवी ब्रायंड ने हाल ही में सभी देशों से आह्वान किया है कि मंकीपॉक्सवायरस के संचरण के साथ-साथ जिन देशों में इसकी उपस्थिति है, उसके स्तर की सघन निगरानी की जानी आवश्यक है। जर्मनी ने अपने यहां इसके संभावित प्रकोप से निपटने के लिए स्मॉलपॉक्स के लिए प्रयुक्त वैक्सीन (monkeypox vaccine) की 40,000 खुराकों की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है जो मंकीपॉक्सवायरस के विरुद्ध भी कारगर है। जर्मन स्वास्थ्य अधिकारियों का तो मानना यह भी है कि जिन लोगों ने स्मालपॉक्स के वैश्विक उन्मूलन के दौरान प्रयुक्त वैक्सीन से टीकाकरण कराया है उनमें इसके विरुद्ध इम्यूनिटी हो सकती है। परंतु उनका यह भी मानना है कि उस पुरानी चिकित्सा से कई साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिले थे, इसलिए आज मंकीपॉक्स से लड़ने के लिए वह उपयुक्त नहीं है। हवाई अड्डों पर आने वाले विदेशी यात्रियों, विशेषतया मंकीपॉक्स की उपस्थिति वाले अफ़्रीकी देशों से आने वाले यात्रियों पर सघन निगरानी से अपने देश में इस वायरस के प्रवेश को रोका जाना संभव है, और हमारे देश में इससे बचाव के सभी तरीके अपनाए भी जा रहे हैं, साथ ही कोविड 19 के दौरान अपनाई गईं सावधानियां इससे भी बचाने में कारगर होंगी।
-लेखक परिचय-

डॉ. कृष्णा नन्द पाण्डेय वरिष्ठ विज्ञान लेखक और 'आईसीएमआर पत्रिका' के पूर्व सम्पादक हैं। आपके वैज्ञानिक आलेख नियमित रूप से पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। आपको डॉ गोरख प्रसाद विज्ञान पुरस्कार सहित अनेक पुरस्कार/सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। डॉ. कृष्णा नन्द पाण्डेय से निम्न मेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है: knpandey@gmail.com
keywords: monkeypox virus, monkeypox virus prevention, monkeypox virus symptoms, monkeypox india, monkeypox cases in india, monkeypox symptoms, monkeypox treatment, monkeypox disease, monkeypox infection
COMMENTS