How long do peacocks live?
मोर की लंबी उम्र का राज़
-नवनीत कुमार गुप्ता
मोर भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। यह पक्षी भारत की समाजिक और सांस्कृतिक इतिहास का अभिन्न अंग रहा है। इस पक्षी के अनेक विशेषताएं इसे विशिष्ट बनाती है। इसकी विशेषताओं में इसकी सुंदरता सबसे अधिक चर्चा का विषय रही है। असल में भारतीय साहित्य मोर की सुंदरता से भरा हुआ है। लेकिन अधिकांश प्रजातियों से अलग इस प्रजाति में नर मादा की अपेक्षा अधिक सुंदर होता है और उसकी सुंदरता का कारण है उसके पंख। जिसे पूंछ भी कहा जाता है।नर मोर या मयूर अपनी पूंछ के लिए जाना जाता है उसकी यह विशाल पूंछ लगभग दो मीटर लंबाई की होती है। यह रंगीन पूंछ संभोग के साथ-साथ सुरक्षा के लिहाज से भी महत्वपूर्ण होती है। जब नर मोर को किसी को डराना होता है तो वह अपने शरीर को बड़ा दिखाने के लिए अपनी पूंछ को ऊपर उठा कर फैला लेता है, इससे शिकारी डर कर भाग जाता है। वह अपने खूबसूरत पंखों को फैला कर मादा को भी आकर्षित करता है। मोरनी के लिए एक साथी का चयन उस साथी के सुंदर पंखों पर निर्भर करता है और कई अध्ययनों से यह साबित होता है कि मोर के पंखों पर बनी डिज़ाइन और पैटर्न अनोखे होते हैं। पक्षियों की दीर्घायु यानी लंबी आयु से जुड़ा एक अन्य जीन मोर के बेहतर प्रतिरक्षा से जुड़ा होता है।
मोर पंखों का विशिष्ट पैटर्न
असल में मोर पंखों पर बने जटिल प्राकृतिक डिज़ाइन या पैटर्न दशकों से वैज्ञानिकों को आकर्षित करते आ रहे हैं और यहां तक कि इनसे संबंधित कई पारिस्थितिक और जनसंख्या-आधारित अध्ययन भी हुए हैं। हालांकि, अभी तक मोर का कोई जीनोमिक अध्ययन नहीं किया गया था। असल में जीनोमिक अध्ययन, एक जीव के पूरे डीएनए का अध्ययन होता है। भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान यानी आइसर, भोपाल के जीवविज्ञान विभाग के शोधकर्ताओं डॉ. विनीत के. शर्मा और उनकी टीम ने मोर के जीनोमिक अध्ययन पर कार्य किया। टीम ने सफलतापूर्वक भारतीय मोर का एक पूर्ण तुलनात्मक जीनोमिक विश्लेषण किया है और इस प्रजाति के पूरे जीनोमिक अनुक्रम की व्याख्या की है।पढ़ लिया गया मोर का जीनोम अनुक्रम
मोर के जीनोम अनुक्रमण करने में नेक्स्टसेक 500 इल्लुमीना नामक एक बेहद परिष्कृत उपकरण का उपयोग किया गया था। जीनोमिक अनुक्रम कि व्याख्या करने में टीम को दो साल का समय लगा। इस अध्ययन से लगभग 15, 970 विभिन्न जीनों के पूरे विवरण की जानकारी का एक विशाल डाटा मिला है।इस शोध में शोधछात्र रहे अंकित गुप्ता के अनुसार ''मोर के पूरे जीनोमिक अनुक्रम का विश्लेषण उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी। इसलिए पूरे जीनोम को छोटी-छोटी लंबाई में काट दिया गया था। और आगे यह अनुक्रम बड़ी जानकारी उपलब्ध करा सकता है। निश्चित रूप से यह इसके विभिन्न कार्यों को समझने में मदद करेगा और राष्ट्रीय पक्षी मोर का विस्तार से अध्ययन हो सकेगा।''
डॉ विनीत के. शर्मा ने बताया कि ''जीन अनुक्रम को जीन अनुक्रमण के लिए इस्तेमाल किया गया है। इससे अधिक उत्पादक और गुणवत्ता का डाटा मिल सकता है जीनोम अनुक्रम से मिली जानकारी यह समझने में मदद करेगी कि इस प्रजाति का निकट भविष्य में क्या होगा या अतीत में क्या घटा था। जीनोम अनुक्रम से यह सभी परिणाम सामने आएंगे।''
इस शोध से जुड़े डॉ. नागार्जुन विजय ने बताया कि ''मोर जीनोम के अनुक्रम से इस पक्षी के जनांकिकी संबंधी इतिहास को समझने में मदद मिली है। इस पक्षी की कुछ महत्वपूर्ण चीज़ों की पहचान की गयी है जो पृथ्वी के इतिहास में घटी जलवायु घटनाएं भी हो सकती थीं।''
प्रोफेसर विनीत के. शर्मा और उनकी टीम द्वारा मोर के जीनोम की व्याख्या करने के प्रयासों से व्यापक डेटा तैयार हुआ है। यह शोधकर्ताओं के लिए आगे अध्ययन करने के रास्ते खोलेगा और इससे मोर के विकासवादी इतिहास के नए आयाम खुलेंगे।
लंबी उम्र वाला जीन
इस जीनोम अनुक्रम में अध्ययन किए गए कुछ जीन, मोर के पंखों को अनोखे सजावटी रंग और पैटर्न प्रदान करने के लिए ज़िम्मेदार पाए गए थे। अन्य जीन मोर के लंबे जीवन काल से जुड़े हैं जो प्रतिरक्षा के अनोखे जीन की उपस्थिति के कारण है, यह कई संक्रमणों के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करता है जिससे पक्षियों को लंबा जीवन जीने में मदद मिलती है। आम तौर पर एक मोर का औसत जीवन काल लगभग 20 साल का या इससे अधिक हो सकता है। मोर चिड़ियाघरों में लगभग 30 साल तक जीवित रहते हैं। यह जीन सभी पक्षियों में से मोर को सबसे लंबा जीवन जीने वाला बनाता है।-लेखक परिचय-

नवनीत कुमार गुप्ता पिछले दस वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि जनसंचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं। आपकी विज्ञान संचार विषयक लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा इन पर गृह मंत्रालय के ‘राजीव गांधी ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' सहित अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। आप विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ से सम्बंद्ध हैं। आपसे निम्न मेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है:

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बहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!