Chinese Scientists Have Successfully Cloned Monkeys.
चीनी वैज्ञानिकों की बड़ी सफलता,
क्लोनिंग तकनीक से तैयार किए दो बंदर
क्लोनिंग तकनीक से तैयार किए दो बंदर
-प्रदीप
इक्कीसवी सदी को जीवविज्ञान की सदी काफी पहले से ही घोषित किया जा चुका है। इसकी धमक हाल ही में तब सुनाई पड़ी जब चीन के शंघाई स्थित चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज (सीएएस) इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस के वैज्ञानिकों ने दो क्लोन बंदरों को तैयार करने की घोषणा की। इस प्रकार से चीन बंदरों की क्लोनिंग में सफलता हासिल करने वाला विश्व का पहला देश बन गया है।

वर्ष 1927 में एल्डस हक्सले ने अपनी पुस्तक ब्रेव न्यू वर्ल्ड में हजारों एक जैसे चेहरों वाले व्यक्तियों की चर्चा की थी। फ्यूचर शॉक नामक पुस्तक में भी लेखक ने एक ऐसे व्यक्ति की कल्पना की है, जो अपना क्लोन बनवाता है। क्लोन एक ऐसा जीव होता है जो माता-पिता में से किसी एक से ही विकसित होता है। सरल शब्दों में कहें तो क्लोन मूल जीव का ही अनुकृति होता है तथा अनुवांशिक तौर पर कार्बन कॉपी होता है।
[post_ads]
अबतक वैज्ञानिकों को मेढक, भेड़, कुत्ता, सुअर, गाय और बिल्ली सहित 20 से अधिक जैव-प्रजातियों का क्लोन का क्लोन तैयार करने में सफलता मिली थी, मगर मनुष्य या मनुष्य से मिलते-जुलते जीव जातियों का क्लोन समैटिक सेल न्यूक्लियर ट्रांसफर तकनीक से बनाना अबतक अत्यधिक मुश्किल माना जाता था।
हाल ही में चीन के वैज्ञानिकों ने इस प्रयोजन में सारी बाधाएं खत्म करते हुए दो बंदरों के क्लोन सफलतापूर्वक निर्मित कियें। लंबी पूंछ वाले म्कैक प्रजाति (यह प्रजाति मूलत: अफ्रीका में पाई जाती है) के झोंग झोंग और हुआ हुआ नाम के दो बंदरों का जन्म क्लोनिंग तकनीक से जन्म हुआ। दोनों नवजात बंदरों को बोतल के जरिए दूध पिलाया जा रहा है और उनका विकास सामान्य तरीके से हो रहा है।
चीनी वैज्ञानिकों की इस उपलब्धि से यह भी सवाल उठने लगें हैं कि क्या अब निकट भविष्य में मनुष्य की भी क्लोनिंग संभव होगी? हालाँकि इस परियोजना से जुड़ी वैज्ञानिक और इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस ऑफ सीएएस सेंटर फॉर एक्सिलेंस इन ब्रेन साइंस ऐंड इंटेलिजेंस टेक्नॉलजी के निदेशक मुमिंग फू का कहना है कि ‘मनुष्य भी वानर प्रजाति में आते हैं... इस तरह हमने बंदरों की क्लोनिंग के जरिए एक महत्वपूर्ण तकनीकी बाधा पार कर ली है। यह बाधा पार करने का मुख्य कारण यह है कि हम एक जैसे जींस वाले ऐसे बंदरों को तैयार करना चाहते हैं जिन पर मनुष्यों के लिए उपयोगी दवाओं का परीक्षण करने के साथ-साथ चिकित्सा शोध में भी उपयोग किया जा सकें। हालांकि इस तकनीक को मनुष्यों के ऊपर इस्तेमाल करने का हमारा कोई इरादा नहीं है।’
इन बंदरों के क्लोनिंग के समर्थक वैज्ञानिकों का कहना है कि इस खोज का उपयोग मानवता के हित में इसका उपयोग चिकित्सा के क्षेत्र में किया जायेगा। इससे पार्किंसंस, कैंसर, हृदय रोग, एड्स, मधुमेह और तंत्रिका सम्बंधी रोगों के इलाज में मदद मिलेगी। हालाँकि इस उपलब्धि से यह बहस पुनर्जीवित हो उठा है कि क्लोन तैयार किया जाना नैतिक, सामाजिक और धार्मिक रूप से सही है या नहीं। जो भी हो, मगर हमें नये ज्ञान का स्वागत करना चाहिए तथा उसके विवेकपूर्ण और मानवता के हित में उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए।
- लेखक परिचय -


keywords: cloned monkeys production, cloned monkeys production, क्लोनिंग क्या है, क्लोनिंग विधि, मानव क्लोनिंग, जीन क्लोनिंग, पशु क्लोनिंग
COMMENTS