ISRO Satellite Launch Record in Hindi
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान_Indian Space Research Organisation (ISRO) ने 15 फरवरी, 2017 की सुबह 9.28 बजे एक साथ 104 सैटेलाइट्स को लांच करके एक नया इतिहास रच दिया है। इसरो ने ये मील का पत्थर ध्रुवीय अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान PSLV-C37 के द्वारा श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से स्थापित किया।

अपने इस गौरवशाली अभियान में इसरो ने जो 104 उपग्रह भेजे हैं, उनमें से 03 उपग्रह भारत के हैं। PSLV-C37 ने सबसे पहले 714 किलोग्राम के काटरेसैट-2 श्रृंखला के उपग्रह को कक्षा में प्रवेश कराया। इसके बाद उसने भारत के दो नैनो उपग्रहों- INS-1A और INS-1B को 505 किलोमीटर की ऊंचाई पर ध्रुवीय सौर स्थैतिक कक्षा में प्रवेश कराया। तदुपरांत विदेशी ग्राहकों के 101 नैनो उपग्रहों को श्रृंखलाबद्ध तरीके से कक्षा में प्रवेश कराया गया। इनमें 96 उपग्रह अमेरिका के हैं। तथा शेष 5 उपग्रह इस्राइल, कजाकिस्तान, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड और संयुक्त अरब अमीरात के हैं।
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इसरो द्वारा स्थापित इन उपग्रहों में INS-1A और INS-1B इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर और लेबोरेट्री फॉर इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स सिस्टम्स से कुल चार पेलोड से लैस हैं, जिनका उपयोग विभिन्न प्रयोगों में किया जाना है। जबकि काटरेसैट-2 श्रृंखला के उपग्रह का उपयोग तटीय भू प्रयोग एवं नियमन, सड़क तंत्र निरीक्षण, जल वितरण, भू-प्रयोग नक्शों के निर्माण में किया जाएगा।
इससे पहले किसी एक अभियान में सबसे ज़्यादा उपग्रह भेजने का विश्व रिकॉर्ड रूस के नाम था, जिसने वर्ष 2014 में 37 उपग्रहों को भेज कर बनाया था। स्वयं इसरो ने वर्ष 2016 में एक साथ 20 उपग्रहों को एक साथ छोड़ने का कारनामा किया था। तभी से भारतीय वैज्ञानिकों की नजर इस कीर्तिमान को रचने पर लगी थी।

अपने इस गौरवशाली अभियान में इसरो ने जो 104 उपग्रह भेजे हैं, उनमें से 03 उपग्रह भारत के हैं। PSLV-C37 ने सबसे पहले 714 किलोग्राम के काटरेसैट-2 श्रृंखला के उपग्रह को कक्षा में प्रवेश कराया। इसके बाद उसने भारत के दो नैनो उपग्रहों- INS-1A और INS-1B को 505 किलोमीटर की ऊंचाई पर ध्रुवीय सौर स्थैतिक कक्षा में प्रवेश कराया। तदुपरांत विदेशी ग्राहकों के 101 नैनो उपग्रहों को श्रृंखलाबद्ध तरीके से कक्षा में प्रवेश कराया गया। इनमें 96 उपग्रह अमेरिका के हैं। तथा शेष 5 उपग्रह इस्राइल, कजाकिस्तान, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड और संयुक्त अरब अमीरात के हैं।
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इसरो द्वारा स्थापित इन उपग्रहों में INS-1A और INS-1B इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर और लेबोरेट्री फॉर इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स सिस्टम्स से कुल चार पेलोड से लैस हैं, जिनका उपयोग विभिन्न प्रयोगों में किया जाना है। जबकि काटरेसैट-2 श्रृंखला के उपग्रह का उपयोग तटीय भू प्रयोग एवं नियमन, सड़क तंत्र निरीक्षण, जल वितरण, भू-प्रयोग नक्शों के निर्माण में किया जाएगा।
इसरो के चेयरमैन ए.एस. किरण कुमार ने इस अभियान के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि भेजे गये उपग्रहों में से एक बड़ा उपग्रह है, जिसका वजन 730 किग्रा है। शेष उपग्रह कम वजन वाले हैं। इसमें भारत के बाकी दोनों उपग्रह 19-19 किग्रा के हैं तथा शेष 101 उपग्रह नैनो श्रेणी के हैं, जिनका कुल वजन 600 किग्रा है।
बीते कुछ एक सालों में इसरो अंतरिक्ष प्रक्षेपण के बाजार में विश्वसनीय नाम के रूप में शामिल हुआ है। ज्ञातव्य है कि इसरो ने अब तक 21 देशों के 79 उपग्रहों को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया है। और गर्व की बात यह है कि इन उपग्रहों में गूगल और एयरबस जैसी बड़ी कंपनियों के उपग्रह भी शामिल हैं।
इस प्रक्षेपण से विश्व उपग्रह प्रक्षेपण बाज़ार में भारत की जगह मजबूत हुई है और भारत की तुलना अब अमरीका से की जाने लगी है। इसकी मुख्य वजह यह है कि इसरो का उपग्रह प्रक्षेपण खर्च अमरीका की तुलना में लगभग 60 प्रतिशत कम होता है। इस नजरिये से भारत का मुख्य प्रतिद्वन्द्वी अब चीन है, क्योंकि चीन भी कम दरों पर अंतरिक्ष में उपग्रह प्रक्षेपण के लिए जाना जाता है। जबकि चीन की उपग्रह प्रक्षेपण क्षमता भारत से लगभग 4 गुना है और वह अपने अभियानों पर भारत से लगभग ढ़ाई गुना राशि ज्यादा खर्च कर रहा है।
इसरो ने इस पूरे प्रक्षेपण अभियान पर होने वाले खर्च का ब्यौरा तो नहीं सार्वजनिक किया है, लेकिन ये जरूर बताया है कि इस अभियान का आधा खर्च विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण से निकल गया है। विशेषज्ञों के आकलन के अनुसार विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण से इसरो को 100 करोड़ रूपये से अधिक की आमदनी हुई है।
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गौरवपूर्ण उपलब्धि
जवाब देंहटाएंI hope you will keep on submitting new articles or blog posts & thank you for sharing your great experience with us.
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