Pesticides in Vegetables and Fruits in Hindi
कहावत है कि एक सेब रोज खाएं, तो आप डाक्टर से दूर रहेंगे। लेकिन आज वही सेब हम सबको डाक्टर के पास ले जा रहा है। यही नहीं अंगूर, संतरा और पपीता जैसे फल भी इसमें पीछे नहीं हैं। और तो और सब्जियां विशेषकर बंदगोभी, फूलगोभी, भिंडी, मूली, बैंगन, टमाटर और हरी धनिया भी इसमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। कारण बड़ा पुराना है फलों और सब्जियों में अंधाधुंध पेस्टीसाइड़ का छिड़काव।
पिछले दिनों भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान, लखनऊ (आईआईटीआर) ने सब्जियों के 225 और फलों के 45 नमूनों की जांच की, जिनमें से 25 सब्जियों और 06 फलों के नमूनों में विफैले कीटनाशक पाये गये। फलों एवं सब्जियों में कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग एक पुरानी समस्या है, लेकिन आश्चर्य का विषय यह है कि अभी तक इसका कोई वैज्ञानिक हल निकल कर सामने नहीं आया है।
हालांकि केन्द्रीय पौध रक्षण बोर्ड ने डीडीटी जैसे घातक रसायनों की बिक्री पर पाबंदी लगा रखी है, पर ये खुलेआम बिक रहे हैं। इसके फलस्वरूप बच्चों में ‘एप्लास्टिक एनीमिया’ जैसी बीमारी तेजी से बढ़ रही है, जिसके कारण उनमें खून बनना बंद हो जाता है। कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग के कारण मानव जीन की संरचना बदल रही है और यह एक पीढ़ी से दूसरी से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर हो रहा है। इसके साथ ही साथ यह कैंसर जैसे घातक रोग को बढ़ाने में भी मददगार साबित हो रहा है।
कीटनाशकों के दुष्प्रभाव से बचने का हालांकि अभी तक कोई कारगर तरीका नहीं खोजा गया है, पर फिरभी कुछ तरीके हैं, जिनसे इनके असर को काफी हद तक कम किया जा सकता है। यदि हम फलों अथवा सब्जियों के छिलके उतार कर उनका उपयोग करें, तो इनके दुष्प्रभाव से बच सकते हैं। जिन सब्जियों अथवा फलों में छिलके नहीं होते हैं, उन्हें यदि गरम पानी से धुला जाए, और संभव हो तो गरम पानी में कुछ देर तक डुबा कर रख दिया जाए, तो भी काफी हद तक बचत हो सकती है। गरम पानी उपलब्ध न होने पर सब्जियों को तेज धार वाले पानी से धोना भी काफी बचत करा सकता है। ऐसा करने से सब्जियों/फलों के स्वाद अथवा पौष्टिकता पर भी कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है।
इसलिए अगली बार जब आप बाजार जाएं, तो चमकदार और आकर्षक दिखने वाले फलों/सब्जियों के झांसे में न आएं और उन्हें भलीभांति धुल कर ही उपयोग करें। इससे आप पेस्टीसाइड के दुष्प्रभावों से खुद को और अपने परिवार को बचा सकते हैं।
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उपयोगी और अच्छी जानकारी है.
जवाब देंहटाएंसभी को इस बात का ध्यान रखना चाहिये .
प्रयोग करने से पहले हमेशा खूब अच्छे से फल-सब्जी धो लेने चाहिये.
अक्सर आलस में हम इन सावधानियों की उपेक्षा कर जाते हैं-और बिमारियों को निमंत्रण dete हैं.
श्री Zakir Ali 'Rajneesh' साहब, बात तो आपने कायदे की करी है ! पर हमारा सवाल ये है की ज्ञानी लोग कहते हैं की गहरे लाल रंग के फलो में कुछ तत्व रहते हैं जो फायदेमंद हैं ! और छिलका ना उतारे !
जवाब देंहटाएंदूसरा आजकल गहरे रंग के सेव आरहे हैं इनको चाकू से काटो तो चाकू भी लाल रंग का हो जाता है ! क्या ये कोई आक्साईड वगरह , आर्टिफिसियल लगा देते हैं या प्राकृतिक होता है ?
कृपया मार्गदर्शन करिएगा ! इब रामराम !
बहुत काम की बात बताई है आपने ...
जवाब देंहटाएंबेहद उपयोगी जानकारी .ऐसे ही आप सब्जी ओर दूसरे फलो पर भी प्रकाश डाले
जवाब देंहटाएंताऊ रामपुरिया जी, आपका कहना सही है कि सेब को छिलके के साथ खाना फायदेमंद है, लेकिन तब ही जब वह कीटाणुनाशक तत्वों से मुक्त हो। अब चूंकि कौन सा सेब सुरक्षित है, यह पता लगाना बहुत मुश्किल है, तो ऐसी दशा में सेब को छीलकर खाना ज्यादा समझदारी है।
जवाब देंहटाएंअगर सेब को काटने पर रंग छूट रहा है, तो इसका सीधा सा अर्थ है कि उसे रंगा गया है और जाहिर सी बात है कि इसके लिए सस्ते रंग का ही इस्तेमाल किया गया होगा। ऐसा सेब स्वास्थ्य के लिए बहुत ही नुकसानदायक है। इसके अतिरिक्त दबे हुए और जो सेब अंदर से लाल हो जाते हैं, उन्हें भी नहीं खाना चाहिए।
" ये तो वही बात हुई की हर चमकने वाली चीज़ सोना नही होती... देखने मे इतने सुंदर फल मगर .... बहुत उपयोगी सलाह दी आपने इस लेख के जरिये , वरना तो ध्यान ही नही रहता और इन्हे हम ऐसे ही इस्तेमाल कर लेतें हैं.."
जवाब देंहटाएंRegards
आपका बहुत बहुत शुक्रिया ! मुझे भी डाउट था की ये रंगे हुए होंगे ! कितनी ग़लत बात है की लोग ज़रा से मुनाफे के लिए दूसरो के स्वास्थय से खिलवाड़ करते हैं ! आज आपकी बात गाँठ बाँध ली है अगर खाने का शौक ही चर्रायेगा तो छिलका उतार कर खाएँगे नही तो हमारी भैंस का शुद्ध दूध ही भला ! :) हमको नही खाने सेव !
जवाब देंहटाएंयह जानकारी महिलाओं के लिए ज्यादा उपयोगी है। क्योंकि घर में फलों और सब्जियों से ज्यादातर वास्ता उन्हीं का पडता है। उम्मीद है अब सभी बहनें इसका ख्याल रखेंगी।
जवाब देंहटाएंआपने डीडीटी पर पाबंदी की बात कही. सही है. लेकिन इससे 1000 गुणे अधिक जहरीले पदार्थ खुले आम प्रयुक्त हो रहे है.
जवाब देंहटाएंसस्नेह -- शास्त्री
Waise bhi seb khane ka fayeda nahin. usse zyada minerals doosre fruits men hote hain.
जवाब देंहटाएंयह एक गम्भीर समस्या है, जिसपर सरकार को विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।
जवाब देंहटाएंThe vegetables and fruits should be washed in a namak-pani ghol before use. this will reduce the risk to a large extent.
जवाब देंहटाएंshamim
अरे नहीं! बहुत मुश्किल है - क्या खायें?।
जवाब देंहटाएंआज कल तो लगभग सभी का यही हाल है बिना भ्रष्टाचार के कोई भी कम नहीं हो रहा है. अच्छी जानकारी दी है आपने.
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी दी है आपने.
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी दी आप ने। इन खतरों से बचाव के लिए जैविक तरीके से कृषि को बढावा दिए जाने की जरूरत है। ताउ ने सेव में से लाल रंग निकलने का जो मामला बताया है, वह यकीनन उसे रंगे जाने की वजह से ही है। आजकल अधिकांश फलों व सब्जियों को उसी तरह सस्ते रंग या रसायन में रंगा जा रहा है। इसलिए उन्हें खरीदने में सतर्कता जरूरी है।
जवाब देंहटाएंZakir Bhai ASK,
जवाब देंहटाएंAapka purana prashanshak raha hoon, "AURAT EK NADI" ko sahej kar rkha hai jo ek baar Rashmi Barthwal ji ke ghar par aap ne mujhe di thi,...aur es faydemand blog ke liye BADAHI.
ANWARUL HASAN
RJ-FM RAINBOW 100.7, Lko.
Director- VOICE PRODUCTION
खायें मगर धो कर..
जवाब देंहटाएंसही कहा..
बहुत ही अच्छी जानकारी दी है. हम जानना चाहते थे की आजकल पपीता इतना ज़्यादा मीठ क्यों आ रहा है. लगता है उनमे पेपसिन भी नहीं है.आम तौर से पपीते को काटने पर जो एक खुशबू या बू आती थी वो अब नहीं आती.
जवाब देंहटाएंhttp://mallar.wordpress.com
बहुत अच्छी जानकारी.
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी जानकारी दी आप ने, हम सब को इन सब बातो का धयान रखना चाहिये.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
उपयोगी जानकारी, लेकिन जो फ्रूट प्लेट खरीद कर खाते हैं वो क्या कर सकते हैं ?
जवाब देंहटाएंजानकारी के लिए धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी ने लिखा है कि डीडीटी से 100 गुना ज्यादा जहरीले पदार्थ खुलेआम प्रयुक्त हो रहे हैं। आपकी बात सही है, पर सभी के बारे में एक छोटे से लेख में लिखा जाना न तो सम्भव है और न ही उचित। हॉं, इस दिशा में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है।
जवाब देंहटाएंजीशान जी ने लिखा है कि वैसे भी सेब खाने का फायदा नहीं, उससे ज्यादा मिनरल्स दूसरे फ्रूट में हैं जीशान भाई, आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। पर दरअसल लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं है। मेरा सुझाव है कि आप इस बारे में एक पोस्ट लिखें। हमें आपकी पोस्ट का इंतजार रहेगा।
शमीमउददीन भाई ने लिखा है कि नमक पानी के घोल से धोना भी फायदेमंद है। शमीम भाई, आपका कहना 100 प्रतिशत सही है, जानकारी देने के लिए शुक्रिया। आपसे मेरी एक गुजारिश है कि समय निकाल कर अपना एक अदद ब्लॉग जरूर बनाएं।
अभिषेक ओझा जी ने पूछा है कि जो लोग फ्रूट प्लेट खरीद कर खाते हैं, वो क्या कर सकते? अभिषेक भाई, मेरी समझ से पैसा खर्च करके जहर खाने में कोई समझदारी नहीं है। मेरी सलाह है कि अगर आप फ्रूट प्लेट खाने के शौकीन हैं, तो उसे घर में बनाकर खाएं। यकीनन इसमें थोडा झंझट तो है, पर वह सुरक्षित रहेगा और फायदेमंद भी।
अन्य पाठकों ने भी हौसला अफजाई की है, मैं आप सबका तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं।
आपके द्वारा दी गयी जानकारी ज्ञानवर्धक है ।
जवाब देंहटाएंअरे रजनीश भाई शास्त्री जी ने 100 नहीं 1000 गुना बताया है,
जवाब देंहटाएंमुएँ हमहीं पे कोई डीडीटी क्यों नहीं छिड़क देते की खाने का झंझट ही ख़तम हो जाए.