Methane Hydrate Article in Hindi
‘मीथेन हाइड्रेट’ बर्फ की एक जालीनुमा पिंजड़े जैसी संरचना है, जिसमें मीथेन अणु बंद होते हैं। देखने में यह जमी हुई बर्फ जैसी लगती है, जो आग के सम्पर्क में आने पर लाल लौ के साथ जलने लगता है। इसका उपयोग करके घरों को गर्म रखा जा सकता है, वाहनों के ईंधन के रूप में प्रयुक्त हो सकता है और संपूर्ण विश्व की ऊर्जा की जरूरतों को पूरा कर कता है। हाल के आँकड़े बताते हैं कि पृथ्वी के गर्भ में जमे मीथेन हाइड्रेट का सिर्फ एक प्रतिशत प्राकृतिक गैस के रूप में अमेरिका की 170,000 साल तक की ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।
मीथेन हाइड्रेट: ऊर्जा का अपारंपरिक स्त्रोत
डॉ. सुनन्दा दास
मीथेन हाइड्रेट या दहनशील बर्फ आज भूवैज्ञानिकों के लिए एक जिज्ञासा की वस्तु बनती जा रही है, हालाँकि इससे भी अधिक कौतूहल की बात यह है कि मीथेन अपनी प्राकृतिक अवस्था में बर्फ के पिंजड़े में कैसे फँसी हुई, कितनी और कहाँ तक पृथ्वी के नीचे दबी पड़ी है? एक अनुमान के अनुसार पृथ्वी में मौजूद समुद्र के तलछटों के अवसादों में 700 क्वाड्रिलियन घन फीट (20 क्वाड्रिलियन घन मीटर) मीथेन बर्फ में फँसी हुई है, जो पृथ्वी में पाये जाने वाले समस्त जीवाश्म ईंधन की दुगनी है।
‘मीथेन हाइड्रेट’ बर्फ की एक जालीनुमा पिंजड़े जैसी संरचना है जिसमें मीथेन अणु बंद होते हैं। मीथेन एक प्राकृतिक रूप से पायी जाने वाली गैस है जो रंगहीन, गंधहीन और एल्केन श्रृंखला की सबसे प्रथम और सरलतम सदस्य है। भूमि और समुद्र की सतह से 1600 फीट नीचे गहराई में दुनिया भर में मीथेन मौजूद है।
प्राप्त आँकड़े संकेत करते हैं कि अकेले अमेरिका ऊर्जा के रूप में 200 ट्रिलियन क्यूबिक फीट तक गैस हाइड्रेट के रूप में 200 ट्रिलियन क्यूबिक फीट तक गैस हाइड्रेट का उपयोग करता है। विश्वस्तरीय परियोजनाओं में लगभग 400 करोड़ खरब घन फीट तक की गैस हाइड्रेट बेड का इस्तेमाल अनुमानित है। इसकी लोकप्रियता का कारण यह है कि यह प्राकृतिक गैस का एक मुख्य घटक है और उपयोगी ऊर्जा का स्त्रोत भी है।
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मीथेन हाइड्रेट अक्सर बर्फ के रवों के रूप में दिखता है। इस प्रकार की संरचना केवल उच्च दबाव या फिर कम तापमान के क्षेत्रों में देखी जा सकती है। वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि हाइड्रेट खुले वातावरण में स्थिर नहीं रह पाता है।
प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले मीथेन हाइड्रेट मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं-
अ. वह जो समुद्री तलछट की गहराई में या फिर महाद्वीपीय ढलानों में स्थित हों,
ब. या फिर आर्कटिक पर्माफ्रास्ट (स्थायी तुषार भूमि) में पाये जाते हों।
समुद्री अवसादों में फँसा मीथेन हाइड्रेट एक प्रकार से कार्बन के एक विशाल जलाशय की तरह है, जिसको एक अपारंपरिक ऊर्जा के संसाधन के रूप में माना जाना चाहिए। परन्तु मीथेन की ‘ग्रीन हाउस’ गैस के रूप में भूमिका का भी मूल्यांकन किया जाना आवश्यक है।
मीथेन हाइड्रेट से जुड़ा सबसे महत्वपूर्ण सवाल है कि क्या यह साधारण मीथेन की तरह जलेगा? यद्यपि यह एक ठोस बर्फ के टुकड़े जैसा दिखता है तथापित इसमें आग लगाने से यह लाल लौ के साथ जलने लगता है। अगर वास्तविकता यह है तो इसका उपयोग करके घरों को गर्म रखा जा सकता है, वाहनों के ईंधन के रूप में प्रयुक्त हो सकता है और संपूर्ण विश्व की ऊर्जा की जरूरतों को पूरा कर कता है। हाल के आँकड़े बताते हैं कि पृथ्वी के गर्भ में जमे मीथेन हाइड्रेट का सिर्फ एक प्रतिशत प्राकृतिक गैस के रूप में अमेरिका की 170,000 साल तक की ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।
मीथेन हाइड्रेट की रासायनिक संरचना:
आमतौर पर इस प्रकार के मीथेन को भूवैज्ञानिकों ने ‘पारंपरिक मीथेन’ कहा है। इस गैस को पृथ्वी की सतह के नीचे से पत्थरों और तलछटों को ड्रिल करके पाइपों के माध्यम से निकाला जाता है।
1640 फीट समुद्री सतह के नीचे अवसादों में ठंडे तापमान और उच्च दबाव के कारण मीथेन बर्फ के अंदर कैद हो जाती है। रासायनिक तौर पर मीथेन गैस का पानी के अणुओं के साथ किसी प्रकार का बंधन नहीं पाया जाता है। वहाँ चतुष्फलकीय मीथेन अणु क्रिस्टलीय बर्फ के खोल के अंदर बंद हो जाता है। इस अनूठे पदार्थ को मीथेन हाइड्रेट के रूप में जाना जाता है। गर्म तापमान और कम दबाव पर बर्फ पिघल जाती है और मीथेन गैस बाहर निकल जाती है।
भूवैज्ञानिकों को स्वाभाविक रूप से पाये जाने वाले मीथेन हाइड्रेट के बारे में हाल ही में पता चला है। यह पदार्थ ‘क्लेथरेट’ यौगिकों के परिवार में आता है। ‘क्लेथरेट’ का अर्थ है ‘सलाख’ या जालीनुमा पिंजड़ा अर्थात् इन यौगिकों में एक मेजबान है तो दूसरा मेहमान। मीथेन हाइड्रेट के मामले में बर्फ मेजबान है अर्थात् ‘जाली का पिंजड़ा’ और उसमें रहने वाला मेहमान है मीथेन अणु।
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मीथेन हाइड्रेट का संक्षिप्त इतिहास:
1930 में प्राकृतिक गैस खनिकों ने ठंडे तापमान पर पाइनपलाइनों में बर्फ नुमा पदार्थ पाया जो पाइपों को बंदइ कर दे रहा था। शोध द्वारा वैज्ञानिकों ने पाया कि यह शुद्ध बर्फ न होकर मीथेन पर लिपटी हुई बर्फ थी। 1960 के दशक में वैज्ञानिकों ने मीथेन हाइड्रेट या ‘ठोस प्राकृतिक गैस’ को पश्चिमी साइबेरिया के मेसोयारवा गैस क्षेत्र में खोज निकाला जो काफी महत्वपूर्ण रहा। इसके पहले स्वाभाविक रूप से पाये जाने वाले गैस हाइड्रेट के बारे में जानकारी नहीं थी। भूवैज्ञानिकों और रसायनज्ञों ने खोजों द्वारा पाया कि सबपर्माफ्रास्ट के विशाल बेसिन (भंडार) गैस हाइड्रेट से भरे पड़े थे। इसलिए वे अन्य उच्च अक्षांश क्षेत्रों में भी इसी प्रकार के बेसिन या भंडार की तलाश में लगे रहे। एक अन्य टीम ने अलास्का की पहाड़ियों के उत्तरी ढलान के नीचे गहरे दफन अवसादों में मीथेन हाइड्रेट का वृहत् भंडार पाया।
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (यूजीसीएस) और राष्ट्रीय ऊजा्र प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला, ऊर्जा विभाग के प्रारंभिक निष्कर्षों के आधार पर 1982 और 1992 के बीच यह खुलासा हुआ कि मीथेन हाइड्रेट अपतटीय अवसादों में जमा हुआ पाया जा सकता है।
1990 के दशक के मध्य में जापान और भारत मीथेन हाइड्रेट अनुसंधान की दिशा में नये तरीके विकसित करने के लक्ष्य में अग्रणी रहे। तब से वैज्ञानिकों ने कई स्थानों में जैसे कनाडा में मैकेंजी नदी डेल्टा खेत्र और जापान के तट पर नानकाई गर्त पर मीथेन हाइड्रेट की खोज की।
वैज्ञानिकों ने अधिकांश रूप से जमी मीथेन को आर्कटिक पर्माफ्रास्ट के नीचे और समुद्र के नीचे और समुद्र की तलहटी में पायां विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहाँ टेक्टोनिक प्लेट एक दूसरे पर खिसका करती है। इन क्षेत्रों को ‘सबडक्शन‘ क्षेत्र के रूप में जाना जाता है जहाँ बड़ी समुद्री धाराएँ एक साथ मिलती हैं। उदाहरण के लिए दक्षिण केरोलिना में स्थित ‘ब्लैक रिज‘। यहाँ दुनिया भर के अन्य स्थानों से कहीं अधिक, करीब 1,00,000 ट्रिलियन से 300,000,000 ट्रिलियन क्यूबिक फीट मीथेन बर्फ के पिंजड़ों में कैद है।
गैस हाइड्रेट का खनन:
मीथेन हाइड्रेट के भंडार समुद्र की तलहटी में अवसादों में स्थित हैं अतः ड्रिलिं रिग को 1600 फीट से अधिक पानी के नीचे जाना पड़ता है और साधारणतया चूँकि हाइड्रेट भूमिगत होता है इसलिए पाइपों को और भी कई हजार फीट नीचे भेजना पड़ता है, जिससे हाइड्रेट की निकासी हो सके। साथ ही टेढ़े-मेढ़े ढलानों वाले क्षेत्रों में यह कार्य और अधिक मुश्किलों से भरा होगा। यदि रिग को सुरक्षित रूप से बैठाया भी जाए तो भी मीथेन हाइड्रेट पर गहरे समुद्र का उच्च दबाव और कम तापमान हटने के कारण जब तक यह समुद्र की सतह तक आ पाए उसके पहले ही इस जहरीली गैस का रिसाव शुरू होने की आशंका रहती है। यह एक बड़ी चिंता का विषय है।
कई भूवैज्ञानिकों का मानना है कि गैस हाइड्रेट समुद्र की तलहटी को स्स्थिर रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अतएव ड्रिलिंग के दौरान समुद्र की तलहटी के अस्थित होने की भी आशंका हो सकती है और तलछट का एक विशाल हिस्सा नीचे हजारों मील गहरी खाई में खिसक सकता हैं यह पानी के नीचे भूस्खलन की संभावनाओं को बढ़ायेगा। ऐसा अतीत में भी हुआ है और आशंका है कि भविष्य में इसके अति विनाशकारी सुनामी जैसे परिणाम हो सकते हैं।
हम सभी जानते हैं कि दिसंबर 2004 में हिंद महासागर में आयी सुनामी से बड़ी संख्या में जान-माल का नुकसान हुआ था। लेकिन इससे भी बड़ी चिंता का विषय है कि गैस हाइड्रेट का खनन ग्लोबल वार्मिंग को और अधिक प्रभावित कर सकता है। स्वाभाविक रूप से जमे हाइड्रेट लगातार पर्माफ्रास्ट से या समुद्र के अंदर मीथेन गैस छोड़ते रहते हैं, जो बुलबुलों के रूप में निकलकर वातावरण में फैल जाती है और वहाँ यह ग्रीन हाउस गैस का काम करती है। यह सौर विकिरण को समाहित करने में कार्बन डाइऑक्साइड गैस की तुलना में अधिक कुशल है।
विशेषज्ञों को डर है कि जमे हुए हाइड्रेट में ड्रिलिंग करने से मीथेन भारी मात्रा में निष्कासित होगी, जिससे ग्लोबल वार्मिंग में भयावह रूप से बढ़ोत्तरी होगी। इसके खनन की गतिविधियों में जरा सी भी चूक एक विशालकाय दैत्य को छेड़ने के समान है जिससे अनपेक्षिज जोखिम भरे परिणाम सामने आएंगे।
जमे हुए ईंधन का भविष्य:
1997 में अमेरिका के ऊर्जा विभाग (डीओई) ने एक अनुसंधान कार्यक्रम के तहत वाणिज्यिक रूप से 2015 से गैस हाइड्रेट से मीथेन उत्पादन करने की अनुमति दी है। अमेरिकी कांग्रेस मीथेन हाइड्रेट अनुसंधान और विकास अधिनियम के माध्यम से शोध के लिए आथ्रिक सहायता दे रही है। इन्ट्राजेन्सी समन्वयन समिति (आईसीसी) यानि छह सरकारी एजेंसियों का गठबंधन मीथेन हाइड्रेट के बुनियादी विज्ञान के बारे में जानने के लिए लगातार अनुसंधान द्वारा प्रयासरत है। वर्तमान में मीथेन हाइड्रेट को कुशलता से निकलाने के बारे में कुछ दिलचस्प विचार उभर कर आ रहे हैं। यह शुभ लक्षण है।
यूएसजीएस (अमेरिका के भूसर्वेक्षण विभाग) द्वारा हाल ही में उत्तरी और दक्षिणी कैरोलिना में हाइड्रेट की एक वृहत् राशि का पता लगा है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इन क्षेत्रों में 1300 ट्रिलियन क्यूबिक फीट से अधिक मीथेन गैस भंडारित है। कैरोलिना में स्थित विशाल कुंड एक महत्वपूर्ण अपतटीय तेल और गैस भंडार (बेसिन) क्षेत्र है जो लगभग दक्षिणी कैरोलिना राज्य के क्षेत्र के बराबर है। यहाँ 13 किलोमीटर से भी मोटा अवसाद जमा है और अभी तक कोई कुआँ भी नहीं खोदा गया है। यह गैस का भारी भंडार ऊर्जा संसाधन के रूप में विकास के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
समुद्री अवसादों में मीथेन हाइड्रेट का बनना समुद्र की तलहटी की स्थिरता, वातावरण पर मीथेन गैस का प्रभाव तथा चयनित क्षेत्रों में सुचारू रूप से कार्य करना वैज्ञानिकों के लिए चुनौती का विषय है। अमेरिका का राष्ट्रीय समुद्रीय और वायुमंडलीय प्रशासन, अमेरिकी ऊर्जा विभाग की गैस हाइड्रेट निष्कर्षण प्रौद्योगिकी, अमेरिकी नौसेना का ध्वनिक अध्ययन विभाग और अन्य संघीय एजेंसियों के सहयोग से भविष्य में इस कार्य की सफलता में वृद्धि होगी। सपष्ट है कि आने वाले वर्षों में बर्फ में बंद मीथेन गैस निश्चित ही ऊर्जा की बढ़ती माँग को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
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डॉ. सुनन्दा दास सी.एम.पी. कॉलेज, (इलाहाबाद विश्वविद्यालय) इलाहाबाद में रसायन विज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। आपने रसायन विज्ञान की अनेक शाखाओं पर शोधकार्य किये हैं। आप एक सक्रिय विज्ञान लेखक के रूप में भी जानी जाती हैं। आपकी विज्ञान विषयक अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। आपको विज्ञान संचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अनेक पुरस्कार/सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। आपसे निम्न ईमेल पर सम्पर्क किया जा सकता है:

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जवाब देंहटाएंAtyant gyanvardhak lekh hai, dhanyavad.
जवाब देंहटाएंThanks for this information. ...nice article
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